30 October 2012

क्या आप पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं ?????


हमलोग ब्रश करते हैं तो पेस्ट का इस्तेमाल करते हैं, कोलगेट, पेप्सोडेंट, क्लोज-अप, सिबाका, फोरहंस आदि का, क्योंकि वो साँस की बदबू दूर करता है, दांतों की सडन को दूर करता है, ऐसा कहा जाता है प्रचारों में | आप सोचिये कि जब कोलगेट नहीं था, तब सब के दांत सड़ जाते थे क्या ? और सब के सांस से बदबू आती थी क्या ? अभी कुछ सालों से टेलीविजन ने कहना शुरू कर दिया कि भाई कोलगेट रगडो तो हमने कोलगेट चालू कर दिया | अब जो नीम का दातुन करते हैं तो उनको तथाकथित पढ़े-लिखे लोग बेवकूफ मानते हैं और खुद कोलगेट इस्तेमाल करते हैं तो अपने को बुद्धिमान मानते हैं, जब कि है उल्टा | जो नीम का दातुन करते हैं वो सबसे बुद्धिमान हैं और जो कोलगेट का प्रयोग करते हैं वो सबसे बड़े मुर्ख हैं |

जब यूरोप में घुमा करता था तो एक बात पता चली कि यूरोप के लोगों के दाँत सबसे ज्यादा ख़राब हैं, सबसे गंदे दाँत दुनिया में किसी के हैं तो यूरोप के लोगों के हैं और वहां क्या है कि हर दूसरा-तीसरा आदमी दाँतों का मरीज है और सबसे ज्यादा संख्या उनके यहाँ दाँतों के डाक्टरों की ही है, अमेरिका में भी यही हाल है | वहां एक डाक्टर मुझे मिले, नाम था डाक्टर जुकर्शन, मैंने पूछा कि "आपके यहाँ दाँतों के इतने मरीज क्यों हैं? और दाँतों के इतने ज्यादा डाक्टर क्यों हैं ?" तो उन्होंने बताया कि "हम दाँतों के मरीज इसलिए हैं कि हम पेस्ट रगड़ते हैं " तो मैंने कहा कि "तो क्या रगड़ना चाहिए?", तो उन्होंने कहा कि "वो हमारे यहाँ नहीं होती, तुम्हारे यहाँ होती है " तो फिर मैंने कहा कि "वो क्या?", तो उन्होंने बताया कि "नीम का दातुन" | तो मैंने कहा कि "आप क्या इस्तेमाल करते हैं?" तो उन्होंने कहा कि "नीम का दातुन और वो तुम्हारे यहाँ से आता है मेरे लिए " | यूरोप में लोग नीम के दातुन का महत्व समझते हैं और हम प्रचार देख कर "कोलगेट का सुरक्षा चक्र" अपना रहे हैं, हमसे बड़ा मुर्ख कौन होगा |

