सतावरी
सतावरी एक चमत्कारीक औषधि है जिसका भारत में हजारों वर्षो से आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग किया जाता रहा है। सतावरी एक प्राकृतिक बेल है जो औषधीय प्रयोग के साथ साथ हर घर, बगीचे में सुन्दरता के लिए और बंजड पड़े जंगल में भी पाई जाती है,
सतावरी की जड़ें पत्ते व नई कोपले सब हमारे लिए बहुत उपयोगी होती हैं।लेकिन जड़ का महत्व इन सब से अधिक है। अधिकतर जड़ों को ही औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं। सतावरी का स्वाद फीका होता है। नई निकली कोपलो से स्वादिस्ट सब्जी बनाई जाती है। सतावरी के फल मटर जैसे गोल लाल रंग के होते हैं।
इस की जड़े लम्बी गोल, उंगली की तरह मोटी मटमैले रंग की होती हैं। सतावरी शीतल व स्निग्ध होती है। शारीरिक ताकत के लिए, कुशाग्र बुद्धि के लिए, स्मरण शक्ति व एकाग्रता बढ़ाने के लिए, पेट की जलन और आंखों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए स्त्री प्रजनन तंत्र की मजबूती के लिए यह एक बेहतर टानिक है।
सतावरी वीर्यवर्धक, बलवर्धक, ठंडा, दूध को बढ़ाने वाली, खून को साफ करने वाली, तथा सूजन आदि को दूर करता है।यह दस्त तथा वातपित्त, गर्भ के विकार श्वेत प्रदर प्रदर रोग नपुंसकता स्वप्नदोष मूत्राघात मूत्रविकार दस्त बुखार मिर्गी अम्लपित्त विषनाशक बवासीर खूनी दस्त हिस्टीरिया श्वास मूर्छा अनिंद्रा सिर का दर्द सूखी खांसी पेट-दर्द ,पक्षाघात सर-दर्द, गठिया, घुटनो का दर्द ,पैर के तलवों में जलन, गर्दन अकड़ना, साइटिका, हाथों में दर्द ,पेशाब संबन्धी रोग, आंतरिक चोट के अलावा शुक्र-वर्धन ,यौन -शक्ति बढ़ाने, महिलाओं के बाँझपन के इलाज के लिए किया जाता है आयुर्वेदिक दवाओं सतावरी धृत, नारी वटी नारायण तेल, विष्णु तेल, सतावरयादी चुर्णू, शत मूल्यादि लौह आदि सतावरी से ही बनती हैं।
एक व्यक्ति द्वारा सतावरी की जड का रस 10 से 20 मिलीलीटर इसकी जड का चूर्ण 3 से 6 ग्राम और जड़ का काढ़ा 50 से 100 मिलीलीटर तक की मात्रा में लिया जाना उपयुक्त होता है।
- 5 काली मिर्चों को पीस ले और दो चम्मच सतावरी चूर्ण के साथ मिला ले इसे दो गिलास पानी में उबाल ले इसे छान कर दिन में दो बार ले ने से जुखाम ठीक हो जाता है।
- सामान मात्रा में सतावरी और अड़ूसे के पत्ते और मिश्री को पानी में उबालकर दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
- सतावरी का काढ़ा बनाए इसमें 1 ग्राम पीपल का चूर्ण मिलाए रोगी को दिन में 2-3 बार पिलाये इस से कफ साफ़ होगा और खांसी भी ठीक हो जाएगी।
- 10 ग्राम सतावरी पिसी हुई को पांच काली मिर्च के साथ मिलाकर पानी में घोट कर सुबह-शाम पिया जायें तो जुकाम ठीक हो जाता है।
- सतावरी की ताजी जड़ का रस और बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उबाल ले ओर इस तेल से सिर पर मालिश करने से सिर का दर्द और आधे सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
- एक गिलास दूध में 25 ग्राम सतावरी चूर्ण और अदरक का रस मिलाकर उबाले इसे छान कर रोगी को दिन में 2 बार देने से आंखों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
- सतावरी की नए कोपल की सब्जी देसी घी में बनाकर खाने से रतौंधी (रात का अंधापन) समाप्त होता है।
- गीली सतावरी को दूध के साथ पीसकर व छानकर दिन में 3-4 बार पीलाने से खूनी दस्त बंद हो जाते हैं।
- सतावरी की ताजा जड़ का रस शहद के साथ मिलाकर दिन 2 बार लेने से एसिडिटी का रोग दूर हो जाता है।
- गठिया रोग के लिए हर रोज घुटनों पर सतावरी के तेल की मालिश करने से घुटनों का दर्द ठीक होता है।
- सतावरी की खीर में घी मिलाकर खाने से अनिंद्रा की समस्या दूर होती है ।
- 2 चम्मच सतावरी की जड़ का रस 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम सेवन से कुछ महीनो मे ही मिर्गी के रोग मे सुधार आता है।
- सतावरी के पत्तों का चूर्ण बनाकर दुगने घी में पकाकर घावों पर लगाने से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।
- 2 -2 चम्मच सतावरी और गिलोय के रस में शक्कर मिलाकर खाने से वात-ज्वर खत्म हो जाता है।
- या सतावरी और गिलोय के 50 से 60 ग्राम काढ़े में शहद मिलाकर पीने से भी ज्वर खत्म हो जाता है।
