सुब्रमण्यम स्वामी जी द्वरा लिखित लेख ‘How to wipe out Islamic terror? ’का हिन्दी अनुबाद---इस्लामिक आतंकवाद को कैसे नेस्तनाबूद किया जाए? जुलाई 13,2011 को मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए बम धमाकों के बाद हिन्दूओं को निर्णायक रूप से अपनी अन्तरात्मा को झकझोरने की जरूरत है
भारत का विनाश करने के लिए, मुसलिम आतंकवादियों द्वारा हिन्दूओं का हलाल तरीके से आए दिन खूनबहाया जाना, हिन्दूओं द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता
आतंकवाद गैर कानूनी तरीके से ताकत के दुरूपयोग का वो हथियार है, जिससे आम जनता को भयभीत कर, उसे आतंकवादियों की इच्छा के विपरीत काम करने से रोकने व आतंकवादियों की नजाजय मांगो को समर्थन देने के लिए मजबूर करने के लिए उपयोग किया जाता है भारत में हर महीने लगभग 40 आतंकवादी हमले होते हैं
इसीलिए हाल ही में अमेरिका के ‘आतंकवाद विरोधी केन्द्र’ के प्रकाशन ‘A Chronology of International Terrorism ’ में बताया गया है कि आज तक जितने आतंकवादी हमले भारत पर हुए हैं उतने आतंकवादी हमले दुनिया के किसी भी देश नेनहीं झेले हैं
वेशक प्रधानमन्त्री माओवादी हिंसा को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बतायें लेकिन मेरा मानना है कि आजइस्लामिक आतंकवाद देश के लिएसबसे गम्भीर खतरा है
अगर बर्तमान गृहमन्त्री,प्रधानमन्त्री और UPA अध्यक्ष को आज हटा दिया जाए तो माओवादी हिंसा को एकमहीन में उसी तरह समाप्त किया जा सकता है जिस तरह मैंने 1991 में बरिष्ठ मन्त्री के पदपर रहते हुए तमिलनाडु में LTTE व MGR ने 1980 में नक्सलवादियों को किया
मुसलिम आतंकवाद देश के लिए एकअलग तरह का खतरा है
मुसलिम आतंकवाद हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्यों है? इसके वारे में 2012 के बाद किसी के मन में कोई शंका नहीं रहेगी
2012 में तालिवान पाकिस्तान पर कब्जा कर लेंगे व अमेरिका अफगानिस्तान छोड़कर भाग जाएगा उसके बाद इस्लाम अपने अधूरे काम को पूरा करने के लिए हिन्दूत्व से सीधी लड़ाई लड़ेगा
अलकायदा का नया सरगना, जो कि ओसामाविन लादेन का उताधिकारी है पहले ही घोषणा कर चुका है कि मुसलिम आतंकवादियों का सबसेबड़ा लक्ष्य भारत है न कि अमेरिका कट्टरपंथी मुसलमान हिन्दू बहुल भारत को ‘इस्लामी विजय का एक अधूरा अध्याय’ मानते हैं
हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि दुनिया के वाकी सभी वो देश, जिन पर इस्लाम ने विजय प्राप्त की ,इस्लामी आक्रमण के दो दशकों के भीतर 100% इस्लाम में परिवर्तित हो गए भारत एक अपबाद है
800 वर्षों के अत्याचारी बरबर मुसलिम शासन के बाद भी अविभाजित भारत में 75% हिन्दू अबादी थी कट्टरपंथी मुसलमानों को यही बात आज तक सता रही है कि मुसलमानों द्वारा किए गए वेहिसाब जुल्मों के बाबजूद वो मुसलिम आतंकवादी हिन्दूओं का मनोबल तोड़ने में क्यों सफल न हो पाए
हर दंगे के बाद नियुक्त किए गए जांच आयोगों की रिपोर्टों के अधार पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 1947 से लेकर आज तक जितने भी हिन्दू- मुसलिम दंगे हुए हैं उन सबकी शुरूआत कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा ही की गई ---यहां तक कि गुजरात दंगों की शुरूआत भी कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा गोधरा में 56 हिन्दू महिलाओं और बच्चों को जिन्दा जलाकर की गई
आज की परिभाषा के अनुसार मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए ये सबके सब हमले आतंकवादी गतिविधियां हैं वेशक भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं लेकिन फिर भी कट्टरपंथी हिंसक मुसलमान हिन्दूओं पर जानलेवा हमले करने का दुश साहस करते हैं
भारत के अन्य मुसलमान इन हमलों को या तो मौन स्वीकृति देते हैं या फिर इनमें कूद पड़ते हैं या फिर हिन्दूओं के मारेजाने का तमाशा देखते हैं
भारत में अत्याचारी बाबर से लेकर कातिल औरंगजेब तक और औरंगजेब से लेकर आज तक हिन्दूओं का कत्लयाम ही मुसलमानों का ईतिहास है
हिन्दूओं पर मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए जाने हमलों के प्रति उदासीन रहने में ,भूतकाल में दारा सिकोह व वर्तमान में एम जे अकबर वसलमान हैदर जैसे लोग,जो मुसलिम आतंकवाद के विरूद्ध खुलकर वोलने से नहीं डरते हैं,अपबाद हैं .कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा किए जाने वाले हमलों के लिए हिन्दू ही दोशी हैं
कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं को निशाना बनाए जाने के लिए मैं मुसलमानों के बजाए हिन्दूओं को ही दोष देता हूं में इन हमलों का दोष उन हिन्दूओं को देता हूं जिन्होंने सनातन धर्म में बाताई गई आत्मा और परमात्मा की अबधारणा को चरम पर ले जाते हुए खुद को अपने आप तक सीमित कर लिया
लाखों हिन्दू विना किसी सरकारी सहयोग के अपने आप को व्यबस्थित कर कुम्भ मेले में ईकट्ठे हो सकते हैं ,लेकिन मेले के बाद ये सब हिन्दू कशमीर, मऊ, मेल्विशरम और मलप्पुरम व अन्य विधर्मियों के बहुमत वाले इलाकों में हिन्दू मिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के तहत मुसलमानों द्वारा निशाना बनाए जा रहे हिन्दूओं की पीड़ा से वेखबर,हमले के शिकार हिन्दूओं की सहायता के लिए विना कोई संगठित कदम उठाए घर की ओर लौट जाते हैं
उधाहरण के लिए अगर आधे हिन्दू भी जाति ,भाषा व क्षेत्र केविभाजनों से उपर उठकर बोट करें तो एक सच्चे हिन्दू राजनीतिक दल को दो तिहाई बहुमत मिलेगा
आज धर्मनिर्पेक्षतावादी ,उग्रहिन्दूओं द्वारा मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए छुट-पुट हमलों की बात करते हैं
लेकिन इन में से अधिकतर हमले कांग्रेस सरकारों द्वारा नियोजित रूपसे करवाए गए, न कि संगठितहिन्दूओं द्वारा जबकि ISI व पाकिस्तानकी सेना द्वारा प्रयोजित वनियोजित हमलों को छोड़ दें तो मुसलमानों द्वारा किए गए अधिकतर हमले गैर राज्य उपद्रवियों द्वारा किए गए
कट्टरपंथी मुसलमान हिन्दूओं को निरूत्साहित करने के लिए हिन्दूओं को निशाना बनाकर हमले करते हैं ताकि हिन्दू अपने उन अधिकारों को छोड़ दें जो कि उन्हें नहीं छोड़ने चाहिए
इन हमलों का मूल उद्देशय भारतीय संस्कृति को कमजोर कर अन्त में भारत को समाप्त करना है
ये 1000 वर्ष से लड़े जा रहे हिन्दू विरोधी-भारत विरोधी युद्ध का वो अधूरा उद्देश्य हैजिसकी बात ओसामाविन लादेन अक्कसर करता है
असल में मुसलिम आतंकवाद वही हथियार है जिसका उपयोग सुहरावर्दी और जिन्ना द्वारा 1946 में हिन्दूओं को पाकिस्तान बनाने की मांग मानने को मजबूर करने के लिए वंगाल में किया गया
कांग्रेस पार्टी ने हिन्दूओं का प्रतिनिधि बनकर मुसलिम आतंकवाद के आगे घुटने टेकते हुए देश के भारत का 25% हिस्सा धर्मनिर्पेक्ष थाली में सजाकर मुसलिम आतंकवादी जिन्ना के हबाले कर दिया अब ये मुसलमान वाकी बचे 75% हिस्से पर आतंकवाद को हथियार बनाकर कब्जा करना चाहते हैं हिन्दू विरोधी ताकतें हम ये नहीं कहते कि इस्लाम को छोड़कर किसी और ने हिन्दूओं को निसाना नहीं बनाया
