22 June 2013

!!! ऐसे करें हनुमानजी का पूजन !!!



कलयुग में सर्वाधिक हनुमानजी की ही पूजा की जाती है क्योंकि उन्हें कलयुग का जीवंत देवता माना गया है। परंपरागत रूप से हनुमान को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। संकटकाल में हनुमानजी का ही स्मरण किया जाता है। वह संकटमोचन कहलाते हैं। देवी-देवताओं की पूजा मन को शांति तो प्रदान करती है साथ ही मनोकामनाओं को पूर्ण भी करती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान की भक्ति और आराधना के संबंध में कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति जल्दी ही भगवान की कृपा प्राप्त कर लेता है और सभी दुखों से स्वयं को दूर कर लेता है। वैसे तो सभी देवी-देवता जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन कलयुग में हनुमानजी शीघ्र कृपा करने वाले देवता माने गए हैं।

पूजन विधि

हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात

हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें-
 


अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं 
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।। 

ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।। 


इसके बाद चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें।


आवाह्न - हाथ में फूल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी का आवाह्न करें


उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्। 
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।। 
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।। 


ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।


उन फूलों को हनुमानजी को अर्पित कर दें।


आसन- नीचे लिखे मंत्र से हनुमानजी को आसन अर्पित करें-


तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्। 
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।। 


आसन के लिए कमल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करें।


इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।


ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।। 
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।। 


इसके बाद हनुमानजी की मूर्ति को गंगाजल से अथवा शुद्ध जल से स्नान करवाएं तत्पश्चात पंचामृत (घी, शहद, शक्कर, दूध व दही ) से स्नान करवाएं। पुन: एक बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं।


अब इस मंत्र से हनुमानजी को वस्त्र अर्पित करें व वस्त्र के निमित्त मौली चढ़ाएं-


शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। 
देहालकरणं वस्त्रमत: शांति प्रयच्छ मे।। 
ऊँ हनुमते नम:, वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि। 


इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं-


साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया। 
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।। 
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।। 


ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।। 


इसके बाद केले के पत्ते पर या किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और इस मंत्र के साथ हनुमानजी को अर्पित कर दें तत्पश्चात ऋतुफल अर्पित करें। (प्रसाद में चूरमा, भीगे हुए चने या गुड़ चढ़ाना उत्तम रहता है।) अब लौंग-इलाइचीयुक्त पान चढ़ाएं।


शर्कराखण्ड खाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च 
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्य प्रतिगृह्यताम्।। 

पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इस मंत्र को बोलते हुए हनुमानजी को दक्षिणा अर्पित करें-

ऊँ हिरण्यगर्भगर्भस्थं देवबीजं विभावसों:। 
अनन्तपुण्यफलदमत: शांति प्रयच्छ मे।। 

ऊँ हनुमते नम:, पूजा साफल्यार्थं द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि।। 


इसके बाद एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमानजी की आरती करें।

इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।



!!! पूजन विधि ( सरलतम विधि ) !!!


हनुमानजी का पूजन करते समय सबसे पहले कंबल या ऊन के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र से हनुमानजी का

ध्यान करें-

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।


इसके बाद हाथ में लिया हुआ चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें।

आवाह्न-

हाथ में फूल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हनुमानजी का आवाह्न करें एवं उन फूलों को हनुमानजी को अर्पित कर दें।

उद्यत्कोट्यर्कसंकाशं जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठं सुग्रीवप्रमुखार्चितम्।।
विन्नासयन्तं नादेन राक्षसान् मारुतिं भजेत्।।
ऊँ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।


आसन-

नीचे लिखे मंत्र से हनुमानजी को आसन अर्पित करें (आसन के लिए कमल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करें।) अथवा चावल या पत्ते आदि का भी उपयोग हो सकता है |

तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।

इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।

ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।

इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें।
अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं-

साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।
त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।
ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।


इसके बाद केले के पत्ते पर या किसी कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और हनुमानजी को अर्पित कर दें तत्पश्चात ऋतुफल अर्पित करें। (प्रसाद में चूरमा, भीगे हुए चने या गुड़चढ़ाना उत्तम रहता है।)

