06 November 2012

गुणकारी है तीखी मिर्च-



1 छोटी-छोटी फुन्सियां उठने पर हरी मिर्च का लेप लगाने से फुन्सियां बैठ जाती है।

2 खाज-खुजली के लिए मिर्च को तेल में जलाकर मालिश करने से आराम मिलता है।

3 जोड़ों का दर्द होने पर भी यह तेल फायदेमंद होता है।

4 कुत्ते के काट लेने पर या ततैया के के डंक मारने पर मिर्च को पीस कर लगाने से विषैले असर से छुटकारा मिलता है।

5 मकड़ी त्वचा पर चल जाती है, तब छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। उन पर भी मिर्च पीसकर लगाने से फायदा होता है।

6 हरी मिर्च अधिक मात्रा में नहीं ली जानी चाहिए, अन्यथा अम्ल-पित्त की शिकायत हो सकती है।

7 और शायद आपको पढ़कर आश्चर्य हो कि कई बुजुर्ग तीनों प्रकार की मिर्च काली, लाल और हरी को मिलाकर बनाए घोल से लंबे समय से चले आ रहे छालों का इलाज करते हैं। लेकिन बिना विशेषज्ञ की सलाह के आप ऐसा ना करें क्योंकि इसके लिए तीनों मिर्च की सुनिश्चित मात्रा लेकर कटोरी में घोल बनाया जाता है और जी कड़ा करके उसे एक साथ पी लिया जाता है। यह हर किसी पर कारगर हो आवश्यक नहीं।



अगर आप क्रीम वाले बिस्किट खाने के शौकीन हैं तो सतर्क हो जाइए


अगर आप क्रीम वाले बिस्किट खाने के शौकीन हैं तो सतर्क हो जाइए। हो सकता है इन बिस्किट में क्रीम की जगह वनस्पति घी और शक्कर का पेस्ट लगा हो। ये खुलासा हुआ है राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला में नामी कंपनियों के क्रीम बिस्किटों की जांच रिपोर्ट में। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (एफएसओ) द्वारा पिछले एक साल में नामी कंपनियों के क्रीमयुक्त बिस्किटों के 150 नमूने लिए गए थे। इनमें से 78 में वनस्पति घी, शक्कर और पानी के घोल का पेस्ट बिस्किटों के बीच लगा मिला है। मानक स्तर पर फेल हुए नमूनों में ब्रिटानिया, पारले, सनफीस्ट और कैडबरी जैसी नामी कंपनियों के नमूने शामिल हैं

एफएसओ डीके वर्मा के मुताबिक़ सभी मामलों में बिस्किट निर्माता कंपनी और सप्लायरों के विरुद्ध खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट में चालान दाखिल किए गए हैं। वर्मा के मुताबिक बिस्किट में अमानक क्रीम पाए जाने के बाद सभी एफएसओ को हर माह दुकानों को निरीक्षण कर बिस्किट के नमूने लेने को कहा गया है।

राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला के फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा ने बताया बिस्किट निर्माता कंपनियां क्रीम के नाम पर बिस्किटों के बीच वनस्पति घी, शक्कर और पानी के पेस्ट का उपयोग कर रही हैं। पेस्ट का रंग क्रीम जैसा होने के कारण उपभोक्ता असली और नकली में फर्क नहीं कर पाते। बिस्किटों के बीच भरे जाने वाले इस पेस्ट में बिस्किट कंपनियों के अधिकारी विभिन्न प्रकार के फ्लेवर व एसेंस की मिलावट करते हैं।

एफएसओ वर्मा ने बताया कि इस साल सबसे ज्यादा 50 नमूने पारले मेनिफिस्टो के फेल हुए हैं। इसके अलावा सनफीस्ट क्रीम के 15 और ब्रिटानिया क्रीम बिस्किट (ऑरेंज फ्लेवर) के 12 नमूनों में मिलावट मिली है। दो माह पहले लिए गए कैडबरी कंपनी के ओरियो बिस्किट का भी एक नमूना फेल हुआ है। एफएसओ वर्मा ने बताया कि कैडबरी कंपनी ने लैब रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इस पर ओरियो बिस्किट का नमूना जांच के लिए रेफरल लैब, मैसूर भेजा भेजा गया था, जहां से भेजी गई जांच रिपोर्ट में बिस्किट की क्रीम को अमानक स्तर का बताया गया।

बिस्किट का नाम : नमूने फेल


पारले मेनिफिस्टो : 50
सनफीस्ट क्रीम बिस्किट : 15
ब्रिटानिया क्रीम बिस्किट (ऑरेंज फ्लेवर) : 12
कैडबरी ओरियो बिस्किट : 1


(राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला के फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा के मुताबिक।)


आयुर्वेद .....वात, पित्त कफ ::