कोलगेट बनता कैसे हैं, आपको मालूम है? किसी को नहीं मालूम, क्योंकि कोलगेट कंपनी कभी बताती नहीं है कि उसने इस पेस्ट को बनाया कैसे ? कोलगेट का पेस्ट दुनिया का सबसे घटिया पेस्ट है, क्यों ? क्योंकि ये जानवरों के हड्डियों के चूरे से बनता है | जानवरों के हड्डियों के चूरे के साथ-साथ इसमें एक और खतरनाक चीज मिलाई जाती है, वो है फ्लोराइड | फ्लोराइड नाम उस जहर का है जो शरीर में फ्लोरोसिस नाम की बीमारी करता है और भारत के पानी में पहले से ही ज्यादा फ्लोराइड है | तीसरी एक और खतरनाक चीज होती है उसमे, ये है Sodium Lauryl Sulphate | मैं जब लोगों से पूछता हूँ कि "आप कोलगेट क्यों इस्तेमाल करते हैं" तो सभी लोगों का कहना होता है कि "इसमें क्वालिटी है" फिर मैं पूछता हूँ कि "क्या क्वालिटी है?" तो कहते हैं कि "इसमें झाग बहुत बनता है", ये पढ़े-लिखे लोगों का उत्तर होता है | रसायन शास्त्र में एक रसायन होता है "Sodium Lauryl Sulphate " और रसायन शास्त्र के शब्दकोष (dictionary) में जब आप देखेंगे तो इस "Sodium Lauryl Sulphate" के नाम के आगे लिखा होता है "जहर"/"poison "| और .05mg मात्रा शरीर में चली जाए तो कैंसर कर देता है और यही केमिकल कोलगेट में मिलाया जाता है क्योंकि "Sodium Lauryl Sulphate " डाले बिना किसी टूथपेस्ट में झाग नहीं बन सकता | टूथपेस्ट और सेविंग क्रीम दोनों में ये "Sodium Lauryl Sulphate " डाला जाता है, बस थोडा प्रोसेस में अंतर होता है | ये झाग इसी केमिकल से बनता है तकनीकी भाषा में जिसे सिंथेटिक डिटर्जेंट कहा जाता है वही इन पेस्टों में मिलाया जाता है | यही सिंथेटिक डिटर्जेंट "Sodium Lauryl Sulphate " कपडा धोने वाले वाशिंग पावडर और डिटर्जेंट केक में, शैम्पू में और दाढ़ी बनाने वाले सेविंग क्रीम में भी मिलाया जाता है | दुनिया का सबसे रद्दी पेस्ट हम इस्तेमाल कर रहे हैं |

धर्म के हिसाब से भी पेस्ट सबसे ख़राब है | सभी पेस्टों में मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ मिलायी जाती है | ये कोई भी जानवर हो सकता है, मैं इशारों में आपको बता रहा हूँ और आप अगर शाकाहारी है या जैन धर्म को मानने वाले हैं तो क्यों अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं | मेरे पास हर कंपनी की लेबोरेटरी रिपोर्ट है कि कौन कंपनी कौन से जानवर की हड्डी मिलाती है और ये प्रयोगशाला में प्रयोग करने के बाद प्रमाणित होने के बाद आपको बता रहे हैं हम |

और ये कोलगेट नाम का पेस्ट बिक रहा है Indian Dental Association के प्रमाण से | मुझे जरा बताइए कि कब इस संगठन ने कोई बैठक किया और कोलगेट के ऊपर प्रस्ताव पारित किया कि "हम कोलगेट को प्रमाणित करते हैं कि ये भारत में बिकना चाहिए" लेकिन कोलगेट भारत में बिक रहा है IDA का नाम बेच कर | "IDA" लिखा रहता है Upper Case में और मोटे अक्षरों में, और "Accepted" लिखा होता है छोटे अक्षर में | यहाँ भी धोखा है, ये "accepted" लिखते हैं ना कि "certified" | मुझे तो आश्चर्य होता है कि भारत में दाँतों के डॉक्टर इसका विरोध क्यों नहीं करते, कोई डेंटिस्ट खड़ा हो कर इस झूठ को झूठ क्यों नहीं कहता, क्यों नहीं वो कोर्ट में केस करता | मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं कोई डेंटिस्ट नहीं हूँ, लेकिन कोई डेंटिस्ट इस बात को सिद्ध कर सकता है, और वो ये भी बता सकता है कि "कोई भी टूथपेस्ट जिसमे 1000 PPM से ज्यादा फ्लोराइड होता है तो वो सारे के सारे टूथपेस्ट जहर हो जाते है, टूथपेस्ट नहीं रहते" मैं अगर ये बात कोर्ट में कहूं तो कोर्ट मेरी बात नहीं मानेगा, कहेगा कि "आपके पास कोई डिग्री है इससे सम्बंधित" | दुर्भाग्य से, जिनके पास डिग्री है वो कोर्ट में जा नहीं रहे हैं और मेरे जैसे लोग, जिनके पास डिग्री नहीं है तो कोर्ट में जा नहीं सकते और खिसिया (गुस्सा) के रह जाते हैं |

आपको एक और जानकारी देता हूँ | अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा जाता है तो उसपर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | लिखते अंग्रेजी में हैं, मैं आपको हिंदी में बताता हूँ, उसपर लिखते हैं "please keep out this Colgate from the reach of the children below 6 years" मतलब "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट | और आगे लिखते हैं " In case of accidental ingestion , please contact nearest poison control center immediately , मतलब "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं "If you are an adult then take this paste on your brush in pea size " मतलब क्या है कि " अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" | और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते हैं | और जानबूझ बच्चो से विज्ञापन करवाया जाता है !! और ये अमेरीकन कंपनिया की चाल बाज है !! 1991 ये टीवी पर विज्ञापन दिखाते थे ! आम toothpaste में होता है नमक !! लीजिये colgate saltfree ! और अब बोलते है !! क्या आपके toothpaste मे नमक है ??

