27 September 2012

इस क्रिकेट को देखने से क्या हासिल होता है ?

एक बात समझ में नहीं आती कि इस क्रिकेट को देखने से क्या हासिल होता है ? इस क्रिकेट की आड़ मै हिंदुस्तानिओं को लूटा जा रहा है और आम हिन्दुस्तानी क्रिकेट का मैच देखने के लिए अपने आपको लुटवाने के लिए हमेशा तैयार रहता है | हाँ इस खेल को देखने से किसी को कुछ हासिल होता ना हो लेकिन बहुत कुछ बर्बाद जरूर हो जाता है | प्रस्तुत है कुछ कटु सत्य :-


01 क्रिकेट का आयोजन प्रायः विदेशी कम्पनियाँ ही आयोजित करती है | ये अलग बात है कि कुछ स्वदेशी कम्पनियां भी इसमें शामिल होती है | लेकिन ज्यादातर ये विदेशी कम्पनियाँ ही होती है | जाहिर है कि स्टेडियम में इस खेल को देखने जब कोई जाता है तो उसे टिकट लेना होता है | इस टिकट का पैसा ये विदेशी कम्पनियाँ भारत से बाहर ले जाती है |


02 दूसरी बात है कि जहा भी क्रिकेट खेला जाता है वहां टोइलेट क्लीनर (पेप्सी और कोका कोला व अन्य विदेशी ब्रांड) जरूर बिकता है और धड़ल्ले से बिकता है | जिसे आम हिन्दुस्तानी इन टोइलेट क्लीनर को अनजाने में बड़े मजे से पीता है | जिससे स्वास्थ्य खराब होता है | यानी खेल देखना तो एक बहाना है | वास्तव मै तो पैसा खर्च करके बीमार होने जाना है |


03 जिस दिन क्रिकेट होता है लोग पागल हो जाते है | शहरों मै रहने वाले तो महापगल हो जाते है| लोग काम करने के बजाय ऑफिस से छुट्टी लेकर मेच देखने घर जाते है | यानी जो समय उत्पादन में देना चाहिए वो बेकार मै खेल देखने में देते है |


04 जो लोग दूर बैठे है वो अपनी अपनी टेलीविजन चालू करके बैठ जाते है | जिस दिन खेल होता है उस दिन भारत के करोड़ों करोड़ों लोग TV देखते है जिससे कितनी बिजली व्यर्थ जाती है आप अंदाजा लगाइए | मेच ख़त्म होने पर यदि उनसे पुछा जाये की 4 - 5 घंटे आपने टीवी देखि है आपको क्या मिला? आपको कोई आर्थिक लाभ हुवा या स्वास्थ्य लाभ हुवा ? तो एक ही जवाब होता है की कुछ नहीं हासिल हुवा | तो भैया 4 - 5 घंटे तक आपने TV के सामने बैठकर क्या झक मारी है | जब क्रिकेट देखने से कुछ हासिल नहीं होता

05 विदेशी कम्पनी झूठे विज्ञापन में किसी क्रिकेटर को खरीद कर उसके द्वारा अपनी एक ब्रांड value बना लेती है जिसके एवज में ग्राहकों से मनमाने दाम वसूले जाते हैं अधिकांशतः भारत की छोटी कम्पनी से ये लोग काफी कम कीमत पर सामान खरीदकर अपने ब्रांड का टेग लगाकर काफी अधिक कीमत पर (1000% मुनाफे तक ) बेचते हैं . आम लोग इन कीमती वस्तुओं को खरीदना चाहते हैं जो उनके ईमानदारी की कमाई से सामान्यतः संभव नहीं सो लोग बेईमानी एवं भ्रस्टाचार का सहारा लेते हैं - किसी भी तरह पैसे कमा कर इन चीजों को खरीदना. आज अधिकांस branded विदेशी कंपनियों के उत्पाद भ्रस्टाचार की कमाई से ही ख़रीदे जा रहे हैं .

06 क्रिकेटर पैसो की खातिर टी वी एड करते है ऒर लोगों को उस कंपनी का सामान खरीदने के लिए कहते है उन्हे इस बात की परवाह नही कि जो समान वो खरीदने के लिये कह रहे है वो नुकसान देह तो नही ऒर उनके फ़ैन आंखे बंद करके उसे खरीदते है ऒर पैसा जाता है काली कमाई के रूप में या विदेशी कंपनियो के पास या स्विस बैंको में !

07 स्विस बैंक में जमा काले धन को लेकर आवाज उठाने वाले रुडोल्फ एल्मकर का दावा है कि इस बैंक में भारतीय क्रिकेटरों और फिल्मन जगत के सितारों के भी गोपनीय खाते हैं।रुडोल्फ एल्मर ने स्विटजरलैंड की बैंकों में खुले 2000 खातों की जानकारी की सीडी विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दे दी। ऐसे में हम लोग भी इन की मदद कर रहे है देश के खिलाफ़
ये है लिंक::

http://indiatoday.intoday.in/story/rudolph-elmer-swiss-bank-indian-tax-evaders/1/150967.html

अब आप सभी ही समझ सकते है कि क्रिकेट के कितने फ़ायदे है भारत में ऒर भी बहुत सारी खेले हैं उन्हे भी आगे लाना चाहिये ऒर जिससे देश का सर्वरूप से विकास हो सके!!

Tulsi at Home -




Hindu houses are unfinished till they have Tulsi plant at home. It is planted in the simple earthen pot or some people get the special pot with images of deities on the four sides along with the small alcove in the center to place small lamp. Everyday the lady of the house pours holy water on the pot. She also lights the lamp everyday in the evening. This brings name, fame and prosperity along with peace of mind for every member in the family. It is a faith in Hindu tradition that messenger of death does not enter the home with Tulsi plant.
Tulsi is incomparable. Nothing can equal its goodness. It only gives good and takes away the bad - this is what is believed in Hinduism. It has always been very important part of the religion and shall be so forever as importance and goodness of Tulsi is simply immortal.

अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा अवश्य ही होता है। तुलसी घर के आंगन में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है। तुलसी को दैवी का रूप माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है। तुलसी का पौधा होने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रहता है। कभी-कभी किसी कारण से यह पौध सूख भी जाता है ऐसे में इसे घर में नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करके दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। 

सुखा हुआ तुलसी का पौधा घर में रखना कई परिस्थितियों में अशुभ माना जाता है। इससे विपरित परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। घर की बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए। तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में काम आते हैं...

आप हाथी नहीं इंसान हैं !



एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं 

भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे

उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को इनके बचपन से ही इन्हें इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”

आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!! इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. 

आप हाथी नहीं इंसान हैं...... सोचिये जरा....