फिर मेने उन लोगो से कहा आपने शायद रामायण या सुन्दरकाण्ड में पढ़ा होगा की हनुमानजी बचपन में बहोत शरारत करते थे तो ऋषि मुनियो ने उन्हें श्राप दिया था की जब तक आपको आपकी शक्तिओ को कोई (जागृत ) याद नहीं करवाएगा तब तक आप अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर पाएंगे – यही वजह से जब समुद्र को लांग कर श्री रामजी की मुद्रिका ले कर माँ सीता के पास जाना था तब ...कोई जायेगा ये सवाल था – तब श्री जामवंत जी ( रींछ पति ) ने श्री हनुमानजी की स्तुति कर उन्हें अपनी शक्तिया राम काज के लिए याद करवाई थी – ठीक उसी प्रकार हमें हमारे काज के लिए श्री हनुमाजी को स्तुति कर प्रसन्न कर उनकी शक्तिया याद करवानी चाहिए – तब जाके वो आपकी पूजा अवश्य स्वीकार करेंगे – तो आपको भी हनुमान चलिषा करने से या हनुमानजी का कोई भी पूजन करने से पहले निन्म मंत्र स्तुति में दे रहा हू वो आपको कम से कम २७ बार अवश्य करनी हें – देखे फिर चमत्कारिक फल की प्राप्ति अवश्य होगी
( ध्यान रहे गलत कर्मो के लिए हनुमानजी किसी को सहाय नहीं करते )
हरी ओम तत्सत ...
स्तुति मन्त्र :
|| कहइ रीछपति सुनु हनुमाना काचुप साधी रहेहु बलवाना पवन तनय बल पवन समना बुद्धि बिबेक बिज्ञान निधाना, कवन सो काज कठिन जग माहि जो नहीं होय तात तुम पाहि ||
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