आज की इस दौडती भागती दुनिया में लोगो के पास समय ही नहीं है, जिससे पूछो, लोग कहते है समय नहीं है,हमारा खान पान, रहन-सहन की आदतों में तेजी से बदलाव आ गया है,ऐसे में हमारी प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जा रही है,और जब हम बीमार होते है तो खाते है बहुत सारी दवाईया, जो उस समय तो हमें ठीक कर देती है, परन्तु छोड जाती है दुष्प्रभाव, जिसे हम साईडिफेक्ट कहते है.
क्या आप जानते है कि हमारे ही आस पास इतनी चीजे हमें प्रकृति ने दी है,जिसका सही मात्रा में सेवन करने पर हमें महगी दवाओ को खाने कि भी जरुरत नहीं है,बचपन में जब हमें सर्दी जुकाम होता था तो दादी हमें तुलसी के पत्ते चाय में डालकर देती थी सर्दी मिनटों में गायब. खासी होती थी तो दादा जी अनार का छलका चूसने दे देते थे,जरा सी कोई फुन्सी चेहरे पर होती, तो दादी माँ हल्दी चन्दन का लेप लगा देती, और कुछ ही दिनों में फुन्सी गायब , बचपन में तो जैसे कभी हमने दवा खायी ना हो. और अब जरा सी सर्दी, खासी,सिर दर्द और हम ढेरो दवाए खा लेते है. लेकिन जब भी हम दादी माँ के उन नुस्खो को याद करते है तो बड़ा अच्छा लगता है,तो आईये हम दादी माँ के उन नुस्खो को जाने और उनका उपयोग अपने जीवन में करे.
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