01 October 2012

MOST IMPORTANT VASTU TIPS


घर, एक ऐसी जगह होती है जहां हम खुलकर सांस लेना चाहते हैं। जहां मीठी-सी नींद पलक झपकते ही आ जाए। जहां कभी पूरे परिवार के साथ हंसी की खिलखिलाहट सुनाई दे तो कभी कोई कोना हमारे एकांत का साथी बने। इसी घर में जब कलह और तनाव मेहमान बनते हैं तो सारे घर की शांति चली जाती है। हमें नहीं पता होता है कि ऐसा क्यों होता है?क्यों छोटी-छोटी बातों पर हम अपने ही परिवार से झगड़ बैठते हैं? वास्तु शास्त्र बताता है 

मकान बनाते समय उपरोक्त पंच तत्वों के लिए जो प्रकृति जन्य दिशाएँ निर्धारित हैं, उन्हीं के अनुरूप दिशाओं में कक्षों का निर्माण किया जाना चाहिए। नए भवन के निर्माण कराते समय आप अपने शहर के किसी अच्छे वास्तु के जानकार से सलाह अवश्य लें। वास्तु का प्रभाव भवन के रहने वाले व्यक्तियों पर अवश्य पढ़ता है।

परंतु इसके साथ-साथ व्यक्ति विशेष के ग्रह योग भी वास्तु के प्रभाव को घटाते-बढ़ाते हैं। हो सकता है कि एक व्यक्ति को कोई विशेष स्थान तकलीफ न दे पर वही स्थान दूसरे व्यक्ति को अत्यंत तकलीफदायक हो। ‑

भवन के दरवाजे अपने आप खुलने या अपने आप बंद न होते हों यह भी ध्यान रखना चाहिए। दरवाजों को खोलने या बंद करते समय आवाज होना अशुभ माना गया है। ‑भवन में सीढ़ियाँ वास्तु नियम के अनुरूप बनानी चाहिए, सीढ़ियाँ विषम संख्या (5,7, 9) में होनी चाहिए।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, पंच तत्व को अपने भवन के अधीन बनाना ही सच्चे अर्थों में वास्तु शास्त्र का रहस्य होता है। नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें : ‑

1. जो प्लॉट त्रिकोण आकार का हो, उस पर निर्माण कराना हानिकारक होता है।
2. ‑भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए।
3. ‑भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्या काल और मध्य रात्रि में नींव न रखें।
4. ‑नए भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, मिट्टी ओर लकड़ी नई ही उपयोग करना। एक मकान की निकली सामग्री नए मकान में लगाना हानिकारक होता है।
5. ‑भवन का मुख्य द्वार सिर्फ एक होना चाहिए तो उत्तर मुखी सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्व मुखी भी अच्छा होता है। मुख्य द्वार की चौखट चार लकड़ी की एवं दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।

आपको लगता है कि आपसे कोई ईर्ष्या करता है। आपके कई दुश्मन हो गए हैं। हमेशा असुरक्षा व भय के माहौल में जी रहे हैं। तो मकान की दक्षिण दिशा में अगर कोई जल का स्थान हो, तो उसे वहां से हटा दें।

इसके साथ ही एक लाल रंग की मोमबत्ती आग्नेय कोण में तथा एक लाल व पीली मोमबत्ती दक्षिण दिशा में नित्य प्रति जलाना शुरू कर दें।



यदि आपके घर में जवान बेटी है तथा उसकी शादी नहीं हो पा रही है, तो एक उपाय करें। कन्या के पलंग पर पीले रंग की चादर बिछाएं और उस पलंग पर कन्या को सोने के लिए कहें। इसके साथ ही बेडरूम की दीवारों पर हल्का रंग करें। ध्यान रहे कि कन्या का शयन कक्ष वायव्य कोण में स्थित होना चाहिए।



यदि आपके घर में आपका बेटा या बेटी पढ़ने-लिखने में कमजोर है तो उसे सलाह दें कि वह ईशान कोण की ओर मुख करके अध्ययन करें। पढ़ने के लिए बैठने से पूर्व वह कक्ष में दक्षिण दिशा में एक मोमबत्ती जलाएं, जो लाल रंग की हो। रोजाना स्टडी रूम में ऐसा प्रयोग करने से बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है।

यदि आपके घर में तनाव रहता है तथा आप हर समय किसी न किसी प्रकार की चिंता में घुले रहते हैं तो मानसिक शांति के लिए ड्राइंग रूम में हल्के नीले रंग के सोफासेट का प्रयोग करें। दीवारों पर भी हल्के रंग की शेड करवाएं। फर्क पड़ेगा।

घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें ।

आपका ड्रॉइंग रूम आपके घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा होता है। यहाँ आपके परि‍वार के सदस्‍य सबसे ज्‍यादा वक्त बि‍ताते हैं। ड्रॉइंग रूम हमेशा उत्तर दि‍शा में होना चाहि‍ए। ड्रॉइंग रूम में रखा जाने वाला फर्नीचर वर्गाकार या आयताकार होना चाहि‍ए। ड्रॉइंग रूम के दक्षि‍ण और पश्चि‍मी कोनों में फर्नीचर रखें।

टेलीफोन को दक्षि‍ण पश्चि‍म कोने में रखें और टीवी छोड़कर अन्‍य इलेक्‍ट्रॉनि‍क उपकरण दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखें। सोफे को उत्तरी पश्चि‍मी कोने में रखें। सोफे को ड्रॉइंग रूम में एल शेप में रखने से बचें।