2-3 माहीने के बाद लेकर आ गए ! colgate max fresh !!
2-3 महीने ये बेच कर लोगो को बेवकूफ बनाया !! फिर नाम बदल कर ले आये ! colgate sensitive ! इसे अपने sensitive दाँतो आर मसाज करे !!
और विज्ञापन ऐसा दिखाते हैं !! जैसे ये कोई सच मे सर्वे कर रहे हैं !! हमारे दिमाग मे एक मिनट के लिए भी नहीं आता ! कि कंपनी ने विज्ञापन देने ए लिए लाखो रुपए खर्च किए है ! तो वो तो अपने जहर को बढ़िया ही बताने वाले हैं !
2-3 महीने इस नाम से बेचा अब नाम बदल कर रख दिया है ! colgate anti cavity !! थोड़े दिन इसको बेचेंगे फिर नाम बदल देंगे !!
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हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "warning" नहीं होती जो ये कंपनी अपने देश अमेरिका मे लिखती है हमारे देश मे उसके जगह "Directions for use" लिखा होता है, और वो बात, जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते | और कोलगेट के डिब्बे पर ISI का निशान भी नहीं होता , इसको Agmark भी नहीं मिला है, क्योंकि ये सबसे रद्दी क्वालिटी का होता है | जो वो अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर लिखते हैं, वो यहाँ भारत के पेस्ट पर नहीं लिखते, अब क्यों होता है ऐसा ये आपके मंथन के लिए छोड़ता हूँ और निर्णय भी आप ही को करना है |

यहाँ मैं भारत में कार्यरत कोलगेट कंपनी का एक पत्र भी डाल रहा हूँ जो भाई राकेश जी के इस प्रश्न के उत्तर में था कि "अमेरिका और यूरोप के पेस्ट पर जो चेतावनी आपकी कंपनी छापती है, वो भारत में उपलब्ध अपने पेस्ट के ऊपर क्यों नहीं छापती"| तो उनका (कंपनी का) उत्तर कितने छिछले स्तर का था ये देखिये...................


"गौ माँ " को मेरा प्रणाम !!!!!


"गाय" ........... आप इस शब्द का उच्चारण मात्र कीजिये , देखिएगा  आपको कितनी आत्म -संतुष्टि मिलेगी |

जी हाँ ! आज का मेरा विषय "गौ माँ" ही है | दोस्तों !! क्या कभी आपने सोचा है , की एक औरत , किसी दुसरे के बच्चे को अपना दूध बिना किसी मज़बूरी के
पिला सकती है क्या ?


जवाब मैं देता हूं आपको ---कदापि नहीं |

जी हाँ जब तक कोई ख़ास मज़बूरी ना पड़े , कोई भी औरत अपना दूध किसी और के बच्चे के साथ नहीं बाँट सकती ,,,,,,फिर भी वो महान कहलाती है |

तो आप गाय माँ को क्या कह कर पूजेंगे ?? /वो तो एक - दो को नहीं , बल्कि अनगिनत बच्चों ,बूड्डों, जवानों और यहाँ तक की महिलाओं तक को अपना दूध देकर स्वस्थ बनाती है |

क्या मैं गलत बोल रहा हूँ ?

जो लोग आज गौ मांस को खा कर अपना मन और तन शांत करते हैं ....वो भी इस बात से इनकार नहीं करेंगे की उनके बच्चों का पेट भी इसी गौ माँ के ढूध से भरा जाता है , जिसे वो इतनी निर्दयता से तड़पा --तड़पा कर मार देते हैं |

क्या वो अपनी जनम देने वाली माँ के साथ भी ऐसा ही करने की हिम्मत रखते हैं ????

