04 December 2012

** चांद में दाग और दीपक तले अंधेरा **


एक व्यक्ति अक्सर रात में चांद को निहारता रहता था। वह चांद की सुंदरता और शीतलता के बजाय उसके दाग-धब्बों को देखकर सोचता कि चांद में दाग-धब्बे क्यों हैं? इसी तरह एक दिन जब उसकी पत्नी ने रात के समय घर में दीया जलाया तो उसने दीये को उठाया और बोला, 'दीपक तले अंधेरा क्यों है?' वह कई लोगों से यह प्रश्न करता। सभी उसके इस प्रश्न को सुनकर चुप हो जाते थे। वह व्यक्ति सोचता, जब तक इन प्रश्नों का जवाब नहीं पा लूंगा चैन से नहीं बैठूंगा। एक दिन उसने सुकरात का नाम सुना।

वह अपने प्रश्नों का जवाब पाने के लिए उनके पास गया और बोला, 'भला चांद में दाग-धब्बे क्यों और दीपक तले अंधेरा क्यों? प्रकृति ने जब इनको बनाया तो इनमें कमी क्यों पैदा की?' उसकी इस बात पर सुकरात बोले, 'भले मानस यह बताओ, ईश्वर ने इंसान बनाया तो उसमें कमी क्यों है? तुम दीपक और चांद की कमी को देख रहे हो। उनकी कमी का बखान कर रहे हो। क्या तुम अपने अंदर की कमी का बखान भी ऐसे ही घूम-घूम कर सबके सामने कर सकते हो?' उसकी बात पर व्यक्ति कुछ सोचता रहा। उसे सोच में पड़े दे खकर सुकरात बोले, 'जिसकी जैसी दृष्टि होती है, उसे वैसा ही दिखाई देता है।

हर वस्तु की अच्छाई देखने का स्वभाव बनाओ, बुराई की ओर ध्यान ही मत दो। जिस तरह तुम दीपक और चांद की कमी देख रहे हो, उसी तरह उनके गुणों की ओर देखो। चांद दाग-धब्बों से ग्रसित होकर भी शीतलता और रोशनी प्रदान करता है, उसी तरह दीपक तले अंधेरा रहने पर भी वह सबको प्रकाश देता है, अपनी ऊष्मा व ज्योति से भटके लोगों को प्रकाश देता है।' यह सुनकर व्यक्ति सुकरात के आगे नतमस्तक होकर बोला, 'हां महाराज, वाकई मैं सब में बुराई देखने के कारण बुरी प्रवृत्ति की ओर ही ध्यान देता था लेकिन अब मैं अच्छाई की ओर प्रवृत्त रहूंगा।' उसे अपने प्रश्नों का जवाब मिल गया था।

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!!! धर्मराज युधिष्ठिर ने निभाया था भ्रातृ धर्म !!




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गहन वन से तृषार्त पाण्डव गुजर रहे थे। पानी की तलाश में वे इधर-उधर घूम ही रहे थे कि अकस्मात उन्हें एक सरोवर दिखाई दिया। भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव जल पीने के पूर्व ही मृत्यु का ग्रास बन गए।


कारण यह था कि एक यक्ष ने उनसे प्रश्न किए थे, किंतु उन्होंने उस ओर ध्यान नहीं दिया और बिना जवाब दिए ही पानी पीने लगे। लेकिन वे यक्ष का कोपभाजन बने और उन्हें मृत्यु प्राप्त हुई।

इतने में युधिष्ठिर आए और पानी पीने की कोशिश करने लगे। उनसे भी यक्ष ने प्रश्न किए, जिनके युधिष्ठिर ने समुचित उत्तर दे दिए।

तब यक्ष ने प्रसन्न होकर कहा, 'तुम जल पीने के अधिकारी हो। मेरी इच्छा है कि तुम्हारे चारों भ्राताओं में से किसी एक को जीवन दान दूं। बोलो, मैं किसे पुनर्जीवित करूं?'

