गौ-हत्या क्यों बुरी है ? इसका क्या नुकसान है? ...इसका एक आर्थिक पहलू ***
१. अब यूरोपियन लोग चैन से सस्ता मांस खाये, इसके लिए उन्हें हमारे टैक्स से सब्सिड़ी लेकर सस्ता मांस भेजा जा रहा है, और भारत में लाखो बच्चो को दूध नहीं मिलता, क्यूकी गाय की कम संख्या होने की वजह से दूध महंगा होता जा रहा है. लाखो गरीब परिवार दूध खरीद ही नहीं पाते! ये सच्चाई है, कुछ कहानी नहीं. लेकिन हमारे अंधे हिन्दू-विरोधी मार्क्सवादी कांग्रेस को यह दिखाई कहा देता है? वो तो बस यही कहकर गौ-हत्या करवा रही है की ये एक सभ्य यूरोपियन संस्कृति की आदत है, जो हमें अपनानी चाहिए. सीधी सी बात है, की कांग्रेसी दल्ले नफा कमा रहे है, बच्चो का लाखो बच्चो दूध महंगा करवा के.
२. दूसरी बात. जिस २ गाई को काटकर एक व्यक्ति सिर्फ ४०,००० रुपये कमाता है, वही व्यक्ति अगर उसी २ गाई से ५ साल दूध बेचेगा, तो उसे कम से कम ४,००.००० रुपये मिलेंगे. जिससे वो अपने बचे को मेट्रिक तक पढ़ा सकता है. यानि की एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था को बरबाद किया जा रहा है, क्यूकी कुछ हरामखोरो को जल्दी अमीर होना है. वो हरामखोर तो अमीर हो जाते है, लेकिन अपने पीछे १०,००० गरीब पैदा कर रहे है.
३. तीसरी बात. यूरोप की जनसँख्या बहुत कम है, हमारे भारत जैसे १२० करोड़ नहीं है. उनकी को मांस खाने की आदत है, वो खुद ही पूरी नहीं कर पाते है, उन्हें बाहर से इम्पोर्ट करना पड़ता है. अब सोचिये, की क्या आप ऐसी ही सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था भारत में लागू करना चाहते है? कहा से आएगा इतना मांस? क्या १२० करोड़ लोगो के लिए इतनी गाय पैदा हो सकती है? क्या हम इसी तरह बिना सोचे-समझे यूरोप का मॉडेल कॉपी करेंगे?
कृपया, सब लोग इस बात को समझ लीजिये, की हम बर्बादी की ओर बढ़ रहे है. भारत में कुपोषण का एक बहुत बड़ा कारण ये गौ-मांस का एक्सपोर्ट और गौ-हत्या है.
गरीबी की जनक, मूर्खो की पार्टी = मुघल कांग्रेस.
कृपया इसे शेयर किजिये, कॉपी-पेस्ट करिये. शायद लोग गौ-हत्या से जुड़े आर्थिक और सामाजिक पहलू को समझ सके, और ये अंधी हिन्दू-विरोधी मानसिकता से बाहर निकल कर सोचे.
Rajesh Agrawal
१. अब यूरोपियन लोग चैन से सस्ता मांस खाये, इसके लिए उन्हें हमारे टैक्स से सब्सिड़ी लेकर सस्ता मांस भेजा जा रहा है, और भारत में लाखो बच्चो को दूध नहीं मिलता, क्यूकी गाय की कम संख्या होने की वजह से दूध महंगा होता जा रहा है. लाखो गरीब परिवार दूध खरीद ही नहीं पाते! ये सच्चाई है, कुछ कहानी नहीं. लेकिन हमारे अंधे हिन्दू-विरोधी मार्क्सवादी कांग्रेस को यह दिखाई कहा देता है? वो तो बस यही कहकर गौ-हत्या करवा रही है की ये एक सभ्य यूरोपियन संस्कृति की आदत है, जो हमें अपनानी चाहिए. सीधी सी बात है, की कांग्रेसी दल्ले नफा कमा रहे है, बच्चो का लाखो बच्चो दूध महंगा करवा के.
२. दूसरी बात. जिस २ गाई को काटकर एक व्यक्ति सिर्फ ४०,००० रुपये कमाता है, वही व्यक्ति अगर उसी २ गाई से ५ साल दूध बेचेगा, तो उसे कम से कम ४,००.००० रुपये मिलेंगे. जिससे वो अपने बचे को मेट्रिक तक पढ़ा सकता है. यानि की एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था को बरबाद किया जा रहा है, क्यूकी कुछ हरामखोरो को जल्दी अमीर होना है. वो हरामखोर तो अमीर हो जाते है, लेकिन अपने पीछे १०,००० गरीब पैदा कर रहे है.
३. तीसरी बात. यूरोप की जनसँख्या बहुत कम है, हमारे भारत जैसे १२० करोड़ नहीं है. उनकी को मांस खाने की आदत है, वो खुद ही पूरी नहीं कर पाते है, उन्हें बाहर से इम्पोर्ट करना पड़ता है. अब सोचिये, की क्या आप ऐसी ही सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था भारत में लागू करना चाहते है? कहा से आएगा इतना मांस? क्या १२० करोड़ लोगो के लिए इतनी गाय पैदा हो सकती है? क्या हम इसी तरह बिना सोचे-समझे यूरोप का मॉडेल कॉपी करेंगे?
कृपया, सब लोग इस बात को समझ लीजिये, की हम बर्बादी की ओर बढ़ रहे है. भारत में कुपोषण का एक बहुत बड़ा कारण ये गौ-मांस का एक्सपोर्ट और गौ-हत्या है.
गरीबी की जनक, मूर्खो की पार्टी = मुघल कांग्रेस.
कृपया इसे शेयर किजिये, कॉपी-पेस्ट करिये. शायद लोग गौ-हत्या से जुड़े आर्थिक और सामाजिक पहलू को समझ सके, और ये अंधी हिन्दू-विरोधी मानसिकता से बाहर निकल कर सोचे.
Rajesh Agrawal
1 comment:
Its a very good article with lot of facts
Post a Comment