29 June 2013

!!! किसी भी पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें !!!



भगवान में आस्था रखने वाला इंसान दु:ख में किसी खास इच्छा को पूरा करने, देव पूजा से जुड़े नित्य कर्म या फिर, किसी उत्सव के मौके पर धार्मिक कर्मों के जरिए भगवान को याद जरूर करता है। किंतु अक्सर व्यक्ति भगवान की पूजा, उपासना या भक्ति के दौरान कुछ जरूरी बातों पर गौर नहीं करता, जिससे अनेक लोग परेशानियां पूरी तरह से दूर न होने या इच्छाएं अधूरी होने से निराश होकर नियमित भगवान के ध्यान से दूरी बना लेते हैं। ऐसी हालात में वे यह नहीं सोच पाते कि भगवान की कृपा से ही संभव हो कि उसकी दिक्कतें नहीं बढ़ीं और कुछ हद तक कामनाएं भी पूरी हुईं।

आखिर कौन-सी हैं वे अहम बातें, जिन पर ध्यान न देने से भक्ति के बाद भी व्यक्ति बेचैन और परेशान रहता है? धर्म के नजरिए से जानिए भगवान की पूजा या स्मरण करते वक्त इच्छाओं व भावनाओं से जुड़ी याद रखने योग्य 3 अहम बातें -

  • - पहली बात जब भी भगवान या अपने इष्ट का ध्यान करें या मंत्र जप करें, वह नाम और जप उजागर न करें। क्योंकि धार्मिक महत्व की दृष्टि से भगवान के नाम का ध्यान जितना गुप्त रखा जाता है, वह उतना ही असरदार और फलदायी होता है। 
  • - दूसरी बात आप जिस भी देवता या इष्ट का नाम लें, उस नाम का मतलब और देव स्वरूप का ध्यान कर जप करें। इससे मन शांत और एकाग्र रहता है। 
  • - तीसरी और अंतिम बात, जो व्यावहारिक रूप से मुश्किल लगती है, किंतु धार्मिक नजरिए से अहम है, वह है भगवान की पूजा, ध्यान या उनका नाम जप किसी इच्छा, कामना के मकसद से न कर, बिना स्वार्थ या हितपूर्ति की कामना से श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। धार्मिक दृष्टि से ऐसी निस्वार्थ भक्ति से भक्त को भगवान की प्रसन्नता और अदृश्य कृपा मिलती है। साथ ही वह शांत और सहज हो जाता है। 

अपने इष्टदेव या देवी-देवताओं की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। पूजा में शुद्धता व पवित्रता का ध्यान रखा जाता है, फिर भी ऎसी सूक्ष्म बातें हैं जिनका ज्ञान साधक को ज्ञान नहीं होता। ऎसी सूक्ष्म और गूढ़ बातों का ध्यान रखकर देवताओं की पूजा-अर्चना करने से पूजा में पूर्णता आ जाती है। वांछित फलों की प्राप्ति होती है। पूजा में यदि साधक इन बातों का ध्यान रख सके तो लाभकारी रहेगा-
  • -घर या व्यवसायिक स्थल में पूजा का स्थान हमेशा ईशान कोण [उत्तर-पूर्व दिशा] में ही हो।
  • - पूजा हमेशा आसन पर बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके ही करें।
  • - घर में शिवलिंग की स्थापना नहीं की जाती है। घर में केवल नर्बदेश्वर की पूजा या नर्बदेश्वर के साथ शालिग्रामजी की पूजा साथ-साथ की जा सकती है। इसलिए इस पूजा को हरिहरात्मक पूजा कहा जाता है 
  • - यूं तो शिवजी की पूजा कभी भी कर सकते हैं, किन्तु ‘प्रदोष काल’ (सूर्यास्त से एक घंटा पहले और बाद का समय) श्रेष्ठ माना गया है।
  • - सावन में हर दिन शिव पूजा के लिए प्रशस्त है, पर सोमवार, त्रयोदशी व शिव चौदस मुख्य हैं।
  • - शिव को भस्म, लाल चन्दन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, भांग व बेलपत्र प्रिय हैं।
  • - भगवान शिव की पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाती है।सामान्य व्यक्ति ‘ऊँ नम: शिवाय’ या ‘ऊँ नमो भगवते रुद्राय’ मंत्र से उनकापूजन व अभिषेक कर सकता है।
  • - पूजा के बाद शिव महिमा स्तोत्र, शिव तांडव स्नोत्र या रुद्रायक का पाठ करना फलदायी है।
  • - भगवान शिव पर कदम्ब, मौलसिरी, कुन्द एवं जूही का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • - अंत में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें। शिवजी पर चढ़ाये हुए फल, फूल एवं प्रसाद न लें।

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