02 October 2012

क्या जिनका प्रचार होता है वे ही देशभक्त होते हैं?


क्या जिनका प्रचार होता है वे ही देशभक्त होते हैं ?
मेरी अस्थियाँ तब तक प्रवाहित मत करना जब तक
सिन्धु नदी भारत के ध्वज तले न बहे |
इस बात को तो मैं बिना छिपाए कहता हूँ कि मैं

गांधी जी के सिद्धांतों के विरोधी प्रचार कर रहा हूँ | मेरा यह पूरा विश्वास रहा है कि अहिंसा का अत्यधिक प्रचार
हिन्दू को अत्यधिक निर्बल बना देगा | अंत में यह
हिन्दू धर्म ऐसा भी नहीं रहेगा कि वह
दूसरी जातियों से, विशेषकर

मुसलमानों के अत्याचारों के प्रतिशोध कर सके | मैं गांधी के अहिंसा सिद्धांतों का उतना विरोधी नहीं जितना उनके मुस्लिम प्रेम का | उनके कार्यों से हिन्दू धर्म
की अत्यधिक हानि हो रही थी,
32 वर्षों से महात्मा गांधी मुसलमानों के पक्ष में
जो कार्य कर रहे थे, और अंत में उन्होंने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलाने के लिए अनशन करने का निश्चय किया | तब मैंने भी सोच लिया कि गांधी को समाप्त कर देना चाहिए | 

मुझे मौत से डर नहीं लेकिन भारत माता के लिए बिना कुछ किये मर जाऊं तो मेरे लिए असहनीय था | 

शहीद श्री नाथुराम गौडसे

(19 मई 1910 - 15 नवम्वर 1949 )

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