17 June 2013

!!! दीपावलीः लक्ष्मीप्राप्ति की साधना !!!




दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।

मिट्टी के कोरे दीयों में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए। दीये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दीयों में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।

लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक स्वच्छ कमरे में अगरबत्ती या धूप (केमिकल वाली नहीं-गोबर से बनी) करके दीपक जलाकर, शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की मालायें जपें।



ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद् महै।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।



अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते को तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।


दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की सचोट साधना विधियाँ –



1. धनतेरस से आरम्भ करें –

सामग्री – दक्षिणावर्ती शंख, केसर, गंगाजल का पात्र, धूप, अगरबत्ती, दीपक, लाल वस्त्र ।

विधि – साधक अपने सामने गुरुदेव या लक्ष्मी जी की फोटो रखें तथा उनके सामने लाल रंग का वस्त्र (रक्त कन्द) बिछाकर उस पर दक्षिणावर्ती शंख रख दें । उस पर केशर से सतिया बना लें तथा कुमकुम से तिलक कर दें । बाद में स्फटिक की माला से मंत्र की सात मालायें करें । तीन दिन ऐसा करना योग्य है । इतने से ही मंत्र साधना सिद्ध हो जाती है । मंत्र जप पुरा होने के पश्चात लाल वस्त्र में शंख को बाँधकर घर में रख दें । जब तक वह शंख घर मे रहेगा, तब तक घर में निरंतर उन्नति होती रहेगी।



मंत्र - ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः ।



2. दीपावली से आरम्भ करें –

दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल एवं त्रिदिवसीय उपाय यह भी है कि दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात भाई दूज तक स्वच्छ कमरे में धूप, दीप, व अगरबत्ती जलाकर शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केशर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो दो मालायें जपें -


ॐ नमः भाग्य लक्ष्मी च विद् महेः । अष्टलक्ष्मी च धीमहि । तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ।

( दीपावली लक्ष्मी जी का जन्मदिवस है । समुद्र मंथन के दौरान वे क्षीरसागर से प्रकट हुई थी, अतः घर में लक्ष्मी जी के वास, दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करने वाले पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। )


!!! स्फटिक की माला धारण करने से हो सकता है समस्याओं का अंत !!!

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बस ये एक मंत्र आपको बना देगा मालामाल

हर कोई इंसान यही चाहता है कि कम मेहनत से ही वह धनवान बन जाए लेकिन बिना मेहनत किए कोई भी इंसान पैसे नहीं कमा सकता। यदि आप चाहते हैं कि आप जल्दी से जल्दी धनवान बन जाएं तो मेहनत करने के साथ-साथ नीचे लिखे मंत्र का जप विधि-विधान से करें। इस मंत्र के प्रभाव से जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रहती। यह अत्यंत सफल, प्रभावी और तेजस्वी मंत्र है-

शुक्ल पक्ष के किसी शुक्रवार को या अन्य कोई शुभ मुहूर्त देखकर रात करीब 11 बजे साधक शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करे और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं तथा सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।


मंत्र

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्फटिक को धन की देवी लक्ष्मी जी का स्वरुप माना गया है, जिसे कंठ हार अर्थात माला के रूप में धारण किया जाता है। स्फटिक निर्मल,रंगहीन, पारदर्शी और शीत प्रभाव रखने वाला उप-रत्न है। आयुर्वेद में स्फटिक का प्रयोग सभी प्रकार के ज्वर, पित्त प्रकोप, शारीरिक दुर्बलता एवं रक्त विकारों को दूर करने के लिए शहद अथवा गौ मूत्र के साथ औषधि के रूप में किया जाता है।

ज्योतिष की दृष्टि से स्फटिक को पूर्ण विधि-विधान और श्रद्धाभाव के साथ कंठ हार के रूप में धारण करते रहने से समस्त कार्यों में सफलता मिलने लगती है तथा विवाद और समस्याओं का अंत होने लगता है। इसके अलावा स्फटिक की माला धारण करने से शत्रु भय भी नहीं रहता है। किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए घर से बाहर जाने से पहले यदि माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना करने के बाद स्फटिक की माला धारण करके जाया जाये तो वह कार्य आसानी से पूरा हो सकता है और उस कार्य में सफलता मिल सकती है।

यदि घर-परिवार में किसी कारण से आर्थिक संकट चल रहा हो तो स्फटिक रत्न को गंगा जल से पवित्र करने के बाद मंत्रो से शुद्ध करके पूजा स्थल पर रखना शुभ होता है। इसके साथ-साथ धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी जी के मन्त्र 'ओउम श्री लक्ष्मये नम: ' का कम से कम एक माला जाप प्रतिदिन करना चाहिए। व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों के स्वामी यदि पवित्र एवं मन्त्रों से सिद्ध की गयी स्फटिक की माला अथवा स्फटिक रत्न को अपनी धन रखने की तिजोरी में रखें तो आश्चर्यजनक रूप से व्यापार में लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