टीवी को दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखा जा सकता है और अलमारी व शोकेस दक्षिण पश्चि‍मी कोने में हों तो बहुत ही अच्‍छा है। टीवी के दोनों ओर फोटो फ्रेम, परि‍वार की तसवीरें रखें। साथ ही टीवी के पास आप अपने ईष्‍ट देव की मूर्ति‍ भी रख सकते हैं।

टीवी देखते समय जब आप इन तसवीरों और मूर्ति‍यों को देखेंगे तो सकारात्‍मक ऊर्जा और शुद्ध वि‍चार एक साथ आएँगे।



घर में कलह अथवा अशांति का वातावरण हो तो ड्राइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता रखना श्रेष्ठ होता है। अशुद्ध वस्त्रों को घर के प्रवेश द्वार के मध्य में नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार रसोईघर में देवस्थान नहीं होना चाहिए। गृहस्थ के बेडरूम में भगवान के चित्र अथवा धार्मिक महत्व की वस्तुएँ नहीं लगी होना चाहिए। घर में देवस्थान की दीवार से शौचालय की दीवार का संपर्क नहीं होना चाहिए।

घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक अथवा 'ॐ' की आकृति लगाने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। जिस भूखंड या मकान पर मंदिर की पीठ पड़ती है, वहाँ रहने वाले दिन-ब-दिन आर्थिक व शारीरिक परेशानियों में घिरते रहते है। समृद्धि की प्राप्ति के लिए नार्थ-ईस्ट दिशा में पानी का कलश अवश्य रखना चाहिए। घर में सकारात्मक वातावरण बनाने में सूर्य की रोशनी का विशेष महत्व होता है इसलिए घर की आंतरिक साज-सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी घर में पर्याप्त रूप में प्रवेश करे।



वास्तुशास्त्र के अनुसार भूखण्ड में उत्तर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व दिशा में खुला स्थान अधिक रखना चाहिए।
भवन निर्माण करते समय दक्षिण और पश्चिम दिशा में खुला स्थान कम रखें।
बॉलकनी या बरामदे के रूप में खुला स्थान उत्तर-पूर्व में ज्यादा रखें।
घर-परिवार में सुख-समृद्धि हेतु बरामदा या बालकनी उत्तर-पूर्व में ही निर्मित करना शुभ होता है।
भवन निर्माण करते समय मकान में खुली छत पूर्व तथा उत्तर दिशा में रखनी चाहिए।
जब दो मंजिला भवन निर्माण की योजना बना रहे हों, तो ध्यान में रखें कि दक्षिण व पश्चिम की अपेक्षा पूर्व व उत्तर की ऊंचाई कम होनी चाहिए।
मकान में उत्तर तथा पूर्व दिशा में सर्वाधिक दरवाजे तथा खिड़कियों को लगवाएं।
जहां तक संभव हो सके दरवाजे तथा खिड़कियों की संख्या समरूप में रखें- जैसे 2, 4, 6, 8 आदि। विषम संख्याएं होती हैं- 1, 3, 5, 7, 9 आदि उनसे बचें।



दक्षि‍ण पूर्वी कोने में एक मोमबत्ती या दि‍या जलाने से घर के लोगों की सेहत अच्‍छी रहती है। घर में आपका रसाईघर कि‍स दि‍शा में है इसका असर परि‍वार के स्‍वास्‍थ्य पर पड़ता है। इसलि‍ए रसोईघर को दक्षि‍ण पूर्व दि‍शा में ही बनाना चाहि‍ए। घर की बाउन्‍ड्री वॉल गेट की ऊँचाई के बराबर होनी चाहि‍ए। गेट के दोनो साइड नीबू के पौधे लगाने से अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य मि‍लता है। अगर आपके घर में कोई ज्यादा ही बीमार रहता है तो उसके कमरे में दो हफ्ते तक जलती हुई मोमबत्ती रखें। घर की दक्षि‍ण दि‍शा में हनुमान जी की मूर्ति‍ रखें। यह अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य का कारक होता है। घर में पानी की टंकी को उत्तर दि‍शा में रखना घर के लागों के उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य के लि‍ए अच्‍छा होता है।

भवन के उस भाग में जहाँ दो दीवारें मिलती हैं, खिड़कियाँ तथा रोशनदानों का निर्माण वहाँ न करवाएँ। यह अशुभकारी निर्माण होता है। जब कोई व्यक्ति मुख्यद्वार में प्रवेश करता है तो मुख्य द्वार से निकलने वाली चुम्बकीय तरंगें उसकी बुद्धि को प्रभावित करती हैं।

द्वार का सही दिशा में बनवाना आवश्यक है। प्रवेश द्वार सदैव अंदर की ओर खुलना चाहिए। प्रवेश द्वार दो पल्लों में हो तो बहुत ही उत्तम है। द्वार स्वतः ही खुलना व बंद होना नहीं चाहिए।

मुख्य द्वार के सम्मुख सीढ़ी, खम्भा, कीचड़ तथा मंन्दिर आदि नहीं होने चाहिए।
यदि बहुमंजिला इमारत है तो भूखंड पर पश्चिमी अथवा उत्तर दिशा की ओर अतिथि कक्ष का निर्माण उचित रहता है।

वास्तु दोष :- यदि भवन का पूर्व दिशा का भाग अन्य दिशाओं की अपेक्षा ऊँचा है तो अर्थ हानि, संतान अस्वस्थ एवं मंद बुद्धि वाली होगी।

