रीबी इसमें फंस रहा था
=============================
राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य जांच अधिकारी के. रागोथामन ने आरोप लगाया है कि उस वक्त इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रहे एमके नारायण ने एक महत्वपूर्ण सबूत को दबा दिया था। रागोथामन के मुताबिक यह एक विडियो टेप था, जिसमें मानव बम बनी धनु को बम विस्फोट से पहले ही देखा जा सकता था।
रागोथामन ने एक किताब लिखी है। अपनी किताब में वह लिखते हैं कि इस लापता विडियो के बारे में जांच हुई थी लेकिन स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम के प्रमुख डी आर कार्तिकेयन ने एमके नारायण को छोड़ दिया। नारायण इस वक्त पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं।
हाल ही में छपी इस किताब का नाम है 'कंस्पिरेसी टु किल राजीव गांधी - फ्रॉम सीबीआई फाइल्स'। किताब में दावा किया गया है कि उस विडियो टेप को आईबी ने ही एक कैमरामैन से हत्या के अगले दिन बरामद किया था। लेकिन हत्याकांड की जांच कर रही टीम को यह टेप कभी नहीं दिया गया। 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।
रागोथामन ने अपनी किताब में लिखा है, 'हत्यारों का दस्ता करीब ढाई घंटे तक सुरक्षित क्षेत्र में घूमता रहा। वे लोग अपने टारगेट के आने का इंतजार कर रहे थे।' बाद में तमिलनाडु पुलिस ने दावा किया कि धनु राजीव गांधी के आने के बाद सुरक्षित क्षेत्र में घुसी थी। अगर विडियो दिया गया होता तो पुलिस का यह दावा गलत साबित होता।
जो टेप तमिलनाडु पुलिस ने बरामद किया, उसका अंदाज दूरदर्शन के समाचारों में दिखाए जाने वाले विडियो जैसा था। रागोथामन कहते हैं कि आईबी अधिकारियों को मिला टेप ही असली था और पुलिस को अलग टेप दिया गया।
रागोथामन का दावा है कि इस सबूत को दबाये जाने का मकसद कांग्रेस को किसी भी तरह की शर्मिंदगी से बचाना था, क्योंकि तब 1991 के लोकसभा चुनाव चल रहे थे। रागोथामन अपनी किताब में पूछते हैं, 'नारायण राजीव गांधी परिवार के कितने ही करीबी रहे हों, क्या वह कांग्रेस पार्टी के लक्ष्य को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत कर सकते थे?'
रागोथामन कहते हैं कि नारायण पर सबूत छिपाने के आरोप में आईपीसी की धारा 201 के तहत मामला बनता है, लेकिन शुरुआती जांच के बावजूद इस केस को दबा दिया गया।
-सरफ़रोशी की तमन्ना
No comments:
Post a Comment