25 June 2013

??? हिन्दू धर्म : नियम का पालन नहीं करोगे तो....???


किसी भी धर्म, समाज या राष्ट्र में नीति-नियम और व्यवस्था नहीं है तो सब कुछ अव्यवस्थित और मनमाना होगा। उसमें भ्रम और भटकाव की गुंजाइश ज्यादा होगी इसलिए व्यवस्थाकारों ने व्यवस्था दी। लेकिन कितने लोग हैं जो नीति और नियम का पालन करते हैं?

पालन नहीं करने का परिणाम : लोग धर्म के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उससे उनके जीवन में जहां दुख और असफलता आती है वहीं उनका जीवन एक भ्रम और भटकाव ही बनकर रह जाता है। वे फिर मनमाने मंदिर, दरगाह, गुरु, परंपरा, ज्योतिष आदि के बीच सुखों की तलाश करते रहते हैं, लेकिन सुख कहीं नहीं मिलता। अंतकाल में वे पछताते हैं।

आश्रम से जुड़ा धर्म : हिंदू धर्म आश्रमों की व्यवस्था के अंतर्गत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की शिक्षा देता है। इसी में समाहित है धार्मिक नियम और व्यवस्था के सूत्र। जैसे कैसा हो हिंदू घर, हिंदू परिवार, हिंदू समाज, हिंदू कानून, हिंदू आश्रम, हिदू मंदिर, हिंदू संघ, हिंदू कर्त्तव्य और हिंदू सि‍द्धांत आदि।

आश्रम है ये चार- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास।

वेद है सर्वोच्च धर्मग्रंथ : वेद, स्मृति, गीता, पुराण और सूत्रों में नीति, नियम और व्यवस्था की अनेक बातों का उल्लेख मिलता है। उक्त में से किसी भी ग्रंथ में मतभेद या विरोधाभास नहीं है। जहां ऐसा प्रतीत होता है तो ऐसा कहा जाता है कि जो बातें वेदों का खंडन करती हैं, वे अमान्य हैं।

मनुस्मृति में कहा गया है कि वेद ही सर्वोच्च है। वही कानून श्रुति अर्थात वेद है। महर्षि वेद व्यास ने भी कहा है कि जहां कहीं भी वेदों और दूसरे ग्रंथों में विरोध दिखता हो, वहां वेद की बात मान्य होगी। वेद और पुराण के मतभेदों को समझते हुए हम हिंदू व्यवस्था के उस संपूर्ण पक्ष को लेंगे जिसमें उन सभी विचारधाराओं का सम्मान हो, जिनसे वेद प्रकाशित होते हैं।

वेद है चार- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।

इन नियमों का पालन करें-

1. ईश्वर को ही सर्वोपरि मानें। एकनिष्ठ बनें।
2. प्रतिदिन मंदिर जाएं।
3. प्रतिदिन संध्यावंदन करें।
4. आश्रमों के अनुसार जीवन को ढालें।
5. वेद को साक्षी मानें और जब भी समय मिले गीता पाठ करें।
6. दस तरह के पाप से बचें।
7.हर हिंदू के पांच नित्य कर्तव्यों को जानकर उसका पालन करें।
8.सभी को समान समझे, छुआछूत मानना पाप है।
9. हिंदुओं के 16 संस्कारों का पालन करें।
10. संयुक्त परिवार का पालन करें...







!!! 24 घंटे में होते हैं कितने और कौन से मुहूर्त, जानिए !!!




किसी भी प्रकार के मंगल कार्य करने के लिए सबसे पहले मुहूर्त और चौघड़िया देखा जाता है। आज कल लोग शुभघड़ी को मुहूर्त कहने लगे हैं। दिन व रात मिलाकर 24 घंटे के समय में, दिन में 15 व रात्रि में 15 मुहूर्त मिलाकर कुल 30 मुहूर्त होते हैं अर्थात् एक मुहूर्त 48 मिनट (2 घटी) का होता है।