इसके बाद एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करतेहैं।



हनुमान जी की आरती



आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की॥१
जाके बल से गिरिवर काँपै। रोग-दोष जाके निकट न झाँपै॥२
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥३
दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सीय सुधि लाये॥४
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥५
लंका जारि असुर सँहारे। सियारामजी के काज सँवारे॥६
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि सजीवन प्रान उबारे॥७
पैठि पताल तोरि जम-कारे। अहिरावन की भुजा उखारे॥८
बायें भुजा असुर दल मारे। दहिने भुजा संतजन तारे॥९
सुर नर मुनि आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे॥१०
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरति करत अंजना माई॥११
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुण्ठ परमपद पावै॥१२

!!! कामयाब हैं हनुमान जी के ये टोटके !!!

हनुमान जी का एक नाम बजरंगबली है. बजरंगबली को चमत्कारिक सफलता देने वाला देवता माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही राम भक्त हनुमान ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था. हर देवता की जन्मतिथि एक होती है, लेकिन हनुमान जी की दो मनाई जाती हैं. हनुमान जी की जन्मतिथि को लेकर मतभेद हैं. कुछ हनुमान जयन्ती की तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मानते हैं तो कुछ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा. इसके बारे में ग्रंथों में दोनों के ही उल्लेख मिलते हैं, लेकिन इनके कारणों में भिन्नता है.
पहला जन्मदिवस है और दूसरा विजय अभिनन्दन महोत्सव. हनुमान जी के जन्म के बारे में एक कथा है कि -'अंजनी के उदर से हनुमान जी उत्पन्न हुए. भूखे होने के कारण वे आकाश में उछल गए और उदय होते हुए सूर्य को फल समझकर उसके समीप चले गए. उस दिन पर्व तिथि होने से सूर्य को ग्रसने के लिए राहु आया हुआ था. लेकिन हनुमान जी को देखकर उसने उन्हें दूसरा राहु समझा और भागने लगा. तब इन्द्र ने अंजनीपुत्र पर वज्र का प्रहार किया. इससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा. जिस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ वो दिन चैत्र मास की पूर्णिमा थी.
हनुमान जी की पूजा करने वाले भक्तों को हर परेशानी से बजरंगबली बचाते हैं. बजरंगबली को लेकर कई टोटके भी हैं. कहा जाता है कि इन टोटके से ‍विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किया जा सकता है. इतना ही नहीं ये टोटके हर प्रकार का अनिष्ट भी दूर करते हैं.
टोटका 1 - कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें. संकट दूर होगा और धन की प्राप्ति होगी.
टोटका 2 - अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, लेकिन ‍फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो हनुमान जयंती पर गोपी चंदन की नौ डलियां लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए. याद रहे ये चंदन पीले धागे से ही बांधना है.
टोटका 3 - एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें. फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं. इससे धन लाभ होगा.
टोटका 4 - पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें. फिर वापस घर आ जाएं और पीछे मुड़कर न देखें. इससे आपको धन लाभ के साथ ही हर बिगड़ा काम बन जाएगा.
गुप्त शत्रु से बचाएं हनुमान जी का ये टोटका
जब कोई शख्स तरक्की करता है, तो उसकी तरक्की से जल कर उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने की जगह पर वो उसके मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं. ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है.
-  ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रात:काल सात बार हनुमान बाण का पाठ करें.
-  हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं.
-  पांच लौंग पूजा स्थान में देशी कपूर के साथ जलाएं.
-  फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाए.
इस प्रयोग से जीवन में समस्त शत्रुओं परास्त होंगे. वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे.
श्री हनुमान जी के चमत्कारी बारह नाम
हनुमान जी के बारह नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है. बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं और आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं.
केसरीनंदन बजरंग बली के 12 चमत्कारी नाम:
1)- ॐ हनुमान
2)- ॐ अंजनी सुत
3)- ॐ वायु पुत्र
4)- ॐ महाबल
5)- ॐ रामेष्ठ
6)- ॐ फाल्गुण सखा
7)- ॐ पिंगाक्ष
8)- ॐ अमित विक्रम
9)- ॐ उदधिक्रमण
10)- ॐ सीता शोक विनाशन
11)- ॐ लक्ष्मण प्राण दाता
12)- ॐ दशग्रीव दर्पहा
नाम की अलौकिक महिमा
- प्रात: काल सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है.
- नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है.
- दोपहर में नाम लेने वाला व्यक्ति धनवान होता है. दोपहर संध्या के समय नाम लेने वाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है.
- रात्रि को सोते समय नाम लेने वाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है.
- उपरोक्त समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं और आकाश पाताल से रक्षा करते हैं.
- लाल स्याही से मंगलवार को भोजपत्र पर ये बारह नाम लिखकर मंगलवार के दिन ही ताबीज बांधने से कभी ‍सिरदर्द नहीं होता. गले या बाजू में तांबे का ताबीज ज्यादा उत्तम है. भोजपत्र पर लिखने के काम आने वाला पेन नया होना चाहिए.
हनुमान जी का खास मंत्र
श्री हनुमंते नम:
अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहं।
दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुण निधानं, वानराणामधीशं।
रघुपतिप्रिय भक्तं, वातजातं नमामि।।