आजादी के बाद के 6 दशकों में अंग्रेजो के सम्राज्यबाद से प्रभावित इवी रामास्वामी के नेतृत्ववाले, द्रविड़यन अन्दोलन ने तर्कशीलता के नामपर हिन्दू धर्म को तर्कहीन करार देने की कोशिश की और हिन्दूधर्म का प्रचार करने वाले पुजारियों को आतंकित कर हिन्दू धर्मका प्रचार करने से रोकने की कुचेष्ठा की
आंदोलन के संगठनात्मक हाथ,द्रविड़ कझगम (डी के) ने 50 वर्ष तक इसलिए राबण की पूजा की ताकि हिन्दूओं द्वारा भगवान राम की अराधना करने का उपहास उड़ाया जा सके व माता सीता के अपहरण को जायज ठहराकर हिन्दूओं को अपमानित किया जा सके
लेकिन जैसे ही द्रविड़ कझगम(DK) को ये पता चला कि रावण एक ब्राह्मण भगवान होने के साथ-साथ शिव का एक पवित्र भक्त भी था,तो इसने राबणकी पूजा करनी बन्द कर दी
रामायण के अपमान की इस नीचता को छोड़ने के बाद DK ने अब उस भारत विरोधी LTTE का समर्थन करना शुरू करदिया जिसने श्रीलंका में तमिल–हिन्दू नेताओं को मारने में विशेसज्ञता हासिल करली है
वे शक अब LTTE के नाश के बाद DK अनाथ हो गई है
गृह-युद्ध की स्थिति 1960 के दशक में ईसाई मिशनरियों ने नागा लोगों को भारत केविरूद्ध भड़काया जिसके परिणामस्वारूप अब नागा भी भारत से नागालैंड को अलग करवाकर भारत को और विभाजित करना चाहते हैं
1980 के दशक में विदेश में प्रक्षिक्षण प्राप्त भारत विरोधी ईसाई आतंकवादियों ने मणिपुर मेंहिन्दूओं को निशाना बनाया
ईसाई आतंकवादियों द्वारा मणिपुर में रहने वाले लोगों को धमकी दी गई कि या तो भारत का विरोध करो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ
1986 से खासकर 1990 के दशक में कशमीर में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिन्दूओं को निशाना बनाकर उनकी मां-बहन वेटियों को अपनानित करने के साथ-साथ हिन्दूओं का बड़े पैमाने पर कत्लयाम कर उन्हें कशमीर घाटी छोड़ने को मजबूर किया
अब बड़े स्तर पर इस बातको माना जाने लगा है कि मुसलिम आतंकवादी हिन्दूओं को निशाना बनाकर हमले कर रहे हैं व भारत के मुसलमान इन हमलों को मौन स्वीकृति दे रहेहैं
मुसलिम आतंकवादियों के विदेशी संरक्षक अब आतंकवादी हमलों को कुछ इस तरह का अन्जाम दे रहे हैं ताकि मुसलमानों को हिन्दूओं के विरूद्ध राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाया जा सके जिससे भारत में सर्विया और वोसनिया की तरह गृह युद्ध छेड़ा जा सके
मुसलमानों को 'उदारवादियों' और 'चरमपंथियों में विभाजित नहीं किया जा सकता है क्योंकि जब भी चरमपंथी मुसलमानों केविरूद्ध कदम उठाए जाते हैं तबतथाकथित उदारवादी उनकी ढ़ाल बनकर खड़े हो जाते हैं
पाकिस्तान की असैन्य सरकार ने पतंगवाजी पर सिर्फ इसलिए प्रतिबन्ध लगा दिया क्योंकि तालिवान पतंगवाजी को हिन्दूओं का खेलमानते हैं
मलेशिया और कजाकिस्तान की उदारबादी सरकारें हिन्दू-मन्दिरों को गिरा रहीं हैं
*सामूहिक प्रतिक्रिया * इसलिए भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए,भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें सबसे पहला सबक ये सीखने की जरूरत है कि आतंकवाद के निशाने पर हिंदू हैं और भारत के मुसलमानों को धीमी प्रतिक्रियाशील प्रक्रिया के द्वारा आतंकवादी बनने के लिए क्रमादेशित किया जा रहा है ताकि वो हिन्दूओं के विरूद्ध आत्मघाती हमले करने पर अमादा हो जायें
हिंदू मानस को कमजोर करने और गृहयुद्ध का डर पैदा करने के लिए इन आतंकवादी हमलों को अन्जाम दिया जा रहा है
और इसलिए क्योंकि आतंकवादियों के निशाने पर हिन्दू हैं, हिन्दूओं को हिन्दूओं के रूप में ही भारत विरोधी आतंकवादियों के विरूद्ध संगठित होकर जबाबी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि कोई हिन्दू खुद को अलग थलग या लाचार महसूस न करे
हिन्दू को इसलिए आतंकवाद से मुंह नहीं फेर लेना चाहिए कि अभी तक उसके परिवार का कोई सदस्य इस आतंकवाद का सिकार नहीं हुआ है
आज अगर एक हिन्दू सिर्फ इसलिए मारा जाता है क्योंकि वह हिन्दू है तो यह सब हिन्दूओं की नैतिक मौत है ये विराट हिन्दू का एक जरूरी और आबश्यक मानसिक रवैया है
( विराट हिन्दू की अबधारणा की अधिकजानकारी के लिए मेरी ‘HindusUnder Siege: The Way OutHaranand, 2006).’ देखें
इसलिए हमें मुसलिम आतंकवाद का सामना करने के लिए हिन्दू के नाते सामूहिक मानसिकता की जरूरत है
इस जबाबी कार्यवाही में भारत के मुसलमान भी हमारे साथ आ सकते हैं अगर वो सच में हिन्दूओं के कत्लयाम के विरूद्ध हैं तो
मैं नहीं मानता कि भारतीय मुसलमान हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध तब तक हमारे साथ आयेंगे जब तक वो इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करते कि वेशक वो आज मुसलिम हैं लेकिन उनके पूर्वज भी हिन्दू ही हैं
अपने पूर्वजों के वारे में इस सच्चाई को स्वीकार करना मुसलमानों के लिए आसान नहीं है क्योंकि मुसलिम मुल्हा इसका इसलिए विरोध करेंगे क्योंकि इस सच्चाई को स्वीकारने के बाद एक तो भारतीय मुसलमानों में इस्लाम से मिली आत्मघाती कट्टरता कमजोर हो जाएगी और दूसरा इस सच्चाई को जानने व स्वीकारने के बाद उनकी हिन्दूधर्म में घर बापसी की सम्भावनायें बढ़ जायेंगी
कहीं भारतीय मुसलमान इस सच्चाई को स्वीकार न कर लें इसीलिए मुसलमानों के धार्मिक नेता हरहाल में काफिर बोले तो हिन्दूओं के विरूद्ध हिंसा और नफरतका प्रचार प्रसार करते रहते हैं
(उधाहरण के लिए आप कुरान के अध्याय 8 की आयत 12 पढ़ सकते हैं
) इस्लामिक आतंकवादी संस्था सिमी (SIMI) पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि भारत दारूल हरब है और SIMI इसे दारूल इस्लाम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है
भारत का दारूल हरब होना, मुसलमानों को हिन्दूओं का कत्लयाम करने ,हिन्दूओं के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने ,हिन्दूओं की मां-बहन-बेटियों की इज्जत आबरू के साथ खिलबाड़ करने के साथ साथ उन्हें हिन्दूओं के प्रति हर तरह के नैतिक बन्धनों से मुक्त करता है क्योंकि मुसलमानों को कुरान व हदीस में दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाने के लिए ये सब करने का आदेश दिया गया है
बृहद हिन्दू समाज परन्तु फिर भी अगर कोई मुसलमान इस बात को स्वीकार करता है कि उसके पूर्बज हिन्दू हैं तो हम उसे बृहद हिन्दू समाज बोले तो हिन्दूस्तान के अंग के रूप में स्वीकार कर सकते हैं
भारत अर्थात इंडिया अर्थात हिन्दुस्तान हिन्दूओं और अन्य जिनके पूर्बज हिन्दू हैं उन सबका देश है
यहां तक कि भारत में रहने वाले पारसियों औरयहूदियों के पूर्बज भी हिन्दू ही थे
अन्य जो भारत से अपना खून का रिस्ता होनेकी बात को अस्वीकार करते हैं या फिर जिनका भारत से खून का रिस्ता है ही नहीं या फिर वो विदेशी जो मात्र पंजीकरण की बजह से भारतीय नागरिक बने हैं वो भारत में रह तो सकते हैं लेकिन उन्हें बोट डालने का अधिकार नहीं दिया जा सकता
