प्रत्येक मनुष्य को भगवान की पूजा हमेशा करना चाहिए। घर के मंदिर में शिवालय अवश्य रखना चाहिए, अन्यथा भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है। शिव महापुराण के अनुसार मनुष्य को पूरे मन, प्रेम एवं लगन से भगवान का पूजन करना चाहिए। पूजा के लिए जरूरी नहीं है कि आप ज्यादा समय और अधिक से अधिक सामग्री चढ़ाएं। बल्कि जब तक आपका मन अच्छा नहीं होगा, तब तक आप पूजा मन लगाकर नहीं कर सकते।
* भगवान शिव हम सभी के ईष्ट हैं। वे सभी की पीड़ा, दर्द को समझते हैं।
* शिव के सिर पर गंगा है, उनके सिर पर चंद्रमा विराजते हैं, उन्हें 'चंन्द्रमौलि' कहते हैं।
* शिव की आराधना, साधना, उपासना से मनुष्य अपने पापों एवं संतापों से इसी जन्म में मुक्ति पा सकता है।
* सोमवार चंद्रवार है, इसीलिए चंद्रमा को तृप्त करने के लिए कावरिए अपनी कावरों में घंटियां बांधे हुए 'हर बम' 'हर हर महादेव', 'बम बोले बम' 'ॐ नम: शिवाय' आदि कहते हुए शिवधाम जाते हैं।
* भगवान शिव मात्र एक लोटा जल, बेलपत्र, मंत्र जप से ही प्रसन्न हो जाते है। अत: मनुष्य अगर शिव का इतना भी पूजन कर लें तो पाप कर्मों से सहज मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
* जीवन में ऊं नमः शिवाय, गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, हनुमान मंत्र, गणेश मंत्र, राम नाम मंत्र का जप करते रहने से जीवन की सारी कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
* महिलाओं को 'ऊं नमः शिवाय' की जगह 'ऊं शिवाय नमः' का जप करना ज्यादा लाभकारी होता है।
* भोलेनाथ का श्रावण मास में ध्यान करने से मनुष्य की मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती हैं।
* श्रावण मास में 'बम-बम बोल' और 'ॐ नम: शिवाय' की गूंज सर्वत्र सुनाई देती है।
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