हमारे देश में हर जीव -जंतु , पेड़ -पौधों यहाँ तक की छोटे -छोटे से कीटाणुओं तक को भगवान के साथ जोड़ कर पूजा जाता है.....हमारे देश की मिटटी के कण -कण में यही संस्कार घुले हुए हैं.....फिर ये क़त्ल करने वाले राक्षस कहाँ से हमारे देश और धरती को अपवित्र करने आ गए ?

ये तो निश्चित है की इनकी रगों में इंसानी खून हो ही नहीं सकता.....इनको मैं हैवान की ही संज्ञा  |

आज जो लोग गौ माता को बचाने के पावन कार्यों को अंजाम दे रहे हैं ......उनको मेरा बारम्बार प्रणाम है ,,,, प्रणाम है ,,,,,,|| 

हो सकता है मेरे इस लेख को पढ़ कर कुछ लोग विचलित हों , पर मेरा उनसे भी करबद्ध विन्नान्ति है की वो भी इस पुन्य के काम में हमारे साथ आयें |

ऐसा करने से उन्हें खुद पता चलेगा की उनके बच्चे और परिवार कितना सुख -समृद्धि से भरा- पूरा होगा |


***** चावल के घरेलू नुस्खे *****




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चावल से तो प्रायः सभी परिचित होंगे, भारत के कई प्रदेशों में चावल मुख्य भोजन के रूप में शामिल है। चावल बहुत गुणकारी होता है, यह हलका व सुपाच्य भोज्य है, इसे बीमार तथा स्वस्थ सभी लोग पसंद करते हैं। पुराना चावल ज्यादा सुस्वादु लगता है।

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* मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।


* जिनका पेट कमजोर हो यानी जो आसानी से भोजन न पचा पाते हों, उन्हें चावल में दूध मिलाकर 20 मिनट तक ढंककर रख दें, फिर खिलाएं तो आराम होगा।

* तीन साल पुराना चावल काफी स्वादिष्ट व ओजवर्धक होता है। चावल को मांड सहित खाना चाहिए। मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है।

* चावल, दाल (खासकर मूंग की), नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई खिचड़ी में घी मिलाकर सेवन करने से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है।

* अतिसार में चावल का आटा लेई की भांति पकाकर उसमें गाय का दूध मिलाकर रोगी को सेवन कराएं।

* पेट साफ न हो तो भात में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है। इसी के विपरीत भात को दही के साथ मिलाकर खाने से यदि दस्त लगे हों तो बंद हो जाते हैं।

* यदि भांग का नशा ज्यादा हो गया हो तो चावल धोकर निकाले पानी में खाने का सोडा दो चुटकी व शकर मिलाकर पिलाने से नशा उतर जाता है। यही पेय मूत्र विकार में भी काम आता है।

* सूर्योदय से पूर्व चावल की खील 25 ग्राम लेकर शहद मिलाकर खाकर सो जाएं। सप्ताहभर में आधासीसी सिर दर्द दूर हो जाएगा।


!!! में कौन हूं और मुझे क्या करना चाहिए !!!


एक इनसान जब होश संभालता है तो बहुत से प्रश्न उसके मन को बेचैन करते हैं। जब वह इस सृष्टि पर नज़र डालता है और पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं, फ़सलों और मौसमों को, धरती की सुंदरता और अंतरिक्ष की विशालता को, सूर्य से लेकर परमाणु तक को, उनकी संरचना, संतुलन और उपयोगिता को देखता है तो सहज ही कुछ प्रश्न पैदा होते हैं कि यह सब कुछ खुद से है या इसका कोई बनाने वाला और चलाने वाला है? अगर यह सब कुछ खुद से ही है तो इतना संतुलन और नियमबद्धता, इतनी व्यवस्था और उपयोगिता इन बुद्धि और चेतना से खाली निर्जीव पदार्थो में आई कैसे? और अगर कैसे भी इत्तेफ़ाक़ से आ गई तो फिर निरन्तर बनी हुई कैसे है? और अगर ऐसा नहीं है बल्कि किसी `ज्ञानवान हस्ती´ ने इस सृष्टि की रचना की है तो उसने ऐसा किस उद्देश्य से किया है? उसने मनुष्यञ को क्यों पैदा किया? और वह उससे क्या चाहता है? वह कौन सा मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य अपनी पैदाईश के उद्देश्य को पाने में सफल हो सकता है? आदि आदि।


