एक बात समझ में नहीं आती कि इस क्रिकेट को देखने से क्या हासिल होता है ? इस क्रिकेट की आड़ मै हिंदुस्तानिओं को लूटा जा रहा है और आम हिन्दुस्तानी क्रिकेट का मैच देखने के लिए अपने आपको लुटवाने के लिए हमेशा तैयार रहता है | हाँ इस खेल को देखने से किसी को कुछ हासिल होता ना हो लेकिन बहुत कुछ बर्बाद जरूर हो जाता है | प्रस्तुत है कुछ कटु सत्य :-
01 क्रिकेट का आयोजन प्रायः विदेशी कम्पनियाँ ही आयोजित करती है | ये अलग बात है कि कुछ स्वदेशी कम्पनियां भी इसमें शामिल होती है | लेकिन ज्यादातर ये विदेशी कम्पनियाँ ही होती है | जाहिर है कि स्टेडियम में इस खेल को देखने जब कोई जाता है तो उसे टिकट लेना होता है | इस टिकट का पैसा ये विदेशी कम्पनियाँ भारत से बाहर ले जाती है |
02 दूसरी बात है कि जहा भी क्रिकेट खेला जाता है वहां टोइलेट क्लीनर (पेप्सी और कोका कोला व अन्य विदेशी ब्रांड) जरूर बिकता है और धड़ल्ले से बिकता है | जिसे आम हिन्दुस्तानी इन टोइलेट क्लीनर को अनजाने में बड़े मजे से पीता है | जिससे स्वास्थ्य खराब होता है | यानी खेल देखना तो एक बहाना है | वास्तव मै तो पैसा खर्च करके बीमार होने जाना है |
03 जिस दिन क्रिकेट होता है लोग पागल हो जाते है | शहरों मै रहने वाले तो महापगल हो जाते है| लोग काम करने के बजाय ऑफिस से छुट्टी लेकर मेच देखने घर जाते है | यानी जो समय उत्पादन में देना चाहिए वो बेकार मै खेल देखने में देते है |
04 जो लोग दूर बैठे है वो अपनी अपनी टेलीविजन चालू करके बैठ जाते है | जिस दिन खेल होता है उस दिन भारत के करोड़ों करोड़ों लोग TV देखते है जिससे कितनी बिजली व्यर्थ जाती है आप अंदाजा लगाइए | मेच ख़त्म होने पर यदि उनसे पुछा जाये की 4 - 5 घंटे आपने टीवी देखि है आपको क्या मिला? आपको कोई आर्थिक लाभ हुवा या स्वास्थ्य लाभ हुवा ? तो एक ही जवाब होता है की कुछ नहीं हासिल हुवा | तो भैया 4 - 5 घंटे तक आपने TV के सामने बैठकर क्या झक मारी है | जब क्रिकेट देखने से कुछ हासिल नहीं होता
05 विदेशी कम्पनी झूठे विज्ञापन में किसी क्रिकेटर को खरीद कर उसके द्वारा अपनी एक ब्रांड value बना लेती है जिसके एवज में ग्राहकों से मनमाने दाम वसूले जाते हैं अधिकांशतः भारत की छोटी कम्पनी से ये लोग काफी कम कीमत पर सामान खरीदकर अपने ब्रांड का टेग लगाकर काफी अधिक कीमत पर (1000% मुनाफे तक ) बेचते हैं . आम लोग इन कीमती वस्तुओं को खरीदना चाहते हैं जो उनके ईमानदारी की कमाई से सामान्यतः संभव नहीं सो लोग बेईमानी एवं भ्रस्टाचार का सहारा लेते हैं - किसी भी तरह पैसे कमा कर इन चीजों को खरीदना. आज अधिकांस branded विदेशी कंपनियों के उत्पाद भ्रस्टाचार की कमाई से ही ख़रीदे जा रहे हैं .
06 क्रिकेटर पैसो की खातिर टी वी एड करते है ऒर लोगों को उस कंपनी का सामान खरीदने के लिए कहते है उन्हे इस बात की परवाह नही कि जो समान वो खरीदने के लिये कह रहे है वो नुकसान देह तो नही ऒर उनके फ़ैन आंखे बंद करके उसे खरीदते है ऒर पैसा जाता है काली कमाई के रूप में या विदेशी कंपनियो के पास या स्विस बैंको में !
07 स्विस बैंक में जमा काले धन को लेकर आवाज उठाने वाले रुडोल्फ एल्मकर का दावा है कि इस बैंक में भारतीय क्रिकेटरों और फिल्मन जगत के सितारों के भी गोपनीय खाते हैं।रुडोल्फ एल्मर ने स्विटजरलैंड की बैंकों में खुले 2000 खातों की जानकारी की सीडी विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दे दी। ऐसे में हम लोग भी इन की मदद कर रहे है देश के खिलाफ़
ये है लिंक::
http://indiatoday.intoday.in/story/rudolph-elmer-swiss-bank-indian-tax-evaders/1/150967.html
अब आप सभी ही समझ सकते है कि क्रिकेट के कितने फ़ायदे है भारत में ऒर भी बहुत सारी खेले हैं उन्हे भी आगे लाना चाहिये ऒर जिससे देश का सर्वरूप से विकास हो सके!!
