नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।२३।।
इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता । २३
यह सिर्फ एक श्लोक नहीं है, यह जीवन का अटल सत्य है। जो पैदा हुआ है उसका अंत भी सत्य है। हिन्दू धर्म में आत्मा को अजर अमर मन गया है तथा कहा गया है की किसी के भी अंतिम संस्कार के बाद वहां से वापस लौटते समय पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहिए। इसके कुछ कारण भी बताये गए हैं।
1. आत्मा इसी धरती पर भटकती रहती है-हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में अंतिम संस्कार है दाह संस्कार। इस संस्कार में धरती पर अपने जीवन काल को पूरा करने लेने के बाद जब व्यक्ति की आत्मा शरीर को त्यागकर वापस अन्य शरीर में प्रवेश के लिए चली जाती है तब मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है।
अंतिम संस्कार में वेद मंत्रों के साथ शव को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अग्नि में भष्म होने के बाद शरीर जिन पंच तत्वों से बना है उन पंच तत्वों में जाकर वापस मिल जाता है।
लेकिन आत्मा को अग्नि जला नहीं सकती है इसिलए आत्मा का अस्तित्व देह के जल जाने के बाद भी मौजूद होता है और वह मृत्यु से लेकर मृतक संस्कार तक के सारे कर्मों को खुद अपनी आंखों से देखता है।
कुछ व्यक्तियों की आत्मा शरीर का त्याग करने के बाद इस धरती से अपने कर्मों का फल भोगने चली जाती है लेकिन कुछ व्यक्तियों की आत्मा इसी धरती पर भटकती रहती है।
2.परिजनों के आस-पास भटकती आत्मा-पुराणों में बताया गया है कि मृत्यु के बाद भी कुछ लोगों की आत्मा का अपने परिवार के सदस्यों के साथ मोह बना रहता है। आत्मा के मोहग्रस्त होने पर व्यक्ति की आत्मा अपने परिजनों के आस-पास भटकती रहती है। इस स्थिति में व्यक्ति को मुक्ति नहीं मिल पाती है और उसे कष्ट भोगना पड़ता है।
शव दाह संस्कार करके मृत व्यक्ति की आत्मा को यह संदेश दिया जाता है कि अब तुम्हारा जीवित लोगों से और तुम्हारे परिजनों से संबंध तोड़ने का समय आ गया है। मोह के बंधन से मुक्त होकर मुक्ति के लिए आगे बढ़ो।
शवदाह संस्कार के बाद घर लौटते समय वापस पीछे मुड़कर देखने पर आत्मा का अपने परिवार के प्रति मोह टूट नहीं पाता है। दूसरी ओर पीछे मुड़कर देखने का मतलब यह भी होता है कि मृत व्यक्ति के प्रति आप में भी मोह बना हुआ है। इसलिए मोह से मुक्ति के लिए शवदाह संस्कार के बाद लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।
3.रुह के जीवित लोगों में प्रवेश का डर-
मृतक संस्कार के बाद लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि मृतक की आत्मा अपने परिजनों के साथ-साथ पीछे-पीछे वापस आती है।
पीछे की ओर मुड़कर देखने पर मृतक की आत्मा जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती है और सताने लगती है। बच्चे आत्माओं के प्रभाव में जल्दी आ जाते हैं इसलिए श्मशान से लौटते समय बच्चों को सबसे आगे रखना चाहिए।
Rajesh Agrawal
No comments:
Post a Comment