शायद उनको ईश्वर की महानता शक्तियों और गुणों के बारे में, और अल्लाह की तुच्छता और अवगुणों के बारे में ठीक से पता नहीं है .ईश्वर असंख्य अल्लाह पैदा कर सकता है .क्योंकि असल शब्द अल्लाह नहीं “अल -इलाह “है देखिये कुरआन की पारिभाषिक शब्दावली पेज 1223 और 1224 पर शब्द “इलाह ” इलाह का अर्थ देवता या “GOD “है
मुहमद के समय अरब में मूर्तिपूजा प्रचलित थी. अकेले काबा में 360 देवता थे हरेक कबीले का अलग अलग देवता था .लोग अपने लड़कों का नाम अपने देवता के नाम से जोड़ देते थे .तत्कालीन अरब इतिहासकार
“हिश्शाम बिन कलबी “ने अपनी किताब “किताब अल असनाम “जिसे अंगरेजी में “Book of Idols “भी कहा जाता है अरबों के देवताओं के बारे में विस्तार से लिखा है ,उस से कुछ देवताओं के बारे में दिया जा रहा है .
1 -अरबों के देवता और उनका स्वरूप
अरबों के देवता कई रूप के थे जैसे मनुष्य ,स्त्री ,पशु ,या पक्षी आदि ,कोई आकाश वासी था ,कोई यहीं रहता था .कुछ नाम देखिये -
वद्द - मनुष्य ,सु आ अ - स्त्री, यगूस-शेर ,याऊक -घोड़ा, नस्र-बाज ,इसी तरह और देवता थे जिनका नाम कुरआन में है ,जैसे लात ,मनात ,उज्जा और मनाफ .कुरआन में लिखा है - “क्या तुमने लात ,मनात ,एक और उज्जा को देखा .सूरा - अन नज्म 53 :19 -20 इसी तरह एक और देवता था जिसका नाम “इलाह “था जो चाँद पर रहता था वह “Moon god “था उसका स्वरूप “अर्ध चंद्राकार crescent जैसा था चाँद में रहने के कारण उसकी मूर्ति काबे में नहीं राखी जाती थी ,इलाह विनाश का देवता था .और बड़ा देवता था .
2 -मुहम्मद के पूर्वजों के देवता -
मुहम्मद के पूर्वजों के नाम भी उनके देवता के नाम पर थे जैसे मुहम्मद के परदादा का नाम “अब्द मनाफ़ “था यानी मनाफ़ का सेवक मुहम्मद की पत्नी खदीजा की देवी का नाम “उज्जा ‘था इसलिए खदीजा के चचेरे भाई के नाम में नौफल बिन अब्द उज्जा लगा था ,जब मुहम्मद के पिताका जन्म हुआ तो उसका नाम “अब्द इलाह “रखा गया था यानी इलाह देवता का सेवक .यह नाम बिगड़ कर अबदल्ला हो गया था
3 -कुरआन में इलाह का वर्णन -
“अल -इलाह एक बड़े सिंहासन का स्वामी है -सूरा अत तौबा 9 :129
“वह महाशाली एक सिंहासन पर बैठता है -सूरा अल मोमनीन 33 :116
“इलाह एक ऊंचे सिंहासन पर बैठता है “सूरा -अल मोमिन 40 :१५
4 -इलाह से अल्लाह कैसे बना ?
अरबी भाषा में किसी भी संज्ञा (Noun )के आगे Definite Article अल लगा दिया जाता है .इसका अर्थ “the “होता है मुहम्मद ने “इलाह “शब्द के आगे “अल “और जोड़ दिया .और “अल्लाह “शब्द गढ़ लिया .वास्तव में इलाह शब्द हिब्रू भाषा का है ,इसका वही अर्थ है जो अंगरेजी में “god “का है .इलाह को बाइबिल में “अजाजील “भी कहा गया है ,यानी विनाश का देवता -बाइबिल -लेवी अध्याय 16 :8 -10 -26
5 -मुहम्मद की कपट नीति
पाहिले मुहम्मद सभी देवताओं को समान बताता था और लोगों से यह कहता था ,कि- “हमारा इलाह (देवता )और तुम्हारा इलाह एक ही हैं .सूरा -अनकबूत 29 :46
6 -अरब में तीन काबा थे
एक काबा मक्का में था .जो मुहम्मद के कबीले ‘कुरेश ‘के कब्जे में था दूसरा काबा नजरान में जो बहरीन के पास था ,तीसरा काबा सिन्दाद का था जो कूफा और बसरा के बीच स्थित था इनसे चढ़ौती में काफी धन आता था कुरेश मक्का के काबे से जो मिलता था उस से रोजी चलाते थे .जैसा कुरआन में लिखा है - “क्या हमने तुम्हें यह जगह (काबा ) नहीं बनाने दी ,जिससे लोगों की कमाई खीचकर तुम्हारे पास चली आती है ,और तुम्हारी रोजी रोटी आराम से चलती है “सूरा -अल कसस 28 :57
7 -अल इलाह की इबादत क्यों
जब दूसरे काबे बन गए तो कुरेश की कमाई कम होने लगी .और मुहमद भी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा .उसने लोगोंपर दवाब डाला की वे केवल “अल -इलाह “की इबादत करें उसने कुरआन में यह कहा - “तुम्हारा पूज्य केवल इलाह ही है सूरा -अल बकरा 2 :163 ऎसी कई आयतें है -
8 -मुहम्मद ने काबा की मूर्तियाँ क्यों तोडी ?
