17 July 2013

!!! रुद्राक्ष की महिमा और मंत्र !!!



ऊँ ह्रीं नम:।।

रुद्राक्ष की माला रुद्राक्ष को एक अकेले दाने के रूप में या माला के रूप में भी धारण किया जा सकता है। एक ही माला के सभी दाने एक ही प्रकार के भी हो सकते हैं और विभिन्न प्रकार के भी हो सकते हैं। रुद्राक्ष की माला अनेक प्रकार से फलदायिनी होती है। इसमें गुण ही गुण होते हैं तथा इसमें कोई अवगुण नहीं पाया जाता। रुद्राक्ष की माला पर जप करने से अनेक रोगों का इलाज किया जा सकता है। रुद्राक्ष की माला पर किसी भी देवी देवता का जप किया जाये तो वे शीध्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राक्ष की माला रुद्राक्ष के दानों से बनाई जाती है। इसमें दानों की संख्या ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ ली जाती है जैसे कि 108, 54, 27. इनमें से 1’ वाले दाने को सुमेरू कहा जाता है जो कि जप के समय पार नहीं किया जाता. लेकिन माला को 108, 54 या 27रुद्राक्षों की माला ही कहा जाता है।

एक मुखी रुद्राक्ष मुष्किल से मिलता है और बहुत शक्तिषाली होता है। 5 मुखी रुद्राक्ष की माला पूजा के काम आती है। 16 रुद्राक्ष के दानों की माला माथे पर, 26 रुद्राक्ष के दानों की माला सिर पर और 50 रुद्राक्ष के दानों की माला हृदय पर पहनी जाती है। एक ही माला जप व पहनने दोनो कामों में उपयोग नहीं की जा सकती परंतु इस विषय पर अपवाद भी मिलते हैं। कुछ संत लोग तो जप की हुई माला ही पहनना लाभदायक समझते हैं। जप करते समय माला अनामिका और मध्यमा उंगलियों के बीच में रहती है। केवल रुद्राक्ष की माला ही ऐसी माला होती है जिसे किसी भी प्रकार के जप के लिये उपयोग किया जा सकता है। रुद्राक्ष की माला की इतनी खूबियों के कारण ही आज यह अमेरिका, जापान, जर्मनी, इंगलैंड आदि पश्चिमी देशों में बहुत लोकप्रिय है। ग्रंथों में कहा गया है कि रुद्राक्ष की माला को मंत्रों के द्वारा शुद्ध, पवित्र और ऊर्जावान करके ही पहना जा सकता है। तब रुद्राक्ष निश्चय ही काम करता है और अगर यह शुद्धता की कसौटी पर भी खरा उतरा हो तो यह और भी अधिक शक्तिषाली और प्रभावी हो सकता है बशर्ते कि निरंतर जप और हवन से इसकी ऊर्जा और शक्ति को बढाया जाये। रुद्राक्ष के मुखों की संख्या के अनुसार मंत्र

1 मुखी – ऊँ नमः षिवाय् , ॐ ह्रीं नमः
2 मुखी - श्री गौरी शंकराय नमः, ॐ नमः
3 मुखी - ॐ क्लीं नमः, ॐ नमः शिवाय
4 मुखी - ॐ ह्रीं नमः 5 मुखी - ॐ नमः शिवाय् , ॐ ह्रीं नमः
6 मुखी - स्वामी कार्तिकेयाय नमः, ॐ ह्रीं हं नमः
7मुखी - ॐ महालक्ष्म्यै नमः, ॐ हं नमः
8 मुखी -ॐ हं नमः, ऊँ गणेशाय् नमः
9 मुखी - नव दुर्गाय् नमः, ॐ ह्रीं हं नमः
10 मुखी - श्री नारायणाय नमः, श्री वैष्णवाय नमः, ॐ ह्रीं नमः
11 मुखी -ॐ श्री रूद्राय नमः, ॐ ह्रीं हं नमः
12 मुखी - श्री सूर्याय नमः 13 मुखी - ॐ ह्रीं नमः
14 मुखी - ॐ नमः शिवाय 

उपरोक्त सभी मंत्रों के बाद महामृत्युंजय मंत्र का 9 बार जाप किया जाता है जो इस प्रकार है - ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ऊर्वारूकमिव बंधनानमृत्र्योमुक्षीय मामृतात् ।

रुद्राक्ष की उपयोगिता और लाभ.....