निवारण :- भवन में टी. वी. का ऐन्टीना नैऋत्य कोण में लगा लें। जिसकी ऊँचाई भवन के पूर्वी एवं उत्तरी भाग की दीवारों से अधिक होनी चाहिए। यदि घर में टीवी नहीं है तो ऐन्टीना के स्थान पर लोहे का एक पाइप या डंडा लगाया जा सकता है। उपरोक्त दोनों उपायों के साथ-साथ भवन के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में ठोस वस्तुएँ एवं उत्तरी पूर्वी भाग में पोली व हल्की वस्तुएँ रख देनी चाहिए।


वर्षा और ड्रेनेज के पानी का बहाव उत्तर-पूर्व या पूर्व-उत्तर होना चाहि‍ए। नए घर के नि‍र्माण में इस्‍तेमाल की जाने वाली सामग्री नवीन होनी चाहि‍ए।
2. बि‍ल्‍डिंग की ऊँचाई दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दि‍शा से उत्तरी पूर्वी-दि‍शा की ओर घटनी चाहि‍ए।
3. घर की दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दीवारों की मोटाई उत्तर-पूर्वी दि‍शा की दीवारों से ज्‍यादा होनी चाहि‍ए। घर या प्‍लॉट के मध्‍य में कूआं होना अमंगलकारी माना जाता है।
4. घर के ठीक सामने एक तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहि‍ए।
5. घर के मुख्‍य द्वार को ऐसे बनाएँ कि‍ प्रवेश करने वाले व्‍यक्ति‍ की छाया उस पर न पड़े।
6. फर्श का पोंछा लगाते समय आप जि‍स कीटनाशक का प्रयोग करें उसमें पहले थोड़ा सा सेंधा नमक मि‍ला लें।
7. घर के मुख्‍य द्वार पर गजलक्ष्मी की तस्‍वीर लगाना मंगलकारी होता है।
8. ग्राउंड फ्लोर के खि‍ड़की-दरवाजों की संख्‍या ऊपरी मंजि‍लों के खि‍ड़की-दरवाजों की संख्‍या से अधि‍क होनी चाहि‍ए।

तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।* ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें।* भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है।



भूखंड में दक्षिण-पश्चिम दिशा में अंडर ग्राउंड टैंक विवाह-शादी पर रोक लगाता है। इस दिशा में बेसमेंट और ढलान होने पर भी विवाह-शादी में बाधाएँ आ खड़ी होती हैं।
दक्षिण-पश्चिमी भाग में से निकलने वाले पानी से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का अंदेशा बढ़ जाता है। यह दाम्पत्य संबंध भी तोड़ता है।
दक्षिण-पश्चिम भाग में बने अंडर ग्राउंड टैंक के पानी से नहाने वाले भी कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का शिकार हो जाते हैं। यह पति या पत्नी को अकेला रहने पर मजबूर कर देता है।
मकान के प्रवेश द्वार पर दहलीज का निर्माण कराएँ। दहलीज के नीचे चाँदी का तार अवश्य लगवाएँ। ऐसा करने वालों के घर में धन की कभी कमी नहीं रहेगी और न ही किसी तरह की अशुभ ऊर्जा उनके घर में प्रवेश करेगी।
मकान के केन्द्र स्थल में कोई दीवार नहीं होनी चाहिए और न ही कोई खम्भा होना चाहिए।
मकान में धन-नकदी रखने की अलमारी कमरे के दक्षिण-पश्चिम भाग में होनी चाहिए।



आपका ड्रॉइंग रूम आपके घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा होता है। यहां आपके परि‍वार के सदस्‍य सबसे ज्‍यादा वक्त बि‍ताते हैं।

ड्रॉइंग रूम हमेशा उत्तर दि‍शा में होना चाहि‍ए।
ड्रॉइंग रूम में रखा जाने वाला फर्नीचर वर्गाकार या आयताकार होना चाहि‍ए।
ड्रॉइंग रूम के दक्षि‍ण और पश्चि‍मी कोनों में फर्नीचर रखें।
टेलीफोन को दक्षि‍ण पश्चि‍म कोने में रखें और टीवी छोड़कर अन्‍य इलेक्‍ट्रॉनि‍क उपकरण दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखें।
सोफे को उत्तरी पश्चि‍मी कोने में रखें।





सोफे को ड्रॉइंग रूम में एल शेप में रखने से बचें।
टीवी को दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखा जा सकता है और अलमारी व शोकेस दक्षिण पश्चि‍मी कोने में हों तो बहुत ही अच्‍छा है।
टीवी के दोनों ओर फोटो फ्रेम, परि‍वार की तस्वीरे रखें।
साथ ही टीवी के पास आप अपने ईष्‍ट देव की मूर्ति‍ भी रख सकते हैं। टीवी देखते समय जब आप इन तस्वीरों और मूर्ति‍यों को देखेंगे तो सकारात्‍मक ऊर्जा और शुद्ध वि‍चार एक साथ आएंगे।