मुहम्मद को अपने कबीले कुरेश से लगाव था ,जब कुरेश की कमाई कम होने लगी और कमाई में कई कबीले हिस्सेदार बन गए तो मुहमद ने सारी मूर्तियाँ तुड़वा दीं.ताकी पूरी कमाई कुरेश के पास आने लगे ,कुरआन में उसने यह लिख दिया -
“मैंने कुरेश के साथ सम्बन्ध (Attachment )रखा ताकि वे मेरे कारवां को यात्रा के समय सर्दी और गरमी से बचाएं ,इसीलिए मैंने कुरेश को इस घर (काबा )की पूजा के लिए नियुक्त कर दिया .और उनको भूखों मरने से बचाया ,और भय से मुक्त कर दिया .सूरा कुरेश 106 :1 से 4
9 – मुसलमानों ने काबा को लूटा
अरब के लोग जनम से लुटेरे हैं .वह लालच के लिए कुछ भी कर सकते हैं .जब उन्हें पता चला कि काबा में बड़ी संपदा है .तो वे मुसलमान होने के बावजूद काबा पर हमला कर बैठे .सन 930 में इस्माइली मुसलमानों के एक योद्धा “अबू ताहिर अल जन्नवी”ने काबा को लूट लिया और बीस हजार हाजियों को क़त्ल करके उनकी लाशों से “आबे जमजम “का कुआ भर दिया .यही नहीं काबा में जो कला पत्थर “संगे असवद”लगा हुआ था उसे उखाड़ कर “अल हिसा “नामकी जगह पर ले गया .और उस काले पत्थर को नापाक कर दिया .यह जगह बहरैन के पास है .सन 952 तक वह पत्थर अल हिसा में रहा और 22 साल तक मक्का में हज नहीं हो सका .क्योकि हज में काले पत्थर को चूमना जरूरी होता है .बाद में जब “फातिमी “हुकूमत आयी तो उसने भारी धन देकर वह काला पत्थर वापस लेकर काबे में लगवा दिया . इस तरह मुहम्मद ने एक छोटे से देवता को ईश्वर बना दिया .और मुर्ख लोग अल्लाह को ईश्वर के बराबर मानने लगे .एक कवि ने कहा है- “शुक्र कर खुदाया ,मैंने तुझे बनाया .तुझे कौन पूछता था मेरी बंदगी से पहले ” इसलिए ईश्वर अल्लाह तेरा नाम कहना बंद करें
मुहमद के समय अरब में मूर्तिपूजा प्रचलित थी. अकेले काबा में 360 देवता थे हरेक कबीले का अलग अलग देवता था .लोग अपने लड़कों का नाम अपने देवता के नाम से जोड़ देते थे .तत्कालीन अरब इतिहासकार
“हिश्शाम बिन कलबी “ने अपनी किताब “किताब अल असनाम “जिसे अंगरेजी में “Book of Idols “भी कहा जाता है अरबों के देवताओं के बारे में विस्तार से लिखा है ,उस से कुछ देवताओं के बारे में दिया जा रहा है .
1 -अरबों के देवता और उनका स्वरूप
अरबों के देवता कई रूप के थे जैसे मनुष्य ,स्त्री ,पशु ,या पक्षी आदि ,कोई आकाश वासी था ,कोई यहीं रहता था .कुछ नाम देखिये -
वद्द - मनुष्य ,सु आ अ - स्त्री, यगूस-शेर ,याऊक -घोड़ा, नस्र-बाज ,इसी तरह और देवता थे जिनका नाम कुरआन में है ,जैसे लात ,मनात ,उज्जा और मनाफ .कुरआन में लिखा है - “क्या तुमने लात ,मनात ,एक और उज्जा को देखा .सूरा - अन नज्म 53 :19 -20 इसी तरह एक और देवता था जिसका नाम “इलाह “था जो चाँद पर रहता था वह “Moon god “था उसका स्वरूप “अर्ध चंद्राकार crescent जैसा था चाँद में रहने के कारण उसकी मूर्ति काबे में नहीं राखी जाती थी ,इलाह विनाश का देवता था .और बड़ा देवता था .
2 -मुहम्मद के पूर्वजों के देवता -
मुहम्मद के पूर्वजों के नाम भी उनके देवता के नाम पर थे जैसे मुहम्मद के परदादा का नाम “अब्द मनाफ़ “था यानी मनाफ़ का सेवक मुहम्मद की पत्नी खदीजा की देवी का नाम “उज्जा ‘था इसलिए खदीजा के चचेरे भाई के नाम में नौफल बिन अब्द उज्जा लगा था ,जब मुहम्मद के पिताका जन्म हुआ तो उसका नाम “अब्द इलाह “रखा गया था यानी इलाह देवता का सेवक .यह नाम बिगड़ कर अबदल्ला हो गया था
3 -कुरआन में इलाह का वर्णन -
“अल -इलाह एक बड़े सिंहासन का स्वामी है -सूरा अत तौबा 9 :129
“वह महाशाली एक सिंहासन पर बैठता है -सूरा अल मोमनीन 33 :116
“इलाह एक ऊंचे सिंहासन पर बैठता है “सूरा -अल मोमिन 40 :१५
4 -इलाह से अल्लाह कैसे बना ?
