05 October 2012

!!! जूलिया रॉबर्ट ने अपनाया हिन्दुत्व !!!


नाम - जूलिया रॉबर्ट
पता - होलिवुड अमेरिका,
काम - एक प्रसिद्ध एक्ट्रेस
इनके देश और विदेश में लाखो चाहने वाले है,
पर आज इनकी चाहत केवल हिंदुत्व बन गया है

विदेशी जो केवल भोतिकतावाद के पीछे भागते थे,
और भोतिक जीवन को ही आनंदमाय समझ कर दिन रात भोग विलास में डूबे रहते थे
ऐसे लोगो को जीवन का सच दिखाया है सनातन धर्म ने,
अब ये केवल और केवल हिंदुत्व को ही सत्य मानती है और अपने जीवन को संवार रही है

नाम - जूलिया रॉबर्ट
पता - होलिवुड अमेरिका,
काम - एक प्रसिद्ध एक्ट्रेस
इनके देश और विदेश में लाखो चाहने वाले है,
पर आज इनकी चाहत केवल हिंदुत्व बन गया है

एक इंडियन ने भारतीय से कहा शिवलिंग पर दूध चढाने का क्या फायदा???



यहाँ दो पात्र हैं : एक है भारतीय और एक है इंडियन ! आइए देखते हैं दोनों में क्या बात होती है !

इंडियन : ये शिव रात्रि पर जो तुम इतना दूध चढाते हो शिवलिंग पर, इस से अच्छा तो ये हो कि ये दूध जो बहकर नालियों में बर्बाद हो जाता है, उसकी बजाए गरीबों मे बाँट दिया जाना चाहिए ! तुम्हारे शिव जी से ज्यादा उस दूध की जरुरत देश के गरीब लोगों को है. दूध बर्बाद करने की ये कैसी आस्था है ?

भारतीय : सीता को ही हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, कभी रावण पर 


प्रश्नचिन्ह क्यूँ नहीं लगाते तुम ?

इंडियन : देखा ! अब अपने दाग दिखने लगे तो दूसरों पर ऊँगली उठा रहे हो ! जब अपने बचाव मे कोई उत्तर नहीं होता, तभी लोग दूसरों को दोष देते हैं. सीधे-सीधे क्यूँ नहीं मान लेते कि ये दूध चढाना और नालियों मे बहा देना एक बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है !

भारतीय : अगर मैं आपको सिद्ध कर दूँ की शिवरात्री पर दूध चढाना बेवकूफी नहीं समझदारी है तो ?

इंडियन : हाँ बताओ कैसे ? अब ये मत कह देना कि फलां वेद मे ऐसा लिखा है इसलिए हम ऐसा ही करेंगे, मुझे वैज्ञानिक तर्क चाहिएं.

भारतीय : ओ अच्छा, तो आप विज्ञान भी जानते हैं ? कितना पढ़े हैं आप ?

इंडियन : जी, मैं ज्यादा तो नहीं लेकिन काफी कुछ जानता हूँ, एम् टेक किया है, नौकरी करता हूँ. और मैं अंध विशवास मे बिलकुल भी विशवास नहीं करता, लेकिन भगवान को मानता हूँ.


भारतीय : आप भगवान को मानते तो हैं लेकिन भगवान के बारे में जानते नहीं कुछ भी. अगर जानते होते, तो ऐसा प्रश्न ही न करते ! आप ये तो जानते ही होंगे कि हम लोग त्रिदेवों को मुख्य रूप से मानते हैं : ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिवजी (ब्रह्मा विष्णु महेश) ?

इंडियन : हाँ बिलकुल मानता हूँ.


भारतीय : अपने भारत मे भगवान के दो रूपों की विशेष पूजा होती है : विष्णु जी की और शिव जी की ! ये शिव जी जो हैं, इनको हम क्या कहते हैं - भोलेनाथ, तो भगवान के एक रूप को हमने भोला कहा है तो दूसरा रूप क्या हुआ ?

इंडियन (हँसते हुए) : चतुर्नाथ !

भारतीय : बिलकुल सही ! देखो, देवताओं के जब प्राण संकट मे आए तो वो भागे विष्णु जी के पास, बोले "भगवान बचाओ ! ये असुर मार देंगे हमें". तो विष्णु जी बोले अमृत पियो. देवता बोले अमृत कहाँ मिलेगा ? विष्णु जी बोले इसके लिए समुद्र मंथन करो !

तो समुद्र मंथन शुरू हुआ, अब इस समुद्र मंथन में कितनी दिक्कतें आई ये तो तुमको पता ही होगा, मंथन शुरू किया तो अमृत निकलना तो दूर विष निकल आया, और वो भी सामान्य विष नहीं हलाहल विष ! भागे विष्णु जी के पास सब के सब ! बोले बचाओ बचाओ !