(मतलब वो चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हो सकते)
इसलिए आतंकबाद का मुकाबला करने बालीनीति पर अमल करने से पहले हर और प्रतेक हिन्दू का प्रतिबद्ध और बिराट हिन्दू बनना जरूरी है
किसी भी व्यक्ति को बिराट हिन्दू बनने के लिए एक हिन्दू मानसिकता रखना मतलब उसकी एक ऐसी मानसिकता होना जरूरी है जो व्यक्तिगत और राष्ट्रीयचरित्र के अन्तर को समझ सके बिराट हिन्दू होने के लिए किसी हिन्दू का पबित्र, इमानदार और पढ़ा-लिखा होना ही काफी नहीं है
ये सब व्यक्तिगत चरित्र के अंग हैं
राष्ट्रीय चरित्र वो मानसिकता है जो सक्रिय व पूरी ताकत से देश की पबित्रता और अखण्डता के लिए प्रतिबद्ध रहती है
उधाहरण के लिए मनमोहन सिंह (प्रधानमन्त्री) का व्यक्तिगत चरित्र तो ठीक दिखता है परन्तु अर्द्ध साक्षरसोनिया गांधी की एक रबर स्टैंप की तरह काम करते हुए हर राष्ट्रीय मुद्दे पर घुटने टेक देने की वजह से ये साबित हो चुका हैकि उसका कोई राष्ट्रीय चरित्र नहीं है
भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें दूसरा सबक ये सीखना चाहिए कि क्योंकि आतंकवादियों का उदेश्य हिन्दूओं का मनोबल तोड़ना और हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के लिए भारत के हिन्दू आधार को तबाह करना है इसलिए हमें आतंकवादियों के आगे न तो हथियार डालने चाहिए और न ही आतंकवादियों की किसी भी मांग को मानना चाहिए
आतंकवाद से लड़ने की किसी भी नीति का मूल आधार यही होना चाहिए कि हम आतंकवादियों की किसी भी मांग को किसी भी हालात में नहीं मानेंगे
हमारे हाल के इतिहास में इस नीति पर विलकुल भी अमल नहीं किया गया
जब से हमने 1947 में मुसलिम आतंकवादियों के दबाब में पाकिस्तान बनाने की मांगको स्वीकार किया है तब से हम दबाब में बार-बार आतंकवादियों के आगे घुकने टेक देते हैं
आतंकवादियों के सामने घुटने टेकने की घटनायें
1989 में मुफ्ती मुहम्द सैयद की वेटी रूविया को आतंकवादियों से मुक्त करवाने के लिए वी पी सिंह सरकार द्वारा भारतीय जेलों से पांच आतंकवादियों को छोड़ दिया गया
इस घटना ने अपराधियों को कशमीरी अलगाववादियों व उनके समर्थकों की आँखों में नायक बना दिया
क्योंकि इन अपराधियों ने हिन्दूओं की सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने में सफलता हासिल की थी
रूविया को छुड़ाने के लिए आतंकवादियों के आगे घुटने टेकना जरूरी नहीं था
भारत के आधुनिक इतिहास में आतंकवादियों के आगे घुटने टेकने की सबसे शर्मनाक घटना तब घटी जब 1999 में आतंकवादियों ने
भारतीयविमान सेवा की उड़ान IC-814 को अगवा कर कन्धार पहुंचा दिया
सरकार ने न्यायालय से आज्ञा लिए विना ही तीन आतंकवादियों को छोड़ दिया
मानो देश को शर्मशार करने के लिए इतना ही काफी नहो आतंकवादियों को पाकिस्तान में धकेलने के बजाए, उनके साथ एक बिशेष अतिथी जैसा बर्ताव करते हुए प्रधानमन्त्री के विमान में विठाकर एक बरिष्ठ मन्त्री द्वारा कन्धार पहुंचाया गया
ये तीनों आतंकवादी कन्धार में छोड़े जाने के बाद वापिस पाकिस्तान गए
पाकिस्तान जाकर इन तीनों आतंकवादियों ने हिन्दूओं को कत्ल करने के लिए तीन अलग-अलग आतंकवादी संगठन बनाए
मुहम्दहजर जिसे ततकालीन सुरक्षा सलाहकार ब्रजेस मिश्र ने मेमना बताया था ने छोड़े जाने के बाद लश्करे तैयावा की कमान सम्भाली
लश्करे तैयवा वह गिरोह है जिसने श्रीनगर से लेकर बंगलौर तक हिन्दूओं को लहुलुहान करने के लिए बार-बार हमलों को अन्जाम दिया
अजहर ने मध्य 2000 से लेकर अब तक 2000 से अधिक हिन्दूओं का खून बहाया
यही अजहर दिसम्बर 13, 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के लिए भी जिम्मेदार है
तीसरा आतंकवादी जरगर अल-मुझा हिदीन-जंगान की स्थापना करने के बाद आज कल डोडा और जम्मू में हिन्दूओं का खून बहा रहा है
कन्धरा में की गई ये मुर्खता हमें के सबक देती है कि हमें कभी भी,किसी भी हालात में आतंकवादियों के आगे घुटने नहीं टेकने चाहिए
अगर आप आतंकवादियों के आगे घुटने टेकते हैं तो आप घुटने टेक कर बचाए गए हिन्दूओं से कहीं ज्यादा हिन्दूओं का कत्ल करवायेंगे
इसलिए आतंकवादियों से किसी भी तरह की सौदेबाजी पर लगाम लगाकर ,आतंकवादियों के सर्वनाश के लिए आगे बढ़ना चाहिए
सच का सामना भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें तीसरा सबक ये सीखना चाहिए कि आतंकवादी घटना कितनी भी छोटी या कम महत्व क्यों नहो देश को जबाबी कार्यवाही हरहाल में करनी चाहिए--- आतंकवादी घटना के बराबरया फिर विनम्र कार्यवाही नहीं वल्कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सबक सिखाने के लिए पूर्ण कार्यवाही
उधाहरण के लिए अय़ोध्या परकिया गया आतंकवादी हमला वेशक बड़ा हमला नहीं था लेकिन हमें आतंकवादियों के हमले पर जबाबी कार्यवाही करते हुए अयोध्य में एक भव्य राम मन्दिर का पुनर निर्माण करना चाहिए था
ये कलियुग है इसलिए हिन्दू विरोधी आतंकवादियों व उनके समर्थकों के प्रति किसी भी सातविक प्रतिक्रिया के लिए कोई जगह नहीं है
हिन्दू धर्म में आपाकलीन धर्म का प्रावधान है जिस पर हमें आज के हालात में अमल करना चाहिए
ये हमारे लिए सच्चाई का सामना करने का वक्त है
एक सभ्यता के रूप में अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए या तो हमें हिन्दू के रूप में संगठित होकर हिंसक व अत्याचारी इस्लामिक आतंकवादी हमले का मुकावला करना चाहिए या फिर परसियन, वेवीलोनियन और मिश्र की सभ्यता की तरह नष्ट होने के लिए तैयार हो जाना चाहिए
ये सभ्यतायें अत्याचारी इस्लामिक आतंकवादी हमले का संगठित होकर मुकावला करने में असमर्थ रहीं इसलिए इनका सर्वनाश हो गया
हमें शाम, दाम, दण्ड, भेद नियम का पालन करते हुए हरहाल में अत्याचारी इस्लामिक आतंकवाद का सर्वनाश सुनिश्चित करना चाहिए
वरना ये राक्षश हमें समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे
गरीबी आतंकवाद का कोई कारक नहीं भारत में इस्लामिक आतंकवादियों को प्रेरणा कहां से मिलती है? बहुत से लोग हिन्दूओं को ये सलाह देते हैं कि मुसलिम आतंकवादियों पर जबाबी हमले करने के बजाए आतंकवाद के मूल कारण को खत्म करें
ये लोग मूल कारण भी बताते हैं निर्दोष हिन्दूओं का खून बहाने वाले आतंकवादियों के लिए हर तरह की सहानुभूति रखने वाले खूनी उदारवादी हमे बताते हैं कि आतंकवाद के पनपने व बढ़ने का कारण अन पढ़ता, गरीबी, शोषण और भेदभाव है
ये तथाकथित उदारबादी कुतर्कदेते हैं कि इन आतंकवादियों का खात्मा करने पर जोर देने के बजाए आतंकवाद के इन चार कारणों को खत्म किया जाए
इन चार कारणों के समाप्त होते ही आतंकवाद खत्म हो जाएगा
इन प्रशनों का उतर देने से पहले ये समझ लेना बहुत जरूरी है कि मुझें नहीं लगता ये कातिल उदारवादी या खूनी बुद्धिजीवी भारत के प्रति बफादार हैं
ये हर व्यक्ति की भावनात्मक ताकत को खत्म कर उसे जिन्दा मुर्दा बना देना चाहते हैं मतलब मजबूरी को ये हिन्दूओं की मानसिकता का अंगबना देना चाहते हैं
