क्या आप जानते हैं कि... प्रकाश की किरण में समाहित सात रंगों की खोज किसी न्यूटन-फ्यूटन ने नहीं की है ..... बल्कि, यह तो हमारे वेदों में लाखों बरस पहले से ही लिखा हुआ है.... जिस समय न्यूटन तो क्या ...... ईसा मसीह तक का जन्म नहीं हुआ था...!
आज पश्चिमी देशों द्वारा यह दावा किया जाता है कि.... प्रकाश की किरण में समाहित सात रंगों की खोज न्यूटन.... ने .... 1666 ईस्वी में प्रिज्म के माध्यम से की है..!
जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है..... और... ये थ्योरी हमारे हिन्दू सनातन धर्म द्वार
ा लाखों वर्ष पूर्व ही खोजा जा चुका है..... और, हमारे वेदों में इस बात का साफ उल्लेख है..... तथा, इस बात को हिन्दू का बच्चा-बच्चा जानता है...!
दरअसल.. हुआ कुछ ऐसा है कि...... न्यूटन ने हमारे वेदों से ये थ्योरी चुराई और उसे अपना खोज बता कर प्रकाशित कर दिया..... (जिस प्रकार यहाँ फेसबुक पर भी लोग दूसरों का पोस्ट चुरा कर..... और, फोटो बदल कर...... अपने नाम से प्रकाशित कर देते हैं )
चूँकि वेद एक धार्मिक ग्रन्थ है..... इसीलिए, वेदों में इस बात को धार्मिक तरीके से समझाया गया है..... !
जरा आप भी न्यूटन की चोरी को देखें.... और, समझें कि..... चोर और बेईमान कैसे होते हैं.....
1. आधुनिक विज्ञान कहता है कि.... सूर्य स्थिर नहीं.... बल्कि गतिमान है...... और, हमारे वेद में लिखा भी लिखा है कि.... सूर्य देवता .... रथ पर सवार होकर भ्रमण करते हैं..( अर्थात सूर्य गतिमान है.. स्थिर नहीं)
2. न्यूटन ने कहा है कि.... सूर्य की किरणें सात रंगों से मिलकर बनी है...... और, हमारा वेद भी कहता है कि.... सूर्य के रथ में सात घोड़े हैं.. (अर्थात, सूर्य की किरणें सात रंगों से मिलकर बनी है..)
3. न्यूटन ने कहा है कि.... सूर्य की किरणों के सातों रंग जब आपस में मिलते हैं तो.... उनका रंग सफ़ेद हो जाता है.... और, हमारा वेद भी कहता है कि.... सूर्य देवता के रथ में सात में सात घोड़े हैं.... और, उनका रंग उजला (सफ़ेद ) है...!
उपरोक्त तथ्यों से ये साफ जाहिर है कि.... न्यूटन ने कोई नयी बात नहीं कही है..... और, उसने हमारे वेदों की थ्योरी को चोरी कर... अपने नाम से प्रकाशित कर लिया ... एवं, हमारी थ्योरी हमी को को प्रस्तुत कर दिया..... और, हम मूर्खों की भांति उसे चोर की जगह ...विद्वान समझने लगे...!
उल्लेखनीय है कि.... वेद लाखों वर्ष पुराना ग्रन्थ है.... और, उस समय न्यूटन तो क्या..... पश्चिमी देशों में सभ्यता का जन्म भी नहीं हुआ था.... और, कंदराओं में रहकर ... और कंद मूल खा कर अपना जीवनयापन किया करते थे...!
इसीलिए मित्रो.... लोगों के बहकावे और नौटंकियों पर मत जाएं .... और, गर्व करें कि.... हम परम गौरवशाली और समृद्ध हिन्दू सनातन धर्म का एक अंश हैं...!
जय महाकाल...!!!
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