30 September 2012

SOCHO SOCHO AUR SOCHO


रोज तो तुम नए जन्मते बच्चो को देखते हो | रोज तो तुम बूढों कि अर्थिया उठते देखते हो | कब तुम्हे समझ में आएगा कि जो जन्मा है वो मरेगा जो बना है वो मिटेगा ये बात दो घडी कि है | ये ताश के पत्तो का घर है | अभी आया हवा का झोखा और अभी बिखर जायेगा |  

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