01 क्रिकेट का आयोजन प्रायः विदेशी कम्पनियाँ ही आयोजित करती है | ये अलग बात है कि कुछ स्वदेशी कम्पनियां भी इसमें शामिल होती है | लेकिन ज्यादातर ये विदेशी कम्पनियाँ ही होती है | जाहिर है कि स्टेडियम में इस खेल को देखने जब कोई जाता है तो उसे टिकट लेना होता है | इस टिकट का पैसा ये विदेशी कम्पनियाँ भारत से बाहर ले जाती है |
02 दूसरी बात है कि जहा भी क्रिकेट खेला जाता है वहां टोइलेट क्लीनर (पेप्सी और कोका कोला व अन्य विदेशी ब्रांड) जरूर बिकता है और धड़ल्ले से बिकता है | जिसे आम हिन्दुस्तानी इन टोइलेट क्लीनर को अनजाने में बड़े मजे से पीता है | जिससे स्वास्थ्य खराब होता है | यानी खेल देखना तो एक बहाना है | वास्तव मै तो पैसा खर्च करके बीमार होने जाना है |
03 जिस दिन क्रिकेट होता है लोग पागल हो जाते है | शहरों मै रहने वाले तो महापगल हो जाते है| लोग काम करने के बजाय ऑफिस से छुट्टी लेकर मेच देखने घर जाते है | यानी जो समय उत्पादन में देना चाहिए वो बेकार मै खेल देखने में देते है |
04 जो लोग दूर बैठे है वो अपनी अपनी टेलीविजन चालू करके बैठ जाते है | जिस दिन खेल होता है उस दिन भारत के करोड़ों करोड़ों लोग TV देखते है जिससे कितनी बिजली व्यर्थ जाती है आप अंदाजा लगाइए | मेच ख़त्म होने पर यदि उनसे पुछा जाये की 4 - 5 घंटे आपने टीवी देखि है आपको क्या मिला? आपको कोई आर्थिक लाभ हुवा या स्वास्थ्य लाभ हुवा ? तो एक ही जवाब होता है की कुछ नहीं हासिल हुवा | तो भैया 4 - 5 घंटे तक आपने TV के सामने बैठकर क्या झक मारी है | जब क्रिकेट देखने से कुछ हासिल नहीं होता
05 विदेशी कम्पनी झूठे विज्ञापन में किसी क्रिकेटर को खरीद कर उसके द्वारा अपनी एक ब्रांड value बना लेती है जिसके एवज में ग्राहकों से मनमाने दाम वसूले जाते हैं अधिकांशतः भारत की छोटी कम्पनी से ये लोग काफी कम कीमत पर सामान खरीदकर अपने ब्रांड का टेग लगाकर काफी अधिक कीमत पर (1000% मुनाफे तक ) बेचते हैं . आम लोग इन कीमती वस्तुओं को खरीदना चाहते हैं जो उनके ईमानदारी की कमाई से सामान्यतः संभव नहीं सो लोग बेईमानी एवं भ्रस्टाचार का सहारा लेते हैं - किसी भी तरह पैसे कमा कर इन चीजों को खरीदना. आज अधिकांस branded विदेशी कंपनियों के उत्पाद भ्रस्टाचार की कमाई से ही ख़रीदे जा रहे हैं .
06 क्रिकेटर पैसो की खातिर टी वी एड करते है ऒर लोगों को उस कंपनी का सामान खरीदने के लिए कहते है उन्हे इस बात की परवाह नही कि जो समान वो खरीदने के लिये कह रहे है वो नुकसान देह तो नही ऒर उनके फ़ैन आंखे बंद करके उसे खरीदते है ऒर पैसा जाता है काली कमाई के रूप में या विदेशी कंपनियो के पास या स्विस बैंको में !
07 स्विस बैंक में जमा काले धन को लेकर आवाज उठाने वाले रुडोल्फ एल्मकर का दावा है कि इस बैंक में भारतीय क्रिकेटरों और फिल्मन जगत के सितारों के भी गोपनीय खाते हैं।रुडोल्फ एल्मर ने स्विटजरलैंड की बैंकों में खुले 2000 खातों की जानकारी की सीडी विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दे दी। ऐसे में हम लोग भी इन की मदद कर रहे है देश के खिलाफ़
ये है लिंक::
http://indiatoday.intoday.in/story/rudolph-elmer-swiss-bank-indian-tax-evaders/1/150967.html
अब आप सभी ही समझ सकते है कि क्रिकेट के कितने फ़ायदे है भारत में ऒर भी बहुत सारी खेले हैं उन्हे भी आगे लाना चाहिये ऒर जिससे देश का सर्वरूप से विकास हो सके!!