!!! हनुमान साधना के कुछ नियम !!!



हनुमान जी को प्रसन्न करना बहुत सरल है। राह चलते उनका नाम स्मरण करने मात्र से ही सारे संकट दूर हो जाते हैं। जो साधक विधिपूर्वक साधना से हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए प्रस्तुत हैं कुछ उपयोगी नियम ...

वर्तमान युग में हनुमान साधना तुरंत फल देती है। इसी कारण ये जन-जन के देव माने जाते हैं। इनकी पूजा-अर्चना अति सरल है, इनके मंदिर जगह-जगह स्थित हैं अतः भक्तों को पहुंचने में कठिनाई भी नहीं आती है। मानव जीवन का सबसे बड़ा दुख भय'' है और जो साधक श्री हनुमान जी का नाम स्मरण कर लेता है वह भय से मुक्ति प्राप्त कर लेता है।

हनुमान साधना के कुछ नियम यहां उद्धृत हैं। जिनका पालन करना अति आवश्यक है :

हनुमान साधना में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है। प्रसाद शुद्ध घी का बना होना चाहिए।
हनुमान जी को तिल के तेल में मिल हुए सिंदूर का लेपन करना चाहिए।
हनुमान जी को केसर के साथ घिसा लाल चंदन लगाना चाहिए।
पुष्पों में लाल, पीले बड़े फूल अर्पित करने चाहिए। कमल, गेंदे, सूर्यमुखी के फूल अर्पित करने पर हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।

नैवेद्य में प्रातः पूजन में गुड़, नारियल का गोला और लडू, दोपहर में गुड़, घी और गेहूं की रोटी का चूरमा अथवा मोटा रोट अर्पित करना चाहिए। रात्रि में आम, अमरूद, केला आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें।

साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन अति अनिवार्य है।

जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए।

मंत्र जप बोलकर किए जा सकते हैं। हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष उनके नेत्रों की ओर देखते हुए मंत्रों के जप करें।

साधना में दो प्रकार की मालाओं का प्रयोग किया जाता है। सात्विक कार्य से संबंधित साधना में रुद्राक्ष माला तथा तामसी एवं पराक्रमी कार्यों के लिए मूंगे की माला।
साधना पूर्ण आस्था, श्रद्धा और सेवा भाव से की जानी चाहिए।

मंगलवार हनुमान जी का दिन है। इस दिन अनुष्ठान संपन्न करना चाहिए। इसके अतिरिक्त शनिवार को भी हनुमान पूजा का विधान है।

हनुमान साधना से ग्रहों का अशुभत्व पूर्ण रूप से शांत हो जाता है। हनुमान जी और सूर्यदेव एक दूसरे के स्वरूप हैं, इनकी परस्पर मैत्री अति प्रबल मानी गई है। इसलिए हनुमान साधना करने वाले साधकों में सूर्य तत्व अर्थात आत्मविश्वास, ओज, तेजस्विता आदि विशेष रूप से आ जाते हैं। यह तेज ही साधकों को सामान्य व्यक्तियों से अलग करता है।
हनुमान जी की साधना में जो ध्यान किया जाता है उसका विशेष महत्व है। हनुमान जी के जिस विग्रह स्वरूप का ध्यान करें वैसी ही मूर्ति अपने मानस में स्थिर करें और इस तरह का अभ्यास करें कि नेत्र बंद कर लेने पर भी वही स्वरूप नजर आता रहे।