20 October 2012

बैंगन को ना समझे बिना गुण वाला इसे खाने के ये हैं बड़े फायदे


बैंगन एक बहुत ही पौष्टिक सब्जी है लेकिन कुछ लोग इसे बिना गुण वाली सब्जी मानते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक है और बैंगन की सब्जी नहीं खाते हैं तो आज हम आपको अवगत करवाते हैं बैंगन के ऐसे गुणों से जिन्हें जानने के बाद आपकी गलतफहमी दूर हो जाएगी। वैसे बैंगन के रंग का प्रभाव भी उसके गुणों पर पड़ता है। विटामिन 'सी' की उपस्थिति बैंगन के छिलके के रंग पर निर्भर करती है। गहरे रंग के छिलके वाले बैंगन में अधिक विटामिन 'सी' रहता है जबकि हल्के रंग के छिलके वाले बैंगन में विटामिन 'सी'की मात्रा कम रहती है। वसा, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स ये तीनों ही पोषक तत्व बैंगन में कम पाए जाते हैं।

100 ग्राम बैंगन में नीचे लिखे पोषक तत्व पाए जाते हैं 

प्रोटीन - 1.4 ग्राम वसा- 0.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स -4.0ग्राम कैल्शियम - 18 ग्राम फस्फोरस - 47 (मि. ग्राम) लौह तत्व - 0.38(मि.ग्राम) विटामिन सी - 12(मि.ग्राम) पोटेशियम - 20(मि.ग्राम) -मैग्नीशियम - 16(मि.ग्राम)

रूखी त्वचा के लिए बैंगन- बैंगन स्किन को मॉइश्चर प्रदान करता है। इसीलिए अगर आपकी स्किन ड्राय या बाल ड्राय हो तो बैंगन जरूर खाएं।

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है- बैंगन के सेवन से रक्त में बैंगन के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर गिरता है। इस तरह के प्रभाव का प्रमुख कारण है। बैंगन में पोटेशियम व मैंगनीशियम की अधिकता। बैंगन की पत्तियों के रस का सेवन करने से भी रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम किया जा सकता है।

हाईब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए- उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये यही कारण है कि बैंगन उपयोगी माना जाता है।

दांत के दर्द में- बैंगन का रस दांत के दर्द में लाभदायक प्रभाव दिखलाता है। बैंगन की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं। अस्थमा के उपचार के लिये बैंगन की जड़ें प्रयुक्त की जाती हैं।

दिल की बीमारियों में- इससे रक्त संचार सही रहता है। इसी कारण यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और बैंगन का सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों से बचाता है।

कब्ज से राहत- बैंगन में फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इसीलिए इसे सेवन करने वालों को कब्ज नहीं होती है।


सेंधा नमक


= नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।

= नमक विशेषज्ञ एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है । श्रेष्ठ प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है ।

= प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुध्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।

= सेंधा नमक की सबसे बडी समस्या है कि भारत मे यह काफ़ी कम मात्रा मे होता है , और वह भी शुद्ध नही होता है। भारत मे ८० प्रतिशत नमक समुद्री है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाडी यानि कि सेंधा नमक । सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान की मुल्तान की पहडियों मे है।

= ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।

= समुद्री और सेंधा नमक के दाम मे इतना अधिक अंतर है जिसके कारण लोग समुद्री नमक खरीद्ते हैं । समुद्री नमक जहां नौ रु किलो है तो सेंधा नमक का दाम रु ४० प्रति किलो है । सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है । साफ़ है कि इसका अधिक उपयोग करना पडता है ।और इसीलिये लाख उपयोगी होने के बावजूद लोग इसकी जगह समुद्री नमक से ही चला लेते है । पर अगर उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ हुई तो इसके इलाज में जो हज़ारो रुपये खर्च होंगे ; इसकी तुलना में दाम का ये फर्क कुछ भी नहीं ।

= सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

= यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।

= यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।

= रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

= यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है ।

= दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
सेंधा नमक के विशिष्ठ योग

= हिंगाष्ठक चूर्ण, लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ योग हैं

= नमक आवश्यक है पर उसे कम से कम मात्रा में खाना चाहिए ।