ये देखो, ये सब लोग मुझे लेने आए हुए हैं। सामने अद्भुत रोशनी की सुरंग
नजर आ रही है। यहां मेरे सारे आत्मीय जन मेरे स्वागत में खडे हुए हैं। मेरा शरीर फूल की तरह... इन शब्दों केसाथ ही पिता जी की चेतना गुम हो चुकी थी। यह बहुत पहले की घटना है। मेरे पिता रामेश्वर दयाल बहुत बीमार थे। उन्हें तुरंत होली फेमिली अस्पताल ले जाया गया। पिताजी अचेत थे। अस्पताल में उन्हें कुछ देर के लिए होश आया। तभी उन्होंने ये बातें कहीं। इसके बाद उनका देहांत हो गया। मेरा पूरा परिवार धर्म-कर्म को मानने वाला परिवार है तथा मां संतोषी माता की अनन्य भक्त थीं। बडी विचित्र घटना हुई जब पिताजी को दो बार संतोषी मां के दर्शन हुए। जबकि उनकी पूजा मां किया करती थीं। हमारे पिताजी अत्यंत खुशहाल, सुलझे हुए तथा मन व आत्मा से शुद्ध रहने वाले व्यक्ति थे। झूठ-फरेब उनके
जीवन में कहीं नहीं था।
स्व.रामेश्वर दयाल का अनुभव मृत्यु के करीब होने वाले अनुभव का ही एक उदाहरण है। इस प्रकार के अनुभव कोई नई बात नहीं हैं। इसका विस्तृत विश्लेषण 8 वी सेंचुरी में लिखी गई तिब्बतियन बुक ऑफ डेड में मिलता है। इसे एक समय मृत्यु शैया के विजन (डेथ बेड विजन) भी कहा जाता था। आज यह चर्चा का विषय है तथा इस पर गहन शोध भी हो रहे हैं कि क्या वास्तव में ऐसा अनुभव होता है?
उल्लेखनीय है कि इस अनुभव के पश्चात् कुछ व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आते देखे गए। यदि मृत्यु के निकट जाकर किसी को जीवन मिला है तो उनमें संवेदनशीलता बढ गई। कई भूले-बिसरे गुण सामने आ गए थे। कई मामलों में पूरी लाइफस्टाइल ही बदल गई थी।
विश्लेषण
स्व.रामेश्वर दयाल का अनुभव मृत्यु के करीब होने वाले अनुभव का ही एक उदाहरण है। इस प्रकार के अनुभव कोई नई बात नहीं हैं। इसका विस्तृत विश्लेषण 8 वी सेंचुरी में लिखी गई तिब्बतियन बुक ऑफ डेड में मिलता है। इसे एक समय मृत्यु शैया के विजन (डेथ बेड विजन) भी कहा जाता था। आज यह चर्चा का विषय है तथा इस पर गहन शोध भी हो रहे हैं कि क्या वास्तव में ऐसा अनुभव होता है?
उल्लेखनीय है कि इस अनुभव के पश्चात् कुछ व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आते देखे गए। यदि मृत्यु के निकट जाकर किसी को जीवन मिला है तो उनमें संवेदनशीलता बढ गई। कई भूले-बिसरे गुण सामने आ गए थे। कई मामलों में पूरी लाइफस्टाइल ही बदल गई थी।
नियर डेथ एक्सपीरियंस के अनुभव के समय जब व्यक्ति मृत्यु के एकदम करीब होता है और आत्मा अचानक शरीर छोड देती है। ज्यादातर इस प्रकार के अनुभव ऑपरेशन टेबल पर हुए हैं। घटनाओं का चलचित्र की तरह दिखना, रोशनी की सुरंग, अद्भुत प्रेम का एहसास कराने वाली अलौकिक रोशनी का अनुभव। इन लोगों के मृत्यु के बारे में विचार बदल जाते हैं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट (एस्कॅार्ट्स) डा.भावना बर्मी के अनुसार एन. डी. ई. एक प्रकार की संवेदनशील अनुभूति है, जो उन व्यक्तियों को होती है जो क्लिनिकली मर कर दोबारा जी जाते हैं, चाहे कुछ देर के लिए।
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