1. यदि गाय लगातार एक हफ्ते तक अकारण ही अपनी निर्धारित क्षमता से कम दूध देती है तो इसे भूकंप का संकेत समझना चाहिए। ऐसी स्थिति में कहीं भूकंप आने की संभावनाएं होती हैं।
2. यदि बैल रात को बिना वजह ही चिल्लाता है तो ये भी भूकंप आने का संकेत है। ऐसा होने पर निकट भविष्य में भूकंप आ सकता है।
3. यदि कोई गाय दुखी दिखाई देती है तो ये उस देश के राजा के लिए अशुभ संकेत है। आज के समय में राजा का अर्थ शासन-प्रशासन से समझना चाहिए।
4. यदि कोई गाय जमीन कुरेदती हुई दिखाई दे तो इससे क्षेत्र में रोग बढ़ने की संभावनाएं बढ़ती हैं। ये अशुभ संकेत है और इसका असर यह होता है कि जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
5. यदि कोई गाय डर कर जोर-जोर से चिल्लाती है तो इसे चोरी होने का संकेत समझना चाहिए।6. यदि कोई गाय बिना कारण जोर-जोर से चिल्लाती है तो ये किसी अनर्थ का संकेत है। गाय का चिल्लाना किसी बड़ी परेशानी की ओर इशारा करता है।
प्रकृति देती है भूकंप के संकेत
1. भूकंप आने से सात दिन पूर्व ही प्रकृति भी संदेश देती है। दिन की शुरुआत में तेज वायु, दोपहर में अग्रि यानी अधिक तापमान, शाम को वर्षा एवं रात्रि में जल से भूमि कंपित होती है।
2. उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, पुनर्वसु, मृगशिरा, अश्विनी ये सात नक्षत्र वायु से संबंधित हैं। यदि इनमें से किसी नक्षत्र में भूकंप के योग बनते हैं तो सात दिन पूर्व से चारों ओर धूल उड़ने लगती हैं। वृक्षों को तोड़ने वाली हवा चलती है। सूर्य मंद होता है। जनता में ज्वर एवं खांसी की पीड़ा रहती है।
3. पुष्य, कृत्तिका, विशाखा, भरणी, मघा, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वा फाल्गुनी, ये सात नक्षत्र अग्रि यानी तपन से संबंधित हैं। इनमें से किसी नक्षत्र में भूकंप आने के योग होते हैं तो सात दिन पूर्व आकाश लाल होता है। जंगलों में आग लगती है। ज्वर एवं पीलिया के रोगी बढ़ जाते हैं।
4. अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, रोहिणी, ज्येष्ठा, उत्तराषाढ़ा, अनुराधा, ये सात नक्षत्र वर्षा से संबंधित हैं। इनमें से किसी नक्षत्र में भूकंप आने की संभावना हो तो सात दिन पूर्व से ही भारी वर्षा होती है। बिजली चमकती है।
5. रेवती, पूर्वाषाढ़ा, आद्रा, अश्लेषा, मूल, उत्तराभाद्रपद, शतभिषा, ये सात नक्षत्र जल से संबंधित है। यदि इनमें से किसी नक्षत्र में भूकंप आने के योग बनते हैं तो सात दिन पूर्व से समुद्र एवं नदी के तट पर रहने वाले लोगों को रोग होते हैं। भारी वर्षा होती है।
6. ये सभी संकेत भूकंप आने से पहले ही सूचित कर देते हैं। जहां पर पक्षी व्याकुल दिखाई दें एवं चींटियां और जमीन के अंदर रहने वाले अन्य जीव बाहर निकलने लगे, जानवर एक दिशा में लगातार देखते रहते हैं तो भूकंप आने के योग बनते हैं।
भूकंप से संबंधित ग्रह योग
1. जब-जब भी भारत या भारत के आसपास के देशों में भूकंप आया है, उस समय में मंगल और शनि की एक-दूसरे पर परस्पर दृष्टि रहती है। शनि-मंगल के कारण ही भूकंप के योग बनते हैं।
2. जिस दिन सूर्य, मंगल, शनि या गुरु का नक्षत्र रहता है एवं इस दिन यदि मंगल की शनि या शनि की मंगल पर दृष्टि हो, सूर्य की मंगल पर या गुरु एवं मंगल की सूर्य पर परस्पर दृष्टि हो तो भूकंप आ सकता है। 25 अप्रैल 2015 को ऐसे ही योग बने थे और आज 12 मई को भी ये योग बन रहे हैं।
3. भूकंप आने का एक बड़ा कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण भी है। कुछ दिन पहले 20 मार्च एवं 4 अप्रैल 2015 को सूर्य और चंद्र ग्रहण हुआ था। जब भी इस प्रकार दो ग्रहण एक साथ होते है, भूकंप की स्थिति निर्मित होती है। ऐसा पूर्व में भी हो चुका है।
4. जब-जब भूकंप आए हैं, उनकी तारीखों पर बनने वाले योगों का विश्लेषण करने ये बात सामने आई है कि भूकंप के समय मंगल, शनि, सूर्य एवं गुरु के नक्षत्र के साथ इन ग्रहों की परस्पर एक-दूसरे पर दृष्टि रहती है या नवांश में इन ग्रहों की एक-दूसरे पर दृष्टि रहती है। पूर्णिमा एवं अमावस्या तिथि के आसपास की तिथियों पर भूकंप आने की संभावनाएं अधिक होती हैं। इसके साथ ही सूर्य और चंद्र ग्रहण भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।