जप तीन प्रकार का कहा गया है –
(१) वाचिक, (२) उपांशु एवं (३) मानसिक |
एक की अपेक्षा दुसरे को उतरोतर अधिक लाभदायक माना गया है |
अर्थात वाचिक की अपेक्षा उपाशु और उपांशु की अपेक्षा मानसिक जप अधिक लाभदायक है | जप जितना अधिक हो उतना ही विशेष लाभदायक होता है |
मानसिक जप : इस जप में किसी भी प्रकार के नियम की बाध्यता नहीं होती है। सोते समय, चलते समय, यात्रा में भी ‘मंत्र’ जप का अभ्यास किया जाता है। मानसिक जप सभी दिशाओं एवं दशाओं में करने का प्रावधान है। मंत्र जप के लिए शरीर की शुद्धि आवश्यक है। अत: स्नान करके ही आसन ग्रहण करना चाहिए। साधना करने के लिए सफेद कपड़ों का प्रयोग करना सर्वथा उचित रहता है भगवान् श्रीहरि के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए। भगवान् शिव के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। चन्दन की माला का प्रयोग कार्य सिद्ध की कामना के लिए करना चाहिए।
अर्थात वाचिक की अपेक्षा उपाशु और उपांशु की अपेक्षा मानसिक जप अधिक लाभदायक है | जप जितना अधिक हो उतना ही विशेष लाभदायक होता है |
मानसिक जप : इस जप में किसी भी प्रकार के नियम की बाध्यता नहीं होती है। सोते समय, चलते समय, यात्रा में भी ‘मंत्र’ जप का अभ्यास किया जाता है। मानसिक जप सभी दिशाओं एवं दशाओं में करने का प्रावधान है। मंत्र जप के लिए शरीर की शुद्धि आवश्यक है। अत: स्नान करके ही आसन ग्रहण करना चाहिए। साधना करने के लिए सफेद कपड़ों का प्रयोग करना सर्वथा उचित रहता है भगवान् श्रीहरि के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए। भगवान् शिव के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। चन्दन की माला का प्रयोग कार्य सिद्ध की कामना के लिए करना चाहिए।
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