आयुर्वेद में अदरक का प्रचलन बतौर औषधि प्राचीन काल से होता आ रहा है. अदरक को आयुर्वेद में महाऔषधि कहा जाता है. यह आद्र अवस्था में अदरक तथा सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है.
ताजी अदरक में 81% जल, 2.5% प्रोटीन, 1% वसा, 2.5% रेसे और 13% कार्बोहायड्रेट होता है. इसके अतिरिक्त इसमें आयरन, कैल्सियम लौह फास्फेट आयोडीन क्लोरिन खनिज लवण तथा विटामिन भी पर्याप्त मात्र में होता है.
अदरक का प्रयोग किन-किन बीमारियों में
अदरक जोड़ो के दर्द में , हड्डियों के रोगों के कारण सूजन, दर्द, हाथ पैर चलाने में कठिनाई, पेट के कीड़े और खांसी , जुकाम, दमा और शरीर में दर्द के साथ बुखार, कब्ज होना, कान में दर्द, उल्टियाँ होना, मोच आना, उदर शूल, गठिया, र्यूमेटिक आर्थराइटिस, साइटिका और गर्दन व रीढ़ की हड्डियों की बीमारी (सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस) आदि समस्या में अदरक सेवन करने से सूजन एवं अन्य लक्ष्ण उत्पन्न करने वाले रसायन हारमोन जैसे प्रोसटाग्लेनडीन, ल्यूकोट्रिन का उत्पादन कम हो जाता है.
१. मांसपेशियों के दर्द में - अदरक का सेवन शरीर के द्रव्य का बहाव सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए भी किया जाता है. अदरक पूरे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ा देता है. इसके सेवन से ह्रदय की मांसपेशियां ज्यादा शक्ति से संकुचित होती है रक्त वाहिनियाँ फ़ैल जाती है, जिससे ऊतकों और कोशिकाओं का रक्त प्रवाह बढ़ जाता है और मांसपेशियों का अकड़न, दर्द, तनाव आदि से आराम मिलता है. ताजे अदरक को पीसकर दर्द वाले जोड़ों व पेशियों पर इसका लेप करके ऊपर से पट्टी बाँध दें.इससे उस जोड़ की सूजन व दर्द तथा माँसपेशियों का दर्द भी कम हो जाता है.
२. ह्रदय रोग में - ह्रदय पर जोर कम पड़ता है. अदरक के प्रभाव से रक्त प्लेटलेट कोशिकाओं का चिपचिपापन कम हो जाता है जिससे रक्त में थक्का बनने की सम्भावना कम हो जाती है फलस्वरूप अनेक रोगों जैसे ह्रदय आघात, स्ट्रोक (पक्ष घात), इत्यादि से बचाव हो जाता है . कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन के बाद भी अदरक के सेवन सेकोलेस्ट्रोल स्तर कम बढ़ता है.
३. गैस होने पर - अदरक एक शक्तिशाली जीवाणुनाशक भी है . शोधों से यह ज्ञात हुआ है की अदरक बड़ी आँत में पाए जाने वाली बैक्टीरिया का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है . इसमें विद्यमान गुण के कारण कैंसर से भी बचा जा सकता है . इसमें एंटी-ओक्सिडेंट गुण भी होते है , इसके सेवन से कैंसर बचाव में सहायक एंजायम सक्रीय हो जाते है . अदरक में 400 से भी ज्यादा ऐसे कम्पाउंड ( यौगिक ) है जो अलग-अलग ढंग से अपना अच्छा प्रभाव शरीर पर डालता है .
अदरक का सेवन
१. - शोधों से ज्ञात हुआ है की करीब एक ग्राम अदरक सेवन करने से यात्रा के दौरान सम्बेदनशील व्यक्तियों में होने वाली मितली और उलटी से आराम मिलता है. इसी प्रकार 250 मिली ग्राम सोंठ दिन में चार बार सेवन से महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली व उलटी से आराम मिलता है और इसके सेवन से कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है.
२. - 0.5 से 1 ग्राम अदरक प्रतिदिन 3 माह तक सेवन करने से आस्टियो आर्थराईटिस, रुमेटाइड आर्थराईटिस तथा मांसपेशियों के दर्द के मरीजों को आराम मिलता है.
३.- अगर किसी व्यक्ति को खाँसी के साथ कफ भी हो गया हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक डालकर उबालकर पिलाएँ.यह प्रक्रिया करीबन 15 दिनों तक अपनाएँ.इससे सीने में जमा कफ आसानी से बाहर निकल आएगा.इससे रोगी को खाँसी और कफ दोनों आराम भी महसूस होगा.रोगी को अदरक वाला दूध पिलाने के बाद पानी न पीने दें.
४. त्वचा को निखारे-अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है.सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं. इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवां दिखेंगे.
अदरक की तासीर गर्म होती है इसलिए गर्मी के दिनों में कम उपयोग करना चाहिये. भारतीय व्यंजन में अदरक का उपयोग बहुतायत से होता है. इसका सेवन सब्जी, चटनी, अचार, सॉस, टॉफी, पेय पदार्थों, बिस्कुट, ब्रेड इत्यादि में स्वाद व सुगंध के लिए किया जाता है. इसका प्रयोग से भोजन स्वादिष्ट और सुपाच्य हो जाता है साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भी.
No comments:
Post a Comment