इन सवालों का जवाब केवल ज्ञान द्वारा की संभव है। और ज्ञान के लिए एक गुरू की ज़रूरत है। ज्ञान देने वाला एक गुरू वास्तव में ज़मीन और आसमान के सारे खज़ानों से भी बढ़कर है क्योंकि केवल उसी के द्वारा मनुष्य अपने जीवन का वास्तविक `लक्ष्य´ और उसे पाने का `मार्ग´ जान सकता है और अपने लक्ष्य को पाकर अपना जन्म सफल बना सकता है। इस तरह एक सच्चे और ज्ञानी गुरू की तलाश हरेक 
मनुष्य की बुनियादी और सबसे बड़ी ज़रूरत है। लेकिन जैसा कि इस दुनिया का क़ायदा है कि हर असली चीज़ की नक़ल भी यहाँ मौजूद है इसलिए जब कोई मनुष्य गुरू की खोज में निकलता है तो उसे ऐसे बहुत से नक़ली गुरु मिलते हैं जिन्हें खुली आँखों से नज़र आने वाली चीज़ों की भी सही जानकारी नहीं होती लेकिन ईश्वर और आत्मा जैसी हक़ीक़तों के बारे में अपने अनुमान को ज्ञान बताकर लोगों को भटका देते हैं।

ऐसे ही प्रश्नों के जवाब पाने के लिए बालक मूलशंकर ने अपना घर छोड़ा और एक ऐसे सच्चे योगी गुरू की खोज शुरू की जो उसे `सच्चे शिव´ के दर्शन करा सके। इसी खोज में वह `शुद्धचैतन्य´ और फिर `दयानन्द´ बन गये लेकिन उन्हें ऐसा कोई योगी गुरू नहीं मिल पाया जो उन्हें `सच्चे शिवके दर्शन करा देता। 

तब उन्होंने स्वामी बिरजानन्द जी से थोड़े समय वेदों को जानने-समझने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने हिन्दू समाज में प्रत्येक स्तर पर व्याप्त पाखण्ड, भ्रष्ट्चार और अनाचार को खुद अपनी आंखों से देखा । तब उन्होंने अपनी सामर्थय भर इसके सुधार का बीड़ा उठाने का निश्चय किया। दयानन्द जी वास्तव में अपने निश्चय के पक्के और बड़े जीवट के स्वामी थे। उन्होंने अपने अध्ययन के मुताबिक अपना एक दृष्टिकोण बनाया और फिर उसी दृष्टिकोण के मुताबिक लोगों को उपदेश दिया और बहुत सा साहित्य रचा। यह साहित्य आज भी हमारे लिए उपलब्ध है ।



***** केला *****


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कच्चा केला मीठा, ठण्डी तासीर का, भारी, स्निग्ध, कफकारक, पित्त, रक्त विकार, जलन, घाव व वायु को नष्ट करता है। 

पका हुआ केला स्वादिष्ट, शीतल, मधुर, वीर्यवर्ध्दक, पौष्टिक, मांस की वृध्दि करने वाला, रुचिकारक तथा भूख, प्यास, नेत्ररोग और प्रमेह का नाश करने वाला होता है।

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* केला नेचरल फूड है। इसमें एनर्जी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए आप अपनी डाइट में केला जरूर शामिल करें। अगर आपको लगता है कि आपके ब्रेकफास्ट में पौष्टिक चीजें शामिल नहीं हैं, तो आप ब्रेकफास्ट में केला लें। यह विटामिन व मिनरल्स की कमी पूरी करेगा।

* जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उन्हें केले का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

* केले का शेक पेट को ठंडक पहुँचाता है। यह ब्लड में शुगर के लेवल को भी नियंत्रित करता है।