इस तरह की हीन भावना के साथ कोई भी देश य़ा समाज लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकता ये कहना बकवास है कि जो आतंकवादी आज तक हमले कर लाखों हिन्दूओं का खूनबहा चुके हैं वो गरीब हैं
उधाहरण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी ओसामा विनलादेन अरबपति है खनिज तेल से वेहिसाब पैसा कमाने वाले अमीर देश मुसलिम आतंकवादियों को संरक्षण और आर्थिक मदद पहुंचाते हैं
ब्रिटेन में आतंकवादी हमलों को अन्जाम देने के दोषी सबके सब आतंकवादी साधन सम्पन मुसलमान हैं मुसलिम आतंकवादी अनपढ़ भी नहीं हैं
आतंकवादियों के अधिकतर सरगना डाकटर, चार्टड एकौंटैंट (CA), एम बी ए (MBA) और अध्यापक हैं
उधाहरण के लिए दिल्ली में धनतेरस के दिन सैंकड़ों हिन्दूओं का कतल करने वाला आतंकवादी रसायन विज्ञान में सनातकोतर है वटायम सुकेयर पर हमले का असफल प्रयास करने वाला आतंकवादी सहजाद MBA है वो भी अमेरिका के एकउच्चस्तरीय विश्वविद्यालय से
उसका सबन्ध पाकिस्तान के एक अमीर परिबार से है
निश्चित तौर पर उसने अपने ही देश पाकिस्तान में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं सहा 11 सित्मबर, 2001 को जिन 9 लोगों के गिरोह ने चार हबाई जहाजों को अगवा कर WorldTrade Towers सहित अन्य जगहों को निशाना बनाया निश्चित तौर पर उनके साथ भी अमेरिका में किसी तरह का भेदभाव या शोषण नहीं हुआ था
इसलिए ये कहना कि आतंकवाद गरीब आतंकवादियों की देन है पूरी से मूर्खतापूर्ण है अगर हम बांमपंथी उदारवादी कुतर्क को मान भी लेंतो क्या बामपंथी इस बात से सहमत हैं कि मुसलिम देशों में प्रताड़ित सबके सब गैर मुसलमानों को आतंकवादी बनकर मुसलमानों का कत्लकरना चाहिए
कशमीर घाटी जहां पर मुसलमान बहुमत में हैं वहां पर घारा 370 लगाकर बहुसंख्यक मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए गए हैं व अल्पसंखयक हिन्दूओं का कत्लयाम किया गया ,हिन्दूओं की मां- बहन वेटियों के साथ बालातकार किए गए, अन्त में उन्हें वहां से भगा दिया गया
वो अपने ही देश में वेघर होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैंतो क्या ये उदारबादी उनके द्वारा मुसलमानों के विरूद्ध हथियार उठाने पर उनका बैसा ही साथ देंगे जैसा वो आज तक हिन्दूओं का कत्ल करने वाले मुसलिम आतंकवादियों का देते आए हैं? यह कहना कि क्योंकि आतंकवादी मरने-मारने को तैयार हैं, वेअपना विवेक खो चुके हैं,उनका कोई घरबार नहीं है इसलिए उनका कत्ल नहीं किया जाना चाहिए
आतंकवादियों के सरगनाओं की इस आतंकवाद रूपी पागलपन में भी एक सोची समझी रणनीति और योजना है जिसके लिए उन्होंने निश्चित राजनीतिक उद्देश्य चुने हैं
इसलिए हमेंआतंकवादियों को कुचलने के साथ-साथ एक ऐसी रणनीति पर अमल करना है जो आतंकवादियों के उद्देश्यों को पूरी तरह से विफलकर दे
ऐसी रणनीति कैसे बनाई जा सकती है राबर्ट टरैगर और देशी सलाबा(Robert Trager and Dessislava Zagorcheva) ने शोधपत्र आतंकवाद का मुकाबला((‘DeterringTerrorism’ International Security,vol 30, No 3, Winter 2005/06, pp87-123) में आतंकवादका मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने के लिए समान्य सिद्धांत बताए हैं
सामरिक योजना अगर मुसलिम समाज आतंकवादियों के इन उद्देश्यों को गैर इस्लामिक घोषित कर इनकी निंदा और विरोध नहीं करता है तो इन सिद्धांतों का उपयोग कर मैं इस्लामिक आतंकवादियों के राजनैतिक उदेश्यों को असफल करने के लिए निम्नलिखित सामरिक नीतिका समर्थनकरता हूं
षडयन्त्र-1 :-कशमीर पर भारत को आतंकित करना
रणनीति-1:- धारा 370 समाप्त कर, भूतपूर्व सैनिकों को कशमीर घाटी में बसाना कशमीरी हिन्दूओं के लिए पुनन कशमीर का निर्माण करना,बलूचियों और सिंधियों को आजादी के लिए सहायता देना
षडयन्त्र-2:- हमारे मन्दिरों में बम धमाके कर भक्तों का कत्ल करना
रणनिति-2:- जैसे को तैसा नीति अपनाते हुए काशी विश्वानाथ मन्दिर परिसर सहित 300 अन्य जगहों से मसजिदों को हटाना
षडयन्त्र :-3 भारत को दारूल इस्लाम बनाना
रणनिति-3:- भारत में एक समान नागरिक संहिता लागू करना,पढ़ाई के लिए संस्कृत को अनिवार्या बनाना,वन्देमातरम् का गान जरूरी करना और भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सिर्फ उन्हीं गैर हिन्दूओं को बोट का अधिकार देना जो गर्व से ये स्वीकार करें कि उनके पूर्बज हिन्दू हैं
भारत का हिन्दूस्तान (हिन्दूओं और उन गैर हिन्दूओं का देश जिनके पूर्बज हिन्दू हैं ) के रूप में पुन : नामकरण करना
षडयन्त्र-4 अवैध आप्रवास, धर्मांतरण, और परिवार नियोजन को अपनाने से इनकार द्वारा भारत की जनसांख्यिकी बदलें.
रणनिति-4:- देश में एक ऐसा राष्ट्रीय नियम लागू करें जिसके अनुसार हिन्दू धर्म से किसी भी अन्य धर्म में धर्मांतरण करना बर्जित हो
किसी भी अन्य धर्म से हिन्दू धर्म में घर वापसी इसमें प्रतिबन्धित नहीं होनी चाहिए
गैर हिन्दूओं द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी जाति में घर वापसी करने का स्वागत करें बशर्ते वे अनशासन का पालन करने को तैयार हों
भारत में रहने वाले अबैध वंगलादेशियों की शंख्या के अनुशार बंगलादेश की जमीन पर कब्जा कर लिया जाए
आज की संख्या के अनुसार सिलहट से खुलना तक के उतर का एक-तिहाई भारत को अबैध रूप से भारत में रह रहे बंगलादेशियों को बसाने के लिए अपने कब्जे में ले लेना चाहिए
षडयन्त्र-5 हिन्दूओं के अन्दर आत्मगलानी का बोध पैदा करने व उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के मकसद से मस्जिदों,मदरसों और चर्चों में अश्लील लेखन और उपदेश के माध्यम से हिंदू धर्म को बदनाम करना
रणनिति-5:- हिन्दू मानसिकता के विकाश का प्रचार-प्रसार करें( मेरी नईपुस्तक ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय पुनर्जागरण’ Haranand, 2010 देखें
) समाधान का समय भारत इस तरहकी रणनीति अपनाकर सिर्फपांच बर्षो में अपनी आतंकवादकी समस्या का समाधाननिकाल सकता है परन्तु इसकेलिए हमें आतंकवाद द्वारा सिखाए गए उपरलिखितचार सबक हर समय याद रखनेहोंगे और राष्ट्र की रक्षा केलिए साहसिक,जोखिम भरे वकठोर कदम उठाने के लिए हिन्दूमानसिकता का निर्माण करना होगा
यदि यहूदियों को गैस चैंबरों मेंजलाए जाने के लिए मिमयाते हुएजाने वाले मेमनों से ज्वलंत शेर मेंसिर्फ 10 वर्ष मेंबदला जा सकता है तो हिन्दूओं के लिए तो उनसे कहीं वेहतरहालात (आज भी हम भारतका 83 प्रतिशत हैं) में ये कामसिर्फ पांच वर्ष मेंकरना किसी भी तरह से मुशकिलनहीं है
परम्पूजनीय गुरूगोविन्द सिंहजी द्वारा हमें पहलेही रास्ता दिखा दिया गया हैकि किस तरह सिर्फ पांच निडरलोग आध्यात्मिक मार्गदर्शन मेंसारे समाज को बदल सकते हैं
यहां तक कि अगर आधे हिन्दूमतदाता भी संगठित होकरहिन्दू के रूप में, इमानदारी से हिंदूएजेंडा के लिए प्रतिबद्धपार्टी को,बोट डालने के लिएप्रोतसाहित किए जा सकें तब भी हम परिवर्तन के लिए एकमजबूत आधार तैयार कर सकते हैं
