06 October 2012

!!! ककडी (snake cucumber) के फायदे !!!


ककडी को संस्कृत भाषा में कर्कटी कहा जाता है . यह गर्मी की ऋतु में खूब पैदा होती है और शरीर की गर्मी और उससे उत्पन्न व्याधियों को समाप्त करती है . इसकी लताएँ होती हैं .प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग हमारे देश में होता आया है . प्राचीन ग्रन्थों में इसका वर्णन शाक के रूप में किया गया है . इसकी सब्जी खाने से हमारे शरीर को अनेकों लाभ पहुंचते हैं . अगर किसी भी बीमारी में और चीजों का निषेध हो तब भी इसकी सब्जी को खाया जा सकता है . यह सुपाच्य होती है .

इसका छौंक लगाकर इसे पकाया और खाया जाना चाहिए . छौंक लगाने को संस्कृत में संस्कारित करना कहा जाता है ; अर्थात शाक के सभी दोषों को समाप्त करके उसके गुणों की अभिवृद्धि करना! छौंक ऐसा न लगाया जाए कि शाक के गुण ही समाप्त हो जाएँ .

इसे मधुर रस से युक्त मन गया है ; अर्थात यह पित्त का शमन करती है , पाचन की कमी को ठीक कर देती है , acidity की समस्या को समाप्त कर देती है . पाचन ठीक से न हो रहा हो तो ककडी की सब्जी अवश्य खानी चाहिए . इससे पेट की सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं . 1 ग्राम ककडी के बीजों के पावडर में 4 ग्राम मुलेठी का पावडर मिलाकर 500 ग्राम पानी मिलाकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें . सवेरे इसका पानी छानकर पीने से acidity , के अल्सर और infections ठीक हो जाते हैं .

यह मूत्रल है . यह किडनी की सफाई कर देती है . पेशाब की जलन और रुककर urine आने की समस्या ठीक हो जाती है . प्यास अधिक लगती हो ककडी का सेवन कच्चे रूप में नियमित तौर पर करना चाहिए . ककडी को कच्चा सवेरे या फिर मध्यान्ह में ही करना चाहिए . रात्रि को ककडी ,खीरे , टमाटर और मूली आदि का प्रयोग करने से शरीर में वायु की अभिवृद्धि होती है ; अफारा आ सकता है और कफ बढ़ता है .

ककडी को कच्चे रूप में खाना हो तो नमक बुरककर न रखें . हाँ , नमक से छुआ छुआकर खा सकते हैं . इससे स्वाद भी आ जाएगा , और ककडी के आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहेंगे . कच्ची शाक खाने के कुछ देर बाद भोजन खाएं . इससे शाक भी पूरा लाभ देता है ; अच्छे से पच जाता है और भोजन भी कम खाया जाता है , जिससे मुटापा भी नहीं बढ़ता . कच्चा पक्का भोजन साथ साथ लेने से पाचन की क्रिया में बाधा आती है और आवश्यक तत्व भली प्रकार सोखने में अवरुद्धता आती है . ककडी खाने के तुरंत बाद पानी न पीयें . दूध और ककडी विरुद्धाहार हैं .

अगर B.P. high होने की समस्या है ; तो ककडी रामबाण है . सवेरे खाली पेट कच्ची ककडी चबा चबाकर खाएं . नियमित रूप से ऐसा करने पर रक्तचाप ठीक होना प्रारम्भ हो जाता है . जलने पर कच्ची ककडी काटकर लगा दें . तुरंत आराम आ जायेगा . चेहरे पर झाइयाँ हों तो माजूफल , जायफल और ककडी घिसकर , पेस्ट बनाकर चेहरे पर उबटन की तरह लगायें . झाइयाँ ठीक हो जाएँगी .

इसके बीजीं की गिरी भी शीतल होती है . यह ठंडाई में डाली जाती है . इसके बीज भी मूत्रल होते है . ये शक्ति भी प्रदान करते हैं . इनके बीजों के पावडर को मिश्री में मिलाकर एक एक चम्मच सवेरे शाम लेने से कमजोरी दूर होती है . प्रमेह और प्रदर ठीक होते हैं और धातुरोगों का निवारण होता है .

Pregnancy में अफारा होने पर ककडी की जड़ों को धोकर, कूटकर,, काढ़ा बनाकर , नमक मिलाकर लें . Pregnancy या delivery की pain से राहत पानी हो तो delivery के तीन महीने पहले से ही ; 3 ग्राम ककडी की जड़ + 1 कप दूध +1 कप पानी मिलाकर मंदी आंच पर पकाएं . जब आधा रह जाए तो पी लें . ऐसा करने से पीड़ा से तो राहत मिलेगी ही , शिशु भी स्वस्थ होगा .

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