तो चतुर्नाथ जी, मतलब विष्णु जी बोले, ये अपना डिपार्टमेंट नहीं है, अपना तो अमृत का डिपार्टमेंट है और भेज दिया भोलेनाथ के पास ! भोलेनाथ के पास गए तो उनसे भक्तों का दुःख देखा नहीं गया, भोले तो वो हैं ही, कलश उठाया और विष पीना शुरू कर दिया ! ये तो धन्यवाद देना चाहिए पार्वती जी का कि वो पास में बैठी थी, उनका गला दबाया तो ज़हर नीचे नहीं गया और नीलकंठ बनके रह गए.


इंडियन : क्यूँ पार्वती जी ने गला क्यूँ दबाया ?

भारतीय : पत्नी हैं ना, पत्नियों को तो अधिकार होता है ..:P किसी गण की हिम्मत होती क्या जो शिव जी का गला दबाए......अब आगे सुनो फिर बाद मे अमृत निकला ! अब विष्णु जी को किसी ने invite किया था ???? मोहिनी रूप धारण करके आए और अमृत लेकर चलते बने.

और सुनो - तुलसी स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, स्वादिष्ट भी, तो चढाई जाती है कृष्ण जी को (विष्णु अवतार).

लेकिन बेलपत्र कड़वे होते हैं, तो चढाए जाते हैं भगवान भोलेनाथ को !

हमारे कृष्ण कन्हैया को 56 भोग लगते हैं, कभी नहीं सुना कि 55 या 53 भोग लगे हों, हमेशा 56 भोग ! और हमारे शिव जी को ? राख , धतुरा ये सब चढाते हैं, तो भी भोलेनाथ प्रसन्न ! 
कोई भी नई चीज़ बनी तो सबसे पहले विष्णु जी को भोग ! दूसरी तरफ शिव रात्रि आने पर हमारी बची हुई गाजरें शिव जी को चढ़ा दी जाती हैं......

अब मुद्दे पर आते हैं........इन सबका मतलब क्या हुआ ???


विष्णु जी हमारे पालनकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का
रक्षण-पोषण होता है वो विष्णु जी को भोग लगाई जाती हैं !


और शिव जी?


शिव जी संहारकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का नाश होता है,
मतलब जो विष है, वो सब कुछ शिव जी को भोग लगता है !

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इंडियन : ओके ओके, समझा !

भारतीय : आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के महीने में वात की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं. श्रावण के महीने में ऋतू परिवर्तन के कारण शरीर मे वात बढ़ता है. इस वात को कम करने के लिए क्या करना पड़ता है ? ऐसी चीज़ें नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं !
और उस समय पशु क्या खाते हैं ?

इंडियन : क्या ?

भारतीय : सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं. इस कारण उनका दूध भी वात को बढाता है ! इसलिए आयुर्वेद कहता है कि श्रावण के महीने में (जब शिवरात्रि होती है !!) दूध नहीं पीना चाहिए. इसलिए श्रावण मास में जब हर जगह शिव रात्रि पर दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल इन्फेक्शन से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और वो दूध नहीं पिया करते थे ! इस तरह हर जगह शिव रात्रि मनाने से पूरा देश वाइरल की बीमारियों से बच जाता था ! समझे कुछ ?


इंडियन : omgggggg !!!! यार फिर तो हर गाँव हर शहर मे शिव रात्रि मनानी चाहिए, इसको तो राष्ट्रीय पर्व घोषित होना चाहिए !

भारतीय : हम्म....लेकिन ऐसा नहीं होगा भाई कुछ लोग साम्प्रदायिकता देखते हैं, विज्ञान नहीं ! और सुनो. बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं लेकिन हम उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू समाप्त हो चुकी होती थी). एलोपैथ  कहता है कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त को बढाता है ! तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिव रात्रि पर दूध चढाना समझदारी है ?

इंडियन : बिलकुल भाई, निःसंदेह ! ऋतुओं के खाद्य पदार्थों पर पड़ने वाले
प्रभाव को ignore करना तो बेवकूफी होगी.


भारतीय : ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है ! ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते !

जिस संस्कृति की कोख से मैंने जन्म लिया है वो सनातन (=eternal) है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें ! —


माँ बनाती थी रोटी



माँ बनाती थी रोटी
  • पहली गाय की
  • आखरी कुत्ते की
  • एक बामणी दादी की
  • एक मेहतरानी बाई की
...

