तो उत्तर यह हैं की हाँ बिना संस्कार की माला का प्रयोग करने से सम्बंधित देवता क्रुद्ध हो जाते हैं तो हर प्रयोग के लिए यह माला कहां से लाये तो आप सभी के लाभार्थ यह माला को संस्कारित करने की विधिया इस लेख में आप सभी के लिए
आप जानते हैं की विभिन्न प्रयोग के लिए विभिन्न मनको की माला का उपयोग होता हैं , कभी 51 तो कभी 31 पर अधिकांश प्रयोग और साधना में 108 मनको से युक्त माला का प्रयोग होता हैं.
पर १०८ ही क्यों यूं तो सभी का एक विशेष अर्थ हैं हैं पर सदगुरुदेव भगवान् ने कहा हैं की मानव शरीर में 7 चक्र नहीं बल्कि108 चक्र होते हैं , और उन्होंने इस संदर्भ में विभिन्न उदाहरण भी दिए हैं साथ ही साथ इस हेतु एक बार एक विशिष्ठ दीक्षा १०८ चक्र जागरण दीक्षा भी उन्होंने प्रदान की थी, तो जब भी हम 108 मनको की माला से मंत्र जप करते हैं तब हर मनके के माध्यम से एक विशेष चक्र पर स्पंदन होता ही हैं फिर उसे हम महसूस चाहे या न चाहे करे .यही एक गोपनीय तथ्य हैं इन मनको का 108 होने का तभी तो 108 मनको वाली माला सर्वार्थ सिद्धि प्रदायक कही जाती हैं
आप जानते हैं की विभिन्न प्रयोग के लिए विभिन्न मनको की माला का उपयोग होता हैं , कभी 51 तो कभी 31 पर अधिकांश प्रयोग और साधना में 108 मनको से युक्त माला का प्रयोग होता हैं.
पर १०८ ही क्यों यूं तो सभी का एक विशेष अर्थ हैं हैं पर सदगुरुदेव भगवान् ने कहा हैं की मानव शरीर में 7 चक्र नहीं बल्कि108 चक्र होते हैं , और उन्होंने इस संदर्भ में विभिन्न उदाहरण भी दिए हैं साथ ही साथ इस हेतु एक बार एक विशिष्ठ दीक्षा १०८ चक्र जागरण दीक्षा भी उन्होंने प्रदान की थी, तो जब भी हम 108 मनको की माला से मंत्र जप करते हैं तब हर मनके के माध्यम से एक विशेष चक्र पर स्पंदन होता ही हैं फिर उसे हम महसूस चाहे या न चाहे करे .यही एक गोपनीय तथ्य हैं इन मनको का 108 होने का तभी तो 108 मनको वाली माला सर्वार्थ सिद्धि प्रदायक कही जाती हैं
और यह माला ही तो इस साधना की एक विशेष उपकरण हैं ,सदगुरुदेव भगवान् कहते हैं की की क्यों एक छोटी छोटी से बात पर अपने सदगुरुदेव पर भी निर्भर रहना , उन्होंने ही तो अनेक बार माला और यंत्रो को प्राण प्रतिष्ठित करने की विधिया बताई , उ ससमय के अनेक साधक इस बात के प्रमाण हैं ,
और जब हम आगे बढ़ कर सिद्धाश्रम तक जाने की बात करते हैं और हम खुद एक सामान्य सी माला प्राण प्रतिष्ठित न कर पाए तो आप ही सोच सकते हैं हम हैं कहाँ , अतः इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस प्रक्रिया को आपके सामने रहा जा रहा हैं .
यह लेख आरिफ खान जी के द्वारा अनेको वर्ष पहले भी एक पत्रिका में प्रकाशित हो चूका हैं उसी का संक्षिप्त रूप आपके सामने हैं .
और जब हम आगे बढ़ कर सिद्धाश्रम तक जाने की बात करते हैं और हम खुद एक सामान्य सी माला प्राण प्रतिष्ठित न कर पाए तो आप ही सोच सकते हैं हम हैं कहाँ , अतः इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस प्रक्रिया को आपके सामने रहा जा रहा हैं .
यह लेख आरिफ खान जी के द्वारा अनेको वर्ष पहले भी एक पत्रिका में प्रकाशित हो चूका हैं उसी का संक्षिप्त रूप आपके सामने हैं .
ध्यान रहे यहाँ हम माला निर्माण की प्रक्रिया नहीं बता रहे हैं वह एक और ही अलग विषय हैं .