* केले में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह पाचन क्रिया में मदद करता है।

* अल्सर के मरीजों के लिए केले का सेवन फायदेमंद है।

* केले में आयरन भरपूर मात्रा में होता है। इससे खून में हिमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। इसलिए एनिमिया से पीडित रोगियों को केला जरूर खाना चाहिए।

* केला तनाव को कम करने में भी मदद करता है। केले में ट्राइप्टोफान नामक एमिनो एसिड होता है, जो मूड को रिलैक्स करता है।

केले में मुख्यतः विटामिन-ए, विटामिन-सी,थायमिन, राइबो-फ्लेविन, नियासिन तथा अन्य खनिज तत्व होते है. इसमें जल का अंश 64.3 प्रतिशत ,प्रोटीन 1.3 प्रतिशत, कार्बोहाईड्रेट 24.7 प्रतिशत तथा चिकनाई 8.3 प्रतिशत


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* शक्तिवर्धक :- एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच घी, पिसी हुई इलाइची व शहद मिला कर केले खाने के साथ पीने से शरीर सुन्दर और बलशाली होता है, बल, वीर्य, शुक्राणु ,काम-शक्ति और मष्तिस्क शक्ति बढ़ती है . दही में केला और पीसी हुई मिश्री मिलकर खाने से भी मोटापा बढ़ता है.

* बलवृद्धि के लिए व्यायाम तथा खेलकूद के बाद केले खाना चाहिए. केले में कार्बोहाईड्रेट पर्याप्त मात्र में होता है जो सरलता से पच जाता है , छोटे बच्चे को आसानी से दिया जा सकता है. यह बच्चों के लिए उतम आहार है. इसे मसलकर दूध में मिलकर खिलाने से अधिक फायदा होता है. यह खून में वृद्धि करके शरीर की ताकत बढाता है. नित्य केला का सेवन अगर दूध के साथ किया जाय तो कुछ ही दिनों में स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव देखा जा सकता है.

* कच्चे केले की सब्जी बहुत ताकतवर और पौष्टिक होती है मगर कच्चा केला आप ऐसे ही कभी न खाएं उसे सब्जी के रूप में ही खाएं.केले को अगर दूध में मिक्स करके खाया जाये तो यह पूरे भोजन की ताकत दे देता है. फिर आप दिन भर भोजन न भी करें तो कमजोरी महसूस नहीं होगी. केला छोटे बच्चों के लिए उत्तम व पौष्टिक आहार है। इसे मसलकर या दूध में फेंटकर खिलाने से लाभ मिलता है।

* पेचिश रोग में थोड़े-से दही में केला मिलाकर सेवन से फायदा होता है।पेट में जलन होने पर दही में चीनी और पका केला मिलाकर खाएं । इससे पेट संबंधी अन्य रोग भी दूर होते हैं।

*खाँसी में - एक पके केले में आठ साबुत काली मिर्च भर दें, वापस छिलका लगाकर खुले स्थान पर रख दें। शौच जाने के पूर्व प्रातः काली मिर्च निकालकर खा जाएँ , फिर ऊपर से केला भी खा जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने से हर तरह की खाँसी ठीक हो जाती है।अगर किसी को काली खांसी हो गयी है तो केले के तने को सुखाकर फिर जला कर जो राख बचती है वह दो-तीन चुटकी लीजिये और शहद मिला कर चटा दीजिये . काली खांसी जड़ से ख़त्म हो जाएगी.

* जलने पर - आग से बदन का कोई हिस्सा जल गया हो तो वहाँ केले को मसल कर रख दीजिये और ऊपर से कपडे से बाँध दीजिये.जलन भी कम होगी और घाव भी ठीक होगा.

* बबासीर में - एक केले को बीच से चीरा लगाकर चना बराबर कपूर बीच में रख दे फिर इसे खाए इससे बबासीर एकदम ठीक हो जाती है

* माहवारी में - अगर महिलाओं को माहवारी के समय बहुत ज्यादा रक्तस्राव होता हो तो केले के फूलों का रस निकाल कर उसे दही मिला कर पी लें. इस दवा से पतले दस्त में भी बहुत फायदा होता है.