प्रश्न बड़ा ही विचित्र था और साथ ही कठिन भी, क्योंकि युधिष्ठिर को चारों भाई एक समान प्रिय थे, तथापि एक क्षण भी सोचे बिना वे बोले, 'यक्षश्रेष्ठ आप नकुल को ही जीवन दान दें।'

यक्ष हंस पड़ा और बोला, 'धर्मराज, कौरवों से युद्ध में भीम की गदा और अर्जुन का गांडीव बड़ा ही उपयोगी सिद्ध होगा। इन दो सगे भाइयों को छोड़कर नकुल का जीवन क्यों चाहते हो।'

धर्मराज बोले, 'यक्षश्रेष्ठ हम पांचों भ्राता ही माताओं के स्नेह चिह्न हैं। माता कुंती के पुत्रों से मैं शेष हूं, किंतु माद्री मां के तो दोनों ही पुत्र मर चुके हैं। अतः यदि एक के ही जीवन का प्रश्न है, तो माद्री मां के नकुल का ही पुनर्जीवन इष्ट है।'

यक्ष ने सुना, तो भावविह्वल हो बोला, 'युधिष्ठिर तुम धर्मतत्व के ज्ञाता हो, मैं तो सिर्फ तुम्हारी परीक्षा ले रहा था कि तुम वास्तव में धर्म के अवतार हो या नहीं। अतएव मैं चारों भाईयों को जीवन देता हूं।'

!!! लक्ष्मण का जीवन परिचय !!!



लक्ष्मण दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र थे। वह राम के छोटे भाई थे। राम के वनगमन के विषय में सुनकर वह भी राम के साथ चौदह वर्षों के लिए वन गये थे।

लक्ष्मण जी शेषावतार थे। किसी भी अवस्था में भगवान श्री राम का वियोग इन्हें सह्य नहीं था। इसलिये ये सदैव छाया की भाँति श्री राम का ही अनुगमन करते थे।


श्री राम के चरणों की सेवा ही इनके जीवन का मुख्य व्रत था। श्री राम की तुलना में संसार के सभी सम्बन्ध इनके लिये गौण थे।

इनके लिये श्री राम ही माता-पिता, गुरु, भाई सब कुछ थे और उनकी आज्ञा का पालन ही इनका मुख्य धर्म था। 

इसलिये जब भगवान श्री राम विश्वामित्र की यज्ञ-रक्षा के लिये गये तो लक्ष्मण जी भी उनके साथ गये। भगवान श्री राम जब सोने जाते थे तो ये उनका पैर दबाते और भगवान के बार-बार आग्रह करने पर ही स्वयं सोते तथा भगवान के जागने के पूर्व ही जग जाते थे। अबोध शिशु की भाँति इन्होंने भगवान श्री राम के चरणों को ही दृढ़तापूर्वक पकड़ लिया और भगवान ही इनकी अनन्य गति बन गये।


भगवान श्री राम के प्रति किसी के भी अपमान सूचक शब्द को ये कभी बरदाश्त नहीं करते थे। जब महाराज जनक ने धनुष के न टूटने के क्षोभ में धरती को वीर-विहीन कह दिया, तब भगवान के उपस्थित रहते हुए जनक जी का यह कथन श्री लक्ष्मण जी को बाण-जैसा लगा। 

ये तत्काल कठोर शब्दों में जनक जी का प्रतिकार करते हुए बोले- भगवान श्री राम के विद्यमान रहते हुए जनक ने जिस अनुचित वाणी का प्रयोग किया है, वह मेरे हृदय में शूल की भाँति चुभ रही है। जिस सभा में रघुवंश का कोई भी वीर मौजूद हो, वहाँ इस प्रकार की बातें सुनना और कहना उनकी वीरता का अपमान है। 


यदि श्री राम आदेश दें तो मैं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को गेंद की भाँति उठा सकता हूँ, फिर जनक के इस सड़े धनुष की गिनती ही क्या है।' इसी प्रकार जब श्री परशुरामजी ने धनुष तोड़ने वाले को ललकारा तो ये उनसे भी भिड़ गये।

भगवान श्री राम के प्रति श्री लक्ष्मण की अनन्य निष्ठा का उदाहरण भगवान के वनगमन के समय मिलता है। ये उस समय देह-गेह, सगे-सम्बन्धी, माता और नव-विवाहिता पत्नी सबसे सम्बन्ध तोड़कर भगवान के साथ वन जाने के लिये तैयार हो जाते हैं। वन में ये निद्रा और शरीर के समस्त सुखों का परित्याग करके श्री राम-जानकी की जी-जान से सेवा करते हैं। ये भगवान की सेवा में इतने मग्न हो जाते हैं कि माता-पिता, पत्नी, भाई तथा घर की तनिक भी सुधि नहीं करते।


!!! माइग्रेन से बचने के घरेलू उपाय !!!