- धातु वृद्धी के लिए समान मात्रा में सतावरी, अश्वगंधा ,कौंच के बीज, गोखरू और आंवला मिलकर चूर्ण बना लें।एक छोटी चम्मच सुबह-शाम गाय के दूध या पानी के साथ ले। और 10 ग्राम सतावरी चूर्ण दूध मिश्री के साथ मिला कर पीने से वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है।
- 2 चम्मच सतावरी चूर्ण में शक्कर मिलें दूध के साथ सुबह-शाम पीने से नपुंसकता दूर होती है।
- या सतावरी और असगन्ध के 5 ग्राम चूर्ण को दूध में उबाल कर पीने से नपुंसकता ठीक हो जाती है।
- 5 ग्राम सतावरी को एक गिलास दूध में धीमी आंच पर मिश्री मिलाकर 5 मिनट तक उबालें, इस दूध को पीने से ही कुछ महीनों में नपुंसकता बिलकुल ठीक हो जाती है। और सहवास की कमजोरी दूर हो जाती है।
- शारीरिक ताकत के लिए 250 ग्राम सतावरी की जड़ का चूर्ण और बराबर की मिश्री को पीसकर और एक चम्मच मिश्रण को एक गिलास गुनगुने दूध के साथ सुबह-शाम लेने से स्वप्नदोष का रोग दूर होकर शरीर मजबूत बनता है।
- ताजा सतावरी की जड़ को बीच से चीरकर तिनके को निकाल दें और इसे 200 ग्राम दूध और मिश्री के साथ पिस कर खाएं तो भी धातु में वृद्धि होगी। और दूध के साथ इसके चूर्ण को पका कर खाने से संभोग शक्ति बढ़ती है।
- सतावरी या आंवला का रस शहद में मिला कर पीने से जल्द ही वीर्य शुद्ध होने लगता है। अथवा गोखुरू का काढ़ा बनाकर व शहद मिला कर पीने से भी वीर्य शुद्ध हो जाता है।
- गोखरू और सतावरी का शर्बत बनाकर पीने से मूत्रविकार ठीक हो जाते हैं। पेशाब के साथ धातु का आना भी बंद हो जाता है।
- 25 ग्राम सतावरी के रस में बराबर का गाय का दूध मिलाकर पीने से गुर्दे की पथरी टूट टूट कर पेशाब के रस्ते बाहर निकल जाती है।
- 20 ग्राम गोखरू और बराबर का सतावरी चूर्ण को 2 गिलास पानी में उबालकर, छानकर उसमे 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से रोगी की पेशाब की रूकावट और जलन खत्म हो जाती है।
- 5 ग्राम सतावरी के चूर्ण को दूध के साथ रोजाना सेवन करने से बवासीर के मस्से ठीक हो जाते हैं।
- 2 चम्मच सतावरी की ताजा जड़ का रस150 ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम पीने से हिस्टीरिया ठीक हो जाता है।
- एक ग्राम सतावरी चूर्ण में समान मात्रा में घी मिलाकर दूध में उबालकर पीने से मूर्च्छा अम्लपित, रक्त पित, वात विकार, दमा और तृष्णा आदि रोग खत्म हो जाते है।वात रोग के रोगी समान मात्रा में सतावरी और पीपल को साथ साथ पीसकर छान ले और नियमित एक चम्मच चूर्ण सुबह दूध से ले वात रोगों में लाभ होता है।
- सतावरी की जड़ का चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण1चम्मच दिन में 3 बार 1 कप दूध के साथ पिलाने से न केवल स्त्रियों के स्तनों में दूध की कमी दूर होगी, बल्कि मासिक स्राव के बाद आई कमजोरी भी दूर होगी।
- सतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करने से स्त्री का दूध मीठा और पौष्टिक हो जाता है।समान मात्रा में सतावरी, सौंफ, बिदारीकंद को पीसकर 5 ग्राम दूध या पानी से लेने से महिलाओं की छाती का जमा हुआ दूध उतरने लगता है।
- सतावरी और कमलनाल को समान मात्रा में लेकर पीसे और गाय के दूध के साथ सेवन करे इससे सातवें महीने में गर्भ के रोग नष्ट होते हैं।
- शहद के साथ सतावरी का चूर्ण सेवन करने से या शतावर के रस को शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 चम्मच सुबह शाम सेवन करने से प्रदर रोग मे आराम आता है।
- या सतावरी चूर्ण को एक गिलास दूध या पानी के साथ मिलाकर उबाले आधा रह जाने पर खांड मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
- रक्तपित्त के लिए 250 मिलीलीटर दूध में सतावरी की जड़ तथा गोखरू का 5 -5 ग्राम चूर्ण मिला कर आधा रह जाने तक उबाले यह दूध रोगी को दिन में 2 बार दे रक्तपित्त ठीक होगा।
- अथवा एक किलो पानी में 15 -15 ग्राम गोखरू और सतावरी की जड़ तथा एक गिलास गाय का दूध मिला कर आधा रह जाने तक उबाले और रोगी स्त्री को दिन में 2 – 3 बार पिलाये योनी से रक्त स्राव रुक जाएगा।
- विशेष:- एक चम्मच का अर्थ है चाय का छोटा चम्मच (5 ग्राम) एक गिलास यानी के 250 ग्राम( दूध पानी आदि)
- सतावरी सिर में दर्द पैदा करता है। लेकिन शहद के साथ सतावरी का सेवन करने से इसका यह दोष खत्म हो जाता है।