हरसुबह सांड आ जाता दरवाज़े पर गुड की डली के लिए

कबूतर का चुग्गा कीड़ीयों का आटा
ग्यारस,अमावस,पूनम का सीधा डाकौत का तेल
काली कुतिया के ब्याने पर तेल गुड का हलवा
सब कुछ निकल आता था उस घर से
जिस में विलासिता के नाम पर एक टेबल पंखा था


आज सामान से भरे घर से कुछ भी नहीं निकलता
सिवाय कर्कश आवाजों के 

अच्छा पढ़ने के लिए आपका कोई पैसा नहीं खर्च हो रहा है केवल आपको इसे लोगो को याद दिलाना है,, अपनी संस्कृति को फिर से अपनाना है 


क्यूँ इतना तो कर ही सकते हैं ?

गाय का घी(देशी भारतीय नस्ल की गौ माता )



गाय के घी को अमृत कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। 


काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है।

दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है।

सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।


नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।

गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।

हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।

20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।

फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
गाय के घी की झाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।


गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।

जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।

यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन संतुलित होता है यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।

देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।


गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।

गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।


गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।


गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।

गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।

गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ठीक हो जाता है

गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।

विशेष :-स्वस्थ व्यक्ति भी हर रोज नियमित रूप से सोने से पहले दोनों नशिकाओं में हल्का गर्म (गुनगुना ) देसी गाय का घी डालिए ,गहरी नींद आएगी, खराटे बंद होंगे और अनेको अनेक बीमारियों से छुटकारा भी मिलेगा।

रामचरित मानस की दुर्लभ प्राचीन पांडुलिपि बरामद


वाराणसी :- गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस की चोरी गई एक प्राचीन हस्तलिखित पाडुलिपि को पुलिस ने बरामद कर लिया है। यह पाडुलिपि सात माह पूर्व भेलूपुर थाना क्षेत्र के तुलसी घाट स्थित हनुमान मंदिर से चोरी कर ली गई थी। भेलूपुर पुलिस ने शनिवार सुबह दो चोरों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें एक कबाड़ी व उसका साथी शामिल है। इस चोरी का मुख्य अभियुक्त एक अन्य के साथ मौके से फरार हो गया। एसएसपी ने शनिवार को पत्रकारवार्ता कर उक्त जानकारी दी। उन्होंने सभी अभियुक्तों पर गैंगस्टर के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। डीआईजी ने इस कामयाबी के लिए भेलूपुर पुलिस को दस हजार का इनाम देने की घोषणा की है।

तुलसीघाट स्थित संकट मोचन मंदिर के महंत पं. वीरभद्र मिश्र के निवास परिसर में स्थित हनुमान मंदिर से 22 दिसंबर 2011 को दिनदहाड़े मंदिर के गेट की कुंडी निकाल कर रामचरित मानस की करीब चार सौ वर्ष पुरानी हस्तलिखित पाडुलिपि को चुरा लिया गया था। चोर मंदिर से हनुमान जी का चादी का मुकुट, चादी की गदा, चादी की हनुमानजी की मूर्ति,
पीतल के लड्डू गोपाल आदि भी चुरा ले गए थे। इस पाडुलिपि को गोस्वामी तुलसीदास के महाप्रयाण के 24 वर्ष बाद उनके एक शिष्य ने भोजपत्र पर लिखा था। इसको प्रत्येक वर्ष रामलीला के दौरान निकाला जाता था और उसमें सेपाच दोहा पढ़कर वापस रख दिया जाता था।

पाडुलिपि चोरी ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों का जीना हराम कर दिया था। कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था तो मंहत बालकदास आमरण अनशन पर बैठ गए थे। इन सबके बीच पुलिस ने मंदिर के तीन पुजारियों पर शक जताते हुए उनको गुजरात भेज कर सस्पेक्ट डिटेक्ट सिस्टम (एसडीएस) से गुजारा था।

मामूली चोरों ने की थी चोरी -

एसएसपी बी डी पाल्सन ने बताया कि इस चोरी के पीछे प्राचीन वस्तुओं की तस्करी करने वालों का हाथ माना जा रहा था। ऐसे तस्करों के पीछे एसटीएफ से लेकर तमाम लोग लगे हुए थे और कई राज्यों में इसकी
खोजबीन चल रही थी पर चोरी मामूली चोरों ने की थी। थाना कोतवाली के मोहल्ला रामघाट निवासी सत्यनारायण शर्मा के लड़के बृजमोहन ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिल कर घटना को अंजाम दिया था। हरिश्चन्द्र पीजी कालेज से बतौर व्यक्तिगत अभ्यर्थी एमए में पढ़ रहे बृजमोहन के पिता चौक में साड़ी की दुकान चलाते हैं। बृजमोहन ने इससे पहले एक पुरानी किताब को 21 हजार में बेचा था। इस बीच हैदराबाद से कुछ लोग वाराणसी में फिल्म बनाने आए थे। इन सभी ने उक्त पाडुलिपि की फिल्म बनाई थी। इसकी जानकारी मिलने पर बृजमोहन को लगा कि प्राचीन पाडुलिपि के अच्छे पैसे मिल जाएंगे। उसने साथियों के साथ मिलकर इसे चुरा लिया। इस पाडुलिपि को एक सूटकेस में रखा गया था। थोड़े थोड़े दिन पर इसे दूसरे स्थान पर रख दिया जाता था।