घर में कभी भी बासी खाने, मुरझाए फूलों, फटे हुए कपड़ों, रद्दी कागजों, खाली डि‍ब्‍बों और गैरजरूरी चीजों का संग्रह नहीं करना चाहि‍ए। ऐसी चीजें लक्ष्मी को घर में आने से रोकती हैं।
2. घर की खि‍ड़कि‍याँ हमेशा बाहर की तरफ खुलनी चाहि‍ए।
3. घर में कैक्‍टस या नागफनी का पौधा न रखें।
4. अगर आप मल्‍टी में रहते हैं जहाँ लि‍फ्ट लगी हो तो कोशि‍श करें की लि‍फ्ट का दरवाजा आपके मुख्‍यद्वार के सामने न खुलता हो।
5. ति‍कोने, अंडाकार या गोल आकृति‍ के के कमरे घर में न नि‍कालें।
6. दाईं ओर मुड़कर ऊपर जानी वाली सीढ़ि‍याँ दो भागों में वि‍भाजि‍त होनी चाहि‍ए। इन्‍हें उत्तर पूर्व या दक्षि‍ण पश्चि‍म वाले कोने को छोड़कर अन्‍य जगह पर बनाएँ। उत्तर या पश्चि‍म की तरफ उतरती हुई सीढ़ि‍यों से घर में पैसे की बरबादी हो सकती है।
7. अगर घर में संगमरमर का फर्श है तो ध्‍यान रखें की चमड़े के जूते इधर-उधर न बि‍खरे रहें।

कैसा हो आपका किचन

महिलाओं का अधिकतम समय किचन में ही बीतता है। वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक यदि वास्तु सही न हो तो उसका विपरीत प्रभाव महिला पर, घर पर भी पड़ता है। किचन बनवाते समय इन बातों पर गौर करें।



किचन की ऊँचाई 10 से 11 फीट होनी चाहिए और गर्म हवा निकलने के लिए वेंटीलेटर होना चाहिए। यदि 4-5 फीट में किचन की ऊँचाई हो तो महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कभी भी किचन से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। किचन के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं।

किचन में सूर्य की रोशनी सबसे ज्यादा आए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। किचन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे सकारात्मक व पॉजिटिव एनर्जी आती है।

- किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व कोना जिसे अग्निकोण (आग्नेय) कहते है, में ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में किचन बनाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम कोण जिसे वायव्य कोण भी कहते हैं पर बनवा सकते हैं।

- किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए।

- किचन के दक्षिण में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। खिड़की पूर्व की ओर में ही रखें।

- रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए।

- किचन में कभी भी ग्रेनाइट का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।

- किचन में लॉफ्ट, अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में ही होना चाहिए।

- पानी फिल्टर ईशान कोण में लगाएँ।

- किचन में कोई भी पावर प्वाइंट जैसे मिक्सर, ग्रांडर, माइक्रोवेव, ओवन को प्लेटफार्म में दक्षिण की तरफ लगाना चाहिए। फ्रिज हमेशा वायव्य कोण में रखें।

नौकरों के कमरे- वास्तु के अनुसार नौकरों या सेवकों के लिए कमरे बनाने जा रहे हैं, तो उनके कमरे हमेशा मकान के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व में बनवाएँ।
दुछत्ती- दुछत्ती का निर्माण दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही करना चाहिए।
सेप्टिक टैंक- यह उत्तर-पश्चिम, वायव्य कोण में बनवाना चाहिए।

मकान में स्टोर रूम अथवा भंडार गृह उत्तर, उत्तर व ईशान कोण के मध्य, पूर्व व आग्नेय कोण के मध्य या दक्षिण व आग्नेय कोण के मध्य बनवाने से गृह स्वामी सदा सुखी व बलशाली रहता है। परिवार खुशहाल तथा घर में किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होता। मकान में आंगन निकलवाने का तात्पर्य गृह स्वामी तथा उनके परिवार की आरोग्य रक्षा से है जो कि सूर्य प्रकाश से है, खुली हवा से है।

जिस घर में प्राकृतिक हवा व सूर्य प्रकाश बेरोक-टोक पहुंच सके उस घर के प्राणी बहुत कम बीमार होते हैं। वे हमेशा सुखी व प्रसन्नचित रहते हैं। यदि घर में बैठक-कक्ष में खाने-पीने का उपयोग भी करना हो, तो डॉयनिंग टेबल बैठक-कक्ष के दक्षिण-पूर्व में रखें। अलग डायनिंग कक्ष पूर्व या पश्चिम दिशा में बनाना शुभ होता है।

मकान में मुख्य द्वार एक ही होता है। मुख्य द्वार में मांगलिक चिन्ह जैसे स्वास्तिक या कलश या क्रॉस बनवाएं। मकान में रसोईघर आग्नेय कोण में बनवाएं। यह अत्यंत शुभ व सर्वाधिक श्रेष्ठ तथा उत्तम है। डायनिंग हॉल मकान में पूर्व या पश्चिम दिशा में बनवाएं। कुछ लोग ईशान कोण में बनवाते हैं, लेकिन वास्तु के हिसाब से यह शुभ नहीं है।




घर, एक ऐसी जगह होती है जहां हम खुलकर सांस लेना चाहते हैं। जहां मीठी-सी नींद पलक झपकते ही आ जाए। जहां कभी पूरे परिवार के साथ हंसी की खिलखिलाहट सुनाई दे तो कभी कोई कोना हमारे एकांत का साथी बने। इसी घर में जब कलह और तनाव मेहमान बनते हैं तो सारे घर की शांति चली जाती है। हमें नहीं पता होता है कि ऐसा क्यों होता है?क्यों छोटी-छोटी बातों पर हम अपने ही परिवार से झगड़ बैठते हैं? वास्तु शास्त्र बताता है