और अंततः सच्चाई के इस क्षण मेंएक लोकतांत्रिक हिंदुस्तान मेंयही आतंकवाद से लड़नेकी रणनीति में निम्नतम जरूरत है
भारत का विनाश करने के लिए, मुसलिम आतंकवादियों द्वारा हिन्दूओं का हलाल तरीके से आए दिन खूनबहाया जाना, हिन्दूओं द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता
आतंकवाद गैर कानूनी तरीके से ताकत के दुरूपयोग का वो हथियार है, जिससे आम जनता को भयभीत कर, उसे आतंकवादियों की इच्छा के विपरीत काम करने से रोकने व आतंकवादियों की नजाजय मांगो को समर्थन देने के लिए मजबूर करने के लिए उपयोग किया जाता है भारत में हर महीने लगभग 40 आतंकवादी हमले होते हैं
इसीलिए हाल ही में अमेरिका के ‘आतंकवाद विरोधी केन्द्र’ के प्रकाशन ‘A Chronology of International Terrorism ’ में बताया गया है कि आज तक जितने आतंकवादी हमले भारत पर हुए हैं उतने आतंकवादी हमले दुनिया के किसी भी देश नेनहीं झेले हैं
वेशक प्रधानमन्त्री माओवादी हिंसा को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बतायें लेकिन मेरा मानना है कि आजइस्लामिक आतंकवाद देश के लिएसबसे गम्भीर खतरा है
अगर बर्तमान गृहमन्त्री,प्रधानमन्त्री और UPA अध्यक्ष को आज हटा दिया जाए तो माओवादी हिंसा को एकमहीन में उसी तरह समाप्त किया जा सकता है जिस तरह मैंने 1991 में बरिष्ठ मन्त्री के पदपर रहते हुए तमिलनाडु में LTTE व MGR ने 1980 में नक्सलवादियों को किया
मुसलिम आतंकवाद देश के लिए एकअलग तरह का खतरा है
मुसलिम आतंकवाद हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्यों है? इसके वारे में 2012 के बाद किसी के मन में कोई शंका नहीं रहेगी
2012 में तालिवान पाकिस्तान पर कब्जा कर लेंगे व अमेरिका अफगानिस्तान छोड़कर भाग जाएगा उसके बाद इस्लाम अपने अधूरे काम को पूरा करने के लिए हिन्दूत्व से सीधी लड़ाई लड़ेगा
अलकायदा का नया सरगना, जो कि ओसामाविन लादेन का उताधिकारी है पहले ही घोषणा कर चुका है कि मुसलिम आतंकवादियों का सबसेबड़ा लक्ष्य भारत है न कि अमेरिका कट्टरपंथी मुसलमान हिन्दू बहुल भारत को ‘इस्लामी विजय का एक अधूरा अध्याय’ मानते हैं
हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि दुनिया के वाकी सभी वो देश, जिन पर इस्लाम ने विजय प्राप्त की ,इस्लामी आक्रमण के दो दशकों के भीतर 100% इस्लाम में परिवर्तित हो गए भारत एक अपबाद है
800 वर्षों के अत्याचारी बरबर मुसलिम शासन के बाद भी अविभाजित भारत में 75% हिन्दू अबादी थी कट्टरपंथी मुसलमानों को यही बात आज तक सता रही है कि मुसलमानों द्वारा किए गए वेहिसाब जुल्मों के बाबजूद वो मुसलिम आतंकवादी हिन्दूओं का मनोबल तोड़ने में क्यों सफल न हो पाए
हर दंगे के बाद नियुक्त किए गए जांच आयोगों की रिपोर्टों के अधार पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 1947 से लेकर आज तक जितने भी हिन्दू- मुसलिम दंगे हुए हैं उन सबकी शुरूआत कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा ही की गई ---यहां तक कि गुजरात दंगों की शुरूआत भी कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा गोधरा में 56 हिन्दू महिलाओं और बच्चों को जिन्दा जलाकर की गई
आज की परिभाषा के अनुसार मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए गए ये सबके सब हमले आतंकवादी गतिविधियां हैं वेशक भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं लेकिन फिर भी कट्टरपंथी हिंसक मुसलमान हिन्दूओं पर जानलेवा हमले करने का दुश साहस करते हैं
भारत के अन्य मुसलमान इन हमलों को या तो मौन स्वीकृति देते हैं या फिर इनमें कूद पड़ते हैं या फिर हिन्दूओं के मारेजाने का तमाशा देखते हैं
भारत में अत्याचारी बाबर से लेकर कातिल औरंगजेब तक और औरंगजेब से लेकर आज तक हिन्दूओं का कत्लयाम ही मुसलमानों का ईतिहास है
हिन्दूओं पर मुसलिम आतंकवादियों द्वारा किए जाने हमलों के प्रति उदासीन रहने में ,भूतकाल में दारा सिकोह व वर्तमान में एम जे अकबर वसलमान हैदर जैसे लोग,जो मुसलिम आतंकवाद के विरूद्ध खुलकर वोलने से नहीं डरते हैं,अपबाद हैं .कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा किए जाने वाले हमलों के लिए हिन्दू ही दोशी हैं
कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिन्दूओं को निशाना बनाए जाने के लिए मैं मुसलमानों के बजाए हिन्दूओं को ही दोष देता हूं में इन हमलों का दोष उन हिन्दूओं को देता हूं जिन्होंने सनातन धर्म में बाताई गई आत्मा और परमात्मा की अबधारणा को चरम पर ले जाते हुए खुद को अपने आप तक सीमित कर लिया
लाखों हिन्दू विना किसी सरकारी सहयोग के अपने आप को व्यबस्थित कर कुम्भ मेले में ईकट्ठे हो सकते हैं ,लेकिन मेले के बाद ये सब हिन्दू कशमीर, मऊ, मेल्विशरम और मलप्पुरम व अन्य विधर्मियों के बहुमत वाले इलाकों में हिन्दू मिटाओ-हिन्दूभगाओ अभियान के तहत मुसलमानों द्वारा निशाना बनाए जा रहे हिन्दूओं की पीड़ा से वेखबर,हमले के शिकार हिन्दूओं की सहायता के लिए विना कोई संगठित कदम उठाए घर की ओर लौट जाते हैं
उधाहरण के लिए अगर आधे हिन्दू भी जाति ,भाषा व क्षेत्र केविभाजनों से उपर उठकर बोट करें तो एक सच्चे हिन्दू राजनीतिक दल को दो तिहाई बहुमत मिलेगा
आज धर्मनिर्पेक्षतावादी ,उग्रहिन्दूओं द्वारा मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए छुट-पुट हमलों की बात करते हैं
लेकिन इन में से अधिकतर हमले कांग्रेस सरकारों द्वारा नियोजित रूपसे करवाए गए, न कि संगठितहिन्दूओं द्वारा जबकि ISI व पाकिस्तानकी सेना द्वारा प्रयोजित वनियोजित हमलों को छोड़ दें तो मुसलमानों द्वारा किए गए अधिकतर हमले गैर राज्य उपद्रवियों द्वारा किए गए
कट्टरपंथी मुसलमान हिन्दूओं को निरूत्साहित करने के लिए हिन्दूओं को निशाना बनाकर हमले करते हैं ताकि हिन्दू अपने उन अधिकारों को छोड़ दें जो कि उन्हें नहीं छोड़ने चाहिए
इन हमलों का मूल उद्देशय भारतीय संस्कृति को कमजोर कर अन्त में भारत को समाप्त करना है
ये 1000 वर्ष से लड़े जा रहे हिन्दू विरोधी-भारत विरोधी युद्ध का वो अधूरा उद्देश्य हैजिसकी बात ओसामाविन लादेन अक्कसर करता है
असल में मुसलिम आतंकवाद वही हथियार है जिसका उपयोग सुहरावर्दी और जिन्ना द्वारा 1946 में हिन्दूओं को पाकिस्तान बनाने की मांग मानने को मजबूर करने के लिए वंगाल में किया गया
कांग्रेस पार्टी ने हिन्दूओं का प्रतिनिधि बनकर मुसलिम आतंकवाद के आगे घुटने टेकते हुए देश के भारत का 25% हिस्सा धर्मनिर्पेक्ष थाली में सजाकर मुसलिम आतंकवादी जिन्ना के हबाले कर दिया अब ये मुसलमान वाकी बचे 75% हिस्से पर आतंकवाद को हथियार बनाकर कब्जा करना चाहते हैं हिन्दू विरोधी ताकतें हम ये नहीं कहते कि इस्लाम को छोड़कर किसी और ने हिन्दूओं को निसाना नहीं बनाया
