" माँ - बाप की आँखों मे दो बार ही आंसू आते है |
एक तो लड़की घर छोड़े तब और दूसरा लड़का मुह मोड़े तब | पत्नी पसंद से मिल सकती है |
मगर माँ तो पुण्य से ही मिलती है | इसलिए पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकरा देना | जब तू छोटा था तो माँ की शय्यां गीली रखता था , अब बड़ा हुआ तो माँ की आँख गीली रखता है | तू कैसा बेटा है ?
तूने जब धरती पर पहला साँस लिया तब तेरे माँ - बाप तेरे पास थे | अब तेरा फ़र्ज़ है की
माता - पिता जब अंतिम सांस ले तब तू उनके पास रहे | "
सांसारिक जीवन में इंसान की तीन अवस्था होती है जिनमे तीन काम जरुरी है
- 1. बचपन में ज्ञान कमाना जरुरी है
- 2. जवानी में रुपये - पैसे कमाना जरुरी है
- 3. बुढ़ापे में पुन्य कमाना जरुरी है
जिंदगी की आधी परेशानियाँ ऐसे ही दूर हो जाएगी, अगर.......
अगर हम एक दूसरे के बारे में बोलने कि जगह, एक दूसरे से बोलना सीख लें
आज का पारिवारिक माहोल होटल की तरह हो गया है ...
जैसे होटल में कौनसी टेबल पर कौन बैठा है किसी को नहीं पता होता....
एक आता है दूसरा चला जाता है ....
यही हाल आज के इन्सान का है,
एक घर में दो भाई है तो पहला आगे के दरवाजे से आता है ,
तो दूसरा पीछे के दरवाजे से बहार निकल जाता है..
किसी को किसी से जोई मतलब ही नहीं है...
सब अपने आप में मस्त है .
तुम दूसरों से आशीर्वाद मांगते हो, जरा यह भी सोचो,
तुम्हें स्वयं... का आशीर्वाद मिल रहा है या नहीं?
तुम्हारा पवित्र विचार और पवित्र आचार तुम्हारा अपना आशीर्वाद है.
परिवार में कभी आपसी बातचीत बंद नहीं करना...
चाहे कितना भी झगडा करो कितना भी बोलो
चाहे मार दो या मार खा लो ..
लेकिन बातचीत कभी बंद मत करो.....क्यों की बातचीत बंद होते ही सुलह के सरे रास्ते बंद हो जाते है ,,,,,,,
तो बातचीत कभी बंद मत करो..
प्रश्न-नारियल को श्री फल क्यों कहते हैं?
उत्तर-नारियल धरती से जितना भी पानी लेता है,अपने बढ़ने के लिए,वेह उसके उपकार को नहीं भूलता है,और सारा पानी अपने अन्दर संचित करके रखता है,मीठा बनाये रखता है,जिससे लोगों की उस पानी को प्यास मिट जाए.इसलिए नारियल को श्री फल कहते हैं,उसके अन्दर भी कल्याण की भावना है.तोह हमारे अंदर क्यों नहीं है?
बच्चों के झगडे में बडों को और सास बहू के झगडों में बाप बेटे को कभी नहीं पडना चाहिये । संभव है कि दिन में सास बहू में कुछ कहा सुनी हो तो स्वाभाविक है कि वे इसकी शिकायत रात घर लौटे अपने पति से करेगी । पतियों को उनकी शिकायत गौर से सुननी चाहिये, सहानुभूति भी दिखानी चाहिये । मगर जब सोकर उठे तो आगे पाठ-पीछे सपाट की नीति ही अपनानी चाहिये, तभी घर में एकता कायम रह सकती है ।
जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई गल नहीं, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।
" सूर्योदयके साथ ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए ,
ऐसा न करने से सिर पर पाप चढ़ता है | महिलाये जो की घर की लक्ष्मी है ,
इन लक्स्मियो को सूर्योदय के साथ ही उठ जाना चाहिए | लक्स्मन थोड़ी देर मे उठे
तो एक बार चल जायेगा , पर लक्ष्मी का देर से उठना बिलकुल नहीं चलेगा |
जिन घर - परिवारों मे लक्स्मन के साथ लक्ष्मी भी देर सुबह तक सोई पड़ी रहती है
उन घरो की ' असली - लक्ष्मी ' रूठ जाया करती है | और घर छोड़कर चली जाया करती है | "
डाक्टर और गुरु के सामने झूंठ मत बोलिये क्योंकिं यह झूंठ बहुत महंगा पड सकता है । गुरु के सामने झूंठ बोलने से पाप का प्रायश्चित नही होगा, डाक्टर के सामने झूंठ बोलने से रोग का निदान नहीं होगा । डाक्टर और गुरु के सामने एकदम सरल और तरल बनकर पेश हो । आप कितने ही होशियार क्यों न हो तो भी डाक्टर और गुरु के सामने अपनी होशियारी मत दिखाइये, क्योंकिं यहां होशियारी बिल्कुल काम नहीं आती ।
सज धज कर जिस दिन मौत की शेह्जादी आएगी न सोना काम आएगा न चांदी आएगी....
छोटा सा तू कितने बड़े अरमान है तेरे...मिट्टी का तू सोने के सब सामान है तेरे
मिट्टी की काया मिट्टी में जिस दिन समाएगी..........न सोना काम आएगा न चांदी आयेगी....
राजेश अग्रवाल