मुस्लिम तथा इस्लाम के पुरोधा 786 अंक को विस्मिल्लाह का रूप बताते हैं.... और, सीधे सीधे इस अंक को अपने अल्लाह से जोड़ते हैं...!
परन्तु आप यह जान कर हैरान हो जायेंगे कि .... इस्लाम का 786 और कुछ नहीं .... बल्कि.... हम हिन्दुओं तथा विश्व का पहला एवं पवित्रम अक्षर ॐ है...!
दरअसल ऐसा इसीलिए है कि....... मुस्लिमों द्वारा अपने अराध्य के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द ""अल्लाह"" भी...हिन्दुओं के वेद से ही चुराया गया है.... और, जो ""अल्ला"" का अपभ्रंश रूप है..... जिसका अर्थ ""अम्बा, अक्का, अथवा शक्ति होता है"...!
तो.... उन्होंने एक काल्पनिक अल्लाह बना लिया ..... और, वैदिक रीति के अनुसार ही दिन में 5 बार उनकी पूजा(आराधना) सुनिश्चित कर ली........ परन्तु , ""ओंकार"" के उच्चारण के बिना उन्हें अपने हर किये धरे पर पानी फिरता नजर आया..... क्योंकि उन्हें भी यह मालूम था कि.... ॐ ही साश्वत है..... और, अंतिम सत्य है...!
अपनी इस्लाम की इस विसंगति को दूर करने लिए..... उन्हें भी ॐ सरीखा ही कोई ""अदभुत और सर्वशक्तिमान"" अक्षर चाहिए था.... जो कि उन्हें नहीं मिला.... क्योंकि, पूरे ब्रह्माण्ड में ॐ एक ही है...!
इसीलिए उन्होंने..... लाचार होकर हमारे ""अदभुत और सर्वशक्तिमान"" अक्षर ॐ को ही अपना लिया...... परन्तु, उन्होंने ॐ के तीनों भागों को थोडा दूर दूर लिखा (उल्टा कर लिखा .... क्योंकि, अरबी और इस्लाम में सब चीज उल्टा कर ही लिखा जाता है).... जिससे कि..... यह एक अंक ७८६ सरीखा दिखने लगा , जिसे उन्होंने जस के तस अपना लिया......!
इस तरह ...... हम निर्विवाद रूप से यह साबित कर सकते हैं कि........ इस्लाम की पूजा (नमाज) पद्धति, उनका अल्लाह ..... यहाँ तक कि उनका पवित्रतम अंक 786 हमारे वेदों से ही चुरा कर बनाया गया है...... और, इस्लाम कोई नया धर्म अथवा संप्रदाय नहीं है...!इन सब बातों से..... एक महत्वपूर्ण बात यह भी साबित होती है कि..... इस पूरे ब्रह्माण्ड में हिन्दू सनातन धर्म के अलावा और किसी दूसरे धर्म अथवा संप्रदाय का कोई अस्तित्व नहीं है..... और, सारे के सारे धर्म तथा संप्रदाय ........ हमारे हिन्दू सनातन धर्म से चोरी कर..... अथवा, प्रेरणा लेकर तैयार किये गए हैं....!
यही कारण है कि..... सारे दुनिया के विभिन्न सम्प्रदायों द्वारा ... लाख प्रयास करने के बावजूद भी..... आज तक कोई हमारे हिन्दू सनातन धर्म का बाल भी बांका नहीं कर पाया है..... और, हम आज भी दुनिया में ....... सबसे सम्मानित तथा आदरणीय धर्म की संज्ञा पाते हैं....!
हमारा हिन्दू सनातन धर्म ही ..... ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ बना है..... और, यही.... अंत तक.... तथा , इसी गौरव के साथ विद्यमान रहेगा...!बाकी के सारे धर्म धर्म और संप्रदाय.... पानी के बुलबुले की तरह आए हैं..... और, उसी प्रकार विलुप्त भी हो जायेंगे...!
इसीलिए..... गर्व करें कि हम सनातनी हैं ... और , सर्वश्रेष्ठ हिन्दू धर्म का हिस्सा हैं....!
जय महाकाल...!!!
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