12 October 2012

आपत्तिनिवारण के लिए ‘शिवसूत्र’ मंत्र


जिस समय आपत्तियाँ आ धमकें, उस समय भगवन शिव के डमरू से प्राप्त १४ सूत्रों को अर्थात् ‘शिवसूत्र’ मंत्र को एक श्वास मे बोलने का अभ्यास करके इसका एक माला (१०८ बार) जप प्रतिदिन करें| कैसा भी कठिन कार्य हो, इस से शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है| ‘शिवसूत्र’ मंत्र इस प्रकार है-

‘अइउण, ॠलृक्, एओड़्, ऐऔच्, हयवरट्, लण्, ञमड़णनम्, झभञ्, घढधश्, जबगडदश्, खफछठथ, चटतव्, कपय्, शषसर्, हल्|’
इसी मंत्र के अन्य प्रयोग निम्नानुसार है-

१. बिच्छू के काटने पर इन सूत्रों से झाड़ने पर विष उतर जाता है|

२. जिस व्यक्ति में प्रेत का आवेश आया हो, उस पर उपरोक्त सूत्रों से अभिमंत्रित जल के छीटें मरने से आवेश छूट जाता है तथा इन्हीं सूत्रों को भोजपत्र पर लिख कर गले मे बाँधने से अथवा बाजू पर बाँधने से प्रेतबाधा दूर हो जाती है|

३. ज्वर, तिजारी (ठंड लगकर तीसरे दिन आनेवाला ज्वर), चौथिया (हर चौथे दिन आनेवाला ज्वर) आदि मे इन सूत्रों द्वारा झाड़ने-फूँकने से ज्वर उतर जाता है| अथवा इन्हें पीपल के एक बड़े पते पर लिखकर गले या हाथ पर बाँधने से भी ज्वर उतर जाते हैं|

४. मिर्गी(अपस्मार) होने पर भी इन सूत्रों से झाड़ना चाहिए तथा अभिमंत्रित जल प्रतिदिन पिलाना चाहिए|

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