भूकंप के बाद बचाव कार्य का एक दल एक महिला के पूर्ण रूप से ध्वस्त हुए घर की जांच कर रहा था,बारीक दरारों में से महिला का मृत शारीर दिखा लेकिन वो एक अजीब अवस्था में था,महिला अपने घुटनों के बल बैठी थी ठीक वैसे ही जैसे मंदिर में लोग भगवान् के सामने नमन करते है,उसके दोनों हाथ किसी चीज़ को पकडे हुए थे,भूकंप से उस महिला की पीठ व् सर को काफी क्षति पहुंची थी,
काफी मेंहनत के बाद दल के सदस्य ने बारीक दरारों में से जगह बना कर अपना हाथ महिला की तरफ बढाया इस उम्मीद में की शायद वो जिंदा हो,लेकिन महिला का शारीर ठंडा प़ड चूका था,जिसे बचाव दल समझ गया की महिला मर चुकी है,
बचाव दल ने उस घर को छोड़ दिया और दुसरे मकानों की तरफ चलने लगे,बचाव दल के प्रमुख का कहना था की "पता नहीं क्यूँ मुझे उस महिला का घर अपनी तरफ खींच रहा था,कुछ था जो मुझसे कह रहा था के मैं इस घर को ऐसे छोड़ कर न जाऊं और मैंने अपने दिल की बात मानने का फैसला किया"
उसके बाद बचाव दल एक बार फिर उस महिला के घर की तरफ पहुंचे,दल प्रमुख ने मलबे को सावधानी से हटा कर बारीक दरारों में से अपना हाथ महिला की तरफ बढ़ाया और उसके शारीर के निचे स्थित जगह को हाथों से टटोलने लगे,तभी उनके मुह से निकला "बच्चा... यहाँ एक बच्चा है"पूरा दल काम में जुट गया,सावधानी से मलबा हटाया जाने लगा,तब उन्हें महिला के मृत शारीर के निचे एक टोकरी में रेशमी कम्बल में लिपटा हुआ ३ माह का एक बच्चा मिला,दल को अब समझ में आ चूका था की महिला ने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपने जीवन का त्याग किया है,भूकंप के दौरान जब घर गिरने वाला था तब उस महिला ने अपने शारीर से सुरक्षा देकर अपने बच्चे की रक्षा की थी.डोक्टर भी जल्द ही वहां आ पहुंचे.
दल ने जब बच्चे को उठाया तब बच्चा बेहोश था,जब बचाव दल ने बच्चे का कम्बल हटाया तब उन्हें वहां एक मोबाइल मिला जिसके स्क्रीन पर सन्देश लिखा था,"मेरे बच्चे अगर तुम बच गए तो बस इतना याद रखना की तुम्हारी माँ तुमसे बहुत प्यार करती है" मोबाइल बचाव दल में एक हाथ से दुसरे हाथ जाने लगा, सभीने वो सन्देश पढ़ा,सबकी आँखें नम हो गयी...
माँ के प्रेम से बढ़ कर दुनिया में और कोई प्रेम नहीं हो सकता
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