आयुर्वेद मुख्यतः पारंपरिक और महर्षि होते हैं । जो महर्षि आयुर्वेद है वो पारंपरिक आयुर्वेद पर हीं आधारित है जिसे योगी महेश ने शास्त्रीय ग्रंथों का अनुवाद करके लिखा है। दोनों प्रकार के आयुर्वेदिक उपचार में शरीर के दोष को दूर किया जाता है और लगभग एक हीं तरह का उपचार किया जाता है । आयुर्वेद के अलावा महर्षि महेश ने अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में परम चेतना की भूमिका पर जोर दिया है, जिसके लिए उन्होनें ट्रान्सेंडटेल  ध्यान (टीएम) को प्रोत्साहित किया है । इसके अलावा महर्षि महेश के विचार सकारात्मक भावनाओं पर जोर देती है जो शरीर की लय को प्राकृतिक जीवन के साथ समायोजित करती है ।


दोष और उपचार

आयुर्वेद मानता है कि जिस तरह प्रत्येक व्यक्ति के उँगलियों के निशान अलग अलग होते हैं उसी तरह हर किसी की मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा अलग अलग पैटर्न की होती है । आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति में तीन बुनियादी ऊर्जा मौजूद होती हैं जिन्हें दोष कहा जाता है , जो निम्न प्रकार के होते हैं :

• वात: यह शारीरिक ऊर्जा से संबंधित कार्यों की गति को नियंत्रण में रखता है, साथ ही रक्त परिसंचरण, श्वशन क्रिया , पलकों का झपकाना , और दिल की धड़कन में उचित संतुलन ऊर्जा भेजकर उससे सही काम करवाता है । वात आपके सोचने समझने की शक्ति को बढ़ावा देता है, रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है लेकिन अगर यह असंतुलित हो गया तो घबराहट एवं डर पैदा करता है।

• पित्त: यह शरीर की चयापचय क्रिया पर नियंत्रण रखता है, साथ ही पाचन, अवशोषण, पोषण, और शरीर के तापमान को भी संतुलित रखता है। अगर पित्त की मात्रा संतुलन में हो तो यह मन में संतोष पैदा करता है तथा बौधिक क्षमता को बढाता है लेकिन यह अगर असंतुलित हो गया तो अल्सर एवं क्रोध पैदा करता है।

• कफ: यह ऊर्जा शरीर के विकास पर नियंत्रण रखता है । यह शरीर के सभी भागों को पानी पहुंचाता है, त्वचा को नम रखता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है । उचित संतुलन में कफ की ऊर्जा मनुष्य के भीतर प्यार और क्षमा की भावना भर देती है लेकिन इसके असंतुलन पर मनुष्य ईर्ष्यालू हो जाता है और वह खुद को असुरक्षित महसूस करने लगता है ।

आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति में ये तीन दोष पाए जाते हैं , लेकिन किसी किसी व्यक्ति में केवल 1 या 2 दोष ही पूरी तरह से सक्रिय रहतें हैं । इन दोषों का संतुलन कई कारणों से असंतुलित हो जाता है मसलन तनाव में रहने से या अस्वास्थ्यकर आहार खाने से या प्रतिकूल मौसम की वजह से या पारिवारिक रिश्तों में दरार के कारण । तत्पश्चात दोषों की गड़बड़ी शरीर की बीमारी के रूप में उभर कर सामने आती!!


इन पत्तियों की खास बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये हैं चमत्कारी पत्तियां-



शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर कई प्रकार की सामग्री फूल-पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण है बिल्वपत्र। बिल्वपत्र से जुड़ी खास बातें जानने के बाद आप भी मानेंगे कि बिल्व का पेड बहुत चमत्कारी है-


पुराणों के अनुसार रविवार के दिन और द्वादशी तिथि पर बिल्ववृक्ष का विशेष पूजन करना चाहिए। इस पूजन से व्यक्ति से ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है।

क्या आप जानते हैं कि बिल्वपत्र छ: मास तक बासी नहीं माना जाता। इसका मतलब यह है कि लंबे समय शिवलिंग पर एक बिल्वपत्र धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसी प्रकार यह एक औषधि के रूप में काम आता है।

शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। भक्त को जीवन में कभी भी पैसों की कोई समस्या नहीं रहती है।

शास्त्रों में बताया गया है जिन स्थानों पर बिल्ववृक्ष हैं वह स्थान काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र है। ऐसी जगह जाने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।

ध्यान रखें इन कुछ तिथियों पर बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। ये तिथियां हैं चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार तथा प्रतिदिन दोपहर के बाद बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। ऐसा करने पर पत्तियां तोडऩे वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है।

शास्त्रों के अनुसार बिल्व का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है।

घर में बिल्ववृक्ष लगाने से परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं। इस वृक्ष के प्रभाव से सभी सदस्य यशस्वी होते हैं, समाज में मान-सम्मान मिलता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।



SPROUTED FOOD नहीं खाते हैं ...तो जान लें क्यों हैं ये SUPERB



हेल्थ बनाने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो न सिर्फ यह बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.....

- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।

- अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।


- अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन ,कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।

- अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है यह शरीर को सुंदर व स्वस्थ बनाता है।

- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहुं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।

- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुद्घ करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुद्घ होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है।

- अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।