हालाँकि ये काफी हास्यास्पद और बेहद बेतुकी सी बात है..... फिर भी..... इसमें मुस्लिमों का कोई दोष नहीं है........ क्योंकि, ""जिसका गुरु जैसा होगा.... उसका चेला (अनुयायी) भी वैसा ही होगा""...!
क्या आप जानते हैं कि..... इस्लाम का प्रतिपादक और अल्लाह का तथाकथित भूत.... सॉरी... दूत...... मुहम्मद दुनिया का सबसे बड़ा गप्पबाज व्यक्ति था....!
मुहम्मद ने.... लुट के दौरान.. इतनी गप्पें हांकी हैं कि.... उन गप्पों को सुनकर..... कोई शराबी या अफीमची भी शरमा जाएगा...!
मुहम्मद ने ये गप्पें लोगों पर अपना प्रभाव बनाने के लिए हांकी थी..... और, उन्हें पूरा विश्वास था कि.... जब तक मुल्ले मदरसों में कुरान पढ़ते रहेंगे...... तब तक, वे निपट मूर्ख ही रहने वाले हैं..... तथा, उनके गप्पों पर कोई उंगली नहीं उठाने वाला है...!
मुहम्मद साहब ने कुरान कैसी-कैसी गप्पें हांकी हैं..... जरा आप भी एक-दो नमूना देख लें...... और, अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाएं....
@@@ रसूल अपने कपड़ों में कुछ बरसाती बादलों को रख लेते थे ... और, फिर जब चाहते थे... उन बादलों से इतनी बरसात कर देते थे कि.... जिस से मक्का शहर की गलियां भर जाती थी . ............... अबू दाऊद- जिल्द 3 किताब 31 हदीस ५०८१
@@@ अनस ने कहा कि रसूल को रास्ते में एक खजूर का पेड़ मिला .....जो दर्द से इस तरह कराह रहा था , जैसे गर्भवती ऊंटनी कराहती है .
और, जब रसूल ने उस पेड़ पर हाथ फिराया तो उसका दर्द ख़त्म हो गया और पेड़ शांत हो गया..... .बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 783 , 784 और 785
@@@ अनस ने कहा कि... एक बार जब रास्ते में कहीं पानी नहीं था .. और, जिहादी प्यासे मर रहे थे ..... तो रसूल ने अपनी उँगलियों से इतना पानी निकाल दिया कि जिस से 1500 लोगों की प्यास बुझ गयी .............. बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 776
@@@ एक बार जब रसूल मीना की पहाड़ी पर खड़े हुए थे .... तो, उन्होंने अपनी उंगली से चाँद के दो टुकडे कर दिए .
एक टुकड़ा पहाड़ी की एक तरफ गिरा .... और, दूसरा टुकड़ा दूसरी तरफ गिर गया .....मुस्लिम - किताब 39 हदीस 6725 , 6726 , और 6728
### लगता है कि मुहम्मद साहब फुरसत के समय मूर्ख जिहादियों पर अपना प्रभाव डालने के लिए ऐसे ही बेतुकी गप्पें मारते रहते थे ....
अन्यथा ऐसी असंभव और मूर्खतापूर्ण बातों पर केवल वही विश्वास कर सकता है ,जिसके अक्ल का दिवाला निकल गया हो .
क्योंकि.... इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार चन्द्रमा का आकार पृथ्वी से एक तिहाई से भी कम है .(The Moon] is less than one-third the size of Earth (radius about 1,738 कि मी )
फिर भी.... यदि आधा चन्द्रमा टूट कर अरब पर गिर गया होता..... तो, मुहम्मद और मक्का मदीना समेत कई अरब देश मिट गए होते.... और, आज दुनिया को ये दुर्दिन नहीं देखना होता...!
अब आप खुद ही सोचें कि..... जिस इस्लाम का प्रतिपादक मुहम्मद ही इतना बड़ा गप्पी.... और, डींग हांकू हो...... उसके अनुयायी कैसे होंगे....????
कुरान पढ़ कर .... मुझे तो लगता है कि..... अगर आप भी ... अपना काम धाम छोड़ कर.... लूटमार और बलात्कार करने लगो..... जम कर डींगें हांकना शुरू कर दो.... तो शायद आप भी मुस्लिमों के लिए अल्लाह के दूत और रसूल बन सकते हो....!
जय महाकाल...!!!
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