आर्यभट = पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है



महर्षि आर्यभट्ट ने कोपर्निकस और गैलेलियो से हजारों साल पहले ही बता दिया था कि पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है और सूर्य-पृथ्वी-चन्द्रमा और अन्य ग्रहों के आपस का सम्बन्ध। आर्यभट प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। आर्यभट ने 'आर्यभटीय ग्रंथ' की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। इसमें वर्गमूल, घनमूल, सामानान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन है। आर्यभट्ट ने अपने इस ग्रंथ में अपने से पूर्ववर्ती तथा पश्चाद्वर्ती देश के तथा विदेश के सिद्धान्तों के लिये भी क्रान्तिकारी अवधारणाएँ उपस्थित की।

भारतके इतिहास में जिसे 'गुप्तकाल' को 'स्‍वर्णकाल' कहा जाता है। उस समय भारत ने साहित्य, कला और विज्ञान क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। उस समय मगध स्थित नालंदा विश्वविद्याल ज्ञानदान का प्रमुख और प्रसिद्ध केंद्र था। देश विदेश से विद्यार्थी ज्ञानार्जन के लिए यहाँ आते थे। वहाँ खगोलशास्त्र के अध्ययन के लिए एक विशेष विभाग था।
एक प्राचीन श्लोक के अनुसार आर्यभट नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे।उन्होंने एक ओर गणित में पूर्ववर्ती आर्किमिडीज़ से भी अधिक सही तथा सुनिश्चित पाई के मान को निरूपित किया  तो दूसरी ओर खगोलविज्ञान में सबसे पहली बार उदाहरण के साथ यह घोषित किया गया कि स्वयं पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।

आर्यभट ने ज्योतिषशास्त्र के आजकल के उन्नत साधनों के बिना जो खोज की थी, उनकी महत्ता है। कोपर्निकस (1473 से 1543 इ.) ने जो खोज की थी उसकी खोज आर्यभट हजार वर्ष पहले कर चुके थे। 'गोलपाद' में आर्यभट ने लिखा है "नाव में बैठा हुआ मनुष्य जब प्रवाह के साथ आगे बढ़ता है, तब वह समझता है कि अचर वृक्ष, पाषाण, पर्वत आदि पदार्थ उल्टी गति से जा रहे हैं। उसी प्रकार गतिमान पृथ्वी पर से स्थिर नक्षत्र भी उलटी गति से जाते हुए दिखाई देते हैं।" इस प्रकार आर्यभट ने सर्वप्रथम यह सिद्ध किया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।

आर्यभट के अनुसार किसी वृत्त की परिधि और व्यास का संबंध 62,832 : 20,000 आता है जो चार दशमलव स्थान तक शुद्ध है। आर्यभट ने बड़ी-बड़ी संख्याओं को अक्षरों के समूह से निरूपित करने कीत्यन्त वैज्ञानिक विधि का प्रयोग किया है। आर्यभट पहले आचार्य थे की जिन्होने ज्योतिषशास्त्रमें अंकगणित, बीजगणित और रेखागणितको शामील किया. 'आर्यभट्टीय' ग्रंथमें उन्होने ज्योतिष्यशास्त्रके मूलभूत सिध्दांतके बारेमें लिखा. आर्यभट एक युगप्रवर्तक थे.उन्होने सारी दुनियाको बताया की पृथ्वी चंद्र और अन्य ग्रहोंको खुदका प्रकाश नही होता और वे सुरजकी वजहसे प्रकाशित होते है. उन्होने पृथ्वीका आकार, गती, और परिधीका अंदाज भी लगाया था. और सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहणके बारेमेंभी संशोधन किया था