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माइग्रेन एक प्रकार का सरदर्द है जिसके कारण कई घंटो तक लगातार दर्द बना रहता है। माइग्रेन दिमाग में रसायनों के असंतुलन के कारण होता है। मौसम में बदलाव होने से भी माइग्रेन हो सकता है। 


कभी-कभी यह दर्द अचानक से शुरू होता है और अपने आप ठीक भी हो जाता है। माइग्रेन होने पर तनाव, बेचैनी और थकान होती है। माइग्रेन उम्र के किसी भी पडाव में हो सकता है। आइए हम आपको माइग्रेन से से बचने के कुछ घरेलू नुस्खे बताते हैं।


माइग्रेन से बचने के लिए घरेलू उपचार –

अगर माइग्रेन हो तो सबसे पहले हल्के हाथों से मालिश करनी चाहिए। हाथों के स्पर्श से मिलने वाला आराम किसी दवा से ज्यादा असर करता है। सरदर्द होने पर कंधों और गर्दन की भी मालिश करनी चाहिए। इससे दर्द से राहत मिलती है।

एक तौलिये को गर्म पानी में डुबाकर, उस गर्म तौलिये से दर्द वाले हिस्सों की मालिश कीजिए। कुछ लोगों को ठंडे पानी से की गई इसी तरह की मालिश से भी आराम मिलता है। माइग्रेन में बर्फ के टुकडों का भी प्रयोग किया जा सकता है।

सिर दर्द होने पर अपनी सांस की गति को थोड़ा धीमा कर दीजिए, लंबी सांसे लेने की कोशिश बिलकुल मत कीजिए। आराम से सांस लेने से आपको दर्द के साथ होने वाली बेचैनी से भी राहत मिलेगी।

माइग्रेन में दर्द होने पर कपूर को घी में मिलाकर सिर पर हल्के हाथों से मालिश कुछ देर तक मालिश कीजिए।

बटर में मिश्री को मिलाकर खाने से माइग्रेन में राहत मिलती है।
नींबू के छिलके को पीसकर, इसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन में होने वाले सिरदर्द से राहत मिलती है और माइग्रेन ठीक होता है।

माइग्रेन में अरोमा थेरेपी सिरदर्द से राहत दिला सकती है। अरोमा थेरेपी में हर्बल तेलों का प्रयोग किया जाता है। इसमें हर्बल तेलों को एक तकनी‍क के माध्यपम से हवा में फैला दिया जाता है और उसके बाद भाप के जरिए तेलों को चेहरे पर डाला जाता है।

माइग्रेन में सिर दर्द होने पर धीमी आवाज में संगीत सुनना बहुत फायदेमंद होता है। दर्द से राहत पाने के‍ लिए बंद कमरे में हल्की आवाज में अपने पसंदीदा गानों को सुनिए, सिरदर्द कम होगा और आपको राहत मिलेगी।

माइग्रेन से बचने के लिए आप अपनी खान-पान और जीवनशैली में बदलाव कीजिए। तनाव और ज्यादा भागदौड के कारण भी माइग्रेन होता है। ज्यादा तेज सिरदर्द होने पर आप चिकित्सक से भी संपर्क कर सकते हैं।

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!!! पेचिश रोग की जानकारी: !!!



पेचिश बडी आंत का रोग है। इस रोग में बार-बार लेकिन थोडी मत्रा में मल होता है। बडी आंत में सूजन और घाव हो जाते हैं।दस्त होते समय पेट में मरोड के साथ कष्ट होता है। दस्त पतला मद्धम रंग का होता है।दस्त में आंव और रक्त भी मिले हुए हो सकते हैं। रोग की बढी हुई स्थिति में रोगी को ज्वर भी आता है और शरीर में पानी की कमी(डिहाईड्रेशन) हो जाती है।