मकान बनाते समय उपरोक्त पंच तत्वों के लिए जो प्रकृति जन्य दिशाएँ निर्धारित हैं, उन्हीं के अनुरूप दिशाओं में कक्षों का निर्माण किया जाना चाहिए। नए भवन के निर्माण कराते समय आप अपने शहर के किसी अच्छे वास्तु के जानकार से सलाह अवश्य लें। वास्तु का प्रभाव भवन के रहने वाले व्यक्तियों पर अवश्य पढ़ता है।

परंतु इसके साथ-साथ व्यक्ति विशेष के ग्रह योग भी वास्तु के प्रभाव को घटाते-बढ़ाते हैं। हो सकता है कि एक व्यक्ति को कोई विशेष स्थान तकलीफ न दे पर वही स्थान दूसरे व्यक्ति को अत्यंत तकलीफदायक हो। ‑

भवन के दरवाजे अपने आप खुलने या अपने आप बंद न होते हों यह भी ध्यान रखना चाहिए। दरवाजों को खोलने या बंद करते समय आवाज होना अशुभ माना गया है। ‑भवन में सीढ़ियाँ वास्तु नियम के अनुरूप बनानी चाहिए, सीढ़ियाँ विषम संख्या (5,7, 9) में होनी चाहिए।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, पंच तत्व को अपने भवन के अधीन बनाना ही सच्चे अर्थों में वास्तु शास्त्र का रहस्य होता है। नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें : ‑

1. जो प्लॉट त्रिकोण आकार का हो, उस पर निर्माण कराना हानिकारक होता है।
2. ‑भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए।
3. ‑भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्या काल और मध्य रात्रि में नींव न रखें।
4. ‑नए भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, मिट्टी ओर लकड़ी नई ही उपयोग करना। एक मकान की निकली सामग्री नए मकान में लगाना हानिकारक होता है।
5. ‑भवन का मुख्य द्वार सिर्फ एक होना चाहिए तो उत्तर मुखी सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्व मुखी भी अच्छा होता है। मुख्य द्वार की चौखट चार लकड़ी की एवं दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।

आपको लगता है कि आपसे कोई ईर्ष्या करता है। आपके कई दुश्मन हो गए हैं। हमेशा असुरक्षा व भय के माहौल में जी रहे हैं। तो मकान की दक्षिण दिशा में अगर कोई जल का स्थान हो, तो उसे वहां से हटा दें।

इसके साथ ही एक लाल रंग की मोमबत्ती आग्नेय कोण में तथा एक लाल व पीली मोमबत्ती दक्षिण दिशा में नित्य प्रति जलाना शुरू कर दें।



यदि आपके घर में जवान बेटी है तथा उसकी शादी नहीं हो पा रही है, तो एक उपाय करें। कन्या के पलंग पर पीले रंग की चादर बिछाएं और उस पलंग पर कन्या को सोने के लिए कहें। इसके साथ ही बेडरूम की दीवारों पर हल्का रंग करें। ध्यान रहे कि कन्या का शयन कक्ष वायव्य कोण में स्थित होना चाहिए।



यदि आपके घर में आपका बेटा या बेटी पढ़ने-लिखने में कमजोर है तो उसे सलाह दें कि वह ईशान कोण की ओर मुख करके अध्ययन करें। पढ़ने के लिए बैठने से पूर्व वह कक्ष में दक्षिण दिशा में एक मोमबत्ती जलाएं, जो लाल रंग की हो। रोजाना स्टडी रूम में ऐसा प्रयोग करने से बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है।

यदि आपके घर में तनाव रहता है तथा आप हर समय किसी न किसी प्रकार की चिंता में घुले रहते हैं तो मानसिक शांति के लिए ड्राइंग रूम में हल्के नीले रंग के सोफासेट का प्रयोग करें। दीवारों पर भी हल्के रंग की शेड करवाएं। फर्क पड़ेगा।

घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें ।

आपका ड्रॉइंग रूम आपके घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा होता है। यहाँ आपके परि‍वार के सदस्‍य सबसे ज्‍यादा वक्त बि‍ताते हैं। ड्रॉइंग रूम हमेशा उत्तर दि‍शा में होना चाहि‍ए। ड्रॉइंग रूम में रखा जाने वाला फर्नीचर वर्गाकार या आयताकार होना चाहि‍ए। ड्रॉइंग रूम के दक्षि‍ण और पश्चि‍मी कोनों में फर्नीचर रखें।

टेलीफोन को दक्षि‍ण पश्चि‍म कोने में रखें और टीवी छोड़कर अन्‍य इलेक्‍ट्रॉनि‍क उपकरण दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखें। सोफे को उत्तरी पश्चि‍मी कोने में रखें। सोफे को ड्रॉइंग रूम में एल शेप में रखने से बचें।

टीवी को दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखा जा सकता है और अलमारी व शोकेस दक्षिण पश्चि‍मी कोने में हों तो बहुत ही अच्‍छा है। टीवी के दोनों ओर फोटो फ्रेम, परि‍वार की तसवीरें रखें। साथ ही टीवी के पास आप अपने ईष्‍ट देव की मूर्ति‍ भी रख सकते हैं।

टीवी देखते समय जब आप इन तसवीरों और मूर्ति‍यों को देखेंगे तो सकारात्‍मक ऊर्जा और शुद्ध वि‍चार एक साथ आएँगे।



घर में कलह अथवा अशांति का वातावरण हो तो ड्राइंग रूम में फूलों का गुलदस्ता रखना श्रेष्ठ होता है। अशुद्ध वस्त्रों को घर के प्रवेश द्वार के मध्य में नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार रसोईघर में देवस्थान नहीं होना चाहिए। गृहस्थ के बेडरूम में भगवान के चित्र अथवा धार्मिक महत्व की वस्तुएँ नहीं लगी होना चाहिए। घर में देवस्थान की दीवार से शौचालय की दीवार का संपर्क नहीं होना चाहिए।

घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक अथवा 'ॐ' की आकृति लगाने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। जिस भूखंड या मकान पर मंदिर की पीठ पड़ती है, वहाँ रहने वाले दिन-ब-दिन आर्थिक व शारीरिक परेशानियों में घिरते रहते है। समृद्धि की प्राप्ति के लिए नार्थ-ईस्ट दिशा में पानी का कलश अवश्य रखना चाहिए। घर में सकारात्मक वातावरण बनाने में सूर्य की रोशनी का विशेष महत्व होता है इसलिए घर की आंतरिक साज-सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि सूर्य की रोशनी घर में पर्याप्त रूप में प्रवेश करे।



वास्तुशास्त्र के अनुसार भूखण्ड में उत्तर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व दिशा में खुला स्थान अधिक रखना चाहिए।
भवन निर्माण करते समय दक्षिण और पश्चिम दिशा में खुला स्थान कम रखें।
बॉलकनी या बरामदे के रूप में खुला स्थान उत्तर-पूर्व में ज्यादा रखें।
घर-परिवार में सुख-समृद्धि हेतु बरामदा या बालकनी उत्तर-पूर्व में ही निर्मित करना शुभ होता है।
भवन निर्माण करते समय मकान में खुली छत पूर्व तथा उत्तर दिशा में रखनी चाहिए।
जब दो मंजिला भवन निर्माण की योजना बना रहे हों, तो ध्यान में रखें कि दक्षिण व पश्चिम की अपेक्षा पूर्व व उत्तर की ऊंचाई कम होनी चाहिए।
मकान में उत्तर तथा पूर्व दिशा में सर्वाधिक दरवाजे तथा खिड़कियों को लगवाएं।
जहां तक संभव हो सके दरवाजे तथा खिड़कियों की संख्या समरूप में रखें- जैसे 2, 4, 6, 8 आदि। विषम संख्याएं होती हैं- 1, 3, 5, 7, 9 आदि उनसे बचें।



दक्षि‍ण पूर्वी कोने में एक मोमबत्ती या दि‍या जलाने से घर के लोगों की सेहत अच्‍छी रहती है। घर में आपका रसाईघर कि‍स दि‍शा में है इसका असर परि‍वार के स्‍वास्‍थ्य पर पड़ता है। इसलि‍ए रसोईघर को दक्षि‍ण पूर्व दि‍शा में ही बनाना चाहि‍ए। घर की बाउन्‍ड्री वॉल गेट की ऊँचाई के बराबर होनी चाहि‍ए। गेट के दोनो साइड नीबू के पौधे लगाने से अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य मि‍लता है। अगर आपके घर में कोई ज्यादा ही बीमार रहता है तो उसके कमरे में दो हफ्ते तक जलती हुई मोमबत्ती रखें। घर की दक्षि‍ण दि‍शा में हनुमान जी की मूर्ति‍ रखें। यह अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य का कारक होता है। घर में पानी की टंकी को उत्तर दि‍शा में रखना घर के लागों के उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य के लि‍ए अच्‍छा होता है।

भवन के उस भाग में जहाँ दो दीवारें मिलती हैं, खिड़कियाँ तथा रोशनदानों का निर्माण वहाँ न करवाएँ। यह अशुभकारी निर्माण होता है। जब कोई व्यक्ति मुख्यद्वार में प्रवेश करता है तो मुख्य द्वार से निकलने वाली चुम्बकीय तरंगें उसकी बुद्धि को प्रभावित करती हैं।

द्वार का सही दिशा में बनवाना आवश्यक है। प्रवेश द्वार सदैव अंदर की ओर खुलना चाहिए। प्रवेश द्वार दो पल्लों में हो तो बहुत ही उत्तम है। द्वार स्वतः ही खुलना व बंद होना नहीं चाहिए।

मुख्य द्वार के सम्मुख सीढ़ी, खम्भा, कीचड़ तथा मंन्दिर आदि नहीं होने चाहिए।
यदि बहुमंजिला इमारत है तो भूखंड पर पश्चिमी अथवा उत्तर दिशा की ओर अतिथि कक्ष का निर्माण उचित रहता है।

वास्तु दोष :- यदि भवन का पूर्व दिशा का भाग अन्य दिशाओं की अपेक्षा ऊँचा है तो अर्थ हानि, संतान अस्वस्थ एवं मंद बुद्धि वाली होगी।

निवारण :- भवन में टी. वी. का ऐन्टीना नैऋत्य कोण में लगा लें। जिसकी ऊँचाई भवन के पूर्वी एवं उत्तरी भाग की दीवारों से अधिक होनी चाहिए। यदि घर में टीवी नहीं है तो ऐन्टीना के स्थान पर लोहे का एक पाइप या डंडा लगाया जा सकता है। उपरोक्त दोनों उपायों के साथ-साथ भवन के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में ठोस वस्तुएँ एवं उत्तरी पूर्वी भाग में पोली व हल्की वस्तुएँ रख देनी चाहिए।