आजादी के बाद के 6 दशकों में अंग्रेजो के सम्राज्यबाद से प्रभावित इवी रामास्वामी के नेतृत्ववाले, द्रविड़यन अन्दोलन ने तर्कशीलता के नामपर हिन्दू धर्म को तर्कहीन करार देने की कोशिश की और हिन्दूधर्म का प्रचार करने वाले पुजारियों को आतंकित कर हिन्दू धर्मका प्रचार करने से रोकने की कुचेष्ठा की
आंदोलन के संगठनात्मक हाथ,द्रविड़ कझगम (डी के) ने 50 वर्ष तक इसलिए राबण की पूजा की ताकि हिन्दूओं द्वारा भगवान राम की अराधना करने का उपहास उड़ाया जा सके व माता सीता के अपहरण को जायज ठहराकर हिन्दूओं को अपमानित किया जा सके
लेकिन जैसे ही द्रविड़ कझगम(DK) को ये पता चला कि रावण एक ब्राह्मण भगवान होने के साथ-साथ शिव का एक पवित्र भक्त भी था,तो इसने राबणकी पूजा करनी बन्द कर दी
रामायण के अपमान की इस नीचता को छोड़ने के बाद DK ने अब उस भारत विरोधी LTTE का समर्थन करना शुरू करदिया जिसने श्रीलंका में तमिल–हिन्दू नेताओं को मारने में विशेसज्ञता हासिल करली है
वे शक अब LTTE के नाश के बाद DK अनाथ हो गई है
गृह-युद्ध की स्थिति 1960 के दशक में ईसाई मिशनरियों ने नागा लोगों को भारत केविरूद्ध भड़काया जिसके परिणामस्वारूप अब नागा भी भारत से नागालैंड को अलग करवाकर भारत को और विभाजित करना चाहते हैं
1980 के दशक में विदेश में प्रक्षिक्षण प्राप्त भारत विरोधी ईसाई आतंकवादियों ने मणिपुर मेंहिन्दूओं को निशाना बनाया
ईसाई आतंकवादियों द्वारा मणिपुर में रहने वाले लोगों को धमकी दी गई कि या तो भारत का विरोध करो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ
1986 से खासकर 1990 के दशक में कशमीर में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिन्दूओं को निशाना बनाकर उनकी मां-बहन वेटियों को अपनानित करने के साथ-साथ हिन्दूओं का बड़े पैमाने पर कत्लयाम कर उन्हें कशमीर घाटी छोड़ने को मजबूर किया
अब बड़े स्तर पर इस बातको माना जाने लगा है कि मुसलिम आतंकवादी हिन्दूओं को निशाना बनाकर हमले कर रहे हैं व भारत के मुसलमान इन हमलों को मौन स्वीकृति दे रहेहैं
मुसलिम आतंकवादियों के विदेशी संरक्षक अब आतंकवादी हमलों को कुछ इस तरह का अन्जाम दे रहे हैं ताकि मुसलमानों को हिन्दूओं के विरूद्ध राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाया जा सके जिससे भारत में सर्विया और वोसनिया की तरह गृह युद्ध छेड़ा जा सके
मुसलमानों को 'उदारवादियों' और 'चरमपंथियों में विभाजित नहीं किया जा सकता है क्योंकि जब भी चरमपंथी मुसलमानों केविरूद्ध कदम उठाए जाते हैं तबतथाकथित उदारवादी उनकी ढ़ाल बनकर खड़े हो जाते हैं
पाकिस्तान की असैन्य सरकार ने पतंगवाजी पर सिर्फ इसलिए प्रतिबन्ध लगा दिया क्योंकि तालिवान पतंगवाजी को हिन्दूओं का खेलमानते हैं
मलेशिया और कजाकिस्तान की उदारबादी सरकारें हिन्दू-मन्दिरों को गिरा रहीं हैं
*सामूहिक प्रतिक्रिया * इसलिए भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए,भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें सबसे पहला सबक ये सीखने की जरूरत है कि आतंकवाद के निशाने पर हिंदू हैं और भारत के मुसलमानों को धीमी प्रतिक्रियाशील प्रक्रिया के द्वारा आतंकवादी बनने के लिए क्रमादेशित किया जा रहा है ताकि वो हिन्दूओं के विरूद्ध आत्मघाती हमले करने पर अमादा हो जायें
हिंदू मानस को कमजोर करने और गृहयुद्ध का डर पैदा करने के लिए इन आतंकवादी हमलों को अन्जाम दिया जा रहा है
और इसलिए क्योंकि आतंकवादियों के निशाने पर हिन्दू हैं, हिन्दूओं को हिन्दूओं के रूप में ही भारत विरोधी आतंकवादियों के विरूद्ध संगठित होकर जबाबी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि कोई हिन्दू खुद को अलग थलग या लाचार महसूस न करे
हिन्दू को इसलिए आतंकवाद से मुंह नहीं फेर लेना चाहिए कि अभी तक उसके परिवार का कोई सदस्य इस आतंकवाद का सिकार नहीं हुआ है
आज अगर एक हिन्दू सिर्फ इसलिए मारा जाता है क्योंकि वह हिन्दू है तो यह सब हिन्दूओं की नैतिक मौत है ये विराट हिन्दू का एक जरूरी और आबश्यक मानसिक रवैया है
( विराट हिन्दू की अबधारणा की अधिकजानकारी के लिए मेरी ‘HindusUnder Siege: The Way OutHaranand, 2006).’ देखें
इसलिए हमें मुसलिम आतंकवाद का सामना करने के लिए हिन्दू के नाते सामूहिक मानसिकता की जरूरत है
इस जबाबी कार्यवाही में भारत के मुसलमान भी हमारे साथ आ सकते हैं अगर वो सच में हिन्दूओं के कत्लयाम के विरूद्ध हैं तो
मैं नहीं मानता कि भारतीय मुसलमान हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचारों के विरूद्ध तब तक हमारे साथ आयेंगे जब तक वो इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करते कि वेशक वो आज मुसलिम हैं लेकिन उनके पूर्वज भी हिन्दू ही हैं
अपने पूर्वजों के वारे में इस सच्चाई को स्वीकार करना मुसलमानों के लिए आसान नहीं है क्योंकि मुसलिम मुल्हा इसका इसलिए विरोध करेंगे क्योंकि इस सच्चाई को स्वीकारने के बाद एक तो भारतीय मुसलमानों में इस्लाम से मिली आत्मघाती कट्टरता कमजोर हो जाएगी और दूसरा इस सच्चाई को जानने व स्वीकारने के बाद उनकी हिन्दूधर्म में घर बापसी की सम्भावनायें बढ़ जायेंगी
कहीं भारतीय मुसलमान इस सच्चाई को स्वीकार न कर लें इसीलिए मुसलमानों के धार्मिक नेता हरहाल में काफिर बोले तो हिन्दूओं के विरूद्ध हिंसा और नफरतका प्रचार प्रसार करते रहते हैं
(उधाहरण के लिए आप कुरान के अध्याय 8 की आयत 12 पढ़ सकते हैं
) इस्लामिक आतंकवादी संस्था सिमी (SIMI) पहले ही यह घोषणा कर चुकी है कि भारत दारूल हरब है और SIMI इसे दारूल इस्लाम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है
भारत का दारूल हरब होना, मुसलमानों को हिन्दूओं का कत्लयाम करने ,हिन्दूओं के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने ,हिन्दूओं की मां-बहन-बेटियों की इज्जत आबरू के साथ खिलबाड़ करने के साथ साथ उन्हें हिन्दूओं के प्रति हर तरह के नैतिक बन्धनों से मुक्त करता है क्योंकि मुसलमानों को कुरान व हदीस में दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाने के लिए ये सब करने का आदेश दिया गया है
बृहद हिन्दू समाज परन्तु फिर भी अगर कोई मुसलमान इस बात को स्वीकार करता है कि उसके पूर्बज हिन्दू हैं तो हम उसे बृहद हिन्दू समाज बोले तो हिन्दूस्तान के अंग के रूप में स्वीकार कर सकते हैं
भारत अर्थात इंडिया अर्थात हिन्दुस्तान हिन्दूओं और अन्य जिनके पूर्बज हिन्दू हैं उन सबका देश है
यहां तक कि भारत में रहने वाले पारसियों औरयहूदियों के पूर्बज भी हिन्दू ही थे
अन्य जो भारत से अपना खून का रिस्ता होनेकी बात को अस्वीकार करते हैं या फिर जिनका भारत से खून का रिस्ता है ही नहीं या फिर वो विदेशी जो मात्र पंजीकरण की बजह से भारतीय नागरिक बने हैं वो भारत में रह तो सकते हैं लेकिन उन्हें बोट डालने का अधिकार नहीं दिया जा सकता
(मतलब वो चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हो सकते)
इसलिए आतंकबाद का मुकाबला करने बालीनीति पर अमल करने से पहले हर और प्रतेक हिन्दू का प्रतिबद्ध और बिराट हिन्दू बनना जरूरी है