भारत में तिरुपति मंदिर सबसे वैभवशाली मंदिरों में एक है।



भारत में तिरुपति मंदिर सबसे वैभवशाली मंदिरों में एक है। यह दक्षिण भारत में आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में है। तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व भर के हिंदुओं का प्रमुख वैष्णव तीर्थ है। यह पूरी दुनिया मे हिंदु धर्म का सबसे अधिक धनी मंदिर माना जाता है। सात पहाडों का समूह शेषाचलम या वेंकटाचलम पर्वत श्रेणी की चोटी तिरुमाला पहाड पर तिरुपति मंदिर स्थित है । तिरुमाला पहाड पूरी दुनिया में दूसरी सबसे प्राचीन चट्टानें मानी जाती है। इसलिए इसे तिरुपति बालाजी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान वेंकटेश को विष्णु का अवतार भी माना जाता है। भगवान विष्णु यहां वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और बालाजी नाम से प्रसिद्ध है। हिंदू धर्मावलंबी तिरुपति बालाजी के दर्शन अपने जीवन का ऐसा महत्वपूर्ण पल मानते हैं, जो जीवन को सकारात्मक दिशा देता है। इस मंदिर की यात्रा कर श्रद्धालु स्वयं को धन्य मानते हैं। देश-विदेश के हिंदू भक्त और श्रद्धालुगण यहां आकर यथाशक्ति दान करते हैं, जो धन, हीरे, सोने-चांदी के आभूषणों के रुप में होता है। इस दान के पीछे भी प्राचीन मान्यताएं जुड़ी है। जिसके अनुसार भगवान से जो कुछ भी मांगा जाता है, वह कामना पूरी हो जाती है। इसलिए भक्तगण दिल खोलकर दान दान करते हैं। यहां पर होने वाला दान का मूल्य करोड़ों रुपयों का होता है। माना जाता है कि दान की यह परंपरा विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय द्वारा इस मंदिर में सोने-चांदी-हीरे के आभुषण का दान दिया था। उसी समय से भक्तगण इस मंदिर को खूब दान देते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि अनेक लोग गलत तरीकों से कमाए धन का कुछ हिस्सा दान कर मन की शांति और संतुष्टि पाते हैं, जो वास्तव में पाप मुक्ति ही रुप है। श्रद्धालुओं की यह आस्था है कि तिरुपति बालाजी भी दु:खों, कष्टों का अंत कर देते हैं।

अनेक श्रद्धालु यहां आकर मनोकामनाओं को पूरा करने और सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। मनोरथ पूरा होने पर भगवान की कृ पा मानकर श्रद्धा और आस्था के साथ श्रद्धालु अपने सिर के बालों को कटवाते हैं। यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में तीर्थयात्री मुण्डन कराते हैं। यहां मंदिरों में इन कटे बालों से बहुत राजस्व मिलता है। साथ ही इनके निर्यात से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है। मुण्डन करने वाले लोगों का स्थानीय भाषा में तमिल मोत्ताई कहा जाता है।

यह एक ऐसा तीर्थ है जहां पर लाखों की संख्या में तीर्थयात्री निरंतर आते हैं। हर समय इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
पौराणिक महत्व - तिरुमाला तिरुपति मंदिर का हिन्दु धर्म के अनेक पुराणों में अलग-अलग महत्व बताया गया है। वाराह पुराण में वेंकटाचलम या तिरुमाला को आदि वराह क्षेत्र लिखा गया है। वायु पुराण में तिरुपति क्षेत्र को भगवान विष्णु का वैकुंठ के बाद दूसरा सबसे प्रिय निवास स्थान लिखा गया है। स्कंदपुराण में वर्णन है कि तिरुपति बालाजी का ध्यान मात्र करने से व्यक्ति स्वयं के साथ उसकी अनेक पीढिय़ों का कल्याण हो जाता है और व विष्णुलोक को पाता है। इसी प्रकार भविष्यपुराण में उल्लेख है कि भगवान विष्णु को शयनकाल में महर्षि भृगु ने आकर छाती पर पैर से आघात किया। इससे माता लक्ष्मी बहुत दु:खी होकर वहां से चली गई। तब भगवान विष्णु भी देवी लक्ष्मी के चले जाने से दु:खी होकर पापों का नाश करने वाले देवता के रुप में निवास करने लगे। ऐसी मान्यता है कि इसीलिए भगवान का नाम श्रीनिवास हुआ।
पुराणों की मान्यता है कि वेंकटम पर्वत वाहन गरुड द्वारा भूलोक में लाया गया भगवान विष्णु का क्रीड़ास्थल है। वैंकटम पर्वत शेषाचलम के नाम से भी जाना जाता है। शेषाचलम को शेषनाग के अवतार के रुप में देखा जाता है। इसके सात पर्वत शेषनाग के फन माने जाते है।
वराह पुराण के अनुसार तिरुमलाई में पवित्र पुष्करिणी नदी के तट पर भगवान विष्णु ने ही श्रीनिवास के रुप में अवतार लिया। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर स्वयं ब्रहदेव भी रात्रि में मंदिर के पट बंद होने पर अन्य देवताओं के साथ भगवान वेंकटेश की पूजा करते हैं।

इस्लाम क्या है ?




