हनुमानजी के पूजन से कार्यसिद्धि
हिन्दू धर्म में श्री हनुमानजी प्रमुख देवी-देवताओ में से एक प्रमुख देव हैं। शास्त्रोक्त मत के अनुशार हनुमानजी को रूद्र (शिव) अवतार हैं। हनुमानजी का पूजन युगो-युगो से अनंत काल से होता आया हैं। हनुमानजी को कलियुग में प्रत्यक्ष देव मानागया हैं। जो थोडे से पूजन-अर्चन से अपने भक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की सभी प्रकार के दुःख, कष्ट, संकटो इत्यादी का नाश हो कर उसकी रक्षा करते हैं।
हनुमानजी का दिव्य चरित्र बल, बुद्धि कर्म, समर्पण, भक्ति, निष्ठा, कर्तव्य शील जैसे आदर्श गुणो से युक्त हैं। अतः श्री हनुमानजी के पूजन से व्यक्ति में भक्ति, धर्म, गुण, शुद्ध विचार, मर्यादा, बल , बुद्धि, साहस इत्यादी गुणो का भी विकास हो जाता हैं।
विद्वानो के मतानुशार हनुमानजी के प्रति द्दढ आस्था और अटूट विश्वास के साथ पूर्ण भक्ति एवं समर्पण की भावना से हनुमानजी के विभिन्न स्वरूपका अपनी आवश्यकता के अनुशार पूजन-अर्चन कर व्यक्ति अपनी समस्याओं से मुक्त होकर जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर सकता हैं।
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा की हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु कौन सी हनुमान प्रतिमा का पूजल करना लाभप्रद रहेगा। इस जानकारी से आपको अवगत कराने का प्रयास किया जारहा हैं।
हनुमानजी के प्रमुख स्वरुप इस प्रकार हैं।
राम भक्त हनुमान स्वरुप:
राम भक्ति में मग्न हनुमानजी की उपासना करने से जीवन के महत्व पूर्ण कार्यो में आ रहे संकटो एवं बाधाओं को दूर करती हैं एवं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक एकाग्रता व अटूट लगन प्रदान करने वाली होती है।
संजीवनी पहाड़ लिये हनुमान स्वरुप:
संजीवनी पहाड़ उठाये हुए हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति को प्राणभय, संकट, रोग इत्यादी हेतु लाभप्रद मानी गई हैं। विद्वानो के मत से जिस प्रकार हनुमानजी ने लक्षमणजी के प्राण बचाये थे उसी प्रकार हनुमानजी अपने भक्तो के प्राण की रक्षा करते हैं एवं अपने भक्त के बडे से बडे संकटो को संजिवनी पहाड़ की तरह उठाने में समर्थ हैं।
ध्यान मग्न हनुमान स्वरुप:
ध्यान मग्न हनुमान स्वरुप:
हनुमानजी का ध्यान मग्न स्वरुप व्यक्ति को साधना में सफलता प्रदान करने वाला, योग सिद्धि या प्रदान करने वाला मानागया हैं।
रामायणी हनुमान स्वरुप:
रामायणी हनुमानजी का स्वरुप विद्यार्थीयो के लिये विशेष लाभ प्रद होता हैं। जिस प्रकार रामायण एक आदर्श ग्रंथ हैं उसी प्रकार हनुमानजी के रामायणी स्वरुप का पूजन विद्या अध्यन से जुडे लोगो के लिये लाभप्रद होता हैं।
हनुमानजी का पवन पुत्र स्वरुप:
हनुमानजी का पवन पुत्र स्वरुप के पूजन से आकस्मिक दुर्घटना, वाहन इत्यादि की सुरक्षा हेतु उत्तम माना गया हैं।
वीरहनुमान स्वरुप:
वीरहनुमान स्वरुप में हनुमानजी योद्धा मुद्रामें होते हैं । उनकी पूंछ उत्थित (उपर उठिउई) रहती है व दाहिना हाथ मस्तककी ओर मुडा रहता है । कभी-कभी उनके पैरों के नीचे राक्षसकी मूर्ति भी होती है । वीरहनुमान का पूजन भूता-प्रेत, जादू-टोना इत्यादि आसुरी शक्तियो से प्राप्त होने वाले कष्टो को दूर करने वाला हैं।
राम सेवक हनुमान स्वरुप: हनुमानजी की श्री रामजी की सेवामें लीन हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति के भितर सेवा और समर्पण के भाव की वृद्धि होती हैं। व्यक्ति के भितर धर्म, कर्म इत्यादि के प्रति समर्पण और सेवा की भावना निर्माण करने हेतु व व्यक्ति के भितर से क्रोघ, इर्षा अहंकार इत्यादि भाव के नाश हेतु राम सेवक हनुमान स्वरुप उत्तम माना गया हैं।
हनुमानजी का उत्तरामुखी स्वरुप:
उत्तरामुखी हनुमानजी की उपासना करने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होकर जीवन धन, संपत्ति से युक्त हो जाता हैं। क्योकि शास्त्रो के अनुशार उत्तर दिशा में देवी देवताओं का वास होता हैं, अतः उत्तरमुखी देव प्रतिमा शुभ फलदायक व मंगलमय, सकल सम्पत्ति प्राप्त होती हैं। सकल सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरुप:
दक्षिणमुखी हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति को भय, संकट, मानसिक चिंता इत्यादी का नाश होता हैं। क्योकि शास्त्रो के अनुशार दक्षिण दिशा में काल का निवास होता हैं। शिवजी काल को नियंत्रण करने वाले देव हैं हनुमानजी भगवान शिव के अवतार हैं अतः हनुमानजी की पूजा-अर्चना करने से लाभ प्राप्त होता हैं। जादू-टोना, मंत्र-तंत्र इत्यादि प्रयोग दक्षिणमुखी हनुमान की प्रतिमा के समुख करना विशेष लाभप्रद होता हैं। दक्षिणमुखी हनुमान का चित्र दक्षिण मुखी भवन के मुख्य द्वार पर लगाने से वास्तु दोष दुर होते देखे गये हैं। जादू-टोना, मंत्र-तंत्र इत्यादि प्रयोग प्रमुखत: ऐसी मूर्ति के
हनुमानजी का पूर्वमुखी स्वरुप:
पूर्वमुखी हनुमानजी का पूजन करने से व्यक्ति के समस्त भय, शोक, शत्रुओं का नाश हो जाता है।
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