1 मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में रुद्राक्ष रामबाण की तरह से काम करता है।

2 एषिया के विभिन्न साधु व सन्यासियों के अनुसार मात्र रुद्राक्ष धारण करने से ही उन्हें तपस्या करने के लिये घ्यान केंद्रित करने में और विचारशील मन को काबू करने में अत्यन्त मदद मिलती है।

3 रुद्राक्ष शरीर, मन और आत्मा के लाभ के लिये अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। यह शरीर को बल प्रदान करता है और बीमारियों से लडने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार रुद्राक्ष शारीरिक सरंचना में सुधार लाता है। यह रक्त की अशुद्धियों को दूर कर शरीर को निरोगी बनाता है.

4 यह मानव शरीर के अंदर के साथ-साथ शरीर के बाहर की वायु में भी जीवाणुओं का नाश करता है।

5 यह तनाव, चिंता और डिप्रेशन का प्रभाव भी कम करता है। रुद्राक्ष सिरदर्द,खांसी, लकवा, और मातृत्व की रूकावटों को दूर करने में भी मदद करता है।

6 मेडिकल साइंस के अनुसार भी यह सिद्ध हो गया है कि रुद्राक्ष को धारण करने से ही हृदय गति में सुधार आ जाता है तथा उच्च रक्तचाप ठीक होने लगता है।

7. वे जातक जिनको उच्च रक्त चाप की शिकायत है, उन्हें रुद्राक्ष का लाभ निम्न तरीके से लेना चाहिये - ‘‘पांच मुखी रुद्राक्ष के दो दाने रात को एक गिलास पानी में रख दें व सुबह खाली पेट उस जल को पी लें। गिलास ताम्बे के अतिरिक्त किसी भी धातु का हो सकता है।’’ 40 दिन तक नियमित लेने से फर्क महसूस किया जा सकता है।

8 वे जातक जो हमेशा चिंता में रहते है, अथवा जिनका आत्मविष्वास खो-सा गया होता है या जो कांपते ज्यादा हैं - उन्हें रुद्राक्ष का लाभ निम्न तरीके से लेना चाहिये: ‘‘ ऐसे जातक एक पांच मुखी रुद्राक्ष हमेशा अपने पास रखें और जब जब वे जरूरत महसूस करें, उस रुद्राक्ष को अपनी दांयी हथेली में जोर से भींच लें और इस प्रकार से दस मिनट तक रहें। इससे उनका आत्मविष्वास वापिस आ जायेगा और उनका शरीर भी स्थिर हो जायेगा।’’

9 रुद्राक्ष को पहनने से चेहरे पर तेज आता है जो व्यक्तित्व को निखारने के काम आता है।

10 यह व्यक्ति की यादाश्त को बढाने में भी उपयोगी है।

11रुद्राक्ष जीवन की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, सुख-शांति प्रदान कर मान-सम्मान में वृद्धि करता है।

12 रुद्राक्ष शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ आत्मा की उन्नति के लिये भी लाभदायक है। रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्वजन्म के उन पापों से मुक्ति मिलती है जो कि इस जन्म में भी रूकावटें पैदा कर सकते हैं।

13 अगर कोई व्यक्ति अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पाना चाहता है और शुद्धता का जीवन जीना चाहता है तो उसे रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिये, निष्चित रूप से लाभ मिलता है।

14 रुद्राक्ष अशुभ ग्रहों के प्रभाव को भी कम करने में उपयोगी होता है। ब्रह्मांड में 27 नक्षत्र हैं जो कि 9 ग्रहों को चलाते हैं। प्रत्येक नक्षत्र किसी न किसी रुद्राक्ष से जुडा होता है जो कि संबंधित ग्रह से ऊर्जा प्राप्त करता है। यह केवल ऊर्जा प्राप्त ही नहीं करता बल्कि इसका वितरण भी करता है। यह निष्चित है कि रुद्राक्ष ग्रहों के बल से ऊंची और प्रभावशाली वस्तु है। तभी तो विभिन्न मुखी रुद्राक्ष विभिन्न ग्रहों की शांति के लिये काम में लिये जाते हैं। जो ग्रह जातक के लिये अशुभ है, उस ग्रह से संबंधित रुद्राक्ष ही धारण कर उस अशुभ ग्रह की शांति की जा सकती है।

15 प्रत्येक रुद्राक्ष किसी न किसी देवता या देवी से संबंधित होता है। यही धनात्मक बल रुद्राक्ष के धारक को नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से बचाता है।

16 रुद्राक्ष जीवन की अति आवश्यक वस्तु है क्योंकि यह भगवान शिव से संबंधित है औरसही शिव देवों के देव महादेव हैं। अतः रुद्राक्ष पहनने वाले को अगर रुद्राक्ष से अधिक से अधिक लाभ लेना है तो उसमें श्रद्धा और विष्वास होना बहुत जरूरी है।