25 September 2012

क्या आप जानते हैं ??

 

"अशोक चिन्ह" को बाबा साहिब अंबेडकर ने क्यों अपनाया था ?

शायद आजादी के इतने साल बाद भी किसी ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया। इसका कारण सिर्फ इतना था कि आजादी के बाद बाबा साहिब अंबेडकर का सिर्फ एक सपना आरक्षण भी जो १० साल में पूरा होना था अब तक नहीं कर पाए, बस उसको वोट बेंक का आधार बनाकर रख दिया।
अशोक चिन्ह लेकर वे अशोक की तरह का शासन देने का सपना पाले हुए थे, जिसको हमारे नेताओ ने पूरा करने की पहल तक नहीं की।


१. अशोक के शासन की तरह से राज्य की सड़कों के दोनों ओर फलदार पेड़ लगाये जाए (पर वृक्षारोपण में बेकार पेड़ लगाये गए जिनका प्रयोग इमारती लकड़ी में भी नहीं होता और
ना किसी प्रकार के पशुओं के चारे में इस्तेमाल होता क्यों ?)
२. अशोक ने अपने राज्य में जगह जगह पर रुकने के सराय बनवाई थी। (और हमारी सरकारों ने उस ओर क्या ध्यान दिया ? सभी को मालूम है कि सरकारी गेस्ट हॉउस किस के लिए हैं और वहां पर क्या होता है ?)
३. अशोक के राज्य में सभी कत्लगाहों को बंद कर दिया था। ( क्योंकि उसके स्थान पर पूर्ति फलो से हो जाती थी, ये तो मुगलों के आने बाद आरम्भ हुए थे जिसको ब्रिटिश के आने बाद भी चालू रखा गया था और आज भी चालू है जिसे बाबा साहिब बंद करना चाहते थे।)
४. अशोक के राज्य में जगह जगह पर शुद्ध पानी के प्याऊ लगवाये गए थे यहाँ तक प्रत्येक गाव में कुएँ खुदवाए गए थे। (आजादी के बाद कुएँ सिर्फ कागजो पर खोदे गए थे) क्यों कुछ गलत है क्या ?

अब अशोक चिन्ह राष्ट्रीय प्रतीक रखकर भारत सरकार ये काम ना करके क्या अशोक चिन्ह का अपमान नहीं कर रही है ? क्या इस चिन्ह को रखने का अधिकार है ? क्या ये हमारा अपमान नहीं है क्या ? क्या ये इस देश के संविधान के निर्माता का जो उन्होंने चिन्ह को अपनाया है उसका अपमान नहीं है ?
यह आप सबको फैसला करना है कि गलती अगर होती है तो उसका सुधार भी होता है, पर कब जब समय निकल जाये तब .....!!


जय हिन्द, जय भारत !
वन्दे मातरम्

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