सौंफ में ऐसे अनेक औषिधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. बड़ा हो या छोटा बच्चा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है. सौफ में कैल्शियम, सोडियम फास्फोरस, आयरन, पोटेशियम जैसी खास तत्व पाए जाते है, यूनानी दवाओ में सौफ की काफी सिफारिश की जा सकती है.
सौंफ के पौधों पर दिसम्बर महीने में फूल आते हैं. मार्च-अप्रैल में फूल, फल में बदल जाते हैं. सौफ का फल-बीज रूप में होता है. सौंफ को सीधे बीज रूप में तथा इसका अर्क निकालकर प्रयोग में लाते हैं. जानिए उपचारों में सौंफ की उपयोगिता.
सौफ के औषधीय गुण -
१. - पेशाब जलन के साथ आता हो तो सौंफ का चूर्ण ठंडे पानी से, दिन में दो बार लेना से लाभ होता है.यदि अर्क का प्रयोग करें तो भी पेशाब की गर्मी जाती रहेगी. योनिशूल तथा बवासीर में भी रोगी को सौंफ देने से लाभ होता हैं.पेचिश में सौंफ का अर्क या पिसी सौफ को ताजा पानी से देनेपर लाभ होता है.
२. कफ और अस्थमा - दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की बीमारी खत्म हो सकती है, अस्थमा और खासी में सौफ सहायक है, कफ और खांसी के इलाज के लिए सौफ खाना फायदेमंद है.
३. आँखों के लिए - दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ बड़ी लाभकारी होती है. इसके निरन्तर उपयोग से आखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती.
४ . अजीर्ण में - अजीर्ण रोग, उल्टी, जी मिचलाना, आंव रोग में भी पिसी सौंफ को ठंडे पानी से लेने पर फायदा होता है जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौफ का सेवन बहुत लाभकारी होता है.
५ . त्वचा के लिए - रोजना सुबह और शाम दस-दस ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ होने लगता है. खून के बढ़ते दबाव में भी सौंफ से उपचार करें.
६. हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया और कूटकर मिश्री मिला लें. खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है.
७. अगर आपके बच्चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम पानी में अच्छी तरह से उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें. इस पानी को एक-एक चम्मच दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं.
८. आँखों की रोशनी के लिए - सौफ हमेशा याददाश्त आर आँखों की रौशनी तेज करने लिए खाई जाती है, इससे कोलेस्ट्रोल भी काबू पाया जा सकता है, भोजन के बाद रोजाना आधे घंटे बाद ले सकते है, इससे लीवर में कोई परेशानी नही आती है.
१. - पेशाब जलन के साथ आता हो तो सौंफ का चूर्ण ठंडे पानी से, दिन में दो बार लेना से लाभ होता है.यदि अर्क का प्रयोग करें तो भी पेशाब की गर्मी जाती रहेगी. योनिशूल तथा बवासीर में भी रोगी को सौंफ देने से लाभ होता हैं.पेचिश में सौंफ का अर्क या पिसी सौफ को ताजा पानी से देनेपर लाभ होता है.
२. कफ और अस्थमा - दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की बीमारी खत्म हो सकती है, अस्थमा और खासी में सौफ सहायक है, कफ और खांसी के इलाज के लिए सौफ खाना फायदेमंद है.
३. आँखों के लिए - दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ बड़ी लाभकारी होती है. इसके निरन्तर उपयोग से आखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती.
४ . अजीर्ण में - अजीर्ण रोग, उल्टी, जी मिचलाना, आंव रोग में भी पिसी सौंफ को ठंडे पानी से लेने पर फायदा होता है जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौफ का सेवन बहुत लाभकारी होता है.
५ . त्वचा के लिए - रोजना सुबह और शाम दस-दस ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ होने लगता है. खून के बढ़ते दबाव में भी सौंफ से उपचार करें.
६. हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया और कूटकर मिश्री मिला लें. खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है.
७. अगर आपके बच्चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम पानी में अच्छी तरह से उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें. इस पानी को एक-एक चम्मच दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं.
८. आँखों की रोशनी के लिए - सौफ हमेशा याददाश्त आर आँखों की रौशनी तेज करने लिए खाई जाती है, इससे कोलेस्ट्रोल भी काबू पाया जा सकता है, भोजन के बाद रोजाना आधे घंटे बाद ले सकते है, इससे लीवर में कोई परेशानी नही आती है.
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