किसी भी व्यक्ति को बिराट हिन्दू बनने के लिए एक हिन्दू मानसिकता रखना मतलब उसकी एक ऐसी मानसिकता होना जरूरी है जो व्यक्तिगत और राष्ट्रीयचरित्र के अन्तर को समझ सके बिराट हिन्दू होने के लिए किसी हिन्दू का पबित्र, इमानदार और पढ़ा-लिखा होना ही काफी नहीं है
ये सब व्यक्तिगत चरित्र के अंग हैं
राष्ट्रीय चरित्र वो मानसिकता है जो सक्रिय व पूरी ताकत से देश की पबित्रता और अखण्डता के लिए प्रतिबद्ध रहती है
उधाहरण के लिए मनमोहन सिंह (प्रधानमन्त्री) का व्यक्तिगत चरित्र तो ठीक दिखता है परन्तु अर्द्ध साक्षरसोनिया गांधी की एक रबर स्टैंप की तरह काम करते हुए हर राष्ट्रीय मुद्दे पर घुटने टेक देने की वजह से ये साबित हो चुका हैकि उसका कोई राष्ट्रीय चरित्र नहीं है
भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें दूसरा सबक ये सीखना चाहिए कि क्योंकि आतंकवादियों का उदेश्य हिन्दूओं का मनोबल तोड़ना और हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के लिए भारत के हिन्दू आधार को तबाह करना है इसलिए हमें आतंकवादियों के आगे न तो हथियार डालने चाहिए और न ही आतंकवादियों की किसी भी मांग को मानना चाहिए
आतंकवाद से लड़ने की किसी भी नीति का मूल आधार यही होना चाहिए कि हम आतंकवादियों की किसी भी मांग को किसी भी हालात में नहीं मानेंगे
हमारे हाल के इतिहास में इस नीति पर विलकुल भी अमल नहीं किया गया
जब से हमने 1947 में मुसलिम आतंकवादियों के दबाब में पाकिस्तान बनाने की मांगको स्वीकार किया है तब से हम दबाब में बार-बार आतंकवादियों के आगे घुकने टेक देते हैं
आतंकवादियों के सामने घुटने टेकने की घटनायें
1989 में मुफ्ती मुहम्द सैयद की वेटी रूविया को आतंकवादियों से मुक्त करवाने के लिए वी पी सिंह सरकार द्वारा भारतीय जेलों से पांच आतंकवादियों को छोड़ दिया गया
इस घटना ने अपराधियों को कशमीरी अलगाववादियों व उनके समर्थकों की आँखों में नायक बना दिया
क्योंकि इन अपराधियों ने हिन्दूओं की सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने में सफलता हासिल की थी
रूविया को छुड़ाने के लिए आतंकवादियों के आगे घुटने टेकना जरूरी नहीं था
भारत के आधुनिक इतिहास में आतंकवादियों के आगे घुटने टेकने की सबसे शर्मनाक घटना तब घटी जब 1999 में आतंकवादियों ने
भारतीयविमान सेवा की उड़ान IC-814 को अगवा कर कन्धार पहुंचा दिया
सरकार ने न्यायालय से आज्ञा लिए विना ही तीन आतंकवादियों को छोड़ दिया
मानो देश को शर्मशार करने के लिए इतना ही काफी नहो आतंकवादियों को पाकिस्तान में धकेलने के बजाए, उनके साथ एक बिशेष अतिथी जैसा बर्ताव करते हुए प्रधानमन्त्री के विमान में विठाकर एक बरिष्ठ मन्त्री द्वारा कन्धार पहुंचाया गया
ये तीनों आतंकवादी कन्धार में छोड़े जाने के बाद वापिस पाकिस्तान गए
पाकिस्तान जाकर इन तीनों आतंकवादियों ने हिन्दूओं को कत्ल करने के लिए तीन अलग-अलग आतंकवादी संगठन बनाए
मुहम्दहजर जिसे ततकालीन सुरक्षा सलाहकार ब्रजेस मिश्र ने मेमना बताया था ने छोड़े जाने के बाद लश्करे तैयावा की कमान सम्भाली
लश्करे तैयवा वह गिरोह है जिसने श्रीनगर से लेकर बंगलौर तक हिन्दूओं को लहुलुहान करने के लिए बार-बार हमलों को अन्जाम दिया
अजहर ने मध्य 2000 से लेकर अब तक 2000 से अधिक हिन्दूओं का खून बहाया
यही अजहर दिसम्बर 13, 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के लिए भी जिम्मेदार है
तीसरा आतंकवादी जरगर अल-मुझा हिदीन-जंगान की स्थापना करने के बाद आज कल डोडा और जम्मू में हिन्दूओं का खून बहा रहा है
कन्धरा में की गई ये मुर्खता हमें के सबक देती है कि हमें कभी भी,किसी भी हालात में आतंकवादियों के आगे घुटने नहीं टेकने चाहिए
अगर आप आतंकवादियों के आगे घुटने टेकते हैं तो आप घुटने टेक कर बचाए गए हिन्दूओं से कहीं ज्यादा हिन्दूओं का कत्ल करवायेंगे
इसलिए आतंकवादियों से किसी भी तरह की सौदेबाजी पर लगाम लगाकर ,आतंकवादियों के सर्वनाश के लिए आगे बढ़ना चाहिए
सच का सामना भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए, भारत विरोधी इस्लामिक आतंकवाद के हाल के इतिहास से हमें तीसरा सबक ये सीखना चाहिए कि आतंकवादी घटना कितनी भी छोटी या कम महत्व क्यों नहो देश को जबाबी कार्यवाही हरहाल में करनी चाहिए--- आतंकवादी घटना के बराबरया फिर विनम्र कार्यवाही नहीं वल्कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सबक सिखाने के लिए पूर्ण कार्यवाही
उधाहरण के लिए अय़ोध्या परकिया गया आतंकवादी हमला वेशक बड़ा हमला नहीं था लेकिन हमें आतंकवादियों के हमले पर जबाबी कार्यवाही करते हुए अयोध्य में एक भव्य राम मन्दिर का पुनर निर्माण करना चाहिए था
ये कलियुग है इसलिए हिन्दू विरोधी आतंकवादियों व उनके समर्थकों के प्रति किसी भी सातविक प्रतिक्रिया के लिए कोई जगह नहीं है
हिन्दू धर्म में आपाकलीन धर्म का प्रावधान है जिस पर हमें आज के हालात में अमल करना चाहिए
ये हमारे लिए सच्चाई का सामना करने का वक्त है
एक सभ्यता के रूप में अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए या तो हमें हिन्दू के रूप में संगठित होकर हिंसक व अत्याचारी इस्लामिक आतंकवादी हमले का मुकावला करना चाहिए या फिर परसियन, वेवीलोनियन और मिश्र की सभ्यता की तरह नष्ट होने के लिए तैयार हो जाना चाहिए
ये सभ्यतायें अत्याचारी इस्लामिक आतंकवादी हमले का संगठित होकर मुकावला करने में असमर्थ रहीं इसलिए इनका सर्वनाश हो गया
हमें शाम, दाम, दण्ड, भेद नियम का पालन करते हुए हरहाल में अत्याचारी इस्लामिक आतंकवाद का सर्वनाश सुनिश्चित करना चाहिए
वरना ये राक्षश हमें समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे
गरीबी आतंकवाद का कोई कारक नहीं भारत में इस्लामिक आतंकवादियों को प्रेरणा कहां से मिलती है? बहुत से लोग हिन्दूओं को ये सलाह देते हैं कि मुसलिम आतंकवादियों पर जबाबी हमले करने के बजाए आतंकवाद के मूल कारण को खत्म करें
ये लोग मूल कारण भी बताते हैं निर्दोष हिन्दूओं का खून बहाने वाले आतंकवादियों के लिए हर तरह की सहानुभूति रखने वाले खूनी उदारवादी हमे बताते हैं कि आतंकवाद के पनपने व बढ़ने का कारण अन पढ़ता, गरीबी, शोषण और भेदभाव है
ये तथाकथित उदारबादी कुतर्कदेते हैं कि इन आतंकवादियों का खात्मा करने पर जोर देने के बजाए आतंकवाद के इन चार कारणों को खत्म किया जाए
इन चार कारणों के समाप्त होते ही आतंकवाद खत्म हो जाएगा
इन प्रशनों का उतर देने से पहले ये समझ लेना बहुत जरूरी है कि मुझें नहीं लगता ये कातिल उदारवादी या खूनी बुद्धिजीवी भारत के प्रति बफादार हैं
ये हर व्यक्ति की भावनात्मक ताकत को खत्म कर उसे जिन्दा मुर्दा बना देना चाहते हैं मतलब मजबूरी को ये हिन्दूओं की मानसिकता का अंगबना देना चाहते हैं
इस तरह की हीन भावना के साथ कोई भी देश य़ा समाज लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकता ये कहना बकवास है कि जो आतंकवादी आज तक हमले कर लाखों हिन्दूओं का खूनबहा चुके हैं वो गरीब हैं