प्रथम तरीका :सर्वाधिक सरल तरीका तो यह हैं की आप किसी भी माला /मालाओं को किसी भी ज्योतिर्लिंग या शक्ति पीठ में मुख्य विग्रह से स्पर्श करा ले, उनकी प्राण उर्जा से माला स्वतः हो प्राण प्रतिष्ठित हो जाती हैं .
द्वितीय तरीका : यह हैं की यदि आप से रुद्राभिषेक करते बनता हैं या आप के घर में किसी से या कोई पंडित द्वारा आपके घर में रुद्राभिषेक किया जा रहा हो उस समय काल में किसी भी पात्र में यह माला जिसे प्राण प्रतिष्ठित किया जाना हैं उसे रख दे ,यह स्वत ही परं प्रतिष्ठित हो जाती हैं , रुद्राभिषेक की विधि आप गीता प्रेस की किताबों में पा सकते हैं .
तृतीय तरीका :आप के जो भी गुरु हो उनके हाथो के स्पर्श मात्र से भी यह प्रक्रिया सुगमता पूर्वक संपन्न हो जाती हैं .
चतुर्थ तरीका :माला को गंगा जल से स्नान कराये और निम्न मन्त्र उसी माला से १०८ बार जप कर ले , यह भी एक सुगम तरीका हैं .
माले माले महामाले सर्व तत्त्व स्वरूपिणी |
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्त स्तस्मंमे सिद्धिदा भव ||
पंचम तरीका : शास्त्रीय प्रक्रिया :
पीपल के नौ पत्ते को इस तरह से रखे की एक पत्ता बीच में और और अन्य पत्ते उसे केंद्र मानते हुए इस प्रकार रखे मानो एक अष्ट दल कमल सा बन जाये , बीच के पत्ते पर आप अपनी माला रख दे और हिंदी वर्ण माला से वर्ण ॐ अं से लेकर क्षं तक सभी का उच्चारण करते हुए उस माला को पंचगव्य से स्नान कराये. फिर सद्योजात मंत्र का उच्चारण करते हुए
ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः |
भवे भवे नाति भवे भवस्य माँ भवो द्वावाय नमः ||
निम्न वामदेव मन्त्र से चन्दन माला पर लगा यें
बलाय नमो बल प्रमथ नाय नमः सर्व भूतदहनाय नमो मनो न्मथाय नमः ||
धुप बत्ती अघोरमंत्र से दिखाए
ॐ अघोरेभ्योSथ घोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: सर्वेभ्य : सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य :
फिर तत्पुरुष मंत्र से लेपन करे
फिर इसके एक एक दाने पर एक बार या सौ सौ बार इशान मंत्र का जप करे
ॐ तत्पुरुषाय विद्म्ह्ये महादेवी धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात |
फिर इसके एक एक दाने पर एक बार या सौ सौ बार इशान मंत्र का जप करे
ॐ ईशान: सर्व विद्यानामिश्वर : सर्व भूतानां ब्रह्मा धिपति र ब्रह्मणो s धिपतिर्ब्रह्मा शिवो में अस्तु सदाशिवोsम |
अब बात आती हैं कि कैसे देवता की स्थापना की जाए तो यदि आप इस माला को शक्ति कार्यों में उपयोग करना चाहते हैं तो "ह्रीं " इस मंत्र के पहले लगा कर और लाल रंग के पुष्पों से इसका पूजन करें. और वैष्णवों को निम्न मन्त्र का उपयोग करें
ॐ ऐं श्रीं अक्षमाला यै नमः ||
फिर हर वर्ण मतलब अं से लेकर क्षं तक लेकर इनसे संपुटित करके १०८ /१०८ बार अपने इष्ट मन्त्र का उच्चारण करे .
फिर यह प्रार्थना करे
ॐ त्वं माले सर्वदेवानां सर्व सिद्धिप्र्दा मता |
तें सत्येन में सिद्धिं देहि मातर्नामो s स्तू ते ||
अब इस माला को हर के सामने दिखाए नहीं , आपको जो भी विधि उचित लगे उसका उपयोग करके एक प्राण प्रतिष्ठित माला का निर्माण आप कर सकते हैं उसे साधना में प्रयोग करसकते हैं .
पर यह तो प्रकिया मणि माला को संस्कारित करने की हैं पर विशेष शक्ति युक्त तांत्रिक माला का निर्माण कैसे किया जाए , यह विधान पहली बार ही सामने आ रहा हैं , तो इसमें आपको
ॐ सर्व माला मणि माला सिद्धि प्रदात्रयि शक्ति रुपिंयै नमः
१०८ बार उच्चारण करना हैं इस दौरान माला हाथ में घुमती यां उसे घुमाते रहे गी /रहे
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