चूंकि इस रोग में शरीर में पानी की कमी हो जाने से अन्य कई व्याधियां पैदा हो सकती हैं ,अत: सबसे ज्यादा महत्व की बात यह है कि रोगी पर्याप्त जल पीता रहे। यह संक्रामक रोग है और परिवार के अन्य लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। बीमारी ज्यादा लंबी चलती रहने पर(क्रोनिक डिसेन्टरी) शरीर का सामान्य स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है । कभी कब्ज हो जाती है तो कभी पतले दस्त होने लगते हैं। दस्त में सडांध और दुर्गध होती है। ज्वर १०४ से १०५ फ़ारेनहीट तक पहुंच सकता है।


इस रोग का निम्न वर्णित घरेलू पदार्थों की होम रेमेडीज से निरापद सफ़ल उपचार किया जा सकता है-


१) दो चम्मच धनिया पीसकर एक कप पानी में ऊबालें। यह काढा मामूली गरम हालत में पीयें ऐसा दिन में तीन बार करना चाहिये। कुछ ही दिनो में पेचिश ठीक होगी।

२) अनार के सूखे छिलके दूध में ऊबालें। जब तीसरा भाग रह जाए तो उतारलें। यह नुस्खा दिन में तीन बार प्रयोग करने से पेचिश से छुटकारा मिलता है।

३) हरा धनिया और शकर धीरे-धीरे चबाकर खाएं। पेचिश में फ़ायदा होता है।

४) खट्टी छाछ में बिल्व फ़ल(बिल्ले) का गूदा मसलकर अच्छी तरह मिला दें। यह मिश्रण कुछ दिनों तक प्रयोग करने से पुरानी पेचिश में भी लाभ होते देखने में आया है।

५) अदरक का रस १० ग्राम , गरम पानी में मिलाएं। इसमें एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पी जाएं। कुछ रोज में पेचिश ठीक होगी।

६) कम दवाब पर एनिमा दिन में २-३ बार लेना लाभकारी है। इससे बडी आंत के विषैले पदार्थ का निष्कासन होता है।

७) तेज मसालेदार भोजन पदार्थ बिल्कुल न लें।

८) पेट पर गरम पानी की थेली रखने से पेचश रोग में लाभ होता है।

९) तरल भोजन लेना उपकारी है। कठोर भोजन पदार्थ शने-शने प्रारंभ करना चाहिये।

१०) मूंग की दाल और चावल की बनी खिचडी परम उपकारी भोजन है। इसे दही के साथ खाने से पेचिश शीघ्र नियंत्रित होती है।

११) एक चम्मच मैथी के बीजों का पावडर एक कटोरी दही में मिलाकर सेवन करें। दिन में तीन बार कुछ दिन लेने से पेचिश का निवारण होता है।

१२) कच्चे बिल्व फ़ल का गूदा निकालें इसमें गुड या शहद मिलाकर सेवन करने से कुछ ही दिनों में पेचिश रोग दूर होता है।

१३) ३-४ निंबू का रस एक गिलास पानी में ऊबालें । इसे खाली पेट पीना चाहिये। पेचिश का सफ़ल उपचार है।

१४) २५० ग्राम सौंफ़ के दो भाग करें। एक भाग सौंफ़ को तवे पर भून लें। दोनों भाग आपस में मिला दें। २५० ग्राम शकर को मिक्सर में पावडर बनालें। सौंफ़ और शकर पावडर मिलाकर शीशी में भर लें । यह मिश्रण २ चम्मच दिन में ३-४ बार लेने से पेचिश में उपकार होता है।

१५) इसबगोल की भूसी २ चम्मच एक गिलास दही में मिलाएं। इसमे भूना हुआ जीरा मिलाकर सेवन करना पेचिश रोग में अत्यंत हितकर सिद्ध होता है।

१६) दो भाग हरड और एक भाग लींडी पीपल लेकर मिलाकर पावडर बनालें। २-३ ग्राम पावडर भोजन उपरांत पानी के साथ लें। पेचिश की बढिया दवा है।

१७) दो केले १५० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार कुछ रोज लेने से पेचिश रोग नष्ट हो जाता है।

१८) अनार का रस अमीबिक डिसेन्ट्री याने आंव वाली पेचिश में फ़ायदेमंद माना गया है।

!!! हर प्रकार के बदन दर्द का इलाज !!!




