04 July 2013

!!! सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कथा !!!



संम्पूर्ण भारत में 12 ज्योतिर्लिंग है. पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है. यह ज्योतिर्लिंग सौराष्टृ में कठवाडा नामक स्थान में है. मल्लिकार्जुन श्री शैल ज्योतिर्लिंग, महाकाल ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग.

इस प्रकार कुल 12 ज्योतिर्लिंग है.किवदंतियों के अनुसार इस स्थान पर ही भगवान श्री कृ्ष्ण ने अपनी देह का त्याग किया था. इस वजह से यहां आज भी भगवान शिव के साथ साथ भगवान श्री कृ्ष्ण का भी सुन्दर मंदिर है.

सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर में प्राचीन समय में अन्य अनेक देवों के मंदिर भी थे़ इसमें शिवजी के 137 मंदिर थे. भगवान श्री विष्णु के 7, देवी के 27, सूर्यदेव के 16, श्री गणेश के 5 मंदिर थे़ समय के साथ इन मंदिरों की संख्या कुछ कम हो गई है. सोमनाथ मंदिर से 200 किलोमीटर दूर श्रीकृ्ष्ण की द्वारिका नगरी मानी जाती है. यहां भी भारत के ही नहीं वरण देश विदेश से अनेक भक्त दर्शनों के लिए आते है.

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कथा |

ज्योतिर्लिंग के प्राद्रुभाव की एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार राजा दक्ष ने अपनी सताईस कन्याओं का विवाह चन्द देव से किया था. सत्ताईस कन्याओं का पति बन कर देव बेहद खुश थे. सभी कन्याएं भी इस विवाह से प्रसन्न थी. इन सभी कन्याओं में चन्द्र देव सबसे अधिक रोहिंणी नामक कन्या पर मोहित थे़. जब यह बात दक्ष को मालूम हुई तो उन्होनें चन्द्र देव को समझाया. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. उनके समझाने का प्रभाव यह हुआ कि उनकी आसक्ति रोहिणी के प्रति और अधिक हो गई.

यह जानने के बाद राजा दक्ष ने देव चन्द्र को शाप दे दिया कि, जाओं आज से तुम क्षयरोग के मरीज हो जाओ. श्रापवश देव चन्द्र् क्षय रोग से पीडित हो गए. उनके सम्मान और प्रभाव में भी कमी हो गई. इस शाप से मुक्त होने के लिए वे भगवान ब्रह्मा की शरण में गए.

इस शाप से मुक्ति का ब्रह्मा देव ने यह उपाय बताया कि जिस जगह पर आप सोमनाथ मंदिर है, उस स्थान पर आकर चन्द देव को भगवान शिव का तप करने के लिए कहा. भगवान ब्रह्मा जी के कहे अनुसार भगवान शिव की उपासना करने के बाद चन्द्र देव श्राप से मुक्त हो गए.

उसी समय से यह मान्यता है, कि भगवान चन्द इस स्थान पर शिव तपस्या करने के लिए आये थे. तपस्या पूरी होने के बाद भगवान शिव ने चन्द्र देव से वर मांगने के लिए कहा. इस पर चन्द्र देव ने वर मांगा कि हे भगवान आप मुझे इस श्राप से मुक्त कर दीजिए. और मेरे सारे अपराध क्षमा कर दीजिए.

इस श्राप को पूरी से समाप्त करना भगवान शिव के लिए भी सम्भव नहीं था. मध्य का मार्ग निकाला गया, कि एक माह में जो पक्ष होते है. एक शुक्ल पक्ष और कृ्ष्ण पक्ष एक पक्ष में उनका यह श्राप नहीं रहेगा. परन्तु इस पक्ष में इस श्राप से ग्रस्त रहेगें. शुक्ल पक्ष और कृ्ष्ण पक्ष में वे एक पक्ष में बढते है, और दूसरे में वो घटते जाते है. चन्द्र देव ने भगवान शिव की यह कृ्पा प्राप्त करने के लिए उन्हें धन्यवाद किया. ओर उनकी स्तुति की.

उसी समय से इस स्थान पर भगवान शिव की इस स्थान पर उपासना करना का प्रचलन प्रारम्भ हुआ. तथा भगवान शिव सोमनाथ मंदिर में आकर पूरे विश्व में विख्यात हो गए. देवता भी इस स्थान को नमन करते है. इस स्थान पर चन्द्र देव भी भगवान शिव के साथ स्थित है.


सोमनाथ कुण्ड स्थापाना |

यहां से संबन्धित एक अन्य कथा के अनुसार यहां पर स्थित सोमनाथ नामक कुंड की स्थापना देवों के द्वारा की गई है. यह माना जाता है, कि इस स्थन पर भगवान शिव और ब्रहा देव आज भी निवास करते है. वर्तमान में जो भी श्रद्वालु इस कुंड में स्नान करता है. वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है. यहां तक की असाध्य से असाध्य रोग भी इस स्थान पर आकर ठिक हो जाते है. अगर कोई व्यक्ति क्षय रोग से युक्त है, तो उसे पूरे छ: माह तक इस कुंड् में स्नान करना चाहिए. इससे वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.

सोमनाथ मंदिर महिमा |

इसके अतिरिक्त किसी कारण वश अगर कोई व्यक्ति यहां दर्शनों के लिए नहीं आ सकता है. तो उसे केवल यहां की उत्पत्ति की कथा सुन लेनी चाहिए. यह कथा सुनने मात्र से व्यक्ति पुन्य का भागी बनता है. सोमनाथ मंदिर स्थल पर दर्शन करने मात्र से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती है. 12 ज्योतिर्लिंगों में इस स्थान को सबसे ऊपर स्थान दिया गया है.

यहां पर कोई भक्त अगर दो सोमवार भी यहां की पूजा में शामिल जो जाता है, तो उसके सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. सावन मास में भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्व है. उस समय में यहां दर्शन करने से विशेष पुन्य की प्राप्ति होती है. यहां आकर शिव भक्ति का अपना ही एक अलग महत्व है. यह श्विव महिमा है, कि शिवरात्रि की रात्रि में यहां एक माला शिव के महामृ्त्युंजय मंत्र का जाप चमत्कारिक फल देता है.


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