हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ माना जाता है इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है
विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य से रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक लगाया जाता है| इसी प्रकार शुभकामनाओं के रुप में हमारे तीर्थस्थानों पर, विभिन्न पर्वो-त्यौहारों, विशेष अतिथि आगमन पर लगाया जाता है ।
दरअसल, हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं। इन्हें चक्र कहा जाता है। माथे के बीच में जहां तिलक लगाते हैं, वहां आज्ञाचक्र होता है।यह चक्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहां शरीर की प्रमुख तीन नाडि़यां इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती हैं, इसलिए इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है। यह गुरु स्थान कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है। यही हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है। इसी को मन का घर भी कहा जाता है।
इसी कारण यह स्थान शरीर में सबसे ज्यादा पूजनीय है। योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है।इसे प्रयोगों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है हमारे ऋषिगण इस बात को भलीभाँति जानते थे पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने का प्रचलन अत्यधिक होने लगा ताकि उस के उद्दीपन से हमारे शरीर में स्थूल-सूक्ष्म अवयन जागृत हो सकें । इस आसान तरीके से सर्वसाधारण की रुचि धार्मिकता की ओर, आत्मिकता की ओर अग्रसर हुई | तत्व दर्शन के अनुसार चन्दन का तिलक या त्रिपूंड उसकी प्रकृति प्रायः शीतल होने की वजह से इसे मस्तिष्क पर लगाया जाता है ताकि हमारे विचार-भाव शीतलता, प्रसन्नता, और शान्ति प्रदान करने वाले हों ।
तिलक भिन्नता सजोये होने की वजह से श्वेत और रक्तचन्दन भक्ति का प्रतीक, इसका प्रयोग भजनामंदी किस्म के लोग करते है । केसर व गोरोचन ज्ञान-वैराग्य का प्रतीक, ज्ञानी तत्वचिन्तक इसका उपयोग करते है । हमारी संस्कृति में किसी भी पूजा, पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान आदि का शुभारंभ श्रीगणेश पूजा से आरंभ होता है। उसी प्रकार बिना तिलक धारण किए कोई भी पूजा-प्रार्थना आरंभ नहीं होती।
धर्म मान्यतानुसार सूने मस्तक को अशुभ और असुरक्षित माना जाता है। इसीलिए तिलक लगाने की मान्यता है यह तिलक चंदन, रोली, कुंकुम, सिंदूर तथा भस्म का लगाया जाता है। तंत्रशास्त्र में तिलक की अनेक क्रिया-विधियां विभिन्न कार्यों की सफलता के लिए बताई गई हैं। तंत्र शास्त्र में शरीर के तेरह भागों पर तिलक करने की बात कही गई है, लेकिन समस्त शरीर का संचालन मस्तिष्क करता है, इसलिए इस पर तिलक करने की परंपरा अधिक प्रचलित है। तिलक लगाने में सहायक हाथ की अलग-अलग अंगुलियों का भी अपना महत्व है।
अनामिका शांति दोक्ता,मध्यमायुष्- करी भवेत्।
अंगुष्छठ:पुष्टिव:प- रोत्त,तर्जनी मोक्ष दायिनी।।
अनामिका अंगुली सूर्य का प्रतिनिधित्व करती है। इसका अर्थ यह है कि साधक सूर्य के समान दृढ, तेजस्वी, निष्ठा-प्रतिष्ठा और सम्मान वाला बने। दूसरा अंगूठा है, जो हाथ में शुक्र क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह जीवनी शक्ति का प्रतीक है। इससे साधक के जीवन में शुक्र के समान ही नव जीवन का संचार होने की मान्यता है।तिलक का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है शुभघटना से लेकर अन्य कई धार्मिक अनुष्ठानों, संस्कारों, युद्ध लडने जाने वाले को शुभकामनाँ के तौर पर तिलक लगाया जाता है,
1,मेष- मेष राशि वाले लाल कुमकुम का तिलक लगाएं।
2,वृष- वृष राशि के स्वामी शुक्र हैं इसलिए किसी भी हर कार्य में सफलता के लिए दही का तिलक लगाएं।
3,मिथुन- इस राशि वालो को बुध को बली करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए।
4,कर्क – कर्क राशि के स्वामी चन्द्र को प्रसन्न करने के लिए सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
5,सिंह- इस राशि के स्वामी सूर्य को बली करने के लिए लाल चंदन का तिलक लगाएं।
6,कन्या- कन्या राशि के स्वामी बुध को बली करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाएं।
7,तुला- तुला वाले जातकों को दही का तिलक लगाना चाहिए।
2,वृष- वृष राशि के स्वामी शुक्र हैं इसलिए किसी भी हर कार्य में सफलता के लिए दही का तिलक लगाएं।
3,मिथुन- इस राशि वालो को बुध को बली करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए।
4,कर्क – कर्क राशि के स्वामी चन्द्र को प्रसन्न करने के लिए सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
5,सिंह- इस राशि के स्वामी सूर्य को बली करने के लिए लाल चंदन का तिलक लगाएं।
6,कन्या- कन्या राशि के स्वामी बुध को बली करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाएं।
7,तुला- तुला वाले जातकों को दही का तिलक लगाना चाहिए।
8,वृश्चिक- इस राशि के वालों को सिंदुर का तिलक लगाना चाहिए।
9,धनु – इस राशि के स्वामी गुरू हैं इसलिए हल्दी का तिलक लगाएं।
10,मकर- मकर राशि के स्वामी शनि को प्रसन्न करने के लिए काजल का तिलक लगाना चाहिए।
11,कुंभ- कुंभ के स्वामी भी शनि है इसलिए काजल या भस्म का तिलक लगाएं।
12,मीन- मीन राशि वाले केसर का तिलक करें
10,मकर- मकर राशि के स्वामी शनि को प्रसन्न करने के लिए काजल का तिलक लगाना चाहिए।
11,कुंभ- कुंभ के स्वामी भी शनि है इसलिए काजल या भस्म का तिलक लगाएं।
12,मीन- मीन राशि वाले केसर का तिलक करें