एक नजर अनपढ़ मोहम्मद के बारे में भी जान ले , कृपया अंतिम तक सन्दर्भ सहित देखें :-
इस्लामी कठमुल्लो ने इस्लाम का मतलब "अमन" (शांति) बताया, एसी शांति जिसको फ़ैलाने के लिए तलवार की जरुरत आन पड़ी. क्यों आन पड़ी ये नहीं बताया.

मोहम्मद को अल्लाह का अंतिम बन्दा बताया जो अल्लाह से सीधे संवाद स्थापित करता था, आईये पहले इस तथाकथित शान्ति के दूत के बारे में जान लें .


मोहम्मद का जन्म ५७० इसा पूर्व अरब के मक्का शहर में हुआ था, अल्लाह की इनके ऊपर बड़ी रहमत थी , पहली रहमत की अल्लाह ने पिता का साया इस अल्लाह के बंदे से जन्म होने के पूर्व ही छीन लिया था और जन्नत में कँवारी ७२ हूरों के साथ मजा लेने के लिए भेज दिया, और दूसरी रहमत करने के लिए अल्लाह ने छः साल का समयावधि लिया सो छः साल के उम्र में माँ भी निगल लीं. इनकी माँ को जन्नत में ७२ लौंडो की सेवा मिली होगी या नहीं अल्लाह ही जनता है . फिर इनकी देख रेख का जिम्मा इनके दादा जी ने लिया, अब चुकी अल्लाह के रहमत का कोई ठिकाना नहीं सो दो साल बाद ये भी जन्नत चल दिए ७२ हूरों का मजा लेने. यानी अब तक १४४ कँवारी हूरे मोहम्मद के खानदान के नाम अल्लाह ने कर दिया. इसके बाद इनका जिम्मा मिला इनके चचा अबू तालिब को. बात ये है की ये खुद अल्लाह का एक रूप थे जो इस दुनिया को प्रकाश दिखने और बोझ से हल्का करने आये थे अलबत्ता बार बार ये खुद ही बोझ बनते रहे.


अब आगे देखिये, जब २५ साल के हुए तो इन्होने एक ४० वर्षीय महिला खादिजाह से विवाह सिर्फ इसलिए किया क्योकिं वो एक बड़ी व्यापारी थी. मजे की बात ये है की मोहम्मद ४० वरसो तक किंकर्तव्य विमूढ़ थे, जब ये ४० साल के हुए तब इन्हें अल्लाह का पहला अनुभव हुआ ६१० ईसापूर्व में. फिर लगे उलटी सीधी बाते बोलने (की दुनिया बचाने का कांट्रेक्ट बस अल्लाह के पास है और कोई टेंडर नहीं लिया जायेगा ) जिससे लोगो में आक्रोश बढ़ा, और अल्लाह का ये बन्दा चोरों की तरह फरार हो गया. उसके बाद मक्का मदीना में खूब लड़ाईयां हुई शरिया कानून को ले के. ६३० इसा पूर्व जनवरी माह में इसा ने दस हजार खूंखार कातिलों की फ़ौज खड़ी की और चल पड़े मक्का विरोधियों को दोजख भेजने . काबा की ३६० मूर्तियां तोड के और सबको क़त्ल करने के बाद मुसल्मानियत उर्फ इस्लाम की नीव रखी, ये है शांतिपूर्ण इस्लाम के स्थापना का इतिहास .

जिस धर्म की स्थापना ही तलवार के बल पे हुयी हो वो धर्म है या विकृति या कुरीति आप ही निर्णय कीजिये.

और इसी तलवार के दम पे इसे पुरे विश्व में फैलाया गया.

चुकी भारत वैदिक सभ्यता और अहिंसा में विश्वास रखता था सो यहाँ कब्ज़ा जमाना जादा आसान था.

इस्लाम की कुछ प्रमुख एवं हास्यपद बातें :


१. खतना :

हर मुस्लिम का एक़ कामन पेटेंट ठप्पा होगा होगा अर्थात "खतना" होन अनिवार्य है, इस प्रकिया में नवजात बच्चे के लिंग का अगला हिस्सा उतार दिया जाता है . अब सोचिये जिस धर्म में पैदा होते ही दर्द है उसमे शान्ति कहाँ ? और इस्लाम इसका कोई तर्क भी नहीं दे पाया है की ऐसा क्यों करें ??

२. हर मुस्लिम ४ बीवियां रख सकता है :

यानि स्त्री को भोग की वस्तु समझा गया, शुक्रवार के नमाज के बाद रविवार तक आराम , उसके बाद सोमवार से बुध्ध्वार तक समय सारिणी बना लो किस दिन किसके साथ सोना है .