यह उपाय करते समय इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि जिस तिजोरी में स्फटिक माला अथवा रत्न रखा जाये उसका दरवाजा उत्तर दिशा में ही खुले। वैसे भी वास्तु शास्त्र के अनुसार धन रखने की तिजोरी सदैव दक्षिण दिशा में ही रखनी चाहिए जिससे कि जब उसे खोला जाये तो उसका दरवाजा या मुख उत्तर दिशा में ही खुले।


यह एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव प्रधान उपरत्न है। स्फटिक को कई नामों से जाना जाता है। जैसे- सफेद बिल्लौर, रॉक क्रिस्टल [अंग्रेजी], सितोपल [संस्कृत], शिवप्रिय, कांचमणि, फिटक आदि। सामान्यत: यह कांच जैसा प्रतीत होता है परंतु यह कांच की अपेक्षा प्रभावान दीर्घजीवी होता है। कटाई में कांच के मुकाबले इसमें कोण [नोंक] अधिक उभरे [सूच्याग्र] होते हैं। इसकी प्रवृत्ति [तासीर] ठंडी होती है। अत: ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियों में वैद्यजन इसकी भस्मी का प्रयोग करते हैं। स्फटिक को नग के बजाय माला के रू प में पहना जाता है। स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रू प माना जाता है।


स्फटिक क्लियर क्रिस्टल है या कहें कि अंग्रेजी में ‘क्लियर क्वाट्र्ज क्रिस्टल’ का देसी नाम स्फटिक है। प्योर स्नो या व्हाइट क्रिस्टल भी इसी के नाम हैं। यह सफेदी लिए रंगहीन, पारदर्शी और चमकदार होता है। यह बिल्लौर यानी रॉक क्रिस्टल से हू-ब-हू मिलता है। स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी है कि यह पहनने वाले या वाली को एकदम फिट रखता है और बताते हैं कि इसका साथ भूत-प्रेत बाधा से मुक्त रखता है।


स्फटिक में दिव्य शक्तियां या ईश्वरीय पावर्स मौजूद होती हैं। इस कदर कि स्फटिक में बंद एनर्जी के जरिए आपकी तमन्नाओं को ईश्वर तक खुद-ब-खुद पहुंचाता जता है। फिर यह धारण करने वाले के मनमर्जी मुताबिक काम करता जता है और आपके दिमाग या मन में किसी किस्म के नकारात्मक विचार हरगिज नहीं पनप पाते।



स्फटिक किस्म-किस्म के आकार और प्रकार में आता है। स्फटिक के मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों लिहाज से लोकप्रिय है। यह इंद्रधनुष की छटा-सी खिल उठती है। इसे पहनने भर से शरीर में इलैक्ट्रोकैमिकल संतुलन उभरता है और तनाव-दबाव से मुक्त होकर शांति मिलने लगती है। स्फटिक की माला के मणकों से रोजना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है। स्फटिक के शिवलिंग की पूज-अर्चना से धन-दौलत, खुशहाली, बीमारी से राहत और पॉजिटिव पावर्स प्राप्त होती हैं।



रुद्राक्ष और मूंगा संग पिरोई स्फटिक का ब्रेसलेट हीलिंग यंत्र के तौर पर खूब पहना जाता है। इससे डर-भय छूमंतर होते देर नहीं लगती। सोच-समझ में तेजी और विकास होने लगता है। मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख-शांति के लिए स्फटिक के पेंडेंट पहनने की सलाह दी जती है और बताते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला या वाली जन्म-मृत्यु के फेर से मुक्त हो जता है। साथ-साथ खुशकिस्मती आपके घर-आंगन में वास करने लगती है।
एक खास बात और है-अगर आपके बेटे या बेटी का पढ़ाई-लिखाई में मन न लगे और एकाग्रता के अभाव के चलते वह पढ़ाई में कमजोर हो तो फौरन स्फटिक का पिरामिड उसके स्टडी टेबल या स्टडी रूम में रखने से उत्तम नतीजे आने लगते हैं। यही नहीं, स्फटिक यंत्र के सहारे तमाम रुकावटें हटती जती हैं। आपको सही समझ-बूझ से नवाजता है स्फटिक।


इसकी रासायनिक संरचना सिलिकॉन
डाइआक्साइड है। तमाम क्रिस्टलों में यह सबसे ज्यादा साफ, पवित्र और ताकतवर है। यह है लिब्रा यानी तुला और टॉरस या कहें वृष राशियों का बर्थ स्टोन, लेकिन इसे हर राशि वाला या वाली पहन या रख सकता या सकती है। कीमत केवल 10 से 20 रुपए प्रति कैरेट (0-200 मिलीग्राम) भाव पर आसानी से मिलता है।