वर्षा और ड्रेनेज के पानी का बहाव उत्तर-पूर्व या पूर्व-उत्तर होना चाहि‍ए। नए घर के नि‍र्माण में इस्‍तेमाल की जाने वाली सामग्री नवीन होनी चाहि‍ए।
बि‍ल्‍डिंग की ऊँचाई दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दि‍शा से उत्तरी पूर्वी-दि‍शा की ओर घटनी चाहि‍ए।
घर की दक्षि‍ण-पश्चि‍मी दीवारों की मोटाई उत्तर-पूर्वी दि‍शा की दीवारों से ज्‍यादा होनी चाहि‍ए। घर या प्‍लॉट के मध्‍य में कूआं होना अमंगलकारी माना जाता है।

घर के ठीक सामने एक तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहि‍ए।

घर के मुख्‍य द्वार को ऐसे बनाएँ कि‍ प्रवेश करने वाले व्‍यक्ति‍ की छाया उस पर न पड़े।

फर्श का पोंछा लगाते समय आप जि‍स कीटनाशक का प्रयोग करें उसमें पहले थोड़ा सा सेंधा नमक मि‍ला लें।

घर के मुख्‍य द्वार पर गजलक्ष्मी की तस्‍वीर लगाना मंगलकारी होता है।

ग्राउंड फ्लोर के खि‍ड़की-दरवाजों की संख्‍या ऊपरी मंजि‍लों के खि‍ड़की-दरवाजों की संख्‍या से अधि‍क होनी चाहि‍ए।

तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है। तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।

* ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें।

* भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट बनता है।
भूखंड में दक्षिण-पश्चिम दिशा में अंडर ग्राउंड टैंक विवाह-शादी पर रोक लगाता है। इस दिशा में बेसमेंट और ढलान होने पर भी विवाह-शादी में बाधाएँ आ खड़ी होती हैं। दक्षिण-पश्चिमी भाग में से निकलने वाले पानी से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का अंदेशा बढ़ जाता है। यह दाम्पत्य संबंध भी तोड़ता है। दक्षिण-पश्चिम भाग में बने अंडर ग्राउंड टैंक के पानी से नहाने वाले भी कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का शिकार हो जाते हैं। यह पति या पत्नी को अकेला रहने पर मजबूर कर देता है। मकान के प्रवेश द्वार पर दहलीज का निर्माण कराएँ। दहलीज के नीचे चाँदी का तार अवश्य लगवाएँ। ऐसा करने वालों के घर में धन की कभी कमी नहीं रहेगी और न ही किसी तरह की अशुभ ऊर्जा उनके घर में प्रवेश  करेगी। मकान के केन्द्र स्थल में कोई दीवार नहीं होनी चाहिए और न ही कोई खम्भा होना चाहिए। मकान में धन-नकदी रखने की अलमारी कमरे के दक्षिण-पश्चिम भाग में होनी चाहिए। 

आपका ड्रॉइंग रूम आपके घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा होता है। यहां आपके परि‍वार के सदस्‍य सबसे ज्‍यादा वक्त बि‍ताते हैं।

ड्रॉइंग रूम हमेशा उत्तर दि‍शा में होना चाहि‍ए।

ड्रॉइंग रूम में रखा जाने वाला फर्नीचर वर्गाकार या आयताकार होना चाहि‍ए।

ड्रॉइंग रूम के दक्षि‍ण और पश्चि‍मी कोनों में फर्नीचर रखें।

टेलीफोन को दक्षि‍ण पश्चि‍म कोने में रखें और टीवी छोड़कर अन्‍य 

इलेक्‍ट्रॉनि‍क उपकरण दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखें।

सोफे को उत्तरी पश्चि‍मी कोने में रखें।
सोफे को ड्रॉइंग रूम में एल शेप में रखने से बचें। 
टीवी को दक्षि‍ण पूर्वी कोने में रखा जा सकता है और अलमारी व शोकेस दक्षिण पश्चि‍मी कोने में हों तो बहुत ही अच्‍छा है।
टीवी के दोनों ओर फोटो फ्रेम, परि‍वार की तस्वीरे रखें।
साथ ही टीवी के पास आप अपने ईष्‍ट देव की मूर्ति‍ भी रख सकते हैं। टीवी देखते समय जब आप इन तस्वीरों और मूर्ति‍यों को देखेंगे तो सकारात्‍मक ऊर्जा और शुद्ध वि‍चार एक साथ आएंगे।

घर में कभी भी बासी खाने, मुरझाए फूलों, फटे हुए कपड़ों, रद्दी कागजों, खाली डि‍ब्‍बों और गैरजरूरी चीजों का संग्रह नहीं करना चाहि‍ए। ऐसी चीजें लक्ष्मी को घर में आने से रोकती हैं।
2. घर की खि‍ड़कि‍याँ हमेशा बाहर की तरफ खुलनी चाहि‍ए।
3. घर में कैक्‍टस या नागफनी का पौधा न रखें।
4. अगर आप मल्‍टी में रहते हैं जहाँ लि‍फ्ट लगी हो तो कोशि‍श करें की लि‍फ्ट का दरवाजा आपके मुख्‍यद्वार के सामने न खुलता हो।
5. ति‍कोने, अंडाकार या गोल आकृति‍ के के कमरे घर में न नि‍कालें।
6. दाईं ओर मुड़कर ऊपर जानी वाली सीढ़ि‍याँ दो भागों में वि‍भाजि‍त होनी चाहि‍ए। इन्‍हें उत्तर पूर्व या दक्षि‍ण पश्चि‍म वाले कोने को छोड़कर अन्‍य जगह पर बनाएँ। उत्तर या पश्चि‍म की तरफ उतरती हुई सीढ़ि‍यों से घर में पैसे की बरबादी हो सकती है।
7. अगर घर में संगमरमर का फर्श है तो ध्‍यान रखें की चमड़े के जूते इधर-उधर न बि‍खरे रहें।

