सतयुग: सतयुग का काल १७२८००० (सत्रह लाख अठाईस हजार) वर्षों का होता है. इस युग में चार अमानवीय अवतार हुए. मत्स्यावतार, कुर्मावतार, वराहावतार एवं नरिसिंघवातर. सतयुग में पाप ० भाग तथा पुण्य २० भाग था. मनुष्यों की आयु १००००० वर्ष, उचाई २१ हाथ, पात्र स्वर्णमय, द्रव्य रत्नमय तथा ब्रम्हांडगत प्राण था. पुष्कर तीर्थ, स्त्रियाँ पद्मिनी तथा पतिव्रता थी. सूर्यग्रहण ३२००० तथा चंद्रग्रहण ५००० बार होते थे. सारे वर्ण अपने धर्म में लीन रहते थे. ब्राम्हण ४ वेद पढने वाले थे.
त्रेतायुग: त्रेतायुग का काल १२९६००० (बारह लाख छियान्व्वे हजार) वर्षों का होता है. इस युग में तीन मानवीय अवतार हुए. वामन, परशुराम एवं राम. त्रेता में पाप ५ भाग एवं पुण्य १५ भाग होता था. मनुष्यों की आयु १०००० वर्ष, उचाई १४ हाथ, पात्र चांदी के, द्रव्य स्वर्ण तथा अस्थिगत प्राण था. नैमिषारण्य तीर्थ, स्त्रियाँ पतिव्रता होती थी. सूर्यग्रहण ३२०० तथा चंद्रग्रहण ५०० बार होते थे. सारे वर्ण अपने अपने कार्य में रत थे. ब्राम्हण ३ वेद पढने वाले थे.
द्वापर युग: द्वापर युग का काल ८६४००० (आठ लाख चौसठ हजार) वर्षो
का होता है. इस युग में २ मानवीय अवतार हुए. कृष्ण एवं बुद्ध. इस युग में पाप १० भाग एवं पुण्य १० भाग का होता था. मनुष्यों की आयु १००० वर्ष, उचाई ७ हाथ, पात्र ताम्र, द्रव्य चांदी तथा त्वचागत प्राण था. स्त्रियाँ शंखिनी होती थी. सूर्यग्रहण ३२० तथा चंद्रग्रहण ५० हुए. वर्ण व्यवस्था दूषित थी तथा ब्राम्हण २ वेद पढने वाले थे.
कलियुग: कलियुग का काल ४३२००० (चार लाख ३२ हजार) वर्षों का होता है. इस युग में एक अवतार संभल देश, गोड़ ब्राम्हण विष्णु यश के घर कल्कि नाम से होगा. इस युग में पाप १५ भाग एवं पुण्य ५ भाग होगा. मनुष्यों की आयु १०० वर्ष, उचाई ३.५ हाथ, पात्र मिटटी, द्रव्य ताम्र, मुद्रा लौह, गंगा तीर्थ तथा अन्नमय प्राण होगा. कलियुग के अंत में गंगा पृथ्वी से लीन हो जाएगी तथा भगवान विष्णु धरती का त्याग कर देंगे. सभी वर्ण अपने कर्म से रहित होंगे तथा ब्राम्हण केवल एक वेद पढने वाले होंगे अर्थात ज्ञान का लोप हो जाएगा.
One day of Brahma is called a kalp.
In one kalp there are 14 divisions of time called manvantar. Each maha yug has four cycles that are called satyug, tretayug dwaparyug kaliyug.
This is the how time was or is measured..
Krati Krati = 34,000th of a second
1 Truti = 300th of a second
2 Truti = 1 Luv
2 Luv = 1 Kshana
30 Kshana = 1 Vipal
60 Vipal = 1 Pal
60 Pal = 1 Ghadi (24 minutes)
2.5 Gadhi = 1 Hora (1 hour)
24 Hora = 1 Divas (1 day)
7 Divas = 1 saptaah (1 week)
4 Saptaah = 1 Maas (1 month)
2 Maas = 1 Rutu (1 season)
6 Rutu = 1 Varsh (1 year)
100 Varsh = 1 Shataabda (1 century)
10 Shataabda = 1 sahasraabda
432 Sahasraabda = 1 Yug DIVISION OF TIME-PERIOD (ERS) KAAL
SATYUG 4,32,000 YEARS X 4 = 17,28,000 YEARS
According to the Indian calendar, the universe is going through Kali Yug at this time. The kaliyug started approx after 3500-5000 yrs from the time Lord Krishna left the earth.
The time left for the first Pralay (annihilation) is about two point three five billion years. This number is close to the number that corresponds to the expansion of Sun and the loss of solar light to a significant level based on modern theories of activity of Sun. It will cause major extinction of Earth and therefore life on Earth.