३. नसबंदी हराम है :


जम के बच्चे पैदा करो, जहाँ रहो वहाँ बहुल हो जाओ और अलगाव वादी प्रक्रिया शुरू कर दो चाहे चेचन्या हो या कश्मीर . यानी आठ आठ -दस दस बच्चे पैदा करो फिर सरकार से कहो की आरक्षण दो नहीं तो वोट नहीं देंगे .
४. काफिर :


जो इस्लाम न माने वो काफिर , और कुरआन काफिरों को क़त्ल करने की इजाजत देता है, यानि जितने भी हिंदू है जो इस्लाम नहीं मानते वो काफ़िर है , यदि उनको मर दिया जाए तो जन्नत नसीब होगी जहाँ ७२ कुँवारी हूरे उनका इन्तजार कर रही होंगी.

५ . जन्नत :


काफिरो को मरने पे जन्नत नसीब होगी जहाँ ७२ कुँवारी हूरे उनका इन्तजार कर रही होंगी.

६ . मूर्तिपूजा निषेध :


इस्लाम में पत्थर पूजा निषेध है , लेकिन फिर भी काबा के पत्थर में पत्थर मारने होड लगी रहती है .

७. मजहब देश से बड़ा :


इनके लिए मजहब हमेशा देश से बड़ा होता है , यदि किसी देश का राष्ट्र गान इनके मजहब के हिसाब से नहीं है तो इनके लिए हराम है और दूसरा उदहारण कश्मीर में पाक के साथ यूध्ध का, जब कश्मीरी इस्लाम सेनाए पाकिस्तान से बस इसलिए मिल गयी क्योकि पकिस्तान एक इस्लाम देश है अपने कौम को किनारे रख के और ये बात पूरा विश्व जानता है शायद इसीलिए मुसलमानों पे कोई भी देश भरोसा करने को तैयार नहीं, इनका दोगलापन देख के , खाते कही और का और सोचते सिर्फ अरब का हैं .

८. हिंदू विरोधी धर्म :


इस्नके सारे कांड वैदिक से उलटे होते हैं , चाहे वो लिखना हो या धोना , शायद किसी समय पैर की बजाय सर से भी चलने की कोशिश की होगी (उल्टा करने के चक्कर में ) सो चुन्डी घिस गयी होगी, इसीलिए कोई भी मुसलमान चुन्डी नहीं रखता शर्म के मारे.

९ जिहाद :


जिहाद शब्द का जन्म इस्लाम के जन्म के साथ ही हो गया था। जिहाद अरबी का शब्द है जिसका अर्थ है जोइस्लाम न माने उसको समाप्त कर दो "। भारत में पहला आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम था जिसने 8वीं शताब्दी में सिंध पर आक्रमण किया था। तत्पश्चात् 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी तथा उसके बाद मोहम्मद गोरी आक्रांता के रूप में भारत आया।

इस्लाम ग्रहण करने से पूर्व मध्य एशिया के कबीले आपस में ही मार-काट और लड़ाइयां करते थे। अत्यधिक समृद्ध भारत उनके लिए आकर्षण का केन्द्र था। और जब इन कबीलों ने इस्लाम ग्रहण कर लिया तो इनका उद्देश्य दोहरा हो गया। लूट-पाट करने के साथ-साथ विजित देश में बलपूर्वक इस्लाम का प्रसार करना। इसलिए कहा जाता था कि इस्लाम जहां जाता था-एक हाथ में तलवार, दूसरे में कुरान रखता था।
जिहाद से भारत का सम्बंध हजार वर्ष पुराना है। भारत में वर्षों शासन करने वाले बादशाह भी जिहाद की बात करते थे। 13वीं 14वीं शताब्दी के दौरान मुसलमानों के अंदर ही एक अन्य समानांतर धारा विकसित हुई। यह थी सूफी धारा। हालांकि सूफी धारा के अगुआ भी इस्लाम का प्रचार करते थे किन्तु वे प्रेम और सद्भाव से इस्लाम की बात करते थे। किन्तु बादशाहों पर सूफियों से कहीं अधिक प्रभाव कट्टरपंथियों का था। इस्लाम के साथ-साथ जिहाद शब्द और जिहादी मनोवृत्ति को भारत पिछले हजार वर्षों से झेल रहा है।

अब चूकी भारत वैदिक और अहिंसा वादी था सो इन बर्बर नीच पापियों का प्रभुत्व जल्दी जम गया फिर भी बहुत जादा नुक्सान न कर पाए .