कैसा हो आपका किचन

महिलाओं का अधिकतम समय किचन में ही बीतता है। वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक यदि वास्तु सही न हो तो उसका विपरीत प्रभाव महिला पर, घर पर भी पड़ता है। किचन बनवाते समय इन बातों पर गौर करें।
किचन की ऊँचाई 10 से 11 फीट होनी चाहिए और गर्म हवा निकलने के लिए वेंटीलेटर होना चाहिए। यदि 4-5 फीट में किचन की ऊँचाई हो तो महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कभी भी किचन से लगा हुआ कोई जल स्त्रोत नहीं होना चाहिए। किचन के बाजू में बोर, कुआँ, बाथरूम बनवाना अवाइड करें, सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं। 

किचन में सूर्य की रोशनी सबसे ज्यादा आए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। किचन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे सकारात्मक व पॉजिटिव एनर्जी आती है।

- किचन हमेशा दक्षिण-पूर्व कोना जिसे अग्निकोण (आग्नेय) कहते है, में ही बनवाना चाहिए। यदि इस कोण में किचन बनाना संभव न हो तो उत्तर-पश्चिम कोण जिसे वायव्य कोण भी कहते हैं पर बनवा सकते हैं।

- किचन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए।

- किचन के दक्षिण में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। खिड़की पूर्व की ओर में ही रखें।

- रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए।

- किचन में कभी भी ग्रेनाइट का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।

- किचन में लॉफ्ट, अलमारी दक्षिण या पश्चिम दीवार में ही होना चाहिए।

- पानी फिल्टर ईशान कोण में लगाएँ।

- किचन में कोई भी पावर प्वाइंट जैसे मिक्सर, ग्रांडर, माइक्रोवेव, ओवन को प्लेटफार्म में दक्षिण की तरफ लगाना चाहिए। फ्रिज हमेशा वायव्य कोण में रखें।

नौकरों के कमरे- वास्तु के अनुसार नौकरों या सेवकों के लिए कमरे बनाने जा रहे हैं, तो उनके कमरे हमेशा मकान के दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पूर्व में बनवाएँ।
दुछत्ती- दुछत्ती का निर्माण दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही करना चाहिए।
सेप्टिक टैंक- यह उत्तर-पश्चिम, वायव्य कोण में बनवाना चाहिए।

मकान में स्टोर रूम अथवा भंडार गृह उत्तर, उत्तर व ईशान कोण के मध्य, पूर्व व आग्नेय कोण के मध्य या दक्षिण व आग्नेय कोण के मध्य बनवाने से गृह स्वामी सदा सुखी व बलशाली रहता है। परिवार खुशहाल तथा घर में किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होता। मकान में आंगन निकलवाने का तात्पर्य गृह स्वामी तथा उनके परिवार की आरोग्य रक्षा से है जो कि सूर्य प्रकाश से है, खुली हवा से है।

जिस घर में प्राकृतिक हवा व सूर्य प्रकाश बेरोक-टोक पहुंच सके उस घर के प्राणी बहुत कम बीमार होते हैं। वे हमेशा सुखी व प्रसन्नचित रहते हैं। यदि घर में बैठक-कक्ष में खाने-पीने का उपयोग भी करना हो, तो डॉयनिंग टेबल बैठक-कक्ष के दक्षिण-पूर्व में रखें। अलग डायनिंग कक्ष पूर्व या पश्चिम दिशा में बनाना शुभ होता है।

मकान में मुख्य द्वार एक ही होता है। मुख्य द्वार में मांगलिक चिन्ह जैसे स्वास्तिक या कलश या क्रॉस बनवाएं। मकान में रसोईघर आग्नेय कोण में बनवाएं। यह अत्यंत शुभ व सर्वाधिक श्रेष्ठ तथा उत्तम है। डायनिंग हॉल मकान में पूर्व या पश्चिम दिशा में बनवाएं। कुछ लोग ईशान कोण में बनवाते हैं, लेकिन वास्तु के हिसाब से यह शुभ नहीं है।
वास्‍तु टिप्‍स- किधर हो घर की खिड़की 

जहां खिड़की गलत तरीके से लगी होती है। यदि किसी तिकोने मकान की छाया आपके मकान के मुख्यद्वार पर पड़ती हो तो, यह स्थिति अशुभ मानी जाती है। ऐसे मकान में गृहस्वामी या शयनकक्ष में सोने वाले व्यक्तियों को दुर्घटना का भय बना रहता है। परिवार में आर्थिक समस्यायें भी बनी रहती है।उपाय- शयनकक्ष की खिड़की पर हरे रंग पर्दा एंव प्लास्टिक ब्लेड लगाने से लाभकारी परिणाम मिलने लगते है। मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाना...
जहां खिड़की गलत तरीके से लगी होती है। यदि किसी तिकोने मकान की छाया आपके मकान के मुख्यद्वार पर पड़ती हो तो, यह स्थिति अशुभ मानी जाती है। ऐसे मकान में गृहस्वामी या शयनकक्ष में सोने वाले व्यक्तियों को दुर्घटना का भय बना रहता है। परिवार में आर्थिक समस्यायें भी बनी रहती है।उपाय- शयनकक्ष की खिड़की पर हरे रंग पर्दा एंव प्लास्टिक ब्लेड लगाने से लाभकारी परिणाम मिलने लगते है। मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाना...

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