उधाहरण के लिए दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी ओसामा विनलादेन अरबपति है खनिज तेल से वेहिसाब पैसा कमाने वाले अमीर देश मुसलिम आतंकवादियों को संरक्षण और आर्थिक मदद पहुंचाते हैं
ब्रिटेन में आतंकवादी हमलों को अन्जाम देने के दोषी सबके सब आतंकवादी साधन सम्पन मुसलमान हैं मुसलिम आतंकवादी अनपढ़ भी नहीं हैं
आतंकवादियों के अधिकतर सरगना डाकटर, चार्टड एकौंटैंट (CA), एम बी ए (MBA) और अध्यापक हैं
उधाहरण के लिए दिल्ली में धनतेरस के दिन सैंकड़ों हिन्दूओं का कतल करने वाला आतंकवादी रसायन विज्ञान में सनातकोतर है वटायम सुकेयर पर हमले का असफल प्रयास करने वाला आतंकवादी सहजाद MBA है वो भी अमेरिका के एकउच्चस्तरीय विश्वविद्यालय से
उसका सबन्ध पाकिस्तान के एक अमीर परिबार से है
निश्चित तौर पर उसने अपने ही देश पाकिस्तान में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं सहा 11 सित्मबर, 2001 को जिन 9 लोगों के गिरोह ने चार हबाई जहाजों को अगवा कर WorldTrade Towers सहित अन्य जगहों को निशाना बनाया निश्चित तौर पर उनके साथ भी अमेरिका में किसी तरह का भेदभाव या शोषण नहीं हुआ था
इसलिए ये कहना कि आतंकवाद गरीब आतंकवादियों की देन है पूरी से मूर्खतापूर्ण है अगर हम बांमपंथी उदारवादी कुतर्क को मान भी लेंतो क्या बामपंथी इस बात से सहमत हैं कि मुसलिम देशों में प्रताड़ित सबके सब गैर मुसलमानों को आतंकवादी बनकर मुसलमानों का कत्लकरना चाहिए
कशमीर घाटी जहां पर मुसलमान बहुमत में हैं वहां पर घारा 370 लगाकर बहुसंख्यक मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए गए हैं व अल्पसंखयक हिन्दूओं का कत्लयाम किया गया ,हिन्दूओं की मां- बहन वेटियों के साथ बालातकार किए गए, अन्त में उन्हें वहां से भगा दिया गया
वो अपने ही देश में वेघर होकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैंतो क्या ये उदारबादी उनके द्वारा मुसलमानों के विरूद्ध हथियार उठाने पर उनका बैसा ही साथ देंगे जैसा वो आज तक हिन्दूओं का कत्ल करने वाले मुसलिम आतंकवादियों का देते आए हैं? यह कहना कि क्योंकि आतंकवादी मरने-मारने को तैयार हैं, वेअपना विवेक खो चुके हैं,उनका कोई घरबार नहीं है इसलिए उनका कत्ल नहीं किया जाना चाहिए
आतंकवादियों के सरगनाओं की इस आतंकवाद रूपी पागलपन में भी एक सोची समझी रणनीति और योजना है जिसके लिए उन्होंने निश्चित राजनीतिक उद्देश्य चुने हैं
इसलिए हमेंआतंकवादियों को कुचलने के साथ-साथ एक ऐसी रणनीति पर अमल करना है जो आतंकवादियों के उद्देश्यों को पूरी तरह से विफलकर दे
ऐसी रणनीति कैसे बनाई जा सकती है राबर्ट टरैगर और देशी सलाबा(Robert Trager and Dessislava Zagorcheva) ने शोधपत्र आतंकवाद का मुकाबला((‘DeterringTerrorism’ International Security,vol 30, No 3, Winter 2005/06, pp87-123) में आतंकवादका मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने के लिए समान्य सिद्धांत बताए हैं
सामरिक योजना अगर मुसलिम समाज आतंकवादियों के इन उद्देश्यों को गैर इस्लामिक घोषित कर इनकी निंदा और विरोध नहीं करता है तो इन सिद्धांतों का उपयोग कर मैं इस्लामिक आतंकवादियों के राजनैतिक उदेश्यों को असफल करने के लिए निम्नलिखित सामरिक नीतिका समर्थनकरता हूं
षडयन्त्र-1 :-कशमीर पर भारत को आतंकित करना
रणनीति-1:- धारा 370 समाप्त कर, भूतपूर्व सैनिकों को कशमीर घाटी में बसाना कशमीरी हिन्दूओं के लिए पुनन कशमीर का निर्माण करना,बलूचियों और सिंधियों को आजादी के लिए सहायता देना
षडयन्त्र-2:- हमारे मन्दिरों में बम धमाके कर भक्तों का कत्ल करना
रणनिति-2:- जैसे को तैसा नीति अपनाते हुए काशी विश्वानाथ मन्दिर परिसर सहित 300 अन्य जगहों से मसजिदों को हटाना
षडयन्त्र :-3 भारत को दारूल इस्लाम बनाना
रणनिति-3:- भारत में एक समान नागरिक संहिता लागू करना,पढ़ाई के लिए संस्कृत को अनिवार्या बनाना,वन्देमातरम् का गान जरूरी करना और भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सिर्फ उन्हीं गैर हिन्दूओं को बोट का अधिकार देना जो गर्व से ये स्वीकार करें कि उनके पूर्बज हिन्दू हैं
भारत का हिन्दूस्तान (हिन्दूओं और उन गैर हिन्दूओं का देश जिनके पूर्बज हिन्दू हैं ) के रूप में पुन : नामकरण करना
षडयन्त्र-4 अवैध आप्रवास, धर्मांतरण, और परिवार नियोजन को अपनाने से इनकार द्वारा भारत की जनसांख्यिकी बदलें.
रणनिति-4:- देश में एक ऐसा राष्ट्रीय नियम लागू करें जिसके अनुसार हिन्दू धर्म से किसी भी अन्य धर्म में धर्मांतरण करना बर्जित हो
किसी भी अन्य धर्म से हिन्दू धर्म में घर वापसी इसमें प्रतिबन्धित नहीं होनी चाहिए
गैर हिन्दूओं द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी जाति में घर वापसी करने का स्वागत करें बशर्ते वे अनशासन का पालन करने को तैयार हों
भारत में रहने वाले अबैध वंगलादेशियों की शंख्या के अनुशार बंगलादेश की जमीन पर कब्जा कर लिया जाए
आज की संख्या के अनुसार सिलहट से खुलना तक के उतर का एक-तिहाई भारत को अबैध रूप से भारत में रह रहे बंगलादेशियों को बसाने के लिए अपने कब्जे में ले लेना चाहिए
षडयन्त्र-5 हिन्दूओं के अन्दर आत्मगलानी का बोध पैदा करने व उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने के मकसद से मस्जिदों,मदरसों और चर्चों में अश्लील लेखन और उपदेश के माध्यम से हिंदू धर्म को बदनाम करना
रणनिति-5:- हिन्दू मानसिकता के विकाश का प्रचार-प्रसार करें( मेरी नईपुस्तक ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय पुनर्जागरण’ Haranand, 2010 देखें
) समाधान का समय भारत इस तरहकी रणनीति अपनाकर सिर्फपांच बर्षो में अपनी आतंकवादकी समस्या का समाधाननिकाल सकता है परन्तु इसकेलिए हमें आतंकवाद द्वारा सिखाए गए उपरलिखितचार सबक हर समय याद रखनेहोंगे और राष्ट्र की रक्षा केलिए साहसिक,जोखिम भरे वकठोर कदम उठाने के लिए हिन्दूमानसिकता का निर्माण करना होगा
यदि यहूदियों को गैस चैंबरों मेंजलाए जाने के लिए मिमयाते हुएजाने वाले मेमनों से ज्वलंत शेर मेंसिर्फ 10 वर्ष मेंबदला जा सकता है तो हिन्दूओं के लिए तो उनसे कहीं वेहतरहालात (आज भी हम भारतका 83 प्रतिशत हैं) में ये कामसिर्फ पांच वर्ष मेंकरना किसी भी तरह से मुशकिलनहीं है
परम्पूजनीय गुरूगोविन्द सिंहजी द्वारा हमें पहलेही रास्ता दिखा दिया गया हैकि किस तरह सिर्फ पांच निडरलोग आध्यात्मिक मार्गदर्शन मेंसारे समाज को बदल सकते हैं
यहां तक कि अगर आधे हिन्दूमतदाता भी संगठित होकरहिन्दू के रूप में, इमानदारी से हिंदूएजेंडा के लिए प्रतिबद्धपार्टी को,बोट डालने के लिएप्रोतसाहित किए जा सकें तब भी हम परिवर्तन के लिए एकमजबूत आधार तैयार कर सकते हैं
और अंततः सच्चाई के इस क्षण मेंएक लोकतांत्रिक हिंदुस्तान मेंयही आतंकवाद से लड़नेकी रणनीति में निम्नतम जरूरत है