|अउम|
यम् यम् यम् यक्ष रूपं, दश दिशी विदितम, भूमि कम्पायमानं |
सं सं संहार मूर्तिं, शिर मुकुट जटा शेखरं चन्द्र बिम्बं |
दम दम दम दीर्घ कायम विकृत नख मुखं , ज्वोर्ध्व रोमं कराळम् |
पं पं पं पाप नाशं, प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
रम् रम् रम् रक्त वर्णं, कटिकटिततनुं तीक्ष्ण दन्स्त्रा कराळम् |
घम् घम् घम् घोष घोषं घ घ घ घ घटितं घर्जरं घोर नादं |
कम् कम् कम् काल पाषं धृक धृक ध्रि कृतं ज्वालितम् कामदाहं |
तम् तम् तम् दिव्य देहं, प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
लम् लम् लम् लम् वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घ जिव्हा कराळम् |
धूम धूम धूम धूम्र वर्णं स्फुट विकट मुखं भास्करं भीमरूपं |
रुम रुम रुम रून्दमालं रवितनुं नेयतं ताम्र नेत्रं कराळम् |
नम नम नम नग्नाभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
वम् वम् वम् वायुवेगं नटजन सदयं ब्रह्म सारं परम् तम |
खम् खम् खम् खड्ग हस्तं त्रिभुवन विलयं भास्करं भीमरूपं |
चम् चम् चम् चलित्वा चल चल चलिता चालितम् भूमि चक्रं |
मम् मम् मम् मायी रूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
शम् शम् शम् शङ्ख हस्तं ससि कर धवलं मूक्ष संपूर्ण तेजम |
मम् मम् मम् मम् महन्तं कुल मकुल कुलं मन्त्र गुप्तं सुनित्यं |
यम् यम् यम् भूतनादं किलि किलि किलितं बालकेली प्रधानं |
आम् आम् आम् आन्तरिक्षं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
खम् खम् खम् खड्ग भेदं विष मामृत मयं काल कालं कराळम् |
क्षम् क्षम् क्षम् क्षेप्र वेगं दह दह धनं तप्त संदीप्य मानं|
हौम् हौम् हौम्कार नादं प्रकटित गहनं गर्जितै भूमि कम्पं |
वम् वम् वम् वाल लीलम् प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
सम् सम् सम् सिद्धि योगं सकल गुण मखं देव देवं प्रसन्नं |
पम् पम् पम् पद्मनाभं हरिहर मयं चन्द्र सूर्याग्नि नेत्रं |
ऐम् ऐम् ऐश्वर्य नादं सत त भय हरं पूर्वदेव स्वरूपम् |
रौम् रौम् रौम् रौद्र रूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
हम् हम् हम् हंसयानं हपितकल हकं मुक्तयोगत्त हासं |
धम धम धम नेत्र रूपं शिरमुकुट जटाबन्ध बन्धाग्र हस्तं |
टम टम टान्क नाधम त्रिद सलत ल टम काम गर्वाप हरं |
भ्रूं भ्रूं भ्रूं भूतनादं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालं |
|अउम|
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