एक लहसुन का गठिया लेकर उसकी चार कलिया छीलकर तीस ग्राम सरसों के तेल में डाल दे । उसमें दो ग्राम अजवायन के दाने डाल कर धीमी-धीमी आँच में पकायें । लहसुन और अजवायन काली पड़ने पर तेल उताकर थोड़ा ठण्डा कर छान लें । इस सुहाते गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार का बदन दर्द दूर हो जाता है ।

_______________@भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है|

!!! लहु बहाने का वक्त आ गया !!!



इस लेख को पढने के बाद कोई मुझे ये बताये की हिन्दू अश्त्र-शस्त्र क्यूँ ना उठाये ?

अगर तथाकथित बुद्धिजीवियों, सकुलर और हिन्दू विरोधीयो की भाषा में कहू तो कट्टर हिन्दू /भगवा क्राँतिकारी क्यूँ ना बने?



* रामायण एक काल्पनिक कहानी है - पंडित जवाहरलाल नेहरू और गवर्नर जनरल राजाजी

* रामायण और महाभारत मात्र कहानी है - तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी. राजगोपालाचारी

* राम मात्र एक काल्पनिक पात्र था - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि

* राम पियक्कड़ था - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि

* कौन था यह राम? किस इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की थी? और क्या इसका कोई प्रमाण है? - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि

* हिमालय और गंगा जितना बड़ा सत्य हैं, राम का चरित्र उतना ही झूठा है - तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि

* भगवान राम इस देश मे पैदा ही नहीं हुए थे और रामायण काल्पनिक है , इस धरती पर राम का कभी कोई अस्तिव रहा ही नहीं है - कांग्रेस की केन्द्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा

* भारत माता और देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाये - दुष्ट एम् एफ हुसैन

* अमरनाथ यात्रा पाखंड है - अग्निवेश

* हिन्दुओं के आराध्य देवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश का उपहास उड़ाया - भांड कुमार विश्वास

* शिव, कृष्ण और दुर्गादेवी का असभ्य और फूहड़ वर्णन किया गया - इग्नू के पाठ्यक्रम में

* भारत माता डायन है - आजम खान, समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेताएवं कैबिनेट मंत्री

* भारत माता डायन है - तस्लीमुद्दीन ओवैसी

* भगवान शिव शंकर को अपशब्द कहा - शाहरुख़ खान(दो टके का सुअर)

* कृष्ण के अस्तित्व पर प्रश्न उठाये जाते है.

* मंदिरों में घंटी बजने पर रोक लगायीजाती है.

* केरल मे कोई रिक्शा चालक अपने वाहन पर श्री कृष्ण या जय हनुमान नहीं लिख सकता.

* "सरस्वती वन्दना" को साम्प्रदायिक कहा जाता है.

* "वन्दे मातरम" को सांप्रदायिक कहा जाता है.

* "भारत माता की जय" को सांप्रदायिक कहा जाता है.

* "जय श्री राम" के उदघोष को सांप्रदायिक कहा जाता है.

अब कोई भारत माता को फूहड़ गीत लिख कर अपमानित कर रहा है - दिबाकर बनर्जी

अब भी जिसका खून ना खौला, खून नहीं वो पानी है
जो अपनी मात्रभूमि, स्वाभिमान और गरिमा के लिए ना लड़ा..वो बेकार जवानी है !!

जय श्री राम

!!! राजीव गाँधी की हत्या में सोनिया का हाथ !!!


एक बार जब पूज्य सुदर्शन जी ने कहा था की राजीव गाँधी की हत्या  में सोनिया का हाथ है तब कांग्रेसी भडक उठे थे ... लेकिन आज आईबी के पूर्व मुखिया ने खुलासा किया की राजीव गाँधी की हत्या के कई सुबूतो को "उपर" के आदेश से दुनिया के सामने लाया ही नही गया बल्कि उन सुबूतो को नष्ट कर दिया गया .. क्योकि एक क
रीबी इसमें फंस रहा था
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राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य जांच अधिकारी के. रागोथामन ने आरोप लगाया है कि उस वक्त इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रहे एमके नारायण ने एक महत्वपूर्ण सबूत को दबा दिया था। रागोथामन के मुताबिक यह एक विडियो टेप था, जिसमें मानव बम बनी धनु को बम विस्फोट से पहले ही देखा जा सकता था।

रागोथामन ने एक किताब लिखी है। अपनी किताब में वह लिखते हैं कि इस लापता विडियो के बारे में जांच हुई थी लेकिन स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम के प्रमुख डी आर कार्तिकेयन ने एमके नारायण को छोड़ दिया। नारायण इस वक्त पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं।

