रोज तो तुम नए जन्मते बच्चो
को देखते हो | रोज तो तुम बूढों कि अर्थिया उठते देखते हो | कब तुम्हे समझ में आएगा
कि जो जन्मा है वो मरेगा जो बना है वो मिटेगा ये बात दो घडी कि है | ये ताश के
पत्तो का घर है | अभी आया हवा का झोखा और अभी बिखर जायेगा |
ॐॐॐॐॐॐॐॐ (“निरंजनो निराकरो एको देवो महेश्वर:। मृत्यू मुखम् गतात् प्राणं बलात रक्षति:॥ ) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ( ॐकारं बिन्दु संयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥ ) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ हर एक से पूछ के देख लिया ! हर एक से पूछ के देख लिया ! एक हर से पूछना बाकि है ! हर दर पे लुट के देख लिया ! हरी दर पे लुटना बाकि है ! "पुनरपि जननं, पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनं ! इह संसारे खलु दुस्सारे कृपया पाहि पार मुरारे"
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