जब दांत नहीं तब दूध दिया अब दांत है तो क्या अन्न न देहै।
पाथर में कीड़ा जन्मा जो तिसको पाले वो मुझको संभाले।
कोई फिक्र नहीं कोई चाह नहीं उजियाये के मारे परवाह नहीं।
जब दांत नहीं तब दूध दिया अब दांत है तो क्या अन्न न देहै।
जिसे पाला माँ के गर्भ में वो ही तो मेरा रक्षक है पग पग मेरे पल पल मेरे वो साथ रहे क्या फिक्र मुझे।
जो अंग संग है जो दिल मे है जो तन मन में बस्ता प्यारा हम उसके है वो हमारा है
जब दांत नहीं तब दूध दिया अब दांत है तो क्या अन्न न देहै।
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