!!! लव जिहाद का सच !!!



girlz से पूछा जाए की लव जिहाद क्या होता है तो शायद किसी को पता नहीं होगा .... लेकिन अगर कोई हिंदुत्ववादी लव जिहाद के बारे मे बताए और मुस्लिमों से दूर रहने की सलाह दे तो वे भड़क जाएंगी और बोलेगी तुम सांप्र्दायिता फैला रहे हो तुम जैसे लोगो की तुच्छ सोच के कारण ही दंगे होते है ... मुस्लिम भी इंसान होते है ,,, और मैंने देखा है ज़्यादातर हिन्दू लड़कियां सलमान शाहरुख आमिर सैफ की दीवानी है अगर इनके सामने मुस्लिमों की बुराई की जाए तो इन्हें बिलकुल सहन नहीं होगा दो चार इंसानियत के लैक्चर दे ही डालेंगी ... लेकिन बहुत reserch के बाद मैंने ये पाया है की हिन्दू मुस्लिम के बीच होने वाला प्यार वन वे ट्रैफिक की तरह होता है वन वे ट्रैफिक मतलब यदि लड़का मुस्लिम है और लड़की हिन्दू है तो लड़की इस्लाम स्वीकार करेगी (चाहे नवाब पटौदी और शर्मिला टैगोर उर्फ़ आयेशा सुल्ताना हों अथवा फ़िरोज़ घांदी और इन्दिरा उर्फ़ मैमूना बेगम हों) लेकिन यदि लड़की मुस्लिम है और लड़का हिन्दू है तो लड़के को ही इस्लाम स्वीकार करना पड़ेगा (चाहे वह कम्युनिस्ट इन्द्रजीत गुप्त हों या गायक सुमन चट्टोपाध्याय) .


*जेमिमा मार्सेल गोल्डस्मिथ-इमरान खान
1995 में शादी की इस्लाम अपनाया (हाइका खान) उर्दू सीखी पाकिस्तान गई दो बच्चे (सुलेमान और कासिम) पैदा किये फिर तलाक और वापस ब्रिटेन

.
*सरस्वती-मोहम्मद मेराजुद्दीन नतीजा तलाक
.
*सैफ़ अली खान-अमृता सिंह को बच्चों सहित बेसहारा छोड़कर करीना कपूर से इश्क फरमा रहा
.
*उमर अब्दुल्ला-पायल
.
गाँधीजी की पुत्री का विवाह एक मुस्लिम से हुआ, सुब्रह्मण्यम
स्वामी की पुत्री का निकाह विदेश सचिव सलमान हैदर के पुत्र से हुआ है, प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम हुमायूं कबीर (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) ने भी हिन्दू लड़कियों से शादी की 

*अज़हरुद्दीन-संगीता बिजलानी


Shahrukh Khan - Gauri Chabbia
Amir Khan - Reena Dutta (divorced) , Kiran Rao
Saif Ali Khan - Amrita Singh(divorced),Kareena Kapoor
Imraan Khan - Avantika
Farhan Akhtar - Adhuna Bhabani
Arbaaz Khan - Malaika Arora
Sohail Khan – Seema Sachdev
Zayed Khan - Malaika Parekh
Imraan Hasmi - Parveen Sahani
Aditi Govitrika - Muffazal Lakdawala
Feroz Khan – Sundari
Farooq Sheikh – Roopa Jain
Naseeruddin Shah – Ratna Pathak
Javed Akhtar – Honey Irani (divorced)
Salim Khan -Sushila Charak
(Salma); Helen Richardson
Mansoor Ali Khan Pataudi – Sharmila Tagore
Baba Azmi –Saunhita Kiran Kher (Tanvi)
Mohsin Khan – Reena Roy
Mohammed Azharuddin – Sangita Bijlani
Farhan Ebrahim – Pooja Bedi (divorced)
Sajid Nadiadwala – Divya Bharti 

Shakeel Ladak – Amrita Arora
Irfaan Khan - Shivangi Devi
Zahir Khan - Isha Sharvani


जब मुस्लिम सेलेब्रिटी हिन्दू लड़कियो के साथ निकाह करेंगे और धर्म परिवर्तन कराएगे तो देश की हिन्दू लडकीय तो वैसे भी उनकी दीवानी हो जाएंगी ... समाज में मानवता धर्मनिरपेक्षता का संदेश भी चला गया और लव जिहाद को अंजाम भी दे दिया गया ..... बाकी काम मस्जिदों के इमामों से मिलने वाले पैसे पर पलने वाले स्मार्ट मुस्लिम लड़के करते है जो हिन्दू लड़कियो को प्रेम जाल में फंसाकर भागकर ले जाते हैं ... कुछ को बेच दिया जाता है और कुछ को निकाह करवा के उनसे 10, 15 बच्चे पैदा करवा के इस्लाम का सिपाही (आतंकवादी ) बना दिया जाता ...और हमारी हिन्दू लड़कियां जेल मे बंद बच्चे पैदा करने की मशीन भर बनकर रह जाती है ,.. 

बाकी फिर कभी लिखेंगे .... अभी इतना ही share कीजिये और हिन्दू लड़कियों को tag कीजिये

जय श्री राम | वंदे माँतरम