मुहूर्त का नामसमय प्रारंभसमय समाप्त
रुद्र06.0006.48
आहि06.4807.36
मित्र07.3608.24
पितृ08.2409.12
वसु09.1210.00
वराह10.0010.48
विश्‍वेदेवा10.4811.36
विधि11.3612.24
सप्तमुखी12.2413.12
पुरुहूत13.1214.00
वाहिनी14.0014.48
नक्तनकरा14.4815.36
वरुण15:3616:24
अर्यमा16:2417:12
भग17:1218:00
गिरीश18:0018:48
अजपाद18:4819:36
अहिर बुध्न्य19:3620:24
पुष्य20:2421:12
अश्विनी21:1222:00
यम22:0022:48
अग्नि22:4823:36
विधातॄ23:3624:24
कण्ड24:2401:12
अदिति01:1202:00
जीव/अमृत02:0002:48
विष्णु02:4803:36
युमिगद्युति03:3604:24
ब्रह्म04:2405:12
समुद्रम05:1206:00


मुहूर्त संबंधित ग्रंथ : मुहूर्त संबंधित कई ग्रंथ हैं जो वेद, स्मृति आदि धर्मग्रंथों पर आधारित है। ये ग्रंथ है- मुहूर्त मार्तण्ड, मुहूर्त गणपति मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्त पारिजात, धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु आदि। शुभ मुहूर्त जानते वक्त तिथि, वार, नक्षत्र, पक्ष, अयन, चौघड़ियां और लग्न आदि का भी ध्यान रखा जाता है।


@@@ काल गड़ना @@@

श्री वेद व्यास जी द्वारा रचित श्री मदभागवत कथा को केवल 
श्री कृष्ण लीला के रूप में प्रचारित किया जाता है । पर इसमें 
विज्ञान भी है जिसको या तो समझा नहीं गया है या उसकी
अनदेखी की गई है ।

भागवत में समय गणना के लिए जितनी सूक्ष्म ईकाइयों का
वर्णन है उसे देख कर आज के वैज्ञानिक भी दांतों तले अंगुली
दबाये बिना नहीं रह पाएंगे । उस काल में आज से लगभग तीन
हज़ार वर्ष पहले (आज के इतिहासकारों द्वारा अनुमानित) हमारे
ज्योतिर्विज्ञानियों द्वारा समय को मापने के लिए व्यवहृत प्रणाली
बहुत ही उन्नत थी ।


भागवत के अनुसार समय की सूक्षतम इकाई " परमाणुसमय " है । 

1 परमाणु समय = सूर्यकिरणों को एक परमाणु को पार करने में लगाने वाला समय

2 परमाणु समय = 1 अणु समय

3 अणु समय = 1 त्रसरेणु

3 त्रस रेणु = 1 त्रुटि

100 त्रुटि = 1 वेध

3 वेध = 1 लव

3 लव = 1 निमेष 

3 निमेष = 1 क्षण

5 क्षण = 1 काष्ठा

15 काष्ठा = 2 लघु

15 लघु = 1 नाडिका

2 नाडिका = 1 मुहूर्त

30 मुहूर्त = 1 प्रहर

8 प्रहर = 1 दिन(एक सूर्योदय से परवर्ती सूर्योदय तक का समय)

यदि हम वैदिक दिन और ग्रेगेरियन (अंग्रेजी) दिन की तुलना करें तो :-

वैदिक दिन :

1 दिन = 8 प्रहर

= 240 मुहूर्त

= 480 नाडिका

= 7,200 लघु

= 54,000 काष्ठा

= 2,70,000 क्षण

= 8,10,000 निमेष

= 24,30,000 लव

= 72,90,000 वेध

= 72,90,00,000 त्रुटि

= 2,18,70,00,000 त्रसरेणु 

= 6,56,10,00,000 अणु समय

= 13,12,20,00,000 परमाणु समय

उसी प्रकार स्थूल काल गणना भी बहुत उन्नत है ।

पाश्चात्य दिन :

1 दिन = 24 घंटे

= 1440 मिनट

= 86400 सेकेंड

इसके बाद माइक्रो ....आदि उपसर्गों का प्रयोग करके काम चलाया जाता है ।

आओ !

हम अपने आप को फिर से जानें !!


अपनी संस्कृति पहचाने !!!

अपने ज्ञान को फिर से जागृत करें !!!!

हम क्या थे ? हम क्या हैं ? हमें क्या होना है ?