हाल ही में छपी इस किताब का नाम है 'कंस्पिरेसी टु किल राजीव गांधी - फ्रॉम सीबीआई फाइल्स'। किताब में दावा किया गया है कि उस विडियो टेप को आईबी ने ही एक कैमरामैन से हत्या के अगले दिन बरामद किया था। लेकिन हत्याकांड की जांच कर रही टीम को यह टेप कभी नहीं दिया गया। 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।

रागोथामन ने अपनी किताब में लिखा है, 'हत्यारों का दस्ता करीब ढाई घंटे तक सुरक्षित क्षेत्र में घूमता रहा। वे लोग अपने टारगेट के आने का इंतजार कर रहे थे।' बाद में तमिलनाडु पुलिस ने दावा किया कि धनु राजीव गांधी के आने के बाद सुरक्षित क्षेत्र में घुसी थी। अगर विडियो दिया गया होता तो पुलिस का यह दावा गलत साबित होता।

जो टेप तमिलनाडु पुलिस ने बरामद किया, उसका अंदाज दूरदर्शन के समाचारों में दिखाए जाने वाले विडियो जैसा था। रागोथामन कहते हैं कि आईबी अधिकारियों को मिला टेप ही असली था और पुलिस को अलग टेप दिया गया।

रागोथामन का दावा है कि इस सबूत को दबाये जाने का मकसद कांग्रेस को किसी भी तरह की शर्मिंदगी से बचाना था, क्योंकि तब 1991 के लोकसभा चुनाव चल रहे थे। रागोथामन अपनी किताब में पूछते हैं, 'नारायण राजीव गांधी परिवार के कितने ही करीबी रहे हों, क्या वह कांग्रेस पार्टी के लक्ष्य को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत कर सकते थे?'

रागोथामन कहते हैं कि नारायण पर सबूत छिपाने के आरोप में आईपीसी की धारा 201 के तहत मामला बनता है, लेकिन शुरुआती जांच के बावजूद इस केस को दबा दिया गया।

-सरफ़रोशी की तमन्ना

मैंने गाँधी को क्यों मारा " ? नाथूराम ???


मैंने गाँधी को क्यों मारा " ? नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान

{इसे सुनकर अदालत में उपस्तित सभी लोगो की आँखे गीली हो गई थी और कई तो रोने लगे थे एक जज महोदय ने अपनी टिपणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्तित लोगो को जूरी बना जाता और उनसे फेसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते }

नाथूराम जी ने कोर्ट में कहा 

--सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमे अहिंसा के सिधांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है .में कभी यह नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का शसस्त्र प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण भी हो सकता है .प्रतिरोध करने और यदि संभव हो तो एअसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना , में एक धार्मिक और नेतिक कर्तव्य मानता हु .मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे .या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक ,मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाये अथवा उनके बिना काम चलाये .वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे


.महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे .गाँधी ने मुस्लिमो को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सोंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया .गाँधी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ भरा करती थी .उसीने गुप्त रूप से बन्दुक की नोक पर पकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया .मुस्लिम तुस्टीकरण की निति के कारन भारत माता के टुकड़े कर दिए गए और 15 अगस्त 1947 के बाद देशका एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई .नेहरू तथा उनकी भीड़ की स्वीकृति के साथ ही एक धर्म के आधार पर राज्य बना दिया गया .

इसी को वे बलिदानों द्वारा जीती गई सवंत्रता कहते है किसका बलिदान ? जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी के सहमती से इस देश को काट डाला ,जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया .में साहस पूर्वक कहता हु की गाँधी अपने कर्तव्य में असफल हो गया  उन्होंने स्वय को पकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया .


में कहता हु की मेरी गोलिया एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी ,जिसकी नीतियों और कार्यो से करोडो हिन्दुओ को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला 


ऐसे कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा गाँधी जैसे अपराधी को सजा दिलाई जा सके इसलिए मेने इस घातक रास्ते का अनुसरण किया 


..............में अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा ,जो मेने किया उस पर मुझे गर्व है . मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन  करेंगे

जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीछे से ना बहे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन मत करना

नाथूराम गोडसे