चन्दन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है ॥
हर शरीर मन्दिर सा पावन,
हर मानव उपकारी है ।
जहाँ सिंह बन गये खिलौने,
गाय जहाँ मा प्यारी है ।
जहाँ सवेरा शंख बजाता,
लोरी गाती शाम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है ॥
जहाँ कर्म से भाग्य बदलते,
श्रम निष्ठा कल्याणी है ।
त्याग और तप की गाथाएँ,
गाती कवि की वाणी है ॥
ज्ञान जहाँ का गंगा जल सा,
निर्मल है अविराम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है ॥
इसके सैनिक समर भूमि में,
गाया करते गीता हैं ।
जहाँ खेत में हल के नीचे,
खेला करती सीता हैं ।
जीवन का आदर्श यहाँ पर,
परमेश्वर का धाम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है ॥
चन्दन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा-बच्चा राम है ॥
स्व. श्री चंद्रकांत भारद्वाज 'ध्रुव'
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