27 November 2012

जप तीन प्रकार का कहा गया है


जप तीन प्रकार का कहा गया है – 

(१) वाचिक, (२) उपांशु एवं (३) मानसिक | 

एक की अपेक्षा दुसरे को उतरोतर अधिक लाभदायक माना  गया है | 

अर्थात वाचिक की अपेक्षा उपाशु और उपांशु की अपेक्षा मानसिक जप अधिक लाभदायक है | जप जितना अधिक हो उतना ही विशेष लाभदायक होता है |

मानसिक जप : इस जप में किसी भी प्रकार के नियम की बाध्यता नहीं होती है। सोते समय, चलते समय, यात्रा में भी ‘मंत्र’ जप का अभ्यास किया जाता है। मानसिक जप सभी दिशाओं एवं दशाओं में करने का प्रावधान है। मंत्र जप के लिए शरीर की शुद्धि आवश्यक है। अत: स्नान करके ही आसन ग्रहण करना चाहिए। साधना करने के लिए सफेद कपड़ों का प्रयोग करना सर्वथा उचित रहता है भगवान् श्रीहरि के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए। भगवान् शिव के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। चन्दन की माला का प्रयोग कार्य सिद्ध की कामना के लिए करना चाहिए।


आयुर्वेदिक दोहे



1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।

2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय
... तत्काल।।

3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।

4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।

5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।

6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।

7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।

8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।

9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।

10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें,पथरी से
आराम।।

11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।

12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।

13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।

14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।

15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।

16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।

17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।

18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू
जाय।।

19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।

20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।

21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।

22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।

23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।

24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।

25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।

26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।

27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।

28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥

29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥


सुबह उठ कर २ से ४ ग्लास पानी पीना चाहिए


सुप्रभात



- सुबह उठ कर २ से ४ ग्लास पानी पीना चाहिए . इसके साथ अपनी प्रकृति के अनुसार कोई ना कोई आयुर्वेदिक औषधि लेनी चाहिए . 

वात या पित्त प्रवृत्ति के लोगों को आंवला , एलो वेरा , या बेल पत्र या नीम पत्र या वात प्रवृत्ति वालों को मेथी दाना (भिगोया हुआ ); 

थायरोइड के मरीजों को

भिगोया हुआ धनिया , कफ प्रवृत्ति के लोगों को तुलसी , कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को गिलोय घनवटी . इस प्रकार से रूटीन बना ले .


- खाली पेट चाय पीने से एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है .

- चाय का पानी उबालते समय उसमे ऋतू अनुसार कोई ना कोई जड़ी बूटी अवश्य डाले .अदरक चाय के बुरे गुणों को कम करता है .
- सुबह घुमने जाते समय अपने आस पास के वृक्षों और पौधों पर नज़र डाले .इनका आयुर्वेदिक महत्त्व समझे और इसके बारे में जानकारी फैलाइए . ताकि लोग इन्हें संरक्षण दे और काटे नहीं .इसमें कोई ना कोई जड़ी बूटी अपनी चाय के लिए चुन ले .


- हार्ट के मरीजों को अर्जुन की छाल चाय में डालनी चाहिए

- शकर जितनी कम डालेंगे हमारी आदत सुधरती जायेगी और मोटापा कम होता जाएगा .

- सफ़ेद शकर की जगह मधुरम का प्रयोग करे .

- चाय में तुलसी , इलायची , लेमन ग्रास , अश्वगंधा या दालचीनी डाली जा सकती है .

- चाय के पानी में थोड़ी देर दिव्य पेय डाल कर उबाले .

- राजीव भाई ने बताया था के वाग्भट के अष्टांग हृदयम में बताये गएसूत्रों के अनुसार दूध सुबह नहीं लिया जाना चाहिए पर ये काढ़े के साथ
लिया जा सकता है . अगर हम चाय के पानी में दिव्य पेय या कोई भी जड़ी बूटी डाल कर ५-१० मी . उबाल ले तो ये एक काढा ही तैयार हो जाएगा . अब इसमें हम दूध डाल के ले सकते है .

- जो बच्चें मौसम बदलने पर बार बार बीमार पड़ते है उन्हें रोज़ थोड़ी चाय

(जड़ी बूटी वाली ) दी जानी चाहिए .पेट गड़बड़ होने पर भी बच्चों को चाय
देनी चाहिए .
- चाय के साथ कोई नमकीन पदार्थ ना ले क्योंकि इसमें दूध होता है जिसके साथ अगर नमक लिया जाए तो ये ज़हर पैदा करता है जिससे त्वचा रोग भी हो सकते
है .

- चाय कम स्ट्रोंग पीनी चाहिए .

- दिन में २ कप से अधिक चाय कभी ना ले .
- चाय हमेशा स्वदेशी ब्रांड की ही ले ताकि हम सुबह का पहला काम तो देश
के नाम कर सके .

- जो शाकाहारी है वे चाय बोन चायना के कप में ना ले क्योंकि ये कप

हड्डियों के चूरे से ही बनाए जाते है .
- आपका दिन शुभ हो ,मंगलमय हो .