1-जो रुद्राक्ष कीड़ो ने दूषित किया हो, जो टूटा-फूटा हो, जिसमें उभरे हुए दानेन हो, जो वरणयुक्त हो तथा पूरा-पूरा गोल न हो, इन पांच प्रकार के रुद्राक्षों को धारण नहीं करना चाहिए।
2-जो रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट गये हो और जो शुद्ध रुद्राक्ष जैसे न हों] उन्हें धारण न करें।
3-धारण करने से पहले परीक्षण कर लें कि रुद्राक्ष असली है या नकली।नकली रुद्राक्ष पानी में तैरने लगेगा और असली रुद्राक्ष पानी में डूब जाएगा।
4-जो रुद्राक्ष गोल, चिकना, मोटा, कांटेदार हो, उसे ही खरीदना चाहिए।
5-एकमुखी रुद्राक्ष को किसी पीतल के बर्तन में रख दें। उसके ऊपर से 108 बिल्वपत्र लेकर चंदन से ओम नमः शिवाय मंत्र लिखकर सबसे नीचे रुद्राक्ष रखकर रात्रि में रख दें। प्रातः रुद्राक्ष बिल्वपत्र के ऊपर विराजित होगा तो वह शुद्ध रुद्राक्ष होगा।
6-एकमुखी रुद्राक्ष को ध्यानपूर्वक देखने पर त्रिशूल या नेत्र का निशान कहीं न कहीं अवश्य ही दिखाई देता है।
7-रुद्राक्ष के दानों को तेज धूप में छः घंटे तक रखने से अगर रुद्राक्ष चट कें (टूटे नहीं) तो असली माने जाते हैं।
8-रुद्राक्ष धारण करने पर मद्य, मांस, लहसुन, प्याज, सहजन, लिसोडा और विड्वराह (ग्राम्यसूयकर) इन पदार्थो का परित्याग करना चाहिए।
9-जप आदि कार्यो में छोटा रुद्राक्ष ही विशेष फलदायक होता है और बड़ा रुद्राक्ष रोगों पर विशेष फलदायी माना जाता है ।
10-रुद्राक्ष शिवलिंग से अथवा शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए।
11-रुद्राक्ष धारण करने के उपरांत सुबह-सायं भगवान शंकर का पूजन और ओम नमः शिवाय मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए।
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