और एक अछि दावा है , एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हाड़सिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और्फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है
और येही पत्ते को पीस के गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दावा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है ; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है
बुखार की और एक अछि दावा है अपने घर में तुलसी पत्ता ; १० - १५ तुलसी के पत्ते तोड़ो, तीन चार काली मिर्च ले लो पत्थर में पीस के एक ग्लास गरम पानी में मिलके पी लो .. इससे भी बुखार ठीक होता है ।
बुखार की एक और दावा है नीम की गिलोय, अमृता भी कहते है, उडूनची भी कहते है, इसको थोडासा चाकू से काट लो , पत्थर में कुचल के पानी में उबाल लो फिर वो पानी पी लेना तो ख़राब से ख़राब बुखार ठीक हो जाता है ३ दिन में । कभी कभी बुखार जब बहुत जादा हो जाते है तब खून में श्वेत रक्त कनिकाएं , प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते है तब उसमे सबसे जादा काम आती है ये गिलोय ।
बुखार की और एक अछि दावा है अपने घर में तुलसी पत्ता ; १० - १५ तुलसी के पत्ते तोड़ो, तीन चार काली मिर्च ले लो पत्थर में पीस के एक ग्लास गरम पानी में मिलके पी लो .. इससे भी बुखार ठीक होता है ।
बुखार की एक और दावा है नीम की गिलोय, अमृता भी कहते है, उडूनची भी कहते है, इसको थोडासा चाकू से काट लो , पत्थर में कुचल के पानी में उबाल लो फिर वो पानी पी लेना तो ख़राब से ख़राब बुखार ठीक हो जाता है ३ दिन में । कभी कभी बुखार जब बहुत जादा हो जाते है तब खून में श्वेत रक्त कनिकाएं , प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते है तब उसमे सबसे जादा काम आती है ये गिलोय ।
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