06 October 2012

33 ""कोटि"" देवी-देवता..!


लोगों ... ख़ास कर मुस्लिमों को इस बात की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि...... हिन्दू सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं...!

मुस्लिमों की ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें सुनकर तो ऐसा लगता है कि...... भगवान् ने मूर्खता का सारा ठेका ... थोक के भाव में मुस्लिमों को ही दे रखा है..... तभी वे, कभी भी अक्ल की बात करते ही नहीं हैं...!!

मुस्लिमों की देखा देखी... आज कल उनके सरपरस्त और वर्णसंकर प्रजाति के लोगों को

भी ...( जिसे आधुनिक बोलचाल की भाषा में ""सेक्यूलर"" भी कहा जाता जाता है)... भी ऐसा ही बोलते देखा जा सकता है ...!

लेकिन ऐसा है नहीं..... और, सच्चाई इसके बिलकुल ही विपरीत है...!

दरअसल.... हमारे वेदों में उल्लेख है .... 33 ""कोटि"" देवी-देवता..!

अब ""कोटि"" का अर्थ ""प्रकार"" भी होता है.. और ............ ""करोड़"" भी...!

तो... मूर्खों ने उसे हिंदी में .... करोड़ पढना शुरू कर दिया...... जबकि वेदों का तात्पर्य ..... 33 कोटि ... अर्थात ..... 33 प्रकार के देवी-देवताओं से है... (उच्च कोटि .. निम्न कोटि..... इत्यादि शब्द तो आपने सुना ही होगा.... जिसका अर्थ भी करोड़ ना होकर ..प्रकार होता है)

ये एक ऐसी भूल है.... जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ को ही परिवर्तित कर दिया....!

इसे आप इस निम्नलिखित उदहारण से और अच्छी तरह समझ सकते हैं....!
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अगर कोई कहता है कि...... बच्चों को ""कमरे में बंद रखा"" गया है...!
और दूसरा इसी वाक्य की मात्रा को बदल कर बोले कि...... बच्चों को कमरे में "" बन्दर खा गया"" है..... !!
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कुछ ऐसी ही भूल ..... अनुवादकों से हुई ..... अथवा... दुश्मनों द्वारा जानबूझ कर दिया गया.... ताकि, इसे HIGHLIGHT किया जा सके..!

सिर्फ इतना ही नहीं.... हमारे धार्मिक ग्रंथों में साफ-साफ उल्लेख है कि.... ""निरंजनो निराकारो.. एको देवो महेश्वरः""............. अर्थात.... इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन...निराकार महादेव हैं...!

साथ ही... यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य बात है कि..... हिन्दू सनातन धर्म ..... मानव की उत्पत्ति के साथ ही बना है..... और प्राकृतिक है...... इसीलिए ... हमारे धर्म में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीना बताया गया है...... और, प्रकृति को भी भगवान की उपाधि दी गयी है..... ताकि लोग प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें....!

जैसे कि....
@@ गंगा को देवी माना जाता है...... क्योंकि ... गंगाजल में सैकड़ों प्रकार की हिमालय की औषधियां घुली होती हैं..!

@@ गाय को माता कहा जाता है ... क्योंकि .... गाय का दूध अमृततुल्य ... और, उनका गोबर... एवं गौ मूत्र में विभिन्न प्रकार की ... औषधीय गुण पाए जाते हैं...!

@@ तुलसी के पौधे को भगवान इसीलिए माना जाता है कि.... तुलसी के पौधे के हर भाग में विभिन्न औषधीय गुण हैं...!

@@ इसी तरह ... वट और बरगद के वृक्ष घने होने के कारण ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं.... और, थके हुए राहगीर को छाया भी प्रदान करते हैं...!

यही कारण है कि.... हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में ..... प्रकृति पूजा को प्राथमिकता दी गयी है..... क्योंकि, प्रकृति से ही मनुष्य जाति है.... ना कि मनुष्य जाति से प्रकृति है..!

कालांतर में.... ईसाई और... इस्लाम सरीखे... बिना सर-पैर वाले सम्प्रदायों के आ जाने के कारण..... और, उनके द्वारा... प्रकृति का सम्मान नहीं करने के कारण ही....... आज हम ग्लोबल वार्मिंग .... और, ओजोन परत जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं..!

अतः.... प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और उनकी पूजा करना सर्वथा उपर्युक्त है.... !

यही कारण है कि........ हमारे धर्म ग्रंथों में.... सूर्य, चन्द्र... वरुण.... वायु.. अग्नि को भी देवता माना गया है.... और, इसी प्रकार..... कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैं...!

इसीलिए, आपलोग बिलकुल भी भ्रम में ना रहें...... क्योंकि... ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं... जो निरंजन...निराकार महादेव हैं...!

बाकी के ईसा मसीह वगैरह.... को संत या महापुरुष कहा जा सकता है.... परन्तु भगवान् नहीं...!
और... इस्लाम के प्रतिपादक ... मुहम्मद तो.... अपने समय के दुर्दांत लुटेरे और नामचीन बलात्कारी थे ही....!

जय महाकाल...!!!

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