अरबी भाषा में किसी भी संज्ञा (Noun )के आगे Definite Article अल लगा दिया जाता है .इसका अर्थ “the “होता है मुहम्मद ने “इलाह “शब्द के आगे “अल “और जोड़ दिया .और “अल्लाह “शब्द गढ़ लिया .वास्तव में इलाह शब्द हिब्रू भाषा का है ,इसका वही अर्थ है जो अंगरेजी में “god “का है .इलाह को बाइबिल में “अजाजील “भी कहा गया है ,यानी विनाश का देवता -बाइबिल -लेवी अध्याय 16 :8 -10 -26
5 -मुहम्मद की कपट नीति
पाहिले मुहम्मद सभी देवताओं को समान बताता था और लोगों से यह कहता था ,कि- “हमारा इलाह (देवता )और तुम्हारा इलाह एक ही हैं .सूरा -अनकबूत 29 :46
6 -अरब में तीन काबा थे
एक काबा मक्का में था .जो मुहम्मद के कबीले ‘कुरेश ‘के कब्जे में था दूसरा काबा नजरान में जो बहरीन के पास था ,तीसरा काबा सिन्दाद का था जो कूफा और बसरा के बीच स्थित था इनसे चढ़ौती में काफी धन आता था कुरेश मक्का के काबे से जो मिलता था उस से रोजी चलाते थे .जैसा कुरआन में लिखा है - “क्या हमने तुम्हें यह जगह (काबा ) नहीं बनाने दी ,जिससे लोगों की कमाई खीचकर तुम्हारे पास चली आती है ,और तुम्हारी रोजी रोटी आराम से चलती है “सूरा -अल कसस 28 :57
7 -अल इलाह की इबादत क्यों
जब दूसरे काबे बन गए तो कुरेश की कमाई कम होने लगी .और मुहमद भी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा .उसने लोगोंपर दवाब डाला की वे केवल “अल -इलाह “की इबादत करें उसने कुरआन में यह कहा - “तुम्हारा पूज्य केवल इलाह ही है सूरा -अल बकरा 2 :163 ऎसी कई आयतें है -
8 -मुहम्मद ने काबा की मूर्तियाँ क्यों तोडी ?
मुहम्मद को अपने कबीले कुरेश से लगाव था ,जब कुरेश की कमाई कम होने लगी और कमाई में कई कबीले हिस्सेदार बन गए तो मुहमद ने सारी मूर्तियाँ तुड़वा दीं.ताकी पूरी कमाई कुरेश के पास आने लगे ,कुरआन में उसने यह लिख दिया -
“मैंने कुरेश के साथ सम्बन्ध (Attachment )रखा ताकि वे मेरे कारवां को यात्रा के समय सर्दी और गरमी से बचाएं ,इसीलिए मैंने कुरेश को इस घर (काबा )की पूजा के लिए नियुक्त कर दिया .और उनको भूखों मरने से बचाया ,और भय से मुक्त कर दिया .सूरा कुरेश 106 :1 से 4
9 – मुसलमानों ने काबा को लूटा
अरब के लोग जनम से लुटेरे हैं .वह लालच के लिए कुछ भी कर सकते हैं .जब उन्हें पता चला कि काबा में बड़ी संपदा है .तो वे मुसलमान होने के बावजूद काबा पर हमला कर बैठे .सन 930 में इस्माइली मुसलमानों के एक योद्धा “अबू ताहिर अल जन्नवी”ने काबा को लूट लिया और बीस हजार हाजियों को क़त्ल करके उनकी लाशों से “आबे जमजम “का कुआ भर दिया .यही नहीं काबा में जो कला पत्थर “संगे असवद”लगा हुआ था उसे उखाड़ कर “अल हिसा “नामकी जगह पर ले गया .और उस काले पत्थर को नापाक कर दिया .यह जगह बहरैन के पास है .सन 952 तक वह पत्थर अल हिसा में रहा और 22 साल तक मक्का में हज नहीं हो सका .क्योकि हज में काले पत्थर को चूमना जरूरी होता है .बाद में जब “फातिमी “हुकूमत आयी तो उसने भारी धन देकर वह काला पत्थर वापस लेकर काबे में लगवा दिया . इस तरह मुहम्मद ने एक छोटे से देवता को ईश्वर बना दिया .और मुर्ख लोग अल्लाह को ईश्वर के बराबर मानने लगे .एक कवि ने कहा है- “शुक्र कर खुदाया ,मैंने तुझे बनाया .तुझे कौन पूछता था मेरी बंदगी से पहले ” इसलिए ईश्वर अल्लाह तेरा नाम कहना बंद करें
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