Indians say Kalki will mark the end to the yug and it will be the time for the divine great to begin the cosmic dance, wherein everything will be destroyed and all the energies which will be absorbed.
त्रेतायुग: त्रेतायुग का काल १२९६००० (बारह लाख छियान्व्वे हजार) वर्षों का होता है. इस युग में तीन मानवीय अवतार हुए. वामन, परशुराम एवं राम. त्रेता में पाप ५ भाग एवं पुण्य १५ भाग होता था. मनुष्यों की आयु १०००० वर्ष, उचाई १४ हाथ, पात्र चांदी के, द्रव्य स्वर्ण तथा अस्थिगत प्राण था. नैमिषारण्य तीर्थ, स्त्रियाँ पतिव्रता होती थी. सूर्यग्रहण ३२०० तथा चंद्रग्रहण ५०० बार होते थे. सारे वर्ण अपने अपने कार्य में रत थे. ब्राम्हण ३ वेद पढने वाले थे.
द्वापर युग: द्वापर युग का काल ८६४००० (आठ लाख चौसठ हजार) वर्षो
का होता है. इस युग में २ मानवीय अवतार हुए. कृष्ण एवं बुद्ध. इस युग में पाप १० भाग एवं पुण्य १० भाग का होता था. मनुष्यों की आयु १००० वर्ष, उचाई ७ हाथ, पात्र ताम्र, द्रव्य चांदी तथा त्वचागत प्राण था. स्त्रियाँ शंखिनी होती थी. सूर्यग्रहण ३२० तथा चंद्रग्रहण ५० हुए. वर्ण व्यवस्था दूषित थी तथा ब्राम्हण २ वेद पढने वाले थे.
कलियुग: कलियुग का काल ४३२००० (चार लाख ३२ हजार) वर्षों का होता है. इस युग में एक अवतार संभल देश, गोड़ ब्राम्हण विष्णु यश के घर कल्कि नाम से होगा. इस युग में पाप १५ भाग एवं पुण्य ५ भाग होगा. मनुष्यों की आयु १०० वर्ष, उचाई ३.५ हाथ, पात्र मिटटी, द्रव्य ताम्र, मुद्रा लौह, गंगा तीर्थ तथा अन्नमय प्राण होगा. कलियुग के अंत में गंगा पृथ्वी से लीन हो जाएगी तथा भगवान विष्णु धरती का त्याग कर देंगे. सभी वर्ण अपने कर्म से रहित होंगे तथा ब्राम्हण केवल एक वेद पढने वाले होंगे अर्थात ज्ञान का लोप हो जाएगा.
One day of Brahma is called a kalp.
In one kalp there are 14 divisions of time called manvantar. Each maha yug has four cycles that are called satyug, tretayug dwaparyug kaliyug.
This is the how time was or is measured..
Krati Krati = 34,000th of a second
1 Truti = 300th of a second
2 Truti = 1 Luv
2 Luv = 1 Kshana
30 Kshana = 1 Vipal
60 Vipal = 1 Pal
60 Pal = 1 Ghadi (24 minutes)
2.5 Gadhi = 1 Hora (1 hour)
24 Hora = 1 Divas (1 day)
7 Divas = 1 saptaah (1 week)
4 Saptaah = 1 Maas (1 month)
2 Maas = 1 Rutu (1 season)
6 Rutu = 1 Varsh (1 year)
100 Varsh = 1 Shataabda (1 century)
10 Shataabda = 1 sahasraabda
432 Sahasraabda = 1 Yug DIVISION OF TIME-PERIOD (ERS) KAAL
SATYUG 4,32,000 YEARS X 4 = 17,28,000 YEARS
TRETA 4,32,000 YEARS X 3 = 12,96,000 YEARS
DWAPAR 4,32,000 YEARS X 2 = 8,64,000 YEARS
KALIYUG 4,32,000 YEARS X 1 = 4,32,000 YEARS
1 MAHAYUG (GRAND TOTAL OF ALL THE YUGAS) = 43,20,000 YEARS
71 MAHAYUG = 43,20,000X71 = 1 MANVANTAR
1 MANVANTAR = 30,6720,000 YEARS
14 MANVANTAR = 4,29,40,80,000 YEARS
(There are 14 Manvantars)
According to the Indian calendar, the universe is going through Kali Yug at this time. The kaliyug started approx after 3500-5000 yrs from the time Lord Krishna left the earth.
The time left for the first Pralay (annihilation) is about two point three five billion years. This number is close to the number that corresponds to the expansion of Sun and the loss of solar light to a significant level based on modern theories of activity of Sun. It will cause major extinction of Earth and therefore life on Earth.
Indians say Kalki will mark the end to the yug and it will be the time for the divine great to begin the cosmic dance, wherein everything will be destroyed and all the energies which will be absorbed.
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