हिंदू मान्यता के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय ही इसकी उत्पत्ति हुई थी। शास्त्रों में इसका वर्णन है। अमृत मंथन के समय आयुर्वेदज्ञ धन्वंतरि के कलश में जीवन देने वाली औषधियों के साथ पान का भी आगमन हुआ।
यह भोजन को पाचन शक्ति प्रदान करता है। यह कैल्शियम की मात्रा से भरपूर है। इसमें डाली जाने वाली सामग्री कत्था, चूना, सौंफ, लौंग, गुलकन्द (गुलाब की पत्ती से बनने वाला), मुलहट्ठी, सुपारी, नारियल का चूरा, इलायची, धनिए के बीज- ये सभी हाजमा दुरुस्त रखने में रामबाण का काम करते हैं।हमारे देश में भोजन के बाद पान खिलाने की प्रथा सदियों पहले शुरू हुई और आज भी प्रचलित है।
- जलने या छाले पडऩे पर पान के रस को गर्म करके लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
- पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया की शिकायत दूर हो जाती है। (इसके इस्तेमाल में एक सावधानी रखना जरूरी होती है कि पान की पीक पेट में न जाने पाए।)
- पान के रस को शहद के साथ चटाने के सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
- पान के पत्तों का रस आंखों में डालने से रतौंधी की बीमारी में लाभ होता है।
- अजीर्ण होने पर पान के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर चटाएं।
- कुकुर खांसी में पान के रस से लाभ होता है। खांसी हेतु होने पर पान के रस को निकालकर थोड़ा गर्म करके दिन में तीन-चार बार तक पिलाते रहना चाहिए।
- भूख बढ़ाने, प्यास बुझाने और मसूड़ों की समस्या से निजात पाने में बनारसी एवं देशी पान फायदेमंद साबित होता है।
-शोधकर्ताओं के अनुसार पान में एचसीएच पाया जाता है जो न सिर्फ कैंसरयुक्त सीएमएल कोशिकाओं को मारता है, बल्कि दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर चुकी कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है। यह तत्व इंसान की प्रतिरोधी क्षमता के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले पेरिफेरल ब्लड मोनोक्यूक्लियर सेल्स (पीबीएमसी) को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है।
-चोट लगने पर पान बहुत फायदेमंद है। अगर कहीं चोट लग जाए